संयुक्त परिवार इस विषय पर 30 से 40 शब्दों में अपने विचार लिखिए। - sanyukt parivaar is vishay par 30 se 40 shabdon mein apane vichaar likhie.

‘संयुक्त परिवार’ संबंधी अपने विचार लगभग छह से आठ पंक्तियों में लिखिए।

संयुक्त परिवार यह भारतीय परिवार की विशेषता है। विशेषकर गाँवों में आज भी संयुक्त परिवार देखने को मिलते हैं। संयुक्त परिवार जहाँ एक ओर सफलता व समृद्धि के द्वार खोलते हैं, तो वहीं दूसरी ओर एकता व सुरक्षा के ढाल बनकर विकट परिस्थितियों में एक-दूसरे का सहारा बनते हैं। दुर्भाग्य यह है कि आज मनुष्य अपनी अनंत भौतिक सुख-सुविधाओं की इच्छा व महँगाई जैसी समस्या के कारण संयुक्त परिवार की संकल्पना से पिछड़ता जा रहा है। संयुक्त परिवार तो केवल गाँव की शान ही बनकर रह गए हैं। बड़े परिवार टूटकर बिखर रहे हैं। संयुक्त परिवार से अलग होकर बनने वाले छोटे-छोटे परिवारों में पारस्परिक प्रेम कम होता जा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि जब देश में शिक्षित लोग कम थे, तब संयुक्त परिवारों की संख्या ज्यादा थी और आज जब शिक्षा प्रसार बढ़ रहा है; लोग शिक्षित हो रहे हैं तब संयुक्त परिवार खत्म से हो गए हैं। टूटने की यह प्रक्रिया ऐसे ही चलती रही तो वह दिन भी दूर नहीं जब प्रत्येक मनुष्य अकेला हो जाएगा। भविष्य में आने वाले संकट को वर्तमान में ही नष्ट करने की शुरुआत आज के शिक्षित समुदाय को ही करनी होगी।

संयुक्त परिवार प्राचीन भारतीय संस्कृति की तमाम पहचानों में एक मुख्य पहचान रखता है। इस प्रकार के परिवार में कम से कम तीन पीढ़ी के लोग साथ-साथ रहते हैं और आनंदपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करते हैं। किसी भी बालक के सम्पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए यह उत्तम दशाएं प्रदान करता है, संयुक्त परिवार में पलने वाले बच्चे अनुशासित जीवन जीते हैं औऱ हमेशा किसी न किसी बड़े की निगरानी में रहते हैं।

संयुक्त परिवार पर भाषण

आइये संयुक्त परिवार से संबंधित कुछ बिंदुओ का अवलोकन करते हैं-

Sanyukt Parivar par 10 Vakya - Set-1

1) संयुक्त परिवार एक पितृसत्तात्मक परिवार होता है।

2) परिवार का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति (पुरूष) परिवार का मुखिया होता है।

3) परिवार के सभी सदस्यों पर मुखिया का नियंत्रण होता है।

4) संयुक्त परिवार के सभी सदस्य भावनात्मक रूप से एक दुसरे से जुड़े रहते हैं।

5) परिवार के सभी सदस्य समस्याओं का मिलकर सामना करते हैं।

6) सामाजिक स्तर पर संयुक्त परिवार की महत्ता उच्चतम होती है।

7) परिवार के सभी सदस्यो का एक दूसरे के प्रति रक्षात्मक रवैया होता है।

8) त्योहारों में सब मिल-जुल कर खुशियां मनाते हैं।

9) संयुक्त परिवार की रसोंई साझा तथा संपत्ति सामूहिक होती है।

10) संयुक्त परिवार का खर्च तुलनात्मक रूप से कम होता है।

Sanyukt Parivar par 10 Vakya - Set-2

1) संयुक्त परिवार के सदस्य अनुशासनशील एवं चरित्रवान होते हैं।

2) संयुक्त परिवार का आकार बड़ा होता है, कभी-कभी तो इसमें 50 से ज्यादा सदस्य होते हैं।

