बच्चों को सांस लेने में तकलीफ क्यों होती है? - bachchon ko saans lene mein takaleeph kyon hotee hai?

बच्चों को सांस लेने में तकलीफ क्यों होती है? - bachchon ko saans lene mein takaleeph kyon hotee hai?

अगर बच्चों को सांस लेने में परेशानी है, तो उनके लिए सबसे बेहतर और सबसे खराब खाद्य पदार्थ

अस्थमा एक सांस से जुड़ी समस्या है, जिसमें श्वास नली में सूजन आ जाती है और वो सिकुड़ जाती है व ज़्यादा बलगम बनने लगता है। ऐसी स्थिति में सांस लेने में मुश्किल होती है, खांसी होती है, सांस लेते समय घरघराहट की आवाज़ आती है और सांस फूलने लगती है। जहां कुछ बच्चों में यह समस्या कम होती है, वही कुछ में गंभीर और पुरानी हो जाती है जिससे उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर असर पड़ने लगता है। कई बार तो अस्थमा के अटैक की वजह से जान भी जा सकती है।

अस्थमा के इन लक्षणों को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन इसे सिर्फ समय के साथ और इनहेलर का इस्तेमाल कर के ही काबू में किया जा सकता है। जिन बच्चों को सांस लेने में परेशानी होती है और घरघराहट की आवाज़ आती है, उनकी डाइट के बारे में जानकारी होना भी बहुत ज़रूरी है। तो आइए, उन संकेतों और लक्षणों के बारे में जानते हैं, जिनका सही इलाज होना ज़रूरी है।

अस्थमा कई प्रकार का होता है:-

  • एलर्जी से होने वाला अस्थमा- यह बहुत ही आम तरह का अस्थमा है, और 90% बच्चों में इसी तरह का अस्थमा पाया जाता है। यह एलर्जी से होता है, जो हवा में मौजूद किसी पदार्थ जैसे कि पराग, फफूंद, बीजाणु, कॉकरोच की गंदगी और पालतू जानवरों की त्वचा या उनकी सूखी लार आदि से होता है।
  • ऑक्यूपेशनल (व्यावसायिक) अस्थमा- यह अस्थमा आपके काम करने की जगह जैसे कि ऑफिस, फ़ैक्टरी, दुकान आदि में मौजूद किसी तरह का पेंट, केमिकल, गैस, घोल या धूल-मिट्टी से हो सकता है।
  • कसरत से होने वाला अस्थमा- यह अस्थमा तब और बिगड़ जाता है जब हवा ठंडी और शुष्क होती है।

लक्षण

अस्थमा के लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग नज़र आ सकते हैं। कुछ को बार-बार अस्थमा का दौरा पड़ सकता है, तो कुछ में ये लक्षण तय वक्त (जैसे कसरत करते समय) पर नज़र आ सकते हैं।

अस्थमा के संकेत और लक्षण में शामिल हैं:

  • सांस फूलना
  • सीने में जकड़न और दर्द होना
  • खांसी और सांस फूलने की वजह से सोने में परेशानी होना
  • सांस छोड़ते समय सीटी या घरघराहट की आवाज़ आना।
  • सर्दी या फ़्लू जैसे श्वास के वायरस की वजह से खांसी और घरघराहट का और ज़्यादा गंभीर हो जाना।

श्वास से जुड़ी समस्याओं को सुधारने में मदद करने वाले खाद्य पदार्थ

ऐसा कोई खास खाद्य पदार्थ तो नहीं है जिससे अस्थमा को ठीक किया जा सके लेकिन बच्चे की डाइट में पर्याप्त बदलाव कर के इसके लक्षणों को कम करने में ज़रूर मदद मिल सकती है। आहार विशेषज्ञों (डायटीशियन) के मुताबिक, जिन बच्चों को अस्थमा की समस्या है, उनके लिए पौष्टिक और अलग-अलग तरह का डाइट प्लान काफ़ी फ़ायदेमंद हो सकता है। डाइट और अस्थमा के लक्षणों के बीच के रिश्ते को अच्छे तरीके से जानने के लिए फ़ूड लॉग (जिसमें बच्चे के खाने की दिनचर्या लिखी जाए) बनाना भी बहुत ज़रूरी है। यह भी देखा गया है कि अस्थमा से पीड़ित बच्चे जिनका वज़न ज़्यादा होता है, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने पर ठीक होने में ज़्यादा समय लगता है। इसलिए सही वज़न बनाए रखने के लिए बच्चों को सेहतमंद डाइट देना बहुत ज़रूरी है।

जिन बच्चों को सांस में परेशानी है उनके लिए सही और गलत खाने की चीज़ों की लिस्ट नीचे दी गई है।

