तात्पर्य:भूमि सुधार से तात्पर्य है भूमि स्वामित्व का उचित व न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित करना। अर्थात् भूमि के स्वमित्तव को इस प्रकार व्यवस्थित करना जिससे उसका अधिकतम उपयोग किया जा सके। ब्रिटिश शासन का प्रमुख उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना था अतः उन्होंने कई भू-राजस्व प्रणालियों की शुरुआत की जैसे- जमींदारी व्यवस्था, रैय्यतबाड़ी व्यवस्था एवं महालवाड़ी व्यवस्था। इन सभी व्यवस्थाओं का मूल उद्देश्य अधिकतम राजस्व की वसूली करना था। इनके कारण भू- स्वामित्त्व का असंतुलित वितरण देखने को मिला इस असंतुलन को दूर करने के लिये एवं शोषणकारी आर्थिक संबंधों को समाप्त करने के लिये भूमि सुधार की आवश्यकता देखने को मिली। स्वतंत्रता पूर्व भारत में भू- राजस्व व्यवस्था:इज़ारेदारी व्यवस्था-
स्थायी बंदोबस्त या ज़मींदारी व्यवस्था-
रैयतवाड़ी व्यवस्था-
महालवाड़ी व्यवस्था-
भूमि सुधार के उद्देश्य:
संस्थागत सुधार-
तकनीकी सुधार-
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