राजा हरिश्चंद्र राम के क्या लगते थे? - raaja harishchandr raam ke kya lagate the?

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राजा हरिश्चंद्र की जीवनगाथा (जन्म, इतिहास और कहानी), आधारित फिल्मे | Satyavadi Raja Harishchandra Story, Biography and films based on him in Hindi

राजा हरिश्चंद्र का जन्म आज से लगभग 8,000 वर्ष पूर्व (6000 ईसा पूर्व) हिन्दू पंचांग के पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन सूर्यवंश में हुआ था. सूर्यवंश को ईक्ष्वाकुवंश व रघुवंश के नाम से भी संबोधित किया जाता है. भगवान श्री राम राजा हरिश्चंद्र के ही वंशज थे. राजा हरिश्चंद्र के पिता सूर्यवंशी राजा सत्यव्रत थे. राजा हरिश्चंद्र अयोध्या के राजा थे. उनके कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ थे.

बिंदु (Points) जानकारी (Information)
नाम (Name) राजा हरिश्चंद्र
पिता का नाम (Father Name) सत्यव्रत
जन्म तिथि (Birth Date) पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा
जन्म स्थान (Birth Place) अयोध्या
कुल सूर्यवंश
पत्नी का नाम (Wife Name) तारामति

राजा हरिश्चंद्र ने राजसूय यज्ञ करके चारों दिशाओं के राजाओं को रणभूमि में परास्त कर चक्रवर्ति सम्राट की उपाधि प्राप्त की थी. वे एक सत्यवादी, निष्ठावान एवं शक्तिशाली सम्राट थे. उनकी प्रजा सुख-समृद्धि व शांति से जीवन व्यतीत करती थी. राजा हरिश्चंद्र की पत्नी का नाम तारामति था. विवाह के उपरांत बहुत समय तक सम्राट व साम्राज्ञी को किसी संतान की प्राप्ति नहीं हुई. संतान प्राप्ति हेतु कुलगुरु वशिष्ठ जी ने सम्राट को यज्ञ द्वारा जलदेव वरुण जी को प्रसन्न करने का उपाय बताया. सम्राट हरिश्चंद्र के यज्ञ से प्रसन्न होकर जलदेव वरुण जी ने सम्राट को संतान प्राप्ति का आशीष दिया. वरदान के कुछ समय पश्चात सम्राट को पुत्र रत्न प्राप्त हुआ. पुत्र का नाम रोहित रखा गया. इसके बाद सम्राट पुरे परिवार के साथ सुख से जीवन यापन करने लगे.

कुछ समय पश्चात देवताओं के राजा इंद्रदेव की एक राजसभा में महर्षि वशिष्ठ व महर्षि विश्वामित्र दोनों के साथ उपस्थित होने का अवसर हुआ. देवराज की राजसभा में चर्चा हुई कि मृत्युलोक का कौन मनुष्य स्वर्ग प्राप्ति का अधिकारी हो सकता है? महर्षि वशिष्ठ ने राजा हरिश्चंद्र को स्वर्ग प्राप्ति की पात्रता वाला मनुष्य बताया. महर्षि विश्वामित्र ने महर्षि वशिष्ठ के इस कथन का विरोध किया. निष्कर्ष यह निकला कि महर्षि विश्वामित्र राजा हरिश्चंद्र की परिक्षा लेंगे.

राजा हरिश्चंद्र ने स्वप्न में महर्षि विश्वामित्र के दर्शन किए और स्वप्न में ही उन्हें अपना पूरा राजपाट दान दे दिया. अगले दिन प्रातः राजा हरिश्चंद्र के द्वार पर महर्षि विश्वामित्र उपस्थित थे. महर्षि विश्वामित्र ने राजा को स्वप्न का स्मरण कराया और उनके पूरे राज्य को दान में मांग लिया. राजा हरिश्चंद्र ने एक क्षण विचारे बिना महर्षि विश्वामित्र को अपना संपूर्ण राज्य दान दे दिया. दान के उपरांत महर्षि ने दक्षिणा की मांग हरिश्चंद्र जी के समक्ष रखी. क्योंकि अब देने के लिए कुछ बचा ही नहीं था इसलिए हरिश्चंद्र जी ने स्वयं को व अपनी पत्नी को नीलाम कर दक्षिणा का धन जुटाया. तारामति जी एक सेठ-सेठानी के यहां घरेलू सेवक का कार्य करने लगी. बालक रोहित भी अपनी माता के साथ रहा. इधर हरिश्चंद्र एक चांडाल के सेवक का कार्य करने लगे. हरिश्चंद्र का कार्य दाह-संस्कार के बदले मुल्य वसुलने का था.

कुछ समय ऐसे ही बीता. सेठानी ने बालक रोहित को भगवान की पूजा के लिए पुष्प तोड़कर लाने का कार्य सौंप रखा था. एक दिन बगीचे में फूल तोड़ते समय रोहित को एक सर्प ने डस लिया. रोहित मृत्यु का ग्रास बन गया. दुखी मां तारामति जी जब अपने बेटे की पार्थिव देह लेकर शमशान पहुंची तो वहां उन्हें हरिश्चंद्र मिले.

