सुभाष चन्द्र बोस की माता जी का नाम क्या है? - subhaash chandr bos kee maata jee ka naam kya hai?

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  • अपने पिता की 9वीं संतान थे सुभाष चंद्र बोस, हसबैंड संग जर्मनी में रहती है बेटी

नई दिल्ली. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़ीं 64 फाइलों को पश्चिम बंगाल सरकार आज पब्लिक करने जा रही है। मंगलवार को ये फाइलें कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग पहुंचाई गईं जहां इन्हें डिजिटलाइज्ड किया गया। dainikbhaskar.com इस मौके पर बता रहा है सुभाष चंद्र बोस के फैमिली के बारे में...

कौन थे बोस के पिता और कितने भाई-बहन थे बोस

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में कटक के एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। बोस के पिता का नाम 'जानकीनाथ बोस' और मां का नाम 'प्रभावती' था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियां और 8 बेटे थे। सुभाष चंद्र उनकी नौवीं संतान और पांचवें बेटे थे। अपने सभी भाइयों में से सुभाष को सबसे अधिक लगाव शरदचंद्र से था।

कांग्रेस से कैसे जुड़े नेताजी

नेताजी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई। तत्पश्चात् उनकी शिक्षा कलकत्ता के प्रेजीडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई, और बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा (इंडियन सिविल सर्विस) की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने बोस को इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया। अंग्रेज़ी शासन काल में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था किंतु उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया। 1921 में भारत में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों का समाचार पाकर बोस ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और शीघ्र भारत लौट आए। सिविल सर्विस छोड़ने के बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए।

अपनी सेक्रेटरी से की थी शादी

सुभाष चंद्र बोस ने 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रियन युवती एमिली से शादी की। उन दोनों की एक अनीता नाम की एक बेटी भी हुई जो वर्तमान में जर्मनी में सपरिवार रहती हैं।

आगे की स्लाइड्स में देखें इनकी पत्नी और फैमिली की फोटोज

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बायोग्राफी डेस्क. देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकी नाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। ये 8 भाई और 6 बहन थे। सुभाष अपने माता-पिता की नौवीं संतान थे। ये कायस्थ समुदाय से संबंधित थे। जानकी नाथ बोस शहर के प्रसिद्ध वकील थे। उन्होंने कटक महापालिका में लम्बे समय तक काम किया था और बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे थे। जानकी नाथ के काम को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें रायबहादुर की उपाधि से सम्मानित किया था। सुभाष को देशभक्ति अपने पिता से विरासत में मिली थे। जानकी नाथ बोस नियमित तौर पर कांग्रेस की बैठक में शामिल होते थे।

1) सहपाठियों ने उड़ाया था मजाक

सुभाष की प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा कटक में ही हुई थी। जब सुभाष पांच साल के थे तो वर्ष 1902 में इनका दाखिला प्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल में कराया गया। सुभाष पढ़ाई में काफी अच्छे थे। साल 1909 तक प्रोटेस्टेंट स्कूल में पढ़ाई करने के बाद सुभाष का दाखिला रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल में कराया गया। सुभाष को बंगाली कम आती थी इसलिए यहां उन्हें अपने सहपाठियों द्वारा उपहास का सामना भी करना पड़ा। सुभाष अपने स्कूल के प्रिंसिपल बेनी माधव दास से प्रभावित थे, जिन्होंने उनकी योग्यता को समझा और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। सुभाष पर विवेकानंद का भी काफी प्रभाव पड़ा था। मात्र 15 साल की उम्र में ही उन्होंने विवेकानंद साहित्य गहराई से अध्ययन कर लिया था।

साल 1913 में द्वितीय श्रेणी में मैट्रिक कंप्लीट की और साल 1915 में द्वितीय श्रेणी में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में बीए में एडमिशन लिया और दर्शनशास्त्र विषय की पढ़ाई शुरू की। लेकिन वहां छात्रों और शिक्षकों के बीच विवाद हो गया। जिसमें सुभाष छात्रों के साथ आए और इस कारण उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया। तब उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से जुड़े स्कॉटिश चर्च कॉलेज में एडमिशन लिया और वहां से साल 1918 में दर्शनशास्त्र में बैचलर डिग्री कंप्लीट की।

पिता का सपना पूरा करने के लिए साल 1919 में सुभाष लंदन चले गए और कैम्ब्रिज के फिट्ज विलियम कॉलेज में प्रवेश लिया। इसके बाद 1920 में हुई इंडियन सिविल सर्विस परीक्षा में उन्होंने भाग लिया। इस परीक्षा में उन्हें चौथा स्थान मिला और सिविल सर्विस के लिए उनका चयन हो गया। सिविल सर्विस की परीक्षा में बोस को अंग्रेजी में सबसे ज्यादा अंक मिले थे और उन्होंने अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया था। वह ब्रिटिश सरकार के लिए काम नहीं करना चाहते थे लेकिन पिता की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने सिविल सर्विस जॉइन कर ली। आखिरकार अपने अंतर्मन की अवाज सुनते हुए साल 1921 में इन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अप्रैल 1921 में भारत लौट आए।

भारत वापस आकर वे कांग्रेस में शामिल हो गए। इसी दौरान जुलाई 1921 को मुंबई में उनकी गांधी जी से मुलाकात हुई और फिर उनके निर्देशानुसार सुभाष कलकत्ता चले गए और देशबंधु चितरंजन दास के साथ काम करने लगे। उन दिनों चितरंजन दास बंगाल में असहयोग आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। चितरंजन दास के कलकत्ता का महापौर बनने के बाद सुभाष को महापालिका का मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनाया गया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कलकत्ता महापालिका में काफी सुधार किया। अपनी नेतृत्व क्षमता के चलते सुभाष जल्द ही लोकप्रिय कांग्रेसी नेता बन गए। सुभाष के क्रांतिकारी विचारों के चलते साल 1925 में उन्हें गिरफ्तार कर म्यांमार के माण्डले जेल भेज दिया गया। जहां वे बीमार हो गए, इस कारण अंग्रेजों ने उन्हें रिहा कर दिया।

