विषयसूची वाक्य में योग्यता से क्या आशय है?इसे सुनेंरोकेंयोग्यता वाक्य में सार्थक शब्दों के भाषानुकूल क्रमबद्ध होने के साथ-साथ उसमें योग्यता अनिवार्य तत्त्व है। वाक्य भाव की दृष्टि से इतना पूर्ण होना चाहिए कि भाव को समझने के लिए कुछ जानने की इच्छा या आवश्यकता न हो, दूसरे शब्दों में, किसी ऐसे शब्द या समूह की कमी न हो जिसके बिना अर्थ स्पष्ट न होता हो। वाक्य के मुख्य अवयव कितने हैं?इसे सुनेंरोकेंतो आप उसे बता सकते हैं कि शब्दों का एक समूह, जिसका को अर्थ निकलता हो उसको वाक्य कहा जाता है। वाक्य के दो अंग होते हैं, उद्देश्य और विधेय। अनुवाद एक शिल्प है यह किसका कथन है? इसे सुनेंरोकें’ न्यूमार्क : ‘अनुवाद एक शिल्प है, जिसमें एक भाषा में व्यक्त सन्देश के स्थान पर दूसरी भाषा के उसी सन्देश को प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है। ‘ देवेन्द्रनाथ शर्मा : ‘विचारों को एक भाषा से दूसरी भाषा में रूपान्तरित करना अनुवाद है। वाक्य के पदक्रम से क्या आशय है?इसे सुनेंरोकेंवाक्य में पदक्रम- ‘पद’ का आशय शब्द से है। वाक्य में सभी प्रयुक्त सभी पदों (शब्दों) का एक निश्चित क्रम होता है। यदि शब्दों को निश्चित क्रम में प्रयोग किया जाता है तो पाठक या श्रोता के द्वारा सार्थक अर्थ ग्रहण कर लिया जाता है। यदि पदों का क्रम बिगाड़ कर लिखा जाता है तो वाक्य का सार्थक अर्थ ग्रहण करना दूभर होता है। वाक्य में पद क्रम से क्या आशय है स्पष्ट कीजिए 200 शब्दों में?इसे सुनेंरोकेंपद क्रम-वाक्यों में प्रयुक्त पदों या शब्दों की विधिवत् स्थापना को क्रम या पद क्रम कहा जाता है, जैसे-‘पढ़ी पुस्तक मैंने यह वाक्य क्रम की दृष्टि से उचित नहीं है, होना यह चाहिए-‘मैंने पुस्तक पढ़ी। क्योंकि मैंने शब्द पुस्तक से पूर्व और पढ़ी शब्द पुस्तक के पश्चात् आना चाहिए। अनुवाद से आप क्या समझते हैं एक अच्छे अनुवाद की विशेषताएं लिखिए? इसे सुनेंरोकेंव्यक्ति को अनुवाद में आसान भाषा का उपयोग करना चाहिए। व्यक्ति को अनुवाद में विनम्र स्वर और स्वर का उपयोग करना चाहिए। व्यक्ति को अच्छे अनुवाद के लिए सही ठहराव और दाहिने हाथ के इशारों का उपयोग करना चाहिए। व्यक्ति को अनुवाद में सही और आकर्षक शब्दों का उपयोग करना चाहिए। क्या अनुवाद को हम मूल पाठ कर सकते हैं?इसे सुनेंरोकेंकिसी भाषा में अभिव्यक्त विचारों को दूसरी भाषा में यथावत् प्रस्तुत करना अनुवाद है। इस विशेष अर्थ में ही ‘अनुवाद’ शब्द का अभिप्राय सुनिश्चित है। जिस भाषा से अनुवाद किया जाता है, वह मूलभाषा या स्रोतभाषा है। वाक्य के कितने भेद होते हैं और कौन कौन?अर्थ के आधार पर वाक्य के कितने भेद होते हैं?