सही खाद्य पदार्थ

  • सेब- एक अध्ययन के मुताबिक, जो बच्चे हफ़्ते में कम से कम 2 से 5 सेब खाते हैं उनमें कम सेब खाने वाले बच्चों की तुलना में अस्थमा का खतरा 32% तक कम हो जाता है। यह इसमें मौजूद फ्लेवोनॉयड्स, खास तौर पर खेलिन के कारण हो सकता है, जो वायु पथ (एयर वे) को खोलने में मदद करता है।
  • खरबूजा- यह बच्चों को सांस की परेशानी में राहत देने के लिए बहुत ही अच्छा है, क्योंकि इसमें विटामिन सी और पोटेंट एंटीऑक्सीडेंट होता है जो फ्री-रेडिकल से लड़ते हुए फेफड़ों को नुकसान से बचाता है। जापान के प्रीस्कूल में एक अध्ययन किया गया, जिससे पता चलता है कि विटामिन सी का ज़्यादा सेवन करने वाले अस्थमा से कम परेशान होते हैं। ब्रुसेल्स, अंकुरित अनाज, ब्रोकली, टमाटर, कीवी फ्रूट आदि जैसी सब्जियों और फलों में भरपूर मात्रा मे विटामिन सी पाया जाता है।
  • गाजर और हरी पत्तेदार सब्जियाँ- गाजर में बीटा-कैरोटीन होता है जोकि एक एंटीऑक्सीडेंट है, यह कसरत से होने वाले अस्थमा के असर को कम करने के लिए जाना जाता है। हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन, मिनरल और फोलेट होता है जो अस्थमा अटैक कम कर सकते हैं।
  • कॉफी और ब्लैक टी- चाय और कॉफी में कैफ़ीन होता है जो श्वास नली को खोल कर हवा के प्रवाह को बढ़ाता है।
  • अलसी के बीज- इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड के साथ-साथ मैग्नेशियम भी होता है। अलसी के बीज अस्थमा में बहुत फ़ायदेमंद है क्योंकि इनसे श्वास नली के आस-पास की मांसपेशियों को आराम मिलता है।
  • लहसुन, अदरक और हल्दी- इन सब में सूजन और जलन को कम करने के गुण होते हैं। एलीसिन (लहसुन) एक तरह का एंटीऑक्सीडेंट है, जिससे अस्थमा में आराम मिल सकता है। अदरक श्वास नली को आराम देता है, हल्दी में करक्यूमिन होता है जो श्वास नली की सूजन और जलन को कम करता है।
  • एवोकाडो, टमाटर, अनार और बेरी- इन सभी में ज़रूरी एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। जैसे एवोकाडो में ग्लुटेथिओन और मोनोसैचुरेटेड फैट होता है, जिन बच्चों को एलर्जी होती है उनके लिए यह बहुत फ़ायदेमंद होता है। टमाटर और अनार से श्वास नली को आराम मिलता है और फेफड़ों की जलन और सूजन कम होती है। बेरी में फाइबर, विटामिन, मिनरल और कुछ ऐसे ज़रूरी तत्व होते हैं जो सूजन से लड़ने में और बच्चों में एलर्जी के असर को रोकने में मदद करते हैं।

नुकसानदेह खाना

  • अंडा- कुछ बच्चों को अंडे से एलर्जी होती है, इसलिए भविष्य में किसी भी तरह की परेशानियों से बचने के लिए खून की जांच करवाना बहुत ज़रूरी है।
  • मूंगफली- जिन्हें एलर्जी वाला अस्थमा होता है उन्हें मूंगफली से दूर रहना चाहिए। अध्ययन से पता चलता है कि कई ऐसे अस्थमा से पीड़ित बच्चे जिन्हें मूंगफली से एलर्जी है, उन्हें अस्थमा का अटैक हुआ है।
  • नमक- नमक को भी ऐसी नुकसानदायक चीज़ों में गिना जाता है, जिससे अस्थमा के मरीज़ों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। ज़्यादा नमक की वजह से शरीर के कई अंगों में पानी का जमाव हो जाता है और मांसपेशियों में सूजन आ जाती है। इसलिए अस्थमा में सोडियम और प्रोसेस्ड फ़ूड कम खाने की सलाह दी जाती है।
  • शैलफिश या घोंघा- कई अस्थमा से पीड़ित बच्चों को शैलफिश, केकड़ा, क्रेफ़िश, झींगा मछली और झींगे से बनी दूसरी चीज़ों से एलर्जी होती है, इसलिए इनसे दूर रहना ही अच्छा है।

निष्कर्ष

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि अस्थमा का कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन फिर भी बच्चों को एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर तरह तरह के फल और सब्जियां खिलाने से बार-बार होने वाले अस्थमा अटैक और एलर्जी से होने वाले अटैक से बचा जा सकता है। आप बच्चों की डाइट के बारे में डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं।

बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो तो क्या करना चाहिए?

बच्चे को यदि सांस लेने में दिक्कत होती है और वह रुक -रुककर स्तनपान कर पाता है। साथ ही उसे जुकाम, खांसी और निमोनिया अधिक होता है तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। यह बच्चे के दिल में छेद होने के लक्षण हैं। ऐसे बच्चों का अब बिना चीरफाड़ किए नई पद्धति से इलाज संभव है।

बच्चे को सांस लेने में दिक्कत कब होती है?

किसी भी तरह के इन्फेक्शन (Infection) की वजह से बच्चों को सांस में तकलीफ होने लगती है. 2 साल से कम उम्र के बच्चों में हल्की सर्दी भी कई बार गंभीर समस्या बन जाती है. सर्दी के वजह से बच्चे की नाक बहने लगती है, गले में कफ, खांसी और बुखार भी आ सकता है.

सांस लेने में दिक्कत क्यों होती है?

आपके फेफड़ों (lungs) या हवा के रास्ते (airways) के साथ समस्या अचानक सांस का फूलना अस्थमा का हमला (asthma attack) हो सकता है। इसका मतलब है आपके सांस लेने के रास्ते सिकुड़ सकते हैं और आप ज़्यादा कफ (phlegm) का निर्माण कर सकते हैं जो आपके लिए सांस लेने में कठिनाई (wheeze) और खांसी (caugh) का कारण बन सकता है।

सांस लेने में दिक्कत के क्या लक्षण है?

सांस लेने में दिक्कत सांस लेने में असामान्य दिक्कत धमनियों में रुकावट होने का परिणाम हो सकती है। धमनी में रुकावट रक्त को बहने से रोक सकती हैं जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है। सिर्फ सीने में दर्द ही हार्ट अटैक का संकेत नहीं होता, चक्कर आना, सीने में जकड़न और सांस लेने में दिक्कत भी लक्षण हो सकते हैं।