Pages: 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 Dailytalent Learning के Hindi GK & Hindi Current Affairs Section में आपका स्वागत हैं. हिंदी सामान्य ज्ञान तथा हिंदी करेंट अफेयर्स को समर्पित वेबसाइट है. यह वेबसाइट प्रतियोगिता परीक्षाओं जैसे SSC, IBPS, Banking, Rajasthan RPSC, MPPSC, UPSC, BPSC, JPSC, RRB, UPSC इत्यादि प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है. पवन द्वारा रेत एवं बालू के निक्षेप से निर्मित टीलों को बालुका स्तूप अथवा टिब्बा कहते हैं। भौतिक भूगोल में, एक टिब्बा एक टीला या पहाड़ी है, जिसका निर्माण वायूढ़ प्रक्रियाओं द्वारा होता है। इन स्तूपो के आकार में तथा स्वरुप में बहुत विविधता देखने को मिलती हैं। टिब्बा विभिन्न स्वरूपों और आकारों में निर्मित हो सकता है और यह सब वायु की दिशा और गति पर निर्भर करता है। बालुका स्तूपो का निर्माण शुष्क तथा अर्धशुष्क भागों के अलावा सागर तटीय भागों, झीलों के रेतीलो तटों पर रेतीले प्रदेशों से होकर प्रवाहित होने वाली सरिताओं के बाढ़ जे क्षेत्रों में, प्लिस्टोसिन हिमानीक्रत क्षेत्रों की सीमा के पास रेतीले भागों में बालुका प्रस्तर वाले कुछ मैदानी भागों में जहां पर बालुका प्रस्तर से रेत अधिक मात्रा में सुलभ हो सके, आदि स्थानों में भी होता हैं। अधिकांश टिब्बे वायु की दिशा की ओर से लम्बे होते हैं क्योंकि इस ओर से हवा रेत को ढकेलती है और रेत को टीले का आकार देती है, तथा वायु की विपरीत दिशा का फलक जिसे "फिसल फलक" कहा जाता है छोटा होता है। टिब्बों के बीच की "घाटी" या गर्त को द्रोण कहा जाता है। एक "टिब्बा क्षेत्र" वह क्षेत्र होता है जिस पर व्यापक रूप से रेत के टिब्बों का निर्माण होता है। एक बडा़ टिब्बा क्षेत्र अर्ग के नाम से जाना जाता है। टिब्बों का निर्माण जलोढ़ प्रक्रियाओं द्वारा भी नदियों, ज्वारनदमुख और समुद्र के रेत के या बजरी के तल पर होता है।
बालुका स्तुपो का वर्गिकरण[संपादित करें]चापाकार टिब्बे का आकार आमतौर पर लंबाई की तुलना में चौड़ाई में अधिक होता है। टिब्बे का फिसल फलक इसकी अवतल पार्श्व में होता है। इन टिब्बों का निर्माण एक ही दिशा से बहने वाली हवाओं के द्वारा किया जाता है इन्हें बरखान या अनुप्रस्थ टिब्बा भी कहा जाता है। सीधे या थोड़े टेढ़े रेत के टीलों को जिनकी लंबाई, चौड़ाई की तुलना में अधिक होती है उन्हें रैखिक या रेखीय टिब्बा कहते हैं। यह 160 किलोमीटर (99 मील) तक लंबे हो सकते हैं। कुछ रैखिक टिब्बे मिल कर अंग्रेजी के Y (वाई) के सदृश आकार का मिश्रित टिब्बा बनाते हैं। इनका निर्माण अक्सर दो दिशा से आने वाली हवाओं के द्वारा होता है। इन टिब्बों का लंबा अक्ष रेत संचलन की परिणामी दिशा में विस्तारित होता है। अरीय रूप से सममित, तारे के आकार के टिब्बे पिरामिड सदृश होते हैं, जिनका फिसलफलक इस पिरामिड के केन्द्र से निकलने वाली तीन या इससे अधिक भुजाओं में उपस्थित होता है। यह उन क्षेत्रों में निर्मित होते हैं जहाँ वायु कई दिशाओं से बहती है। यह टिब्बे ऊपर की तरफ बढ़ते हैं। निर्माण जैसलमेर के मोहनगढ व पोखरण में होता है अंडाकार या गोलाकार दुर्लभ टिब्बे जिनमें आम तौर पर फिसलफलक का अभाव होता है। बालुका स्तूप नेवछा बालुका स्तूप झाड़ियों के चारों और बनते हैं उपनाम सबकाफीज बालुका स्तूप है परवलय या यू (U) आकारी टिब्बे वह रेतीले टीले होते हैं, जिनमें एक उत्तल नासिका और दोनो ओर फैली भुजायें होती हैं। इन्हें हेयरपिन टिब्बा भी कहा जाता है और यह अमूमन तटीय रेगिस्तान में पाये जाते हैं। Read here Rajasthan GK Questions and questions details. Also you can read from here Rajasthan Current Affairs and download the Rajasthan GK PDF Files in hindi. Q.942 : निम्न मे से खण्डीन का अविष्कार किसने किया था ?