3) श्रम विभाजन इस परिवार की मुख्य विशेषता होती है।

4) ऐसे परिवार मे धार्मिक कार्यो को अधिक महत्व दिया जाता है।

5) ये परिवार सामाजिक रूढ़ियों का कठोरता से पालन करते हैं।

6) कर्मकाण्डों में इनकी अत्यधिक रूचि होती है।

7) बुजुर्गों, बच्चों तथा विधवा महिलाओं के लिए ऐसा परिवार बहुत उपयोगी होता है।

8) परिवार के सदस्यों को अकेलेपन का सामना नहीं करना पड़ता है।

9) परिवार के सदस्य, अपने से बड़ों के अनुभवों से लाभान्वित होते रहते हैं।

10) इसके सदस्य मिलकर कठिन से कठिन समस्या को हल करनें कि कोशिश करते रहते हैं।


पिछले कुछ दशकों से भारतीय परम्पराओ एवं संस्कृति में हो रहे पश्चिमी समावेशों ने संयुक्त परिवारों का खण्डन शुरू कर दिया एवं एकल परिवारों का प्रचलन शुरू किया इसके फलस्वरूप आज संयुक्त परिवार सिर्फ गाँवों तक ही सीमित रह गया है, शहरों में यह विलुप्तप्राय है।

संयुक्त परिवार इस विषय पर 30 से 40 शब्दों में अपने विचार लिखिए। - sanyukt parivaar is vishay par 30 se 40 shabdon mein apane vichaar likhie.

jara sochiye

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मनुष्य को अपने विकास के लिए समाज की आवश्यकता हुयी , इसी आवश्यकता की पूर्ती के लिए समाज की प्रथम इकाई के रूप में परिवार का उदय हुआ .क्योंकि बिना परिवार के समाज की रचना के बारे में सोच पाना असंभव था .समुचित विकास के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आर्थिक ,शारीरिक ,मानसिक सुरक्षा का वातावरण का होना नितांत आवश्यक है .परिवार में रहते हुए परिजनों के कार्यों का वितरण आसान हो जाता है .साथ ही भावी पीढ़ी को सुरक्षित वातावरण एवं स्वास्थ्य पालन पोषण द्वारा मानव का भविष्य भी सुरक्षित होता है उसके विकास का मार्ग प्रशस्त होता है .परिवार में रहते हुए ही भावी पीढ़ी को उचित मार्ग निर्देशन देकर जीवन स्नाग्राम के लिए तैयार किया जा सकता है .
आज भी संयुक्त परिवार को ही सम्पूर्ण परिवार माना जाता है .वर्तमान समय में भी एकल परिवार को एक मजबूरी के रूप में ही देखा जाता है .हमारे देश में आज भी एकल परिवार को मान्यता प्राप्त नहीं है औद्योगिक विकास के चलते संयुक्त परिवारों का बिखरना जारी है . परन्तु आज भी संयुक्त परवर का महत्त्व कम नहीं हुआ है .संयुक्त परिवार के महत्त्व पर चर्चा करने से पूर्व एक नजर संयुक्त परिवार के बिखरने के कारणों ,एवं उसके अस्तित्व पर मंडराते खतरे पर प्रकाश डालने का प्रयास करते हैं .संयुक्त परिवारों के बिखरने का मुख्य कारण है रोजगार पाने की आकांक्षा .बढती जनसँख्या तथा घटते रोजगार के कारण परिवार के सदस्यों को अपनी जीविका चलाने के लिए गाँव से शहर की ओर या छोटे शहर से बड़े शहरों को जाना पड़ता है और इसी कड़ी में विदेश जाने की आवश्यकता पड़ती है .परंपरागत कारोबार या खेती बाड़ी की अपनी सीमायें होती हैं जो परिवार के बढ़ते सदस्यों के लिए सभी आवश्यकतायें जुटा पाने में समर्थ नहीं होता .अतः परिवार को नए आर्थिक स्रोतों की तलाश करनी पड़ती है .जब अपने गाँव या शहर में नयी सम्भावनाये कम होने लगती हैं तो परिवार की नयी पीढ़ी को राजगार की तलाश में अन्यत्र जाना पड़ता है .अब उन्हें जहाँ रोजगार उपलब्ध होता है वहीँ अपना परिवार बसाना होता है .क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं होता की वह नित्य रूप से अपने परिवार के मूल स्थान पर जा पाए .कभी कभी तो सैंकड़ो किलोमीटर दूर जाकर रोजगार करना पड़ता है .संयुक्त परिवार के टूटने का दूसरा महत्वपूर्ण कारण नित्य बढ़ता उपभोक्तावाद है .जिसने व्यक्ति को अधिक महत्वकांक्षी बना दिया है .अधिक सुविधाएँ पाने की लालसा के कारण पारिवारिक सहनशक्ति समाप्त होती जा रही है ,और स्वार्थ परता बढती जा रही है .अब वह अपनी खुशिया परिवार या परिजनों में नहीं बल्कि अधिक सुख साधन जुटा कर अपनी खुशिया ढूंढता है ,और संयुक्त परिवार के बिखरने का कारण बन रहा है . एकल परिवार में रहते हुए मानव भावनात्मक रूप से विकलांग होता जा रहा है .जिम्मेदारियों का बोझ ,और बेपनाह तनाव सहन करना पड़ता है .परन्तु दूसरी तरफ उसके सुविधा संपन्न और आत्म विश्वास बढ़ जाने के कारण उसके भावी विकास का रास्ता खुलता है .
अनेक मजबूरियों के चलते हो रहे संयुक्त परिवारों के बिखराव के वर्तमान दौर में भी संयुक्त परिवारों का महत्त्व कम नहीं हुआ है .बल्कि उसका महत्व आज भी बना हुआ है .उसके महत्त्व को एकल परिवार में रह रहे लोग अधिक अच्छे से समझ पाते हैं .उन्हें संयुक्त परिवार के फायेदे नजर आते हैं .क्योंकि किसी भी वस्तु का महत्त्व उसके अभाव को झेलने वाले अधिक समझ सकते हैं .अब संयुक्त परिवारों के लाभ पर सिलसिले बार चर्चा करते हैं .

