ऑडिट का क्या काम होता है? - odit ka kya kaam hota hai?

ऑडिट का क्या काम होता है? - odit ka kya kaam hota hai?

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ऑडिट क्या होता है इसका हिंदी अर्थ क्या होता है. अगर आप अपना खुद का बिज़नेस चलाते है तो आप के लिए जानना जरुरी है. की ऑडिट क्या होता है. दरअसल ऑडिट का आशय वित्तीय लेखा-जोखे की जांच से है. वित्तीय लेखा-जोखे की जांच आपके वित्तीय लेख को सत्यापित करने के लिए किया जाता है.

अगर हम सरल शब्दों में समझे तो किसी कम्पनी या वित्तीय संसथान के लिए ऑडिट वह प्रक्रिया है जिसमे कम्पनी अपने खातो की जाँच करवा कर मूल्यांकन करती है की उसे विगत वर्ष में लाभ हुआ है या हानि. और साथ ही अगर खातो में किसी भी प्रकार की त्रुटी हुई है उसकी भी जाँच हो जती है.

कोई भी कंपनी या संस्था ऑडिट, या तो खुद के द्वारा नियुक्त किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट के द्वारा करवाती है या फिर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी साल में एक बार आप की संस्था का ऑडिट कर सकता है। ऑडिट हर वित्तीय वर्ष यानी हर साल में एक बार तो किया ही जाता है.

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ऑडिट का हिंदी मतलब क्या होता है (audit meaning in hindi)

अगर हम ऑडिट के हिंदी अर्थ या मतलब (audit meaning in hindi) का बात करे तो ऑडिट को हिंदी में अंकेक्षण होता है अर्थात अंक का परिक्षण. सरल शब्दों में जो कम्पनी के अकाउंटेंट द्वारा साल भर लेन देन की एंट्री की जाती है जो की सामन्यतः आज कल टैली सॉफ्टवेर पर की जाती है उनकी जाँच. उनकी जाँच करके हम जान सकते है की कम्पनी द्वारा कहा कहा खर्चा किया गया और उसे किन जगहों से इनकम प्राप्त हुई.

साथ ही अगर खातो में किसी भी प्रकार की त्रुटी हो तो उसकी भी जाँच हो जाती है जिससे कंपनी को प्राप्त होंने वाली लाभ या हानि का शुद्ध अकड़ा प्राप्त किया जा सकता है.

क्यों जरुरी है ऑडिट (Why audit is necessary)

ऑडिट करने का उद्देश्य आपके बिज़नेस के खातों का लेखा (Account) सही है, या नहीं इसका पता लगाना है. बिज़नेस के खातों का लेख (Account) का अध्यन करना इसलिए भी जरुरी है क्यों की इससे आपको पता चलेगा की आप की कंपनी या बिज़नेस संस्थान ने साल भर में किस्ता खर्च किया और कितना कमाया जिससे आप अपने लाभ का पता लगा सकते है.

साथ ही आज इसका महत्व GST लागू होने के बाद और भी बाद गया है क्यों की कम्पनी को हर महीने सरकार को अपनी क्रय बिक्री का ब्यौरा देना होता है साथ ही GST भी अब हर महा देना होता है. जिससे कंपनियों को अपने खाते को अपडेट रखना होता है क्यों की कोई भी कंपनी अपने लाभ और हानि के अनुसार ही अपना इनकम टैक्स रिटर्न देती है। अगर आप अपने लेखो (account) के अनुसार इनकम टैक्स जमा नहीं करते तो आप पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कार्यवाही हो सकती है।

इसको को सही ढंग से क्रियान्वित करवाने के लिए अलग अलग लोगो से कम्पनी, अपनी कंपनी का ऑडिट करवाती है जिससे उसमे कुछ छूटे ना। ऑडिट किसी भी विभाग के किसी प्रमुख कर्मचारियों द्वारा या फिर किसी बाह्य व्यक्ति जैसे किसी अन्य कम्पनी के चार्ट्रेड अकॉउंटेट द्वारा भी किया जा सकते है। ऑडिट अकाउंट वेरिफाई करने और चेक करने के उद्देश्‍य से मुख्‍यत: किया जाता है। ऑडिट धोखाधड़ी और गलत कैल्‍कुलेशन से भी बचाता है।

कौन कर सकता है ऑडिट?

