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हम क्यों भूल जाते हैं?इसे सुनेंरोकेंऔर जन्म से पहले की बातें याद रख पाना तो बिल्कुल ही संभव नहीं. वजह ये है कि हमारे ज़हन के जिस हिस्से में यादें सहेजी जाती हैं, वो मां के गर्भ के भीतर विकसित नहीं होता. बच्चे के जन्म के बाद भी दिमाग़ के इस हिस्से के विकास में वक़्त लगता है. इसीलिए हम सब को बचपन के पहले कुछ वर्षों की बाते याद नहीं रहतीं हैं. खेलों में भाग लेने से प्रतिक्रिया समय पर क्या प्रभाव पड़ता है?इसे सुनेंरोकेंखेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। बचपन की कौन सी बात भूली नहीं जा सकती? इसे सुनेंरोकेंबहुत से लोग अपने बचपन के क़िस्से यूं सुनाते हैं जैसे वो कल की ही बात हो. लेकिन कुछ लोगों को छह-सात बरस की उम्र तक की कोई भी बात याद नहीं रहती. जो लोग बड़े चाव से बचपन के क़िस्से सुनाते हैं, उनमें से कई क़िस्से तो हक़ीक़त होते ही नहीं. वो सुनी-सुनाई बाते होती हैं, जिन्हें दिमाग़ याद के तौर पर सहेजकर रख लेता है. भूलना से आप क्या समझते हैं?इसे सुनेंरोकेंविस्मरण से तात्पर्य स्मरण की विफलता से है जब व्यक्ति अपने भूतकाल के अनुभवों को चेतन में लाने में असफल हो जाता है, तब उसे विस्मरण कहते हैं। जिस प्रकार से जीवन को उपयोगी तथा सुखी बनाने के लिए स्मृति आवश्यक है, उसी प्रकार हमारे जीवन में विस्मृति की भी उपयोगिता तथा महत्व है। खेलों का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?इसे सुनेंरोकेंखेलों में भाग लेने से हमारे शरीर पर बहुत ही उत्तम प्रभाव पड़ता है। क्योंकि खेलों से मनुष्य का संपूर्ण विकास होता है। खेलों से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और हम हर कार्य सही ढंग से कर पाते है हमारी सोचने की क्षमता भी बढ़ जाती है। खेल हमारे सभी तनावों को मुक्त कर देता है और हमें चुस्त बनाता है। अपने माता पिता से अपने बचपन के बारे में जानना और लिखो बचपन में तुम क्या क्या करते थे? इसे सुनेंरोकेंहम बचपन में अपने दोस्तों के साथ खेलना पसंद करते थे लेकिन परिवार के लोग खेलने के बजाय हमें पढ़ने पर ज्यादा जोर देते थे, हम अपने बचपन में गॉवों में टेलीविजन खुब देखते थे और रात को चोरी से घर से निकल जाते थे बाद में जब पिता जी को पता चलता था तो खुब डॉट पड़ती थी । इसे सुनेंरोकेंक्यों भूल जाते हैं हम चीजों को रखकर भूल जाना, किसी जरूरी बात का दिमाग से निकल जाना, बातचीत करते समय विषय का ध्यान से हट जाना, नामों का याद न रहना, दिनचर्या में उपयोग में होने वाली छोटी-छोटी बातें भी याद न रहना। यह कुछ ऐसी समस्याएँ हैं जो तेजी से लोगों में बढ़ती जा रही हैं। ऐसा क्या कारण होता है कि बचपन की कोई घटना या स्मृति हमें आजीवन याद रह जाती है?इसे सुनेंरोकेंबचपन में बहुत सी ऐसी घटनाएं होती हैं जो मनमोहक होती हैं जो हमारे मन में बस जाती हैं और लंबे समय तक हमें याद रहती हैं । मेरे बचपन में मुझे एक घटना आज भी याद है जो मेरा मन प्रसन्न कर देती है । जब मैं छोटा था तो अक्सर मैं घूमना पसंद करता था । अपने साथ घटी कोई भी रोचक घटना लिखिए और यह बताइए कि यह घटना आपके लिए यादगार क्यों है?इसे सुनेंरोकेंदादा की गोद में बैठना मेरा जन्मसिद्ध अधिकार था. मैं घर का सबसे छोटा बच्चा थी सो मेरे लिए इसके अपने फायदे और नुकसान थे. एक तरफ जहां मुझे कोई डांटता-फटकारता नहीं था वहीं दूसरी तरफ मेरे साथ खेलने और शैतानी करने वाला भी कोई नहीं था. छोटी होने और अकेली पड़ जाने के कारण मेरी शरारतों के कोटे में बहुत कम शरारतें हैं. भूलने की आदत कैसे ठीक करें? इसे सुनेंरोकेंलिफ्ट के बजाय सीढ़ियों से चढ़ें, पूल में जाकर स्विमिंग करें, साइकिल चलाएं, ऐरोबिक्स करें, सुपर ब्रेन योगा को आजमाएं. इनसे दिमाग को ऑक्सीजन मिलेगी, और उसमें नई स्फूर्ति आएगी. हर काम को संगठित और अनुशासित ढंग से करने की आदत डाल लें. भूलने की आदत कैसे दूर करें?भूलने की आदत से करें तौबा
