कबंध की अंतिम इच्छा क्या थी - kabandh kee antim ichchha kya thee

कबंध की अंतिम इच्छा क्या थी - kabandh kee antim ichchha kya thee

1. राम जब कुटिया की ओर भागे जा रहे थे तब उन्होंने किसकी पगडंडी देखी?

राम जब कुटिया की ओर भागे जा रहे थे तब उन्होंने लक्ष्मण कि पगडंडी देखी|

2. राम क्यों क्रोधित हुए?

लक्ष्मण कुटिया में सीता को अकेले छोड़कर आए थे, इसलिए राम क्रोधित हुए|

3. राम के क्रोधित होने पर लक्ष्मण ने क्या कहा?

राम के क्रोधित होने पर लक्ष्मण ने कहा कि देवी सीता ने मुझे विवश कर दिया| उनके कटु वचन मैं सहन नहीं कर सका। कटाक्ष और उलाहना नहीं सुन सका। मैं जानता था कि आप सकुशल होंगे। लेकिन उनकी बाते सुनकर मुझे कुटिया छोड़कर आना पड़ा|

5. राम ने जब लक्ष्मण को अयोध्या लौट जाने को कहा तब लक्ष्मण ने क्या कहा?

लक्ष्मण ने कहा कि आप आदर्श पुरुष हैं। आपको धैर्य रखना चाहिए। इस तरह दुःख से कातर नहीं होना चाहिए। हम मिलकर सीता की खोज करेंगे। वे जहाँ भी होंगी, हम उन्हें ढूँढ़ निकालेंगे।

6. राम ने झुंड में आए हुए हिरणों से जब सीता के बारे में पूछा तब उन्होंने क्या किया?

राम ने झुंड में आए हुए हिरणों से जब सीता के बारे में पूछा तब हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण दिशा की ओर भाग गए। राम संकेत समझ गए और सीता को खोजने दक्षिण दिशा में चल पड़े थे |

8. जटायु किस हाल में धरती पर पड़ा था?

जटायु लहूलुहान था उसके पंख भी कटे हुए थे और वह अपनी अंतिम साँसें गिन रहा था|

9. जटायु ने राम को सीता के बारे में क्या बताया?

जटायु ने बताया हे राजकुमार सीता को रावण उठा ले गया है| मेरे पंख भी उसने ही काटे| सीता का विलाप सुनकर मैंने रावण को चुनौती दी| उसका रथ तोड़ दिया| सारथी और घोड़ों को मार डाला। स्वयं रावण को घायल कर दिया। पर मैं सीता को नहीं बचा सका। रावण उन्हें लेकर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर उड़ गया|

10. जटायु ने मरने से पहले कौन सी महत्वपूर्ण सूचना सीता के बारे में राम को दिया?

जटायु ने मरने से पहले रावण का नाम बताया था और दिशा बताई जिधर सीता को लेकर वह गया था |

11. एक दिन यात्रा के दौरान राम और लक्ष्मण पर किसने आक्रमण किया?

एक दिन यात्रा के दौरान राम और लक्ष्मण पर विशालयकाय राक्षस कबंध ने आक्रमण किया|

12. कबंध देखने में कैसा था?

कबंध देखने में डरवाना था| मोटे माँसपिंड जैसा था और उसकी गर्दन भी नहीं थी। एक आँख थी। दाँत बाहर निकले हुए। जीभ साँप की तरह लंबी और लपलपाती हुई थी |

13. राम और लक्ष्मण को देखते ही कबंध ने क्या किया?

राम और लक्ष्मण को देखते ही कबंध प्रसन्न हो गया| उसने दोनों हाथ फैलाए और एक-एक हाथ से दोनों भाइयों को पकड़कर हवा में उठा लिया।

14. राम और लक्ष्मण ने कबंध के साथ क्या किया?

राम और लक्ष्मण ने कबंध के हाथ काट दिए| उसके हाथ धरती पर गिर पड़े| कबंध उनकी शक्ति और बुद्धि को देखकर आश्चर्यचकित रह गया|

15. कबंध कि अंतिम इच्छा क्या थी ?

कबंध कि अंतिम इच्छा थी कि राम उसका अंतिम संस्कार करें|

16. कबंध ने राम और लक्ष्मण को मदद के लिए किसके पास जाने को कहा?

कबंध ने राम और लक्ष्मण को पंपा सरोवर के निकट ऋष्यमूक पर्वत पर वानरराज सुग्रीव के पास जाने को कहा था|

18. कबंध ने आगे बढ़ने से पूर्व उन्हें किससे मिलने को कहा?

कबंध ने आगे बढ़ने से पूर्व उन्हें शबरी से मिलने को कहा जो मतंग ऋषि कि शिष्य थी |

20. राम को देखते ही शबरी ने क्या किया?

राम को देखते ही शबरी कि आँखें तृप्त हो गईं| वह उनके आवभगत में लग गई और उन्हें खाने के लिए मीठे फल दिए|

21. सीता को खोजने के लिए शबरी ने राम को क्या करने को कहा?