वाक्य के दो अंग क्या क्या है? शब्दों का व्यवस्थित रूप जिससे मनुष्य अपने विचारों का आदान प्रदान करता है उसे वाक्य कहते हैं एक सामान्य वाक्य में क्रमशः कर्ता, कर्म और क्रिया होते हैं। वाक्य के मुख्यतः दो अंग माने गये हैं।…
इसे सुनेंरोकेंयोग्यता वाक्य में सार्थक शब्दों के भाषानुकूल क्रमबद्ध होने के साथ-साथ उसमें योग्यता अनिवार्य तत्त्व है। प्रसंग के अनुकूल वाक्य में भावों का बोध कराने वाली योग्यता या क्षमता होनी चाहिए। इसके अभाव में वाक्य अशुद्ध हो जाता है; जैसे-हिरण उड़ता है। यहाँ पर हिरण और उड़ने की परस्पर योग्यता नहीं है, अत: यह वाक्य अशुद्ध है। वादियों का अर्थ क्या है?इसे सुनेंरोकेंजो किसी वाद से सम्बन्ध रखता हो या उसका अनुयायी हो। वह जो कोई ऐसा विषय उपस्थित करे जिस पर विचार होने को हो या दूसरों को जिसका खंडन अथवा विरोध करना पड़े। वाक्य में पद क्रम से क्या आशय स्पष्ट कीजिए?वाक्य की परिभाषा (Vakya Ki Paribhasha), Bhed, Udaharanभाषा हमारे भावों-विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। भाषा की रचना वर्णों, शब्दों और वाक्यों से होती है। दूसरे शब्दों में वर्णों से शब्द, शब्दों से वोक्य और वाक्यों से भाषा का निर्माण हुआ है। इस प्रकार वाक्य शब्दों के समूह का नाम है, लेकिन सभी प्रकार के शब्दों को एक स्थान पर रखकर वाक्य नहीं बना सकते हैं। Learn Hindi Grammar online with example, all the topic are described in easy way for education. वाक्य की परिभाषा शब्दों का वह व्यवस्थित रूप जिसमें एक पूर्ण अर्थ की प्रतीति होती है, वाक्य कहलाता है। आचार्य विश्वनाथ ने अपने ‘साहित्यदर्पण’ में लिखा है “वाक्यं स्यात् योग्यताकांक्षासक्तियुक्तः पदोच्चयः।” अर्थात् योग्यता, आकांक्षा, आसक्ति से युक्त पद समूह को वाक्य कहते हैं। वाक्य के तत्त्व 1. सार्थकता सार्थकता वाक्य का प्रमुख गुण है। इसके लिए आवश्यक है कि वाक्य में सार्थक शब्दों का ही प्रयोग हो, तभी वाक्य भावाभिव्यक्ति के लिए सक्षम होगा; जैसे-राम रोटी पीता है।। यहाँ ‘रोटी पीना’ सार्थकता का बोध नहीं कराता, क्योंकि रोटी खाई जाती है। सार्थकता की दृष्टि से यह वाक्य अशुद्ध माना जाएगा। सार्थकता की दृष्टि से सही वाक्य होगा-राम रोटी खाता है। इस वाक्य को पढ़ते ही पाठक के मस्तिष्क में वाक्य की सार्थकता उपलब्ध हो जाती है। कहने का आशय है कि वाक्य का यह तत्त्व वाक्य रचना की दृष्टि से अनिवार्य है। इसके अभाव में अर्थ का अनर्थ सम्भव है। 2. क्रम क्रम से तात्पर्य है-पदक्रम। सार्थक शब्दों को भाषा के नियमों के अनुरूप क्रम में रखना चाहिए। वाक्य में शब्दों के अनुकूल क्रम के अभाव में अर्थ का अनर्थ हो जाता है; जैसे-नाव में नदी है। इस वाक्य में सभी शब्द सार्थक हैं, फिर भी क्रम के अभाव में वाक्य गलत है। सही क्रम करने पर नदी में नाव है वाक्य बन जाता है, जो शुद्ध है। 3. योग्यता वाक्य में सार्थक शब्दों के भाषानुकूल क्रमबद्ध होने के साथ-साथ उसमें योग्यता अनिवार्य तत्त्व है। प्रसंग के अनुकूल वाक्य में भावों का बोध कराने वाली योग्यता या क्षमता होनी चाहिए। इसके अभाव में वाक्य अशुद्ध हो जाता है; जैसे-हिरण उड़ता है। यहाँ पर हिरण और उड़ने की परस्पर योग्यता नहीं है, अत: यह वाक्य अशुद्ध है। यहाँ पर उड़ता के स्थान पर चलता या दौड़ता लिखें तो वाक्य शुद्ध हो जाएगा। 4. आकांक्षा आकांक्षा का अर्थ है-श्रोता की जिज्ञासा। वाक्य भाव की दृष्टि से इतना पूर्ण होना चाहिए कि भाव को समझने के लिए कुछ जानने की इच्छा या आवश्यकता न हो, दूसरे शब्दों में, किसी ऐसे शब्द या समूह की कमी न हो जिसके बिना अर्थ स्पष्ट न होता हो। उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति हमारे सामने आए और हम केवल उससे ‘तुम’ कहें तो वह कुछ भी नहीं समझ पाएगा। यदि कहें कि अमुक कार्य करो तो वह पूरी बात समझ जाएगा। इस प्रकार वाक्य का आकांक्षा तत्त्व अनिवार्य है। 