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भूलने की बीमारी में क्या करना चाहिए? इसे सुनेंरोकें- नियमित रूप से निर्धारित मात्रा में बादाम व अखरोट खाएं। – ताजे फल और हरी सब्जियां आदि का सेवन करें। कोरोना से भूलने की बीमारी संबंधित अभी कोई केस नहीं मिला है। अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है, इसे दवाओं के आधार पर केवल उच्च और निम्न स्तर पर कर सकते हैं, लेकिन इसे जड़ से समाप्त नहीं किया जा सकता। दिमाग की याददाश्त कैसे तेज करें?इसे सुनेंरोकेंहल्दी का सेवन करें- क्योंकि यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है। हल्दी का यही तत्व हमारी याददाश्त को बेहतर करता है और तनाव को कम करने में मददगार होता है। इसलिए हल्दी का सेवन चाहे तो दूध के साथ भी करें। यह शरीर और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद होता है। वह 1 दिन बहुत अनोखा था जब बच्चों को बड़ों के अधिकार मिल गए थे वह दिन बीत जाने के बाद उन्होंने क्या सोचा होगा?इसे सुनेंरोकेंउत्तर: घर के बड़े लोगों को कैसे समझाया जाए जिससे कि वे उन पर इतनी अधिक पाबंदियाँ नहीं लगाएँ। उन्होंने अब्बा से दरखास्त पेश की कि एक दिन उन्हें बड़ों के सारे अधिकार दे दिए जाएँ और सब बड़े छोटे बन जाएँ। उन दोनों ने जो तरकीब अपनाई वह सबसे अच्छी है। लचकती लटकती बड़े ठाठ से कौन जा रही थी? इसे सुनेंरोकेंएक निहायत भारी साड़ी में लचकती-लटकती बड़े ठाठ से कॉलेज जा रही थीं। आप…!” सलीम ने बड़े गौर से आपा का मुआयना किया। “इतनी भारी साड़ी क्यों पहनी? शाम तक गारत हो आएगी । आरिफ और सलीम अपने बड़ों से परेशान क्यों थे?इसे सुनेंरोकेंहमारे विचार से इस कहानी का नाम एक दिन की बादशाहत इसलिए रखा गया क्योंकि आरिफ़ और सलीम को सब बड़ों पर हुकुम चलाने का अधिकार मिला था। जिसके कारण उन्होंने सारे बड़ों को उनकी गलतियों का एहसास दिलाया। अत: इसका नाम “एक दिन की बादशाहत” पड़ा। इस कहानी के लिए अन्य शीर्षक यह भी हो सकता है “बड़ों को सबक”। आरिफ़ और सलीम कौन थे?इसे सुनेंरोकेंइस कहानी में आरिफ़ और सलीम ने सारे बड़ों से काम करवाया था। उन्होंने बड़ों को छोटा बना दिया और स्वयं सारे बड़ों वाले काम किए। अत: इस कहानी में आरिफ़ और सलीम एक दिन के असली बादशाह बन गए थे। आरिफ और सलीम अपने बड़ों से परेशान क्यों थे?, , प्रश्न-2 आरिफ़ और सलीम अपने बड़ों से परेशान क्यों थे?, उत्तर--आरिफ और सलीम पर घर के बड़े लोगों ने बहुत, पाबंदियाँ लगा रखी थीं इसीलिए वे बड़े लोगों से बहुत, परेशान थे।
आरिफ और सलीम ने क्या योजना बनाई?आरिफ़ और सलीम ने मिल कर क्या योजना बनाई थी? आरिफ़ और सलीम ने मिलकर योजना बनाई कि एक दिन उन्हें बड़ों के सारे अधिकार मिल जाएँ और सब बड़े छोटे बन जाएँ। यह दरखास्त उन्होंने अब्बा जान के आगे पेश की जो मान ली गई थी।
आरिफ ने दादी को क्या नहीं पीने को कहा?Explanation: जैसे ही उन्होंने बादाम का हरीरा पीना शुरू किया, आरिफ ने उन्हें रोका, “दादी! कितना हरीरा पिएँगी आप… पेट फट जाएगा!” इसी प्रकार आरिफ ने खानसामे को आदेश देकर अपने सामने अंडे और मक्खन रखवाया और घर के बाकी सदस्यों को दलिया और दूध-बिस्कुट देने को कहा।
सलीम ने आपा को क्या करने को मना किया था?भाईजान ने शाम को दोस्तों के साथ फिल्म देखकर देर से आने की बात कही तो आरिफ ने आँखें निकालकर उन्हें धमकाया और जाने से मना कर दिया । इसके बाद सलीम ने आपा को भी टोका और सफेद वॉयल की साड़ी पहनने को कहा और उनकी नकल भी करने लगा । इस तरह आदेश देते-देते एक दिन की बादशाहत ख़त्म हो गई थी ।
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