संथाल विद्रोह के कारण क्या थे इसके पाठ्यक्रम और परिणाम क्या थे? - santhaal vidroh ke kaaran kya the isake paathyakram aur parinaam kya the?

HomeGENERAL HISTORYसंथाल विद्रोह और परिणाम|Santhal Rebellion and its results

संथाल विद्रोह आदिवासी विद्रोहों में सबसे शक्तिशाली व महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका प्रारम्भ 30 जून 1855 ई. में हुआ तथा 1856 के अन्त तक तक दमन कर दिया गया।

इसे 'हुल आन्दोलन' के नाम से भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से भागलपुर से लेकर राजमहल क्षेत्र के बीच केन्द्रित था। इस क्षेत्र को "दामन-ए-कोह" के नाम से जाना जाता था।

इस विद्रोह का मुख्य कारण अंग्रेजों द्वारा लागू की गई भू-राजस्व व्यवस्था तथा जमींदारों और साहूकारों का अत्याचार था।

संथाल विद्रोह के कारण क्या थे इसके पाठ्यक्रम और परिणाम क्या थे? - santhaal vidroh ke kaaran kya the isake paathyakram aur parinaam kya the?

संथाल विद्रोह का नेतृत्व सिद्धू और कान्हू नामक दो आदिवासी नेताओं ने किया था। सरकार ने इस आन्दोलन का दमन करने के लिए विद्रोह ग्रस्त क्षेत्रों में मार्शल लॉ लगा दिया।

एक बड़ी सैन्य कार्यवाही कर भागलपुर के कमिश्नर ब्राउन तथा मेजर जनरल लायड ने 1856 ई. में क्रूरता पूर्वक इस विद्रोह का दमन कर दिया। किन्तु सरकार को शान्ति स्थापित करने के लिए इनकी मांग को स्वीकार कर सन्थाल परगना को एक नया जिला बनाना पड़ा।

संथाल विद्रोह के कारण

संथाल शान्तिप्रिय तथा विनम्र लोग थे। जो आरम्भ में मानभूम, बड़ाभूम, हजारीबाग, मिदनापुर, बांकुड़ा तथा बीरभूम प्रदेश में रहते थे और वहाँ की भूमि पर खेती करते थे।

1773 ई. में स्थायी भूमि बन्दोवस्त व्यवस्था लागू हो जाने के कारण इनकी भूमि छीनकर जमींदारों को दे दी गयी। जमींदारों की अत्यधिक उपज मांग के कारण इन लोगों को अपनी पैतृक भूमि छोड़कर राजमहल की पहाड़ियों के आसपास बस गये।

वहाँ पर कड़े परिश्रम से इन लोगों ने जंगलों को काटकर भूमि कृषि योग्य बनाई। जमींदारों ने इस भूमि पर भी अपना दावा कर दिया। सरकार ने भी जमींदारों का समर्थन किया और संथालों को उनकी जमींन से बेदखल कर दिया।

जमींदार उनका शोषण करने लगे अंग्रेज अधिकारी भी जमींदारों का पक्ष लेते थे। अतः अधिकारियों, जमींदारों और साहूकारों के विरोध में सिद्धू और कान्हू नामक दो आदिवासियों के नेतृत्व में 30 जून 1855 ई. में भगनीडीह नामक स्थान पर 6 हजार से अधिक आदिवासी संगठित हुए और विदेशी शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।

उन्होंने घोषणा कर दी कि "वे देश को अपने हाथ में ले लेंगे और अपनी सरकार स्थापित कर देंगे।" उन्होंने भागलपुर तथा राजमहल के बीच तार तथा रेल व्यवस्था भंग कर दी। महाजनों व जमींदारों के घर तथा पुलिस स्टेशन व रेलवे स्टेशनों को जला दिया।

संथाल विद्रोह के परिणाम

संथालों ने कम्पनी के राज्य की समाप्ति तथा अपने सूबेदार के राज्य के आरम्भ की घोषणा कर दी। सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए सैनिक कार्यवाही प्रारम्भ कर दी तथा विद्रोह प्रभावित क्षेत्रों में मार्शल लॉ लगा दिया तथा सिद्धू और कान्हू को पकड़ने 10 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया।

सेना का प्रतिरोध न कर पाने के कारण आन्दोलनकारियों ने जंगलों में शरण ली और अपनी कार्यवाही जारी रखी। मेजर बर्रों के अधीन एक अंग्रेज सैन्य टुकड़ी को विद्रोहियों ने मात भी दी।

अगस्त 1855 में सिद्धू तथा फरवरी 1856 में कान्हू मारे गये। फलस्वरूप 1856 के अन्त तक विद्रोह को बहुत कठोरता से दबा दिया गया। लेकिन सरकार को संथाल परगना को नया जिला बनाकर उनके रोष को शान्त करना पड़ा।

Q-संथाल विद्रोह को किस उपनाम से जाना जाता है?

@-हुल आन्दोलन

Q-संथालो ने किस अंग्रेज कमांडर को हराया था?

@-मेजर बर्रों (Borrough) को

Q-हुल आन्दोलन से प्रभावित क्षेत्र था।

@-आधुनिक बिहार एवं झारखंड

संथाल विद्रोह के कारण क्या थे उसकी गति और उसके परिणाम क्या थे?

संथाल विद्रोह के कारण 1773 ई. में स्थायी भूमि बन्दोवस्त व्यवस्था लागू हो जाने के कारण इनकी भूमि छीनकर जमींदारों को दे दी गयी। जमींदारों की अत्यधिक उपज मांग के कारण इन लोगों को अपनी पैतृक भूमि छोड़कर राजमहल की पहाड़ियों के आसपास बस गये। वहाँ पर कड़े परिश्रम से इन लोगों ने जंगलों को काटकर भूमि कृषि योग्य बनाई।

संथाल विद्रोह के क्या कारण है?

इस विद्रोह का मूल कारण अंग्रेजों के द्वारा जमीदारी व्यवस्था तथा साहूकारों एवं महाजनों के द्वारा शोषण एवं अत्याचार था. इस विद्रोह का नेतृत्व सिद्धू, कान्हू, चांद और भैरव में किया था. संथालों के हितों की रक्षा का ख्याल रखते थे. वे गांव के लोगों से लगान वसूलते थे तथा उसे एक साथ राजकोष में जमा करते थे.

संथाल विद्रोह से आप क्या समझते हैं?

विद्रोह की पृष्ठभूमि बिरसा मुंडा और टाना भगत आन्दोलन इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं | अन्य उदाहरण के तौर पर खारवाड़ विद्रोह, नैकदा आन्दोलन, कोण्डा डोरा विद्रोह, भील विद्रोह, भुयान और जुआंग विद्रोह आदि का नाम लिया जा सकता है ।

संथाल विद्रोह का उद्देश्य क्या था?

सिपाही विद्रोह से पूर्व 1855 में संथाल विद्रोह ने 50000 से अधिक लोगों को लेकर करो या मरो का नारा दे कर अंग्रेजी शासन को चुनौतियां दीं। इसका मूल उद्देश्य था भारत को आजाद करना थासंथाल परगना उस समय बंगाल प्रेसिडेंसी के अन्दर आता था, जो स्थान अत्यंत दुर्गम हो कर साधारण जनता पहुंचने के लिए दुष्कर था