शबरी ने राम को सुग्रीव से दोस्ती करने को कहा था और बताया उनके पास विलक्षण शक्ति वाले बंदर हैं जो सीता को खोजने में उनकी मदद करेंगे|

सीता की खोज Notes

  • सीता की खोज में लगे राम-लक्ष्मण को वन में बहुत विचित्र सी आवाज़ सुनाई दी। अचानक उन्होंने एक विचित्र दैत्य देखा, जिसके मस्तक और गला नहीं था तथा उसके पेट में मुख था। उसकी केवल एक ही आँख थी। शरीर पर पीले रोयें थे। उसकी एक योजन लम्बी बाहें थीं। उस विचित्र दैत्य का नाम कबंध था।
  • कबंध ने राम और लक्ष्मण को एक साथ पकड़ लिया। लक्ष्मण ने घबराकर धैर्यशाली राम से कहा, "मैं इसकी पकड़ में बहुत विवश हो गया हूँ। आप मुझे बलिस्वरूप देकर स्वयं निकल भागिए।" पर राम अविचलित ही रहे। दैत्य कबंध ने कहा कि वह भूखा है, अत: दोनों का ही भक्षण करेगा।
  • राम और लक्ष्मण ने कबंध की दोनों भुजाएँ काट डालीं। कबंध ने भूमि पर गिरकर दोनों वीरों का परिचय प्राप्त किया, फिर प्रसन्न होकर कबंध बोला, "यह मेरा भाग्य है कि आपने मुझे बंधन मुक्त कर दिया। कबंध ने अपने बारे में परिचय दिया और कहा मैं बहुत पराक्रमी तथा सुंदर था। राक्षसों जैसी भीषण आकृति बनाकर मैं ऋषियों को डराया करता था। मैं दनु का पुत्र कबंध हूँ।
  • एक बार स्थूलशिरा नामक मुनि के फल चुराकर मैंने उनको रुष्ट कर दिया था तथा उन्हीं के शाप से मुझे दैत्य योनी मिली है।
  • कबंध ने उस मुनि से बहुत अनुनय-विनय किया तथा उसके बाद मुनि ने कहा कि 'जब श्रीराम वन में पहुँचकर हाथ काट कर तुम्हें जल देंगे, तब तुम अपना मूल रूप पुन: प्राप्त करोगे।' मुनि से शापित होकर मैंने तपस्या से ब्रह्मा को प्रसन्न करके दीर्घायु होने का वर प्राप्त किया। तदनंतर मुझे बहुत घमंण्ड हो गया कि कोई मेरा हनन नहीं कर सकता। अत: मैंने सोचा कि इंद्र मेरा क्या बिगाड़ सकता है।
  • कबंध ने इंद्र से युद्ध किया और इंद्र के 100 गांठों वाले वज्र से मेरा सिर और जांघें मेरे शरीर के अंदर घुस गईं, पर ब्रह्मा की बात सच्ची रखने के लिए उन्होंने मेरे प्राण नहीं लिए।
  • कबंध ने राम और लक्ष्मण से यह पूछा कि 'मस्तक, जंघा, मुख टूटने के बाद मैं कैसे जीवित रहूँगा और खाऊँगा क्या?' इंद्र ने मेरे हाथ एक-एक योजन लम्बे कर दिये तथा पेट में तीखे दांतों वाला मुख बना दिया। मुझे पूर्व रूप प्रदान करने के लिए आप मेरा दाह-संस्कार कर दीजिए, फिर मैं अपनी दिव्य दृष्टि प्राप्त कर लूंगा और सीता को ढूँढने में सहायता प्रदान कर पाऊँगा।" राम और लक्ष्मण ने कबंध का दाह-संस्कार किया, तदुपरांत उसने राम और लक्ष्मण को पंपासर के निकट रहने वाले सुग्रीव से मैत्री करने का सुझाव दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

(पुस्तक 'भारतीय मिथक कोश') पृष्ठ संख्या-50

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कबंध ने राम लक्ष्मण से क्या इच्छा व्यक्त की?

कबंध ने इंद्र से युद्ध किया और इंद्र के 100 गांठों वाले वज्र से मेरा सिर और जांघें मेरे शरीर के अंदर घुस गईं, पर ब्रह्मा की बात सच्ची रखने के लिए उन्होंने मेरे प्राण नहीं लिए। कबंध ने राम और लक्ष्मण से यह पूछा कि 'मस्तक, जंघा, मुख टूटने के बाद मैं कैसे जीवित रहूँगा और खाऊँगा क्या?'

कबंध ने राम को क्या सलाह दी *?

उत्तर: कबंध ने राम से अनुरोध किया कि उसका अंतिम संस्कार राम ही करें।

कबंध कौन था राम लक्ष्मण ने उसे कैसे मारा?

कबन्ध एक गन्धर्व था जो कि दुर्वासा ऋषि के श्राप के कारण राक्षस बन गया थाराम ने उसका वध करके राक्षस योनि से उसका उद्धार किया। एक अन्य कथा के अनुसार यह “श्री” नामक अप्सरा का पुत्र था और “विश्वावसु “नाम का गंधर्व था। यह अत्यंत सुंदर बलशाली तथा इच्छा के अनुसार रूप धारण करने वाला था

कबंध ने राम से अनुरोध किया कि उसका अंतिम संस्कार लक्ष्मण ही करें true false?

उत्तर: कबंध ने श्रीराम से आग्रह करते हुए कहा कि श्रीराम ही उसका अंतिम संस्कार स्वयं अपने हाथों से करेंराम ने कबंध को यह वचन देकर आश्वासित किया कि उसका अंतिम संस्कार वह स्वयं ही करेंगे। कबंध के मृत्यु के पश्चात, श्री राम ने अपने वचन अनुसार उसका अंतिम संस्कार किया और उसे राक्षस योनि से मुक्ति दिलाई।