बिना मुरझाए महकने के माने फूल क्या जाने ?

                
                                                                                 
                            

कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने


कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने?

कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?

कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।

1 month ago

बिना मुरझाए महकने के माने फूल क्या जाने यहाँ महकने के माने का अर्थ है *?

कविता के संदर्भ में 'बिना मुरझाए महकने के माने' क्या होते हैं? फूल तो खिलकर मुरझा जाते हैं और उनकी महक समाप्त हो जाती है। इसके विपरीत कविता भी मुरझाती नहीं। वह सदा ताजा बनी रहती है और उसकी महक बरकरार रहती है।

बिना मुरझाए कौन कहां महकता है?

बिना मुरझाए कौन महकता है तथा क्यों? उत्तर: फूलों के खिलने के बहाने कवि ने कविता के अंदर की चिरंतनता को प्रमाणित किया है। फूल खिलता अवश्य है, किन्तु समय के साथ वह मुरझा जाता है।

फूल मुरझा जाते हैं पर कविता नहीं क्यों स्पष्ट कीजिए?

फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन कविता इससे बढ्कर है। फूल खिलते हैं, कुछ देर महकते हैं और फिर मुरझा जाते हैं। वे सूखकर मिट जाते हैं पर कविता के मधुरभाव तो कभी नहीं मुरझाते। कविता बिना मुरझाए महकती रहती है।

कविता का खिलना फूल क्या जाने के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

Explanation: व्याख्या - कवि कहते हैं कि कविता कवि की कल्पना की उड़ान की तरह है ,जिस तरह चिड़िया की उड़ान है ,लेकिन की उड़ान भी एक सीमा है ,लेकिन कवि की कल्पना की उड़ान की कोई सीमा नहीं है . ... व्याख्या - कवि की कल्पना ,फूलों की तरह खिलती है ,लेकिन फूलों के खिलने की एक सीमा तो है ही .