राजा हरिश्चंद्र राम के क्या लगते थे? - raaja harishchandr raam ke kya lagate the?

सम्राट का अपना पुत्र मर चुका था और उसका दाह-संस्कार करना था. साम्राज्ञी के पास दाह-संस्कार हेतु देने के लिए कुछ भी धन नहीं था. इस सबके बावजूद राजा हरिश्चंद्र अपने धर्म पर अडिग रहे. उन्होंने साम्राज्ञी को दाह-संस्कार की अनुमति देने से मना कर दिया. साम्राज्ञी ने धर्म के मार्ग में सम्राट का साथ देते हुए, अपनी साड़ी का एक भाग फाड़कर उससे दाह-संस्कार का मुल्य चुकाने का निर्णय किया. साम्राज्ञी ने जैसे ही साड़ी फाड़ी, देवताओं ने राजा हरिश्चंद्र की विजय का उद्घोष कर दिया! महर्षि विश्वामित्र की परीक्षा में हरिश्चंद्र सफल हुए! उल्लासित देवताओं ने शमशान पर पुष्पों की वर्षा आरंभ कर दी. प्रसन्न विश्वामित्र जी ने वहां उपस्थित होकर अभिमंत्रित जल छिड़ककर रोहित को पुनर्जीवित कर दिया.

देवताओं ने राजा हरिश्चंद्र को स्वर्ग में आमंत्रित किया. किन्तु हरिश्चंद्र अभी भी धर्म पर अडिग रहे. उन्होंने अपनी प्रजा का विचार कर कहा कि वे स्वर्ग में तभी आएंगे जब उनकी प्रजा को भी स्वर्ग में एक दिन व्यतीत करने का अवसर मिले. सम्राट हरिश्चंद्र ने जो कहा वैसा ही हुआ.

रोहित ने सूर्यवंश को आगे बढ़ाया. आगे उनके वंशज सम्राट रघु एवं भगवान श्री राम जैसे प्रतापी राजा हुए.

राजा हरिश्चंद्र पर आधारित फिल्मे (Films based on Raja Harishchandra)

राजा हरिश्चंद्र का हिन्दू धर्मं और भारतीय इतिहास में काफी महत्व हैं भारतीय फिल्मों और धारावाहिकों में भी इसकी झलक दिख जाती हैं. टेलीविज़न पर राजा हरिश्चंद्र का किरदार कई बार दिखाया जा चुका हैं. इसके अलावा राजा हरिश्चंद्र पर आधारित दर्जनों फिल्मे भी बन चुकी हैं. फिल्म जगह के प्रख्यात निर्देशक दादा साहेब फाल्के ने राजा हरिश्चंद्र पर आधारित तीन फिल्में वर्ष 1913, 1917 और 1923 में बनाई थी. दादा साहेब की राजा हरिश्चंद्र भारत की पहली फिल्म थी. इसके अलावा राजा हरिश्चंद्र पर वर्ष 1928,1952,1968, 1979, 1984 और 1994 में फिल्म बन चुकी हैं. इन सभी फिल्मों का नाम राजा हरिश्चंद्र या हरिश्चंद्र था.

राजा हरिश्चंद्र का विडियो देखे :

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राजा हरिश्चंद्र भगवान राम के कौन थे?

अयोध्या के राजा हरिशचंद्र बहुत ही सत्यवादी और धर्मपरायण राजा थे। वे भगवान राम के पूर्वज थे। वे अपने सत्य धर्म का पालन करने और वचनों को निभाने के लिए राजपाट छोड़कर पत्नी और बच्चे के साथ जंगल चले गए और वहां भी उन्होंने विषम परिस्थितियों में भी धर्म का पालन किया।

क्या हरिश्चंद्र राम से संबंधित है?

प्रभु श्री राम राजा हरिश्चंद्र के वंशज थे। पहले हरिश्चंद्र आए, श्री राम उनके बाद।

राजा हरिश्चंद्र के वंशज कौन है?

यह राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व से जुड़ा है। यह वही रोहिताश्व थे, जिन्हें राजा हरिश्चंद्र की परीक्षा लेते समय मृत्यु दे दी गई थी और पुनर्जीवित कर दिया गया था। अयोध्या के राजा द्वारा वहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर गढ़ की स्थापना के पीछे एक कहानी जुड़ी है, जो बहुत कम ही लोग जानते हैं।

राजा हरिश्चंद्र के पूर्वजों का क्या नाम था?

त्रिशंकु सूर्यवंशी राजा निबंधन का पुत्र था। कहीं पर इसके पिता का नाम त्रय्यारुण भी दिया गया है। त्रिशंकु वास्तविक नाम सत्यव्रत था। यह प्रसिद्ध राजा हरिश्चंद्र का पिता था