5. आसक्ति आसक्ति का अर्थ है-समीपता। एक पद सुनने के बाद उच्चारित अन्य पदों के सुनने के समय में सम्बन्ध, आसक्ति कहलाता है। यदि उपरोक्त सभी बातों की दृष्टि से वाक्य सही हो, लेकिन किसी वाक्य का एक शब्द आज, एक कल और एक परसों कहा जाए तो उसे वाक्य नहीं कहा जाएगा। अतएव वाक्य के शब्दों के उच्चारण में समीपता होनी चाहिए। दूसरे शब्दों में, पूरे वाक्य को एक साथ कहा जाना चाहिए। 6. अन्वय अन्वय का अर्थ है कि पदों में व्याकरण की दृष्टि से लिंग, पुरुष, वचन, कारक आदि का सामंजस्य होना चाहिए। अन्वय के अभाव में भी वाक्य अशुद्ध हो जाता है। अत: अन्वय भी वाक्य का महत्त्वपूर्ण तत्त्व है; जैसे-नेताजी का लड़का का हाथ में बन्दूक था। इस वाक्य में भाव तो स्पष्ट है लेकिन व्याकरणिक सामंजस्य नहीं है। अत: यह वाक्य अशुद्ध है।यदि इसे नेताजी के लड़के के हाथ में बन्दूक थी, कहें तो वाक्य व्याकरणिक दृष्टि से शुद्ध होगा। वाक्य के अंग वाक्य के अंग निम्न प्रकार हैं- जैसे-
उपरोक्त वाक्यों में राम और श्याम के विषय में बताया गया है। अत: राम और श्याम यहाँ उद्देश्य रूप में प्रयुक्त हुए हैं। 2. विधेय वाक्य में उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं; जैसे-
उपरोक्त वाक्यों में फल खाते हैं और क्रिकेट मैच देख रहा है वाक्यांश क्रमशः बच्चे तथा राहुल के बारे में कहे गए हैं। अतः स्थूलांकित वाक्यांश विधेय रूप में प्रयुक्त हुए हैं। वाक्यों का वर्गीकरण 1. रचना के आधार पर (ii) मिश्र वाक्य वे वाक्य, जिनमें एक साधारण वाक्य हो तथा उसके अधीन या आश्रित दूसरा उपवाक्य हो, मिश्र वाक्य कहलाते हैं। जैसे-श्याम ने लिखा है, कि वह कल आ रहा है। वाक्य में श्याम ने लिखा है-प्रधान उपवाक्य, वह कल आ रहा है आश्रित उपवाक्य है तथा दोनों समुच्चयबोधक अव्यय ‘कि’ से जुड़े हैं, अत: यह मिश्र वाक्य है। (iii) संयुक्त वाक्य वे वाक्य, जिनमें एक से अधिक प्रधान उपवाक्य हों (चाहे वह मिश्र वाक्य हों या साधारण वाक्य) और वे संयोजक अव्ययों द्वारा जुड़े हों, संयुक्त वाक्य कहलाते हैं। जैसे-वह लखनऊ गया और शाल ले आया। इस वाक्य में दोनों ही प्रधान उपवाक्य हैं तथा और संयोजक द्वारा जुड़े हैं। अत: यह संयुक्त वाक्य है। रचना के आधार पर वाक्य के भेद एवं उनकी पहचान नीचे दी गई तालिकानुसार समझी जा सकती है। 2. अर्थ के आधार पर अर्थ के आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होते हैं- जैसे-
(ii) निषेधवाचक वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी बात या कार्य के न होने अथवा इनकार किए जाने का बोध होता है, निषेधवाचक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-
(iii) आज्ञावाचक वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार की आज्ञा का बोध होता है, आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-
(iv) विस्मयवाचक वाक्य वे वाक्य जिनसे किसी प्रकार का विस्मय, हर्ष, दुःख, आश्चर्य आदि का बोध होता है, विस्मयवाचक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-
(v) सन्देहवाचक वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार के सन्देह या भ्रम का बोध होता है, सन्देहवाचक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-
(vi) इच्छावाचक वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार की इच्छा या कामना का बोध होता है, इच्छावाचक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-
