नई दिल्ली. पिछले कुछ दिनों से 2000 रुपये के नोट को लेकर काफी चर्चा हो रही है. एक ओर तो कहा जा रहा है कि सरकार (Modi Government) इस नोट को बंद करने की तैयारी में है. वहीं, दूसरी ओर ये भी सुनने में आ रहा है कि दो हजार रुपये के नोटों की छपाई आरबीआई (RBI) ने कम कर दी है. हालांकि, अभी तक सरकार की ओर से इस पर कोई बयान नहीं आया है. लेकिन इन चर्चाओं से दूर अगर नोटों की छपाई को लेकर बात करें तो अक्सर लोग पूछते हैं कि क्यों सरकार अपनी मन मर्जी के मुताबिक नोट छाप सकती है. यहीं सवाल गूगल पर भी काफी ढूढ़ा जाता है. इसी सवाल का जवाब आज हम डिजिटल प्राइम टाइम में देंगे. Show अगर आपके मन में भी ये सवाल आता है कि जब सरकार को ही नोट प्रिंट करने हैं तो सरकार ढेर सारे नोट छापकर देशवासियों को करोड़पति क्यों नहीं बना देती? जब सभी करोड़पति हो जाएंगे तो देश से गरीबी अपने आप दूर हो जाएगी. शायद आप ऐसा जरूर सोचते होंगे, लेकिन जब सरकार ढेर सारे नोट छापने लगेगी तो अमीर भी गरीब हो जाएंगे. अर्थशास्त्री बताते हैं कि कोई भी देश अपनी मर्जी से नोट नहीं छाप सकता है. नोट छापने के लिए नियम कायदे बने हैं. अगर देश में ढेर सारे नोट छपने लगें तो अचानक सभी लोगों के पास काफी ज्यादा पैसा आ जाएगा और उनकी आवश्यकताएं भी बढ़ जाएंगी. इससे महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच जाएगी. अगर अपनी मर्जी से नोट छापे तो क्या होगा... इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने नियम से ज्यादा नोट छापने की गलती की जिसकी सजा वो आज तक भुगत रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका में स्थित जिम्बाब्वे ने भी एक समय बहुत सारे नोट छापकर ऐसी गलती की थी. इससे वहां की करेंसी की वैल्यू इतनी गिर गई कि लोगों को ब्रेड और अंडे जैसी बुनियादी चीजें खरीदने के लिए भी थैले भर-भरकर नोट दुकान पर ले जाने पड़ते थे. नोट ज्यादा छापने की वजह से वहां एक अमेरिकी डॉलर की वैल्यू 25 मिलियन जिम्बाब्वे डॉलर के बराबर हो गई थी.
इसी तरह का हाल दक्षिणी अमेरिकी देश वेनेजुएला का भी हुआ. वेनेजुएला के केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए ढेर सारे नोट छाप डाले. इससे वहां, महंगाई हर 24 घंटे में बढ़ने लगी यानी खाने-पीने की चीजों के दाम रोजाना डबल हो जाते थे. बाजार में रोजमर्रा के सामान मिलना बंद हो गया. यहां एक लीटर दूध और अंडे खरीदने की खातिर लोगों को लाखों नोट खर्च करने पड़ रहे हैं. पिछले साल यहां महंगाई बढ़कर 1 करोड़ फीसदी हो चुकी है. तो अब आप समझ ही गए होंगे कि आरबीआई ढेर सारे नोट क्यों नहीं छापती, क्योंकि अगर उसने ऐसा किया तो भारत का हाल भी इन्हीं देशों की तरह हो जाएगा. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकार नहीं चाहेगी कि भारत में ऐसे हालात पैदा हों. यही वजह है कि नोटों की छपाई हर चीज को ध्यान में रखकर की जाती है. आइए आपको बताते नोटों को छापने के नियम क्या हैं... ऐसे तय होती है नोटों की छपाई देश में नहीं छपेंगे ज्यादा नोट
एक बार में कितने नोट छाप सकता है RBI? भारत में कहां छपते हैं नोट? कहां से आते हैं नोट छपाई के पेपर और स्याही?
200, 500 और 2000 रुपये छापने पर कितना आता है खर्च? देश में कितने नोट अभी चलन में हैं ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| FIRST PUBLISHED : February 15, 2020, 15:30 IST अधिक नोट छापने से क्या होगा?अगर जरूरत से ज्यादा नोट छाप दिए तो देश में महंगाई बढ़ सकती है। ज्यादा नोट से महंगाई क्यों? इसे समझने के लिए हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि कैसे किसी प्रॉडक्ट की मांग उसकी कीमत से जुड़ी है। इसे एक उदारहण के जरिए समझते हैं।
गरीबी दूर करने के लिए देश सिर्फ पैसे क्यों नहीं छाप सकता?क्योंकि करेंसी ज्यादा छापने से वहां की करेंसी का अवमूल्यन इतना हो गया की एक यूएस डॉलर की कीमत 25 मिलियन जिंबाब्वे डॉलर के बराबर हो गई।
पैसा छापने का ऑर्डर कौन देता है?भारतीय मुद्रा के नोट छापने का अधिकार भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास होता है. एक रुपये का नोट छोड़कर बाकी सारे नोट रिजर्व बैंक ही छापता है. एक रुपये का नोट वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है. इसके अलावा किसी भी तरह के नोट छापने का अधिकार RBI के पास होता है.
कोई भी देश कितना पैसा छाप सकता है?- अभी देश में 10, 20, 50, 100, 200, 500 और 2000 रुपये के नोट छापे जाते हैं. BRBNMPL की तुलना में SPMCIL को एक नोट छापने में ज्यादा खर्च आता है.
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