1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तो कांग्रेस ने इसका विरोध किया। इसमें सुभाष ने अहम भूमिका निभाई। साल 1928 में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का कलकत्ता में अधिवेशन हुआ। इसमें सुभाष बाबू ने जवाहर लाल के साथ मिलकर पूर्ण स्वराज की मांग उठाई। लेकिन गांधी जी के राजी न होने के कारण अंग्रेज सरकार को 1 साल का वक्त दिया गया। लेकिन यह मांग पूरी न होने पर जवाहर लाल के नेतृत्व में 1930 में हुए कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 26 जनवरी 1931 को स्वतंत्रा दिवस मनाने की घोषणा की गई। 26 जनवरी को कलकत्ता में राष्ट्रध्वज फहराने के बाद जब सुभाष एक सभा को संबोधित कर रहे थे तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।

इसी बीच चितरंजन दास की मौत हो गई थी। तब जेल में रहते हुए ही उन्होंने चुनाव लड़ा और कलकत्ता के मेयर बने। इसके बाद गांधी जी हस्तक्षेप के बाद उनकी रिहाई हुई। लेकिन भगत सिंह और उनके साथियों को रिहा न कराने के कारण गांधी जी से वे नाराज हो गए। साल 1932 में उन्हें फिर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। साल 1933 में रिहा होने के बाद वह यूरोप चले गए। यूरोप में भी वे भारत की स्वाधीनता के लिए लगातार काम कर रहे थे। साल 1936 में वे वापस भारत आ गए। इसके बाद 1938 में हुए कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन में उन्हें अध्यक्ष चुन लिया गया। 1939 में वे दोबारा अध्यक्ष पद के लिए खड़े हुए। लेकिन गांधी जी पट्टाभि सीतारमैय्या को कांग्रेस अध्यक्ष बनाना चाहते थे। सुभाष ने चुनाव जीत गए। लेकिन गांधी जी के कारण उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद द्वितीय विश्वयुद्ध का फायदा उठाने के लिए सुभाष ने फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की और कांग्रेस छोड़ दिया। इसके बाद सुभाष ने क्रांतिकारी तरीके से देश की आजादी के लिए उपाय करने लगे। उनकी गतिविधियों से ब्रिटिश सरकार घबरा गई और उन्हें नजर बंद कर दिया गया। साल 1941 में सुभाष ने पठान का भेष बनाया और कलकत्ता से भागकर पेशावर पहुंचे। इसके बाद काबुल गए और फिर वहां से जर्मनी की राजधानी बर्लिन पहुंचे। वे जर्मन तानाशाह हिटलर से मिले और भारत को आजाद कराने के लिए मदद मांगी। लेकिन कोई ठोस मदद नहीं मिली। इस दौरान उन्होंने जर्मन मूल के भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए तैयार भी किया।

अपने यूरोप प्रवास के दौरान सुभाष की मुलाकात ऑस्ट्रियन महिला एमिली शेंकल से हुई। जिनके साथ सुभाष बाबू ने 1942 में हिन्दू रीति-रिवाज से विवाह कर लिया। एमिली से उन्हें एक बेटी भी हुई, जिनका नाम अनीता बोस है। साल 1943 में जर्मनी से निकल कर वह जापान और वहां से सिंगापुर गए। सिंगापुर में वे रासबिहारी बोस और कप्तान मोहन सिंह के साथ मिलकर आजाद हिंद फौज (इंडियन नेशनल आर्मी) का पुनर्गठन किया। सुभाष इसके सेनापति बने और उन्होंने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया। आजाद हिन्द फौज की महिला विंग का नाम रानी झांसी रेजीमेंट रखा। द्वितीय विश्ययुद्ध के दौरान आजाद हिन्द फौज ने जापानी सेना की मदद से भारत पर आक्रमण किया और अंडमान-निकोबार द्वीप जीत लिया। फौज को प्रेरित करने के लिए इन्होंने दिल्ली चलो का नारा भी दिया। बाद में अंग्रेजों के भारी पड़ने पर फौज को पीछे हटना पड़ा। दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार के बाद सुभाष बाबू रूस से सहायता मांगने के लिए जहाज से जा रहे थे इसी दौरान वे लापता हो गए। कहा गया कि 18 अगस्त 1945 को उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिनमें उनकी मौत हो गई। 

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सुभाष चन्द्र बोस के माता पिता का क्या नाम है 3 points?

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे।

नेताजी का पूरा नाम क्या है?

सुभाष चंद्र बोससुभाष चन्द्र बोस / पूरा नामnull

सुभाष जी का जन्म कब हुआ था?

23 जनवरी 1897सुभाष चन्द्र बोस / जन्म तारीखnull

सुभाष चंद्र बोस की कितनी पत्नी थी?

dainikbhaskar.com नेताजी के निधन की विवादास्पद तारीख पर बता रहा है सुभाष चंद्र बोस के जीवन जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में। इसी कड़ी में हम आपको बता रहे हैं उनकी पत्नी एमिली और बेटी अनीता के बारे में। 1934 में सुभाष चन्द्र बोस ऑस्ट्रिया में अपना इलाज करा रहे थे। उस समय उन्होंने सोचा कि अपनी जीवनी लिखी जाए।