(a) बाडमेर के ब्राहणो ने(b) पाली के पालीवाल ब्राहणो ने(c) जैसलमेर के पालीवाल ब्राहणो ने(d) नागौर के ब्राहाणो नेAnswer : जैसलमेर के पालीवाल ब्राहणो ने Q.941 : निम्न मे से किस नदी के पाट को राजस्थान मे नाली के नाम से जाना जाता है ?(b) सतलज नदी(c) घग्घर नदी(d) इनमे से कोई नहीAnswer : घग्घर नदी Q.940 : स्थानान्तरित बालुका स्तूपो को स्थानीय भाषा मे पुकारा जाता है ?(b) भाकर(c) खंडीन(d) धरियनAnswer : धरियन Q.939 : निम्न मे से पश्चिमी राजस्थान मे पाई जाने वाली सेवण है ?(b) कीट-पतंग(c) घास(d) जीवाश्मAnswer : घास Q.938 : निम्न मे से पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर मे होने वाली कृषि है ?(b) झूमिंग(c) चिमाता(d) उपर्युक्त सभीAnswer : खण्डीन Q.937 : निम्न मे से *हमादा* किसे कहते है ?(b) बवंड़्रर को(c) चट्टानी मरूस्थल को(d) चक्रवात कोAnswer : चट्टानी मरूस्थल को Q.936 : पश्चिमी रेतीला शुष्क मैदान को अन्य किस नाम से जाना जाता है ?(b) बालुका स्तूप युक्त प्रदेश(c) राजस्थान बांगड़(d) इनमे से कोई नहीAnswer : बालुका स्तूप युक्त प्रदेश Q.935 : राजस्थान का लगभग कितना भू भाग उत्तरी पश्चिमी रेगिस्तान के अन्तर्गत आता है ?(a) 1.50 लाख वर्ग कि. मी.(b) 1.88 लाख वर्ग कि. मी.(c) 2.88 लाख वर्ग कि. मी.(d) 0.88 लाख वर्ग कि. मी.Answer : 1.88 लाख वर्ग कि. मी. Q.934 : निम्न मे से जैसलमेर जिले के अधिकांश क्षेत्र मे किस प्रकार के बालुका स्तूप है ?(b) उपर्युक्त सभी(c) अनुदैर्ध्य(d) बरखानAnswer : अनुदैर्ध्य Q.933 : निम्न मे से पश्चिमी रेगिस्तान की सबसे लम्बी नदी कौनसी है ?(b) लूनी(c) बेड़च(d) चम्बलAnswer : लूनी Provide Comments :राजस्थान में कौन सा बालुका स्तूप नहीं पाया जाता?सही उत्तर थाली है। लूनी नदी अजमेर के पास अरावली पर्वत श्रंखला की पुष्कर घाटी से निकलती है, और दक्षिण-पश्चिम की ओर कच्छ के रण में बहती है। लूनी के उत्तर के क्षेत्र को थाली या रेतीले मैदान के रूप में जाना जाता है।
राजस्थान में बालुका स्तूप कौन कौन से हैं?अ.
पवनानुवर्ती बालुका स्तूप– जैसलमेर, जोधपुर, बाडमेर में इन पर बनस्पति पाई जाती है। बरखान या अर्द्ध चन्द्राकार बालुका स्तूप – चूरू, जैसलमेर, सीकर, लुणकरणसर, सूरतगढ, बाड़मेर, जोधपुर आदि। ये गतिशील, रंध्रयुक्त, व नबीन बालुयुक्त होते है। अनुप्रस्थ बालुका स्तूप – बीकानेर, द, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, सूरतगढ़, झंझनू.
राजस्थान में सर्वाधिक बालुका स्तूप कौन से पाए जाते हैं?बरखान बालुका स्तूप-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में पाये जाने वाले सर्वाधिक गतिशिल तथा सर्वाधिक हानी पहुचाने वाले बालुका स्तूपों को बरखान कहते है। ➧बरखान बालुका स्तूप की आकृति अर्धचंद्राकार होती है। ➧राजस्थान में बरखान बालुका स्तूप सर्वाधिक शेखावाटी, बीकानेर, गंगानगर, जैसलमेर तथा हनुमानगढ़ जिलों में पाये जाते है।
राजस्थान में बालुका स्तूप युक्त प्रदेश कितना प्रतिशत है?अवसादी चट्टानों का बाहुल्य लाठी सीरिज क्षेत्र (भूगर्भीय जल पट्टी) एवं आकलवुड फॉसिल पार्क (जीवाश्म अवशेष हेतु प्रसिद्ध) इस प्रदेश में है। 1. प. राजस्थान के रेतीले मैदान का 41.5 % क्षेत्र बालूका स्तूप मुक्त प्रदेश है।
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