रहिमन धागा प्रेम का क्या अर्थ है? - rahiman dhaaga prem ka kya arth hai?

रहिमन धागा प्रेम का क्या अर्थ है? - rahiman dhaaga prem ka kya arth hai?

रहीम दास के मशहूर दोहे

सूफी कवि रहीम दास मध्यकालीन कवि थे. वो काफी विद्वान और कला के धनि व्यक्ति थे.

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 26, 2019, 09:40 IST

    रहीम दास के मशहूर दोहे: सूफी कवि रहीम दास मध्यकालीन कवि थे. वो काफी विद्वान और कला के धनि व्यक्ति थे. रहीम दास जी सभी धर्म और सम्प्रदायों को मानने वाले थे. वो प्रतिभा के धनि व्यक्ति थे. एक मुसलमान होते हुए भी उन्होंने अपनी रचनाओं में हिंदू देवी-देवताओं, पर्वों, धार्मिक मान्यताओं का उल्लेख किया है. उन्होंने अपना पूरा जीवन हिंदू आदर्शों पर बिताया. आइए भारत दर्शन डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ते हैं उनके महत्वपूर्ण दोहे...

    1.रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय. टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय.

    अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नही होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है, तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है.

    2. एकहि साधै सब सधैए, सब साधे सब जाय. रहिमन मूलहि सींचबोए, फूलहि फलहि अघाय.

    अर्थ: एक को साधने से सब सधते हैं. सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है – वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है.

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    3.रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि. जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवार.

    अर्थ: बड़ों को देखकर छोटों को भगा नहीं देना चाहिए। क्योंकि जहां छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ नहीं कर सकता. जैसे कि सुई के काम को तलवार नहीं कर सकती.

    4.रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार. रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार.

    यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए.

    5, बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय.

    अर्थ: मनुष्य को सोच समझ कर व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा.
    6.मथत-मथत माखन रहे, दही मही बिलगाय. ‘रहिमन’ सोई मीत है, भीर परे ठहराय.

    अर्थ:  सच्चा मित्र वही है, जो विपदा में साथ देता है. वह किस काम का मित्र, जो विपत्ति के समय अलग हो जाता है? मक्खन मथते-मथते रह जाता है, किन्तु मट्ठा दही का साथ छोड़ देता है.undefined

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    Tags: Religion

    FIRST PUBLISHED : November 26, 2019, 07:10 IST

    रहीम के दोहे अर्थ सहित – Rahim Ke Dohe Arth Sahit

    रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
    टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परी जाय॥

    Rahiman dhaga prem ka mat todo chatkay doha meaning in hindi:

    रहिमन धागा प्रेम का अर्थ: इस प्रसिद्ध दोहे में महान कवि रहीम दास जी कहते हैं कि प्रेम का धागा बड़ा ही नाज़ुक और कोमल होता है। इसे कठोर वचनों और कड़वी भावनाओं के जरिए तोड़ना बिल्कुल उचित नहीं है। अगर प्रेम की यह कोमल डोर एक बार टूट जाए, तो फिर यह कभी जुड़ नहीं पाती है। अगर हज़ार प्रयत्न करके आप प्रेम की यह डोरी जोड़ भी लो, तो उसमें एक गाँठ पड़ ही जाती है। अर्थात एक बार टूट जाने के बाद रिश्ते भले ही दोबारा जुड़ जाएं, लेकिन वो पहले जैसे नहीं रह पाते हैं।

    यहाँ रहीम जी हमें रिश्तों की अहमियत समझा रहे हैं। इस दोहे में वो कहते हैं कि रिश्ते हमारी ज़िंदगी का एक बहुत ख़ास हिस्सा होते हैं। अपनी गलतियों और बुरे व्यवहार की वजह से हमें रिश्तों के कोमल बंधन को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए। अगर कड़वी बातों के वार से कोमल रिश्ते एक बार टूट कर अलग हो जाएं, तो फिर उन्हें फिर से पहले जैसा करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमें अपने रिश्तों को हमेशा प्यार से सहेज कर रखना चाहिए।

    Rahiman dhaga prem ka doha in English

    Rahiman Dhaga Prem Ka, Mat Todo Chatkay 
    Tute Se Phir Naa Mile, Mile Gaanth Pad Jaaye

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    रहिमन धागा प्रेम का

    रहीम के दोहे रहिमन धागा प्रेम का

    रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय इसका अर्थ क्या है?

    अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नही होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है, तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है.

    रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय टूटे से फिर ना जुड़े जुड़े गांठ पड़ जाए में कौन सा अलंकार है?

    (ii) श्लेष व रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।

    प्रेम रूपी धागा टूट जाने पर क्या होता है?

    प्रेम का धागा संबंधों को जोड़ता है इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए रहीम जी कहते हैं कि प्रेम रूपी धागे को झटके से नहीं तोड़ना चाहिए। अगर इसमें एक बार गाँठ पड़ जाती है तो यह फिर नहीं जुड़ता और अगर जुड़ता भी है तो इसमें गाँठ पड़ जाती है अर्थात् प्रेम सम्बन्ध कठिनाई से बनते हैं।

    रहिमन धागा प्रेम का कौन सा अलंकार है?

    टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय " इन पंक्तियों में श्लेष व रूपक अलंकार है। श्लेष का अर्थ :- होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है।