सुरक्षा और स्वास्थ्य ; परिवार के प्रत्येक सदस्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी सभी परिजन मिलजुल कर निभते हैं .अतः किसी भी सदस्य की स्वास्थ्य समस्या ,सुरक्षा अमास्या ,आर्थिक समस्या पूरे परिवार की होती है .कोई भी अनापेक्षित रूप से आयी परेशानी सहजता से सुलझा ली जाती है .जैसे यदि कोई गंभीर बीमारी से जूझता है तो भी परिवार के सब सदस्य अपने सहयोग से उसको बीमारी से निजात दिलाने में मदद करते है उसे कोई आर्थिक समस्य या रोजगार की संसय अड़े नहीं आती .ऐसे ही गाँव में या मोहल्ले में किसी को उनसे पंगा लेने की हिम्मत नहीं होती संगठित होने के कारण पूर्ताया सुरक्षा मिलती है .व्यक्ति हर प्रकार के तनाव से मुक्त रहता है .

विभिन्न कार्यों का विभाजन;-परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण कार्यों का विभाजन आसान हो जाता है .प्रत्येक सदस्य के हिस्से में आने वाले कार्य को वह अधिक क्षमता से कर पता है .और विभिन्न अन्य जिम्मेदारियों से भी मुक्त रहता है .अतः तनाव मुक्त हो कर कार्य करने में अधिक ख़ुशी मिलती है .उसकी कार्य क्षमता अधिक होने से कारोबार अधिक उन्नत होता है .परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ती अपेक्षाकृत अधिक हो सकती है और जीवन उल्लास पूर्ण व्यतीत होता है .

भावी पीढ़ी का समुचित विकास ;संयुक्त परिवार में बच्चों के लिए सर्वाधिक सुरक्षित और उचित शारीरिक एवं चारित्रिक विकास का अवसर प्राप्त होता है .बच्चे की इच्छाओं और आवश्यकताओं का अधिक ध्यान रखा जा सकता है .उसे अन्य बच्चों के साथ खेलने का मौका मिलता है .माता पिता के साथ साथ अन्य परिजनों विशेष तौर पर दादा ,दादी का प्यार भी मिलता है .जबकि एकाकी परिवार में कभी कभी तो माता पिता का प्यार भी कम ही मिल पता है यदि दोनों ही कामकाजी हैं .दादा ,दादी से प्यार के साथ ज्ञान ,अनुभव बहर्पूर मिलता है .उनके साथ खेलने , समय बिताने से मनोरंजन भी होता है उन्हें संस्कारवान बनाना ,चरित्रवान बनाना ,एवं हिर्ष्ट पुष्ट बनाने में अनेक परिजनों का सहयोग प्राप्त होता है .एकाकी परिवार में संभव नहीं हो पता .