(vii) संकेतवाचक वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार के संकेत या इशारे का बोध होता है, संकेतवाचक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-
(viii) प्रश्नवाचक वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी प्रश्न के पूछे जाने का बोध होता है, प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-
उपवाक्य जैसे-
उपवाक्य के भेद 1. प्रधान उपवाक्य 2. आश्रित उपवाक्य आश्रित उपवाक्यों को पहचानना अत्यन्त सरल है। जो उपवाक्य कि, जिससे कि, ताकि, ज्यों ही, जितना, ज्यों, क्योंकि, चूँकि, यद्यपि, यदि, जब तक, जब, जहाँ तक, जहाँ, जिधर, चाहे, मानो, कितना भी आदि शब्दों से आरम्भ होते हैं वे आश्रित उपवाक्य हैं। इसके विपरीत, जो उपवाक्य इन शब्दों से आरम्भ नहीं होते वे प्रधान उपवाक्य हैं। आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं। जिनकी पहचान निम्न प्रकार से की जा सकती है
वाक्यों का रूपान्तरण वाक्य परिवर्तन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें वाक्य परिवर्तन करते समय निम्नलिखित बातें ध्यान रखनी चाहिए
1. सरल वाक्य से मिश्र वाक्य में परिवर्तन
2. सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तन
3. संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तन
4. मिश्र वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तन
5. मिश्र वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तन
6. संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य में परिवर्तन
7. विधानवाचक वाक्य से निषेधवाचक वाक्य में परिवर्तन
8. निश्चयवाचक वाक्य से प्रश्नवाचक वाक्य में परिवर्तन
9. विस्मयादिबोधक वाक्य से विधानवाचक वाक्य में परिवर्तन
1. वाक्यों का वर्गीकरण कितने आधारों पर किया गया है? 2. जिन वाक्यों में एक उद्देश्य तथा एक ही विधेय होता है, उसे कहते हैं 3. मिश्र वाक्य कहते हैं 4. जिन वाक्यों में एक-से-अधिक प्रधान उपवाक्य हों और वे संयोजक अव्यय द्वारा जुड़े हों, उसे कहते हैं- 5. वाक्य के गुणों में सम्मिलित नहीं है 6. ‘नाव में नदी है’-इस वाक्य में किस वाक्य गुण का अभाव है? 7. वाक्य गुण ‘आकांक्षा’ का अर्थ है 8. वाक्य गुण ‘आसक्ति’ का अर्थ है 9. अर्थ के आधार पर वाक्य कितने प्रकार के होते हैं? 10. जिन वाक्यों से किसी कार्य या बात करने का बोध होता है, उन्हें कहते हैं वाक्य में योग्यता से क्या आशय?'योग्यता' का तात्पर्य यह है कि पदों के समूह से निकला हुआ अर्थ असंगत या असंभव न हो । जैसे, कोई कहे—'पानी में हाथ जल गया' तो यह वाक्य न होगा । 'आसक्ति' या 'सन्निधि' का मतलब है सामीप्य या निकटता ।
वाक्य के पद क्रम से क्या आशय है?पद क्रम-वाक्यों में प्रयुक्त पदों या शब्दों की विधिवत् स्थापना को क्रम या पद क्रम कहा जाता है, जैसे-'पढ़ी पुस्तक मैंने यह वाक्य क्रम की दृष्टि से उचित नहीं है, होना यह चाहिए-'मैंने पुस्तक पढ़ी। क्योंकि मैंने शब्द पुस्तक से पूर्व और पढ़ी शब्द पुस्तक के पश्चात् आना चाहिए।
वाक्य से आप क्या समझते हैं?शब्दों का व्यवस्थित रूप जिससे मनुष्य अपने विचारों का आदान प्रदान करता है उसे वाक्य कहते हैं एक सामान्य वाक्य में क्रमशः कर्ता, कर्म और क्रिया होते हैं। वाक्य के मुख्यतः दो अंग माने गये हैं, उद्देश्य और विधेय। दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है, वाक्य कहते हैं।
वाक्य में कितने गुण होते हैं?सार्थक शब्दों का ऐसा समूह जिसमें योग्यता , क्रमबद्धता एवं आकांक्षा (जिज्ञासा) हो उसे वाक्य कहते है। इसे दूसरे शब्दों में बोले तो एक पूर्ण विचार व्यक्त करने वाला शब्दसमूह वाक्य कहलाता है। गाय का दूध मीठा होता है। राम किताब पढ़ता है।
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