श्री कृष्ण का बेटा कौन था? - shree krshn ka beta kaun tha?

श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार थे, ये बात हम सभी जानते हैं। श्रीकृष्ण की कृपा से ही पांडवों ने कौरवों को हराया और अपना खोया राज्य वापस प्राप्त किया। कम ही लोग श्रीकृष्ण के निजी जीवन से जुड़ी बातें जानते हैं।

श्री कृष्ण का बेटा कौन था? - shree krshn ka beta kaun tha?

श्री कृष्ण का बेटा कौन था? - shree krshn ka beta kaun tha?

Manish Meharele

Ujjain, First Published Aug 10, 2020, 6:31 PM IST

उज्जैन. श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण के पूरे जीवन का वर्णन मिलता है। जन्माष्टमी (12 अगस्त, बुधवार) के अवसर पर हम आपको श्रीमद्भागवत में लिखी श्रीकृष्ण के जीवन की कुछ रोचक बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं-

श्री शुकदेव मुनि बोले, "हे परीक्षित! भगवान शंकर के शाप से जब कामदेव भस्म हो गया तो उसकी पत्नी रति अति व्याकुल होकर पति वियोग में उन्मत्त सी हो गई। उसने अपने पति की पुनः प्रापत्ति के लिये देवी पार्वती और भगवान शंकर को तपस्या करके प्रसन्न किया। पार्वती जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि तेरा पति यदुकुल में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेगा और तुझे वह शंबरासुर के यहाँ मिलेगा। इसीलिये रति शंबरासुर के घर मायावती के नाम से दासी का कार्य करने लगी।

"इधर कामदेव रुक्मणी के गर्भ में स्थित हो गये। समय आने पर रुक्मणी ने एक अति सुन्दर बालक को जन्म दिया। उस बालक के सौन्दर्य, शील, सद्गुण आदि सभी श्री कृष्ण के ही समान थे। जब शंबरासुर को पता चला कि मेरा शत्रु यदुकुल में जन्म ले चुका है तो वह वेश बदल कर प्रसूतिकागृह से उस दस दिन के शिशु को हर लाया और समुद्र में डाल दिया। समुद्र में उस शिशु को एक मछली निगल गई और उस मछली को एक मगरमच्छ ने निगल लिया। वह मगरमछ एक मछुआरे के जाल में आ फँसा जिसे कि मछुआरे ने शंबरासुर की रसोई में भेज दिया। जब उस मगरमच्छ का पेट फाड़ा गया तो उसमें से अति सुन्दर बालक निकला। उसको देख कर शंबरासुर की दासी मायावती के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। वह उस बालक को पालने लगी। उसी समय देवर्षि नारद मायावती के पास पहुँचे और बोले कि हे मायावती! यह तेरा ही पति कामदेव है। इसने यदुकुल में जन्म लिया है और इसे शंबरासुर समुद्र में डाल आया था। तू इसका यत्न से लालन-पालन कर। इतना कह कर नारद जी वहाँ से चले गये। उस बालक का नाम प्रद्युम्न रखा गया। थोड़े ही काल में प्रद्युम्न युवा हो गया। प्रद्युम्न का रूप लावण्य इतना अद्भुत था कि वे साक्षात् श्री कृष्णचन्द्र ही प्रतीत होते थे। रति उन्हें बड़े भाव और लजीली दृष्टि से देखती थी। तब प्रद्युम्न जी बोले कि तुमने माता जैसा मेरा लालन-पालन किया है फिर तुममें ऐसा परिवर्तन क्यों देख रहा हूँ? तब रति ने कहा -

"पुत्र नहीं तुम पति हो मेरे। मिले कन्त शम्बासुर प्रेरे॥मारौ नाथ शत्रु यह तुम्हरौ। मेटौ दुःख देवन कौ सिगरौ॥

"इतना कह कर मायावती रति ने उन्हें महा विद्या प्रदान किया तथा धनुष बाण, अस्त्र-शस्त्र आदि सभी विद्याओं में निपुण कर दिया। युद्ध विद्या में प्रवीण हो जाने पर प्रद्युम्न अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित होकर शंबरासुर की सभा में गये। शंबरासुर उन्हें देखकर प्रसन्न हुआ और सभासदों से कहा कि इस बालक को मैंने पाल पोष कर बड़ा किया है। इस पर प्रद्युम्न बोले कि अरे दुष्ट! मैं तेरा बालक नहीं वरन् तेरा वही शत्रु हूँ जिसको तूने समुद्र में डाल दिया था। अब तू मुझसे युद्ध कर।

