माला कैसे सिद्ध की जाती है?

ईश्वर की आराधना में मंत्रों के जाप का विशेष महत्व है. देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों के जाप का विधान है. लेकिन मंत्रों के जाप के लिए लोग अक्सर एक ही माला का प्रयोग करते हैं. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो हर देवी-देवता की आराधना के लिए एक विशेष माला तय है, जिसके प्रयोग से देवता जल्दी प्रसन्न होते हैं. सही माला से मंत्रों का जाप करने से मंत्र सिद्ध होते हैं. आइए आपको बताते हैं कौन से देव मंत्र का जाप कौन सी माला से करना सही होता है और ईश्वर की उपसना का महत्व क्या है.

उपासना में माला का महत्व

- प्रार्थना करने के कई तरीके हैं, शब्द, कीर्तन या मंत्र से प्रार्थना

- इनमें मंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली माने जाते हैं

- मन को तुरंत एकाग्र करते हैं मंत्र, इनका प्रभाव भी जल्दी होता है

- हर मंत्र में अलग प्रभाव और अलग शक्ति होती है

- मंत्र जाप के लिए अलग-अलग मालाओं का इस्तेमाल होता है

- ऐसा करने से अलग-अलग मन्त्रों की शक्ति का पूरा लाभ मिलता है

- मंत्र जाप में संख्या का विशेष महत्व है

-सही संख्या में मंत्रों का जाप करने के लिए भी माला का प्रयोग होता है

- माला में लगे हुए दानों को मनका कहते हैं

- आमतौर पर माला में 108 मनके होते हैं

-कभी-कभी माला में 27 या 74 मनके भी होते हैं

माला के प्रयोग की सावधानियां

- माला के मनकों की संख्या कम से कम 27 या  108 होनी चाहिए.

- हर मनके के बाद एक गाँठ जरूर लगी होनी चाहिए.

- मंत्र जप के समय तर्जनी अंगुली से माला का स्पर्श नहीं होना चाहिए

- सुमेरु का उल्लंघन भी नहीं होना चाहिए.

- मंत्र जप के समय माला किसी वस्त्र से ढंकी होनी होनी चाहिए या गोमुखी में होनी चाहिए.

-  मंत्र जाप करने के पूर्व हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए

-  प्रार्थना करें कि माला से किया गया मंत्र जाप सफल हो .

- माला हमेशा व्यक्तिगत होनी चाहिए

-  दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

- जिस माला से मंत्र जाप करते हैं उसे धारण नहीं करना चाहिए.

रुद्राक्ष की माला का महत्व

- सामान्यतः किसी भी मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं

- शिव जी और उनके परिवार के लिए मन्त्र जाप रुद्राक्ष की माला से लाभकारी होता है

- महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मन्त्र केवल रुद्राक्ष पर ही जपना चाहिए

स्फटिक की माला का महत्व

- ये माला एकाग्रता , सम्पन्नता  और शान्ति की माला मानी जाती है

- माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी के मन्त्र इस माला से जपना उत्तम होता है

- धन प्राप्ति और एकाग्रता के लिए स्फटिक की माला धारण करें

हल्दी की माला का महत्व

- विशेष प्रयोगों और मनोकामनाओं के लिए हल्दी की माला का प्रयोग किया जाता है

- बृहस्पति देव और माँ बगलामुखी के मन्त्रों के लिए हल्दी की माला का प्रयोग होता है

- हल्दी की माला से ज्ञान और संतान प्राप्ति के मन्त्रों का जाप भी कर सकते हैं

चन्दन की माला का महत्व

- चन्दन की माला दो प्रकार की होती है - लाल चन्दन और श्वेत चन्दन

- देवी के मन्त्रों का जाप लाल चन्दन की माला से करना फलदायी होता है

- भगवान् कृष्ण के मन्त्रों के लिए सफ़ेद चन्दन की माला का प्रयोग कर सकते हैं

तुलसी की माला का महत्व

- वैष्णव परंपरा में इस माला का सर्वाधिक महत्व है

- भगवान विष्णु और उनके अवतारों के मन्त्रों का जाप इसी माला से किया जाता है

- ये माला धारण करने पर वैष्णव परंपरा का पालन जरूर करना चाहिए

- तुलसी की माला पर कभी भी देवी और शिव जी के मन्त्रों का जप नहीं करना चाहिए.

- रूद्राक्ष से लेकर तुलसी तक, जानें मंत्र जाप कौन सी माला है  बेहतर

हमारी प्रार्थना करने के विभिन्न तरीके हैं , कभी सरल शब्दों से,कभी कीर्तन से और कभी मन्त्रों से. इनमे मंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली मानते जाते हैं , क्योंकि ये मन को तुरंत एकाग्र कर देते हैं और शीघ्र प्रभाव देते हैं. हर मंत्र से अलग तरह का प्रभाव और शक्ति उत्पन्न होती है इसलिए मंत्र का जप करने के लिए अलग अलग तरह की मालाओं का प्रयोग किया जाता है. ऐसा करने से अलग अलग मन्त्रों की शक्ति का लाभ मिल सकता है. माला का प्रयोग इसलिए भी किया जाता है ताकि मंत्र जप की संख्या में त्रुटी न हो सके. माला में लगे हुये दानों को मनका कहा जाता है. सामान्यतः माला में १०८ मनके होते हैं परन्तु कभी कभी इसमें २७ अथवा ५४ मनके भी होते हैं.