संयुक्त परिवार में रहकर कुल व्यय कम ;-बाजार का नियम है की यदि कोई वस्तु अधिक परिमाण में खरीदी जाती है तो उसके लिए कम कीमत चुकानी पड़ती है .अर्थात संयुक्त रहने के कारण कोई भी वस्तु अपेक्षाकृत अधिक मात्र में खरीदनी होती है अतः बड़ी मात्र में वस्तुओं को खरीदना सस्ता पड़ता है .दूसरी बात अलग अलग रहने से अनेक वस्तुएं अलग अलग खरीदनी पड़ती है जबकि संयुक्त रहने पर कम वस्तु लेकर कम चल जाता है .उदाहरण के तौर पर एक परिवार तीन एकल परिवारों के रूप में रहता है उन्हें तीन मकान ,तीन कार या तीन स्कूटर ,तीन टेलीविजन ,और तीन फ्रिज ,इत्यादि प्रत्येक वस्तु अलग अलग खरीदनी होगी .परन्तु वे यदि एक साथ रहते हैं उन्हें कम मात्र में वस्तुएं खरीद कार धन की बचत की जा सकती है .जैसे तीन स्कूटर के स्थान पर एक कार ,एक स्कूटर से कम चल सकता है ,तीन फ्रिज के स्थान पर एक बड़ा फ्रिज और एक A .C लिया जा सकता है इसी प्रकार तीन मकानों के साथ पर एक पूर्णतया सुसज्जित बड़ा सा बंगला लिया जा सकता है .तेलेफोने ,बिजली ,काबले के अलग अलग खर्च के स्थान पर बचे धन से कार व् A.C. मेंटेनेंस का खर्च निकाल सकता है .इस प्रकार से उतने ही बजट में अधिक उच्च जीवन शैली के साथ जीवन यापन किया जा सकता है .

भावनात्मक सहयोग ;- किसी विपत्ति के समय ,परिवार के किसी सदस्य के गंभीर रूप से बीमार होने पर ,पूरे परिवार के सहयोग से आसानी से पार पाया जा सकता है .जीवन के सभी कष्ट सब के सहयोग से बिना किसी को विचलित किये दूर हो जाते हैं .कभी भी आर्थिक समस्या या रोजगार चले जाने की समस्या उत्पन्न नहीं होती क्योंकि एक सदस्य की अनुपस्थिति में अन्य परिजन कारोबार को देख लेते हैं .

चरित्र निर्माण में सहयोग ;-संयुक्त परिवार में सभी सदस्य एक दूसरे के आचार व्यव्हार पर निरंतर निगरानी बनाय रखते हैं ,किसी की अवांछनीय गतिविधि पर अंकुश लगा रहता है .अर्थात प्रत्येक सदस्य चरित्रवान बना रहता है .किसी समस्या के समय सभी परिजन उसका साथ देते हैं और सामूहिक दबाव भी पड़ता है कोई भी सदस्य असामाजिक कार्य नहीं कार पता ,बुजुर्गों के भय के कारण शराब जुआ या अन्य कोई नशा जैसी बुराइयों से बचा रहता है
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है की संयुक्त परिवार की अपनी गरिमा होती अपना ही महत्त्व होता है.

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संयुक्त परिवार का हमारे जीवन में क्या महत्व है अपने विचार लिखिए?

संयुक्त परिवार में वृद्धों को संबल प्रदान होता रहा है और उनके अनुभव व ज्ञान से युवा व बाल पीढ़ी लाभान्वित होती रही है। परिवार एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो आपसी सहयोग व समन्वय से क्रियान्वित होती है और जिसके समस्त सदस्य आपस में मिलकर अपना जीवन प्रेम, स्नेह एवं भाईचारा पूर्वक निर्वाह करते हैं।

संयुक्त परिवार पर निबंध कैसे लिखें?

संयुक्त परिवार के कई सारे लाभ है जिनमें परिवार के सभी सदस्यों की वित्तीय भागीदारी होती हैं तथा जिसका मुखिया परिवार के सबसे बड़े व्यक्ति को माना जाता हैं. घरेलू सम्पति पर सभी सदस्यों का समान अधिकार होता हैं. एक ही रसोईघर में सभी का खाना पकता है तथा परिवार का मुखिया ही सभी की जरूरतों को पूरा करता हैं.

संयुक्त परिवार क्या है संयुक्त परिवार के महत्व?

संयुक्त परिवार में दाम्पत्य जीवन मे भी प्यार बढ़ता है। पति पत्नी एक-दूसरे से बात करने के लिए वक्त निकाल पाते हैं। और मनमुटाव होने पर घर के बड़े-बुजुर्ग समझाने के लिए भी होते हैं। नौकरों के भरोसे पलने वाले एकल परिवार के बच्चों के मुकाबले संयुक्त परिवार के बच्चों की परवरिश अच्छी होती है।

संयुक्त परिवार से आप क्या समझते हैं?

हिन्दू संयुक्त परिवार जिसमें एक साथ एक ही घर में कई पीढ़ियों के लोग रहते हैं जिस परिवार मे तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य साथ साथ निवास करते है जिनकी रसोई,पूजा पाठ एवं संपत्ति सामूहिक होती है उसे ही सयुंक्त परिवार कहते है।