भारत में अलग अलग डिपार्टमेंट के लिए ऑडिट भी अलग अलग लोग कर सकते है पर भारत सरकार द्वारा किसी भी कम्पनी के लिए ऑडिट प्रक्रिया के लिए कुछ विभाग को मान्य किया है उसमे आईसीएआई या चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के चार्टर्ड अकाउंटेंट है जो की संगठन का स्वतंत्र आडिट कर सकते हैं। साथ ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का ऑडिटर भी किसी भी कंपनी का ऑडिट कर सकते है.

कैसे होता है ऑडिट

ऑडिट प्रक्रिया के मुख्य चार चरण है इन चरण के द्वारा ही ऑडिट प्रक्रिया पूर्ण होती है।

  • सबसे पहले ऑडिटर को एक पत्र द्वारा जो की वांछित संस्थान द्वारा जारी किया जाता है उससे अपनी भूमिका और टर्म ऑफ इंगेजमेंट को प्रूव करना होगा उस पत्र पर कम्पनी द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित होता है।
  • इसके बाद ऑडिटर द्वारा ऑडिटिंग की समय सीमा का विवरण दिया जाता है और समय सीमा को इस प्रकार निर्धारित किया जाता है जिससे कम्पनी की ऑडिट समय सीमा से पहले ही हो जाये।
  • इसके बाद ऑडिटर आकड़ो की तुलना कर के सत्यता को निर्धारित करता है। तथा जानकारी को निर्धारित कर आकड़ो को सही ढंग से जमाना होता है।
  • अंत में एडिटर द्वारा आंकड़ो का विश्लेषण किया जाता है जिससे की संसथान में चल रही किसी भी पप्रकार की त्रुटी या किसी भी प्रकार की प्रोसेस जिससे की कंपनी हो हानि हो रही है ये जिसमे इम्प्रोव्मेंट की जरुरत होती है उसका विश्लेषण किया जाता है.

ऑडिट के प्रकार (Type of audit in hindi)

वैसे तो ऑडिट के कई प्रकार है जो की कम्पनी अपनी प्रोसेस, प्रोडक्ट और क्वालिटी चेक के लिए करवा सकती है पर अगर हम ऑडिट के मुख्य प्रकार की बात करे तो यहाँ तीन प्रकार के होते है. आंतरिक अंकेक्षण (Internal Audits), एक्सटर्नल ऑडिट (External Audits) और आंतरिक राजस्व सेवा (आईआरएस) लेखा परीक्षा (Internal Revenue Service Audits) जो की कम्पनी समय समय में अपनी कम्पनी में करवाती है.

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ऑडिट का कार्य क्या होता है?

दरअसल ऑडिट का आशय वित्तीय लेखा-जोखे की जांच से है. वित्तीय लेखा-जोखे की जांच आपके वित्तीय लेख को सत्यापित करने के लिए किया जाता है. अगर हम सरल शब्दों में समझे तो किसी कम्पनी या वित्तीय संसथान के लिए ऑडिट वह प्रक्रिया है जिसमे कम्पनी अपने खातो की जाँच करवा कर मूल्यांकन करती है की उसे विगत वर्ष में लाभ हुआ है या हानि.

ऑडिट कितने प्रकार के होते हैं?

अंकेक्षण या ऑडिट अन्य के प्रकार (Other Types of Audit).
पूर्व अंकेक्षण (Pre Audit).
उत्तर अंकेक्षण (Post Audit).
नियामकीय अंकेक्षण (Regulatory Audit).
औचित्य अंकेक्षण (Propriety Audit).
निष्पादन अंकेक्षण (Performance Audit).
वित्तीय के अंकेक्षण (Financial Audit).

ऑडिट रिपोर्ट कौन तैयार करता है?

लेखा परीक्षकों द्वारा एडवर्स एवेलुएशन रिपोर्ट तैयार करना डिक्लेयर करता है कि न तो कर रहे हैं कंपनी के फाइनेंसिएल GAAP द्वारा बैन रिपोर्ट और न ही यह सही और न्यूट्रल रूप में डिफ़ाइन किया है।

ऑडिटर कैसे बने?

योग्यता.
बैचलर्स डिग्री प्रोग्राम के लिए ज़रुरी है कि उम्मीदवारों ने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से कॉमर्स स्ट्रीम से 10+2 प्रथम श्रेणी से पास किया हो।.
पीजी प्रोग्राम के लिए संबंधित क्षेत्र में प्रथम श्रेणी के साथ बैचलर्स डिग्री होना आवाश्यक है। ... .
ऑडिटर बनने के लिए आप 12 वीं के बाद CA कोर्स भी कर सकते हैं।.