भारत में सरकारी उपक्रमों को सार्वजनिक क्षेत्रक उपक्रम (public sector undertaking (PSU) या public sector enterprise) कहते हैं। इन उपक्रमों का स्वामी भारत सरकार या कोई राज्य सरकार (जैसे उत्तर प्रदेश सरकार), या दोनों होते हैं। इसके लिये आवश्यक है कि आधे से अधिक अंश (शेयर) सरकार के पास हों, इसकी संसदीय समिति को कृष्ण मेनन समिति की सिफारिश पर 1963 में गठित किया गया| इसका अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष द्वारा लोकसभा सदस्यो में से नियुक्त किया जाता है| Show
वर्गीकरण[संपादित करें]
केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्रक उपक्रमों का प्रशासन भारत सरकार के भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय द्वारा किया जाता है। भारत सरकार ने सन् 1997 में नौ सार्वजनिक उद्यमों की पहचान की जो तुलनात्मक रूप से फायदे की स्थिति में थे और इनमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशाल उद्यमों के रूप में उभरने की क्षमता थी। उस समय बीएचईएल, बीपीसीएल, जीएआईएल, एचपीसीएल, आईओसी, एमटीएनएल, एनटीपीसी, ओएनजीसी और सेल को नवरत्न कहा गया था। किन्तु इस समय "नवरत्न" का दर्जा प्राप्त सार्वजनिक उपक्रमों की संख्या 14 हो गयी है। इन सार्वजनिक उद्यमों को पूंजीगत खर्चों, संयुक्त प्रौद्योगिकी उद्यम तथा सामरिक साझीदारी स्थापित करने, संगठनात्मक पुनर्गठन करने, बोर्ड स्तर से नीचे के पदों के सृजन तथा समापन, स्वदेशी तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजार से पूंजी उठाने, संयुक्त वित्तीय उद्यम तथा पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां आदि स्थापित करने के बारे में और ज्यादा स्वायतत्ता तथा अधिकार दिए गए थे। नवरत्न का दर्जा प्राप्त सार्वजनिक उद्यम[संपादित करें]
नवरत्नों के अधिकार[संपादित करें]इन सार्वजनिक उद्यमों को दिए गए अधिकार इस प्रकार हैं-
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
लोक उपक्रम समिति की स्थापना कब हुई थी?संसद की तीन प्रमुख समितियों में से लोक उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings) एक है। यह समिति 1 मई, 1964 को अस्तित्व में आई। इस समिति में 22 सदस्य होते हैं जिसमें से 15 लोकसभा से तथा 7 सदस्य राज्य सभा के होते हैं। इस समिति के अन्य सदस्यों का चयन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर किया जाता है।
लोक उपक्रम समिति के कितने सदस्य हैं?समितियों के अध्यक्ष. प्राक्कलन समिति का गठन कब किया गया?1950प्राक्कलन समिति / स्थापना की तारीख और जगहnull
लोक लेखा समिति का प्रथम अध्यक्ष कौन था?थंबीदुरई, श्री एम.
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वित्तीय समितियाँ. |