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नेहरू रिपोर्ट का विरोधनेहरु रिपोर्ट का विरोध क्यों, कैसे हुआ –
कांग्रेस पार्टी के वामपंथी युवा वर्ग ने नवंबर 1928 को “इंडिपेंडेंस लीग” की स्थापना की। भारत के नौजवानों के मन में आज़ादी के लिए रुचि उत्पन्न की। युवा वर्ग ने यह निर्णय लिया कि यदि एक वर्ष के अंदर ब्रिटिश सरकार भारत को “डोमिनियन राज्य” का दर्जा प्रदान नहीं करती है तो काँग्रेसी पूर्ण स्वतंत्रता के लिए आंदोलन करेगी और “असहयोग आंदोलन” को फिर से शुरू कर दिया जाएगा। नेहरू रिपोर्ट असफल और अमान्य रहीयह कहा जा सकता है कि नेहरू रिपोर्ट असफल रही। जिस समय संविधान का प्रारूप बनाया गया था, उस समय गांधी जी सर्वदलीय सम्मेलन में उपस्थित नहीं थे। उन्होंने अपने विचार प्रकट नहीं किए थे। इसके साथ ही नेहरू रिपोर्ट में कई दोष थे। रिपोर्ट में भारत के नागरिकों के मूल अधिकारों में राजा और जमीदारों के असीम भूमि अधिकार को सुरक्षित रखा गया था, जो कि नये भारत के लिए सही नहीं था। इस कारण देश के नेताओं और आम जनता ने इस रिपोर्ट को अमान्य घोषित कर दिया। नेहरू रिपोर्ट किसने और कब तैयार की?नेहरू रिपोर्ट (1928 ई):
नेहरू की रिपोर्ट 1928 ई में मोतीलाल नेहरू द्वारा लिखी गई थी । यह भारत के लिए संवैधानिक ढांचे का प्रारूप तैयार करने के लिए सबसे पहले भारतीय प्रयास के रूप में यादगार बना हुआ है। सिफारिशों ने भारत-डोमिनियन की पूर्ण स्वतंत्रता के लक्ष्य के विषय में एक बहस को जन्म दिया।
नेहरू रिपोर्ट कब प्रस्तुत किया गया था?नेहरू रिपोर्ट भारत के लिए प्रस्तावित नए अधिराज्य के संविधान की रूपरेखा थी। 10 अगस्त, 1928 को प्रस्तुत (28-31 अगस्त के बीच पारित) यह रिपोर्ट ब्रितानी सरकार के भारतीयों के एक संविधान बनाने के अयोग्य बताने की चुनौती का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में दिया गया सशक्त प्रत्युत्तर था।
नेहरू रिपोर्ट के सदस्य कौन कौन थे?इस समिति के अध्यक्ष मोतीलाल नेहरू थे और सचिव जवाहरलाल नेहरू थे। रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों में अली इमाम, तेज बहादुर सप्रू, मंगल सिंह, एम एस अणे, सुभाष चंद्र बोस, शुएब कुरैशी और जी आर प्रधान थे। समिति द्वारा तैयार प्रारूप संविधान को नेहरू समिति रिपोर्ट या नेहरू रिपोर्ट कहा जाता था।
नेहरू रिपोर्ट की सिफारिशें क्या थी?नेहरू रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें इस प्रकार थी-
औपनिवेशिक स्वराज्य- भारत को तुरन्त औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान किया जाना चाहिए और उसका स्थान ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत अन्य उपनिवेशों के समान होना चाहिए। प्रान्तों में उत्तरदायी शासन- प्रान्तों में द्वैध शासन का अन्त करके उत्तरदायी शासन की स्थापना की जानी चाहिए।
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