माला के प्रयोग की सावधानियां और नियम क्या हैं?

- माला के मनकों की संख्या कम से कम २७ या १०८ होनी चाहिए. हर मनके के बाद एक गाँठ जरूर लगी होनी चाहिए.

- मंत्र जप के समय तर्जनी अंगुली से माला का स्पर्श नहीं होना चाहिए साथ ही सुमेरु का उल्लंघन भी नहीं होना चाहिए.

- मंत्र जप के समय माला किसी वस्त्र से ढंकी होनी होनी चाहिए या गोमुखी में होनी चाहिए.

- मंत्र जाप करने के पूर्व हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए कि माला से किया गया मंत्र जाप सफल हो .

- माला हमेशा व्यक्तिगत होनी चाहिए , दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

- जिस माला से मंत्र जाप करते हैं , उसे धारण नहीं करना चाहिए.

अलग अलग माला के प्रयोग के लाभ क्या हैं और क्या तरीका है?

- रुद्राक्ष की माला

- सामान्यतः किसी भी मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं

- शिव जी और उनके परिवार के लोगों के मन्त्र रुद्राक्ष पर विशेष लाभकारी होते हैं

- महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मन्त्र केवल रुद्राक्ष पर ही जपना चाहिए

- स्फटिक की माला

- यह माला एकाग्रता , सम्पन्नता  और शान्ति की माला मानी जाती है

- माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी के मन्त्र इस माला से जपना उत्तम होता है

- धन प्राप्ति और एकाग्रता के लिए स्फटिक की माला धारण करना भी अच्छा होता है

- हल्दी की माला

- विशेष प्रयोगों तथा मनोकामनाओं के लिए हल्दी की माला का प्रयोग किया जाता है

- बृहस्पति देव तथा माँ बगलामुखी के मन्त्रों के लिए हल्दी की माला का प्रयोग होता है

- हल्दी की माला से ज्ञान और संतान प्राप्ति के मन्त्रों का जाप भी कर सकते हैं

- चन्दन की माला

- चन्दन की माला दो प्रकार की होती है - लाल चन्दन और श्वेत चन्दन

- देवी के मन्त्रों का जाप लाल चन्दन की माला से करना फलदायी होता है

- भगवान् कृष्ण के मन्त्रों के लिए सफ़ेद चन्दन की माला का प्रयोग कर सकते हैं

- तुलसी की माला

- वैष्णव परंपरा में इस माला का सर्वाधिक महत्व है

- भगवान् विष्णु और उनके अवतारों के मन्त्रों का जाप इसी माला से किया जाता है

- यह माला धारण करने पर वैष्णव परंपरा का पालन जरूर करना चाहिए

- तुलसी की माला पर कभी भी देवी और शिव जी के मन्त्रों का जप नहीं करना चाहिए

माला को कैसे सिद्ध किया जाए?

माला के प्रयोग की सावधानियां - मंत्र जप के समय माला किसी वस्त्र से ढंकी होनी होनी चाहिए या गोमुखी में होनी चाहिए. - प्रार्थना करें कि माला से किया गया मंत्र जाप सफल हो . - दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए. - जिस माला से मंत्र जाप करते हैं उसे धारण नहीं करना चाहिए.

रुद्राक्ष की माला को कैसे सिद्ध किया जाता है?

मेरू मणि पर स्पर्श करते हुए 'ऊं अघोरे भो त्र्यंबकम्' मंत्र का जाप करें। यदि एक ही रुद्राक्ष सिद्ध करना हो तो पहले उसे पंचगव्य से स्नान कराएं। इस के बाद गंगा स्नान कराएं। बाद में उसकी षोडशोपचार पूजा करें, फिर उसे चांदी के डिब्बे में रखें।

कौन सी माला से कौन सा जाप करना चाहिए?

बता दें कि हिंदू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं के लिए विभिन्न प्रकार के बीजों वाली माला का इस्तेमाल किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि देवी-देवताओं के मंत्र जाप के समय देवी-देवताओं से संबंधित जैसे मोती, मूंगा, शंख, हल्दी और वैजयंती, रुद्राक्ष आदि की माला से जाप करना चाहिए.

माला में 108 मनके ही क्यों होते हैं?

शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को हर सांस पर यानी पूजन के लिए निर्धारित समय 12 घंटे में 10800 बार ईश्वर का ध्यान करना चाहिए, लेकिन यह संभव नहीं हो पाता है। इसीलिए 10800 बार सांस लेने की संख्या से अंतिम दो शून्य हटाकर जप के लिए 108 संख्या निर्धारित की गई है। इसी संख्या के आधार पर जप की माला में 108 दाने होते हैं।