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गर्भावस्था के दौरान पेशाब की जांच क्यों की जाती है?आपके पेशाब में मौजूद कुछ विशेष तत्व डॉक्टर को उन स्वास्थ्य स्थितियों का शुरु में ही संकेत दे सकते हैं, जिन स्थितियों की वजह से आपके या आपके शिशु के लिए समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए आपकी डॉक्टर पूरी गर्भावस्था के दौरान आपसे मूत्र परीक्षण करवाने के लिए कहेंगी। मुझे पेशाब का नमूना किस तरह एकत्रित करना चाहिए?बेहतर यही रहता है कि आप शुरुआत का थोड़ा पेशाब निकल जाने के बाद ही नमूना लें। इसलिए कुछ सैकंड तक पेशाब निकलने के बाद कंटेनर लगाए और पेशाब का नमूना एकत्रित कर लें। आपको जल्द ही पेशाब का नमूना लेना अच्छी तरह आ जाएगा, क्योंकि आपको शायद हर बार डॉक्टर के साथ प्रसवपूर्व मुलाकात से पहले मूत्र परीक्षण करवाने और रिपोर्ट दिखाने के लिए कहा जाएगा। पेशाब का नमूना एकत्र करने के लिए आपको कीटाणुमुक्त (स्टेराइल) यूरिन कलेक्शन सैम्पल कंटेनर इस्तेमाल करना चाहिए। ये कंटेनर दवा की दुकान पर उलब्ध होते हैं या फिर आप अस्पताल की लैब से भी इन्हें ले सकती हैं। जब आप पेशाब का नमूना ले लेती हैं और इसे लैब में देती हैं, तो कंटेनर पर आपका नाम और पेशेंट नंबर लिख दिया जाएगा। पेशाब की नियमित जांच में किस चीज का पता लगाया जाता है?लैब तकनीशियन एक ट्रीटेड प्लास्टिक स्ट्रिप को आपके पेशाब के नमूने में डुबोकर देखेंगे। इस स्ट्रिप को डिपस्टिक कहा जाता है। आपके पेशाब में प्रोटीन, नाइट्रेट, सफेद कोशिकाओं या शर्करा की मौजूदगी के आधार पर यह स्ट्रिप अपना रंग बदलती है। परिणामों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाती है। सामान्यत: मूत्र परीक्षण की रिपोर्ट एक दिन में ही आ जाती है। यदि आपकी डॉक्टर ने कुछ अतिरिक्त टेस्ट कराएं हों, तो रिपोर्ट आने में कुछ समय लग सकता है। पेशाब में प्रोटीन, शर्करा या नाइट्रेट्स की मौजूदगी आपकी डॉक्टर के लिए खतरे के सूचक हैं। अगर ये मापदंड सामान्य रेंज से अधिक हैं, तो डॉक्टर आगे कुछ और टेस्ट कराने के लिए कहेंगी। पेशाब की जांच में किन समस्याओं का पता लग सकता है?मूत्रमार्ग संक्रमण (यूटीआई): प्रोटीन की मौजूदगी इस बात का भी संकेत हो सकती है कि आपका शरीर किसी छोटे-मोटे संक्रमण से लड़ रहा है। प्रोटीन के साथ-साथ नाइट्रेट्स और सफेद कोशिकाएं होने पर यह मूत्रमार्ग संक्रमण (यूटीआई) होने का संकेत हो सकता है। आपकी डॉक्टर आगे और अधिक विश्लेषण के लिए आपको दोबारा यूरिन टेस्ट करवाने के लिए कह सकती हैं। यह इस बात की जांच के लिए होगा कि पेशाब में जीवाणु मौजूद हैं या नहीं, और यदि हैं तो पता किया जाएगा कि आपको किस तरह का मूत्रमार्ग संक्रमण है। आपको संक्रमण दूर करने के लिए एंटीबायटिक दवाएं लेनी पड़ सकती हैं। हो सकता है आपको यूटीआई हो जाए, और आपको इसके कोई लक्षण महसूस न हों। आपकी डॉक्टर को यह जानना जरुरी है कि आपको यूटीआई है या नहीं, क्योंकि कुछ विशेष तरह के जीवाणुओं और समय से पहले प्रसव होने के बीच संबंध होता है। प्रीक्लेमप्सिया: गर्भावस्था की आधी अवधि बीत जाने पर, आपके पेशाब में प्रोटीन होना प्रीक्लेमप्सिया का शुरुआती लक्षण हो सकता है। प्री-एक्लेमप्सिया, उच्च रक्तचाप से जुड़ी संभवत: गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है। प्रीक्लेमप्सिया के लक्षणों में शामिल हैं:
ये लक्षण आमतौर पर स्थिति के बिगड़ने से पहले सामने नहीं आते हैं। इसलिए डॉक्टर आपको पेशाब की जांच और पूरी गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप की जांच करवाने के लिए कहेंगी। प्री-एक्लेमप्सिया की पहचान जल्दी हो जाने का मतलब है कि इसका उपचार भी सही समय पर हो सकता है। गर्भावधि मधुमेह (जैस्टेशनल डायबिटीज): Click here to see the English version of this article! हमारे लेख पढ़ें:
ReferencesNHS Choices. 2009. Pre-eclampsia. NHS Choices, Health A-Z. NCCWCH. 2008a. Antenatal care: Routine care for the healthy pregnant woman. National Collaborating Centre for Women's and Children's Health. London: RCOG Press. [pdf file] NCCWCH. 2008b. Diabetes in pregnancy: management of diabetes and its complications from preconception to the postnatal period. National Collaborating Centre for Women's and Children's Health. London: RCOG Press. [pdf file] Neha translates BabyCenter India's English content into Hindi to make it available to a
wider audience. यूरिन टेस्ट कितने प्रकार के होते हैं?मूत्र परीक्षण पट्टिका के द्वारा मूत्र में निम्नलिखित पदार्थों की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है- प्रोटीन, ग्लूकोज, कीटोन, हीमोग्लोबिन, बिलिरुबिन (bilirubin), यूरोबिलिनोजेन (urobilinogen), एसीटोन, नाइट्राइट, तथा श्वेतकोशिका। इसके अलावा इससे मूत्र का pH एवं विशिष्ट घनत्व का भी ज्ञान हो जाता है।
पेशाब की कौन कौन सी जांच होती है?आपको बता दें कि यूरिन टेस्ट के जरिए कई बीमारियों और यूरिनरी ट्रैक्ट की दिक्कत का भी पता लगाने का काम आ सकता है। इसके अलावा लीवर, किडनी और डायबिटीज जैसी बीमारी का पता लगाने के लिए भी यूरिन टेस्ट किए जाते हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो कभी ना कभी अपने जीवन काल में पैथोलॉजिकल यूरिन टेस्ट करा चुके हैं।
मूत्र की जांच को क्या कहते हैं?सिस्टोस्कोपी एक चिकित्सा इमेजिंग प्रक्रिया है जो आपके चिकित्सक को एक सिस्टोस्कोप द्वारा मूत्र पथ के अंदर की जांच करने में सक्षम बनाती है। सिस्टोस्कोपी का उपयोग परीक्षण के लिए ऊतक के नमूने एकत्र करने के लिए भी किया जा सकता है।
यूरिन टेस्ट नार्मल कितना होना चाहिए?पुरुषों में अगर इसका स्तर 2.5 mg/dl या उससे कम है तो इसे लो यूरिक एसिड माना जाता है। वहीं, महिलाओं में लो यूरिक एसिड 2.5mg/dl बताया जाता है। इसके अलावा, पुरुषों में 2.5 से लेकर 7.0mg/dl होता है और महिलाओं में 1.5 से 6.0mg/dl होता है। वहीं, यूरिक एसिड का स्तर पुरुषों में 7 से ऊपर और महिलाओं में 6 से ऊपर होता है।
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