"प्रद्युम्न के इन वचनों को सुनकर शंबरासुर ने अति क्रोधित होकर उन पर अपने बज्र के समान भारी गदे का शंबरासुर किया। प्रद्युम्न ने उस गदे को अपने गदे से काट दिया। तब वह असुर अनेक प्रकार की माया रच कर युद्ध करने लगा किन्तु प्रद्युम्न ने महाविद्या के प्रयोग से उसकी माया को नष्ट कर दिया और अपने तीक्ष्ण तलवार से शंबरासुर का सिर काट कर पृथ्वी पर डाल दिया। उनके इस पराक्रम को देख कर देवतागणों ने उनकी स्तुति कर आकाश से पुष्प वर्षा की। फिर मायावती रति प्रद्युम्न को आकाश मार्ग से द्वारिकापुरी ले आई। गौरवर्ण पत्नी के साथ साँवले प्रद्युम्न जी की शोभा अवर्णनीय थी।"

वे नव-दम्पति श्री कृष्ण के अन्तःपुर में पहुँचे। रुक्मिणी सहित वहाँ की समस्त स्त्रियाँ साक्षात् श्री कृष्ण के प्रतिरूप प्रद्युम्न को देखकर आश्चर्यचकित रह गये। वे सोचने लगीं कि यह नर श्रेष्ठ किसका पुत्र है? न जाने क्यों इसे देख कर मेरा वात्सल्य उमड़ रहा है। मेरा बालक भी बड़ा होकर इसी के समान होता किन्तु उसे तो न जाने कौन प्रसूतिकागृह से ही उठा कर ले गया था। उसी समय श्री कृष्ण भी अपने माता-पिता देवकी और वसुदेव तथा भाई बलराम के साथ वहाँ आ पहुँचे। श्री कृष्ण तो अन्तर्यामी थे किन्तु उन्हें नर लीला करनी थी इसलिये वे बालक के विषय में अनजान बने रहे। तब देवर्षि नारद ने वहाँ आकर सभी को प्रद्युम्न की आद्योपान्त कथा सुनाई और वहाँ उपस्थित समस्त जनों के हृदय में हर्ष व्याप्त गया।

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भगवान श्री कृष्ण के बेटे का नाम प्रथम तथा प्रद्युम्न भगवान श्री कृष्ण के बेटे का नाम प्रदुम्न था

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श्री कृष्ण के पुत्र का नाम क्या था?

भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र भगवान श्रीकृष्ण के 80 पुत्र थे. किस रानी ने किस पुत्र को जन्म दिया. प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू रुक्मिणी के पुत्र थे. साम्ब, सुमित्र, पुरुजित, शतजित, सहस्त्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़ और क्रतु जाम्बवती के पुत्र थे.

श्री कृष्ण भगवान की बेटी का क्या नाम था?

भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मिणी की एक पुत्री भी थीं। उनका नाम था चारूमति। चारूमति के भाई प्रद्युम्न थे, प्रद्युम्न का जिक्र कई पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। इनके अलावा चारुदेष्ण, सुदेष्ण, सुषेण, चारुदेह, चारुगुप्त, भद्रचारु नाम के पुत्र भी थे।

राधा कृष्ण के पुत्र का क्या नाम था?

कर्ण को अधिरथ की पत्नी राधा ने पाला इसलिए कर्ण को राधेय या राधा का पुत्र भी कहते हैं।

भगवान श्री कृष्ण के कितने बच्चे थे?

पुराणों के अनुसार कृष्ण की 1 लाख 61 हजार 80 पुत्र इतना ही नहीं, उनकी सभी स्त्रियों के 10-10 पुत्र और एक-एक पुत्री भी उत्पन्न हुई. इस प्रकार उनके 1 लाख 61 हजार 80 पुत्र और 16 हजार 108 कन्याएं थीं. इस प्रकार श्री कृष्ण भारत के सबसे बड़े परिवार के मुखिया बने, जिन्होंने अपने गृहस्थ जीवन के हर धर्म का समुचित पालन किया.