Ĥारंभ मʌ साइͩकल आंदोलन को चलाने मʌ कौन-कौन सी बाधाएँ आƀ - haarambh maʌ saikal aandolan ko chalaane maʌ kaun-kaun see baadhaen aaƀ

प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?


प्रारंभ में इस साइकिल आंदोलन को चलाने में महिलाओं को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लोग उन पर गंदी-गंदी टिप्पणियाँ कसते थे लोकन महिलाएँ बिना किसी की परवाह किए निरंतर आगे की ओर अग्रसर ही होती रहीं।

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'... उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं ...'
आपके विचार से लेखक ‘जंजीरों’ द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?


तमिलनाडु के जिला पुड़ुकोट्टई में महिलाओं में अधिक जागृति न थी। वे रूढ़िवादिता. पिछड़ेपन व बधनों से परिपूर्ण जीवन बिता रही थीं। इन्हीं बंधनों को लेखक न जंजीरें माना है।

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शुरूआत में पुरुषों ने इस आदोलन का विरोध किया परंतु आर साइकिल के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?


जब स्त्रियों ने बड़ी संख्या में साइकिल चलाना सीखना शुरू किया तो पुरुषों ने इसका विरोध किया क्यौंकि उन्हें डर था कि इससे नारी समाज में जागृति आ जाएगी। उन पर कई प्रकार के व्यंग्य भी किए जाते। लेकिन महिलाओं ने इनकी परवाह न करके साइकिल चलाना जारी रखा। धीरे-धीरे महिलाओं द्वारा साइकिल चलाने को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त हो ही गई।

एक साइकिल विक्रेता ‘आर साइकिल्स’ के मालिक ने इसका समर्थन किया क्योंकि उसकी दुकान पर लेडिज साइकिल की बिक्री में 350 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। यहाँ तक कि जिन महिलाओं को लेडिज साइकिल नहीं मिल पाई थीं उन्होंने जेंटस साइकिलें ही खरीद लीं। दुकानदार द्वारा यह वक्तव्य बताना इस बात को प्रदर्शित करता है कि महिला साइकिल चालकों की संख्या दिन-प्रति-दिन बढ़ती ही जा रही है।

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उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ ‘उपसर्ग’ और ‘प्रत्यय’ इस प्रकार हैं-अभि, प्र, परि, वि (उपसर्ग), इक वाला, ता, ना।


उपसर्ग
(1) शब्द - उपसर्ग मूलशब्द
अभिव्यक्त - अभि व्यक्त
प्रशिक्षण - प्र शिक्षण
प्रदर्शन - प्र दर्शन
अनुभव - अनु भव
परिवहन - परि वहन
विनम्र - वि नम्र
बेशक - बे शक

प्रत्यय 
(2) शब्द      प्रत्यय  मूलशब्द
सामाजिक      इक    समाज
गतिशीलता    ता     गतिशील
समझना       ना     समझ

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‘साइकिल आंदोलन’ से पुड़ुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?


साइकिल आंदोलन से पुडुकोट्टई की महिलाओं में निम्न बदलाव आए-
1. स्त्रियों में आत्मसम्मान की भावना जागृत हुई।
2. वे रूढ़िवादिता व पुरुषों द्वारा थोपे गए रोजमर्रा के घिसे-पिटे दायरे से बाहर निकल सकीं।
3. इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला अब उन्हें कहीं भी जाने हेतु किसी का मुँह नहीं ताकना पड़ता।
4. इससे महिलाओं की आय में वृद्धि हुई वे अगल-बगल के गाँवों में भी उत्पाद बेचने जा सकती हैं।
5. अब महिलाओं के समय की भी बचत हो जाती थी जिससे वे सामान बेचने पर ध्यान केंद्रित कर पाती हैं।
6. उन्हें आराम करने का भी समय मिल जाता है।
7. साइकिल से घरेलू कार्यो को भी सुचारू रूप से करने में महिलाएँ सक्षम हो गई हैं जैसे घरेलू सामान लाना। बच्चों की देखभाल व पानी भरना आदि।
8. सबसे बड़ी बात वे साइकिल को अपनी ‘आजादी का प्रतीक’ मानती हैं।

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इस पाठ के अंत में दी गयी ‘पिता के बाद’ कविता पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।


पाठ के आधार पर फातिमा के यही विचार हैं कि साइकिल चलाना महिलाओं के आत्मसम्मान व आर्थिक संपन्नता को तो बढ़ावा देता ही है साथ ही साथ आजादी और खुशहाली का अनुभव भी करवाता है। जबकि इस कविता में इस बात को दर्शाया गया है कि दुख हो या सुख लड़कियाँ हर हाल में खुश रहती हैं। पिता के कंधों का भार अपने कंधों पर उठाने की हिम्मत रखती हैं। पिता की मृत्यु के पश्चात् माँ को संभालने की शक्ति भी उनमें होती है। वे अपने पूर्वजों का नाम ऊँचा उठाती हैं। उदास राहों पर भी खुशियाँ ढ़ुँढने की क्षमता रखती हैं। धूप, बारिश व हर मौसम अर्थात् हर परिस्थिति में खुश रहती हैं।

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प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?

फातिमा ने जब इस आंदोलन की शुरूआत की तो उसको बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वो इस प्रकार है-

(i) सर्वप्रथम, फातिमा मुस्लिम परिवार से थी। जो बहुत ही रूढ़िवादी थे। उन्होंने उसके उत्साह को तोड़ने का प्रयास किया।

(ii) फातिमा के साइकिल चलाने पर उसे फ़ब्तियाँ (गंदी टिप्पणियाँ) सुननी पड़ी।

(iii) उनके पास साइकिल शिक्षक का अभाव था जिसके लिए उन्होंने स्वयं कमर कस ली और स्वयं साइकिल सिखाना आरम्भ किया।

Concept: गद्य (Prose) (Class 8)

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प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन कौन सी बाधाएं?

प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई? प्रारंभ में इस साइकिल आंदोलन को चलाने में महिलाओं को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लोग उन पर गंदी-गंदी टिप्पणियाँ कसते थे लोकन महिलाएँ बिना किसी की परवाह किए निरंतर आगे की ओर अग्रसर ही होती रहीं।

जहाँ पहिया है पाठ में महिलाओं को इस आंदोलन को चलाने में कौन कौन सी बाधाएं आई?

प्रश्न 4: प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन कौन सी बाधा आई? उत्तर: प्रारंभ में लोगों ने साइकिल चलाने वाली महिलाओं पर फब्तियाँ कसीं। उनपर अभद्र टीका टिप्पणी की। प्रश्न 5: आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम 'जहाँ पहिया है' क्यों रखा होगा?

साइकिल चलाने में कौन कौन सी महिलाएं आगे आईं?

Answer: इसका सबसे बड़ा कारण फातिमा के गाँव की पुरानी रूढ़िवादी परम्पराएँ हैं जहाँ औरतों का साइकिल चलाना उचित नहीं माना जाता था। उनके विरोध में खड़े होकर अपने को पुरुषों की बराबरी का दर्जा देकर स्वयं को आत्मनिर्भर बनाकर फातिमा ने जो कदम उठाया उससे उसने स्वयं को, अपने जैसी अन्य महिलाओं को सम्मान दिया है।

साइकिल आंदोलन में पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन कौन से बदलाव आए हैं?

उत्तर: साइकिल आंदोलन ने पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। महिलाएँ अब पहले से अधिक स्वतंत्र हो गई हैं। कहीं आने जाने के लिए अब वे घर के पुरुषों की मोहताज नहीं हैं। अब उनके पास खाली समय भी बच पाता है क्योंकि साइकिल के इस्तेमाल से कहीं आने जाने में समय की बचत होती है।