कछुए को भगवान विष्णु के कच्छप अवतार का स्वरूप माना जाता है जिनके सहयोग से सागर मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। वास्तुशास्त्र में भी इसका बहुत महत्व है। मान्यताओं के अनुसार इस अंगूठी के प्रभाव से पहनने वाले व्यक्ति के जीवन में सुखद बदलाव आते हैं। जीवन में शीतलता और सौम्यताजिन लोगों का व्यवहार बहुत उग्र होता है, कछुएवाली अंगूठी उनके व्यवहार को संतुलित कर शांत और सौम्य बनाने में मददगार हो सकती है। ज्योतिष के अनुसार कछुआ पानी में रहनेवाला जीव है, इसी कारण इसका संबंध माता लक्ष्मी से भी है क्योंकि दोनों की ही उत्पत्ति जल से हुई है। साथ ही जल का गुण शीतलता है इसलिए यह व्यक्ति की उग्रता कम करने का कार्य करता है। कछुआ गंभीर और अन्तर्मुखी जीव है, इसका प्रभाव भी व्यक्तित्व पर होता है। पहनते वक्त क्या ध्यान रखें?कछुए के आकारवाली अंगूठी सदैव चांदी में पहननी चाहिए। अगर किसी अन्य धातु में पहनें तो अपनी राशि का रत्न जड़वाकर पहननी चाहिए। इस तरफ हो मुखअंगूठी इस तरह पहनें की कछुए का मुख आपकी तरफ होना चाहिए। इसस धन आपकी तरफ आकर्षित होगा। अगर आप इसे इस तरह पहनेंगे की कछुए का मुख बाहर की तरफ हो तो धन एकत्र करने और धनवृद्धि में बाधा आ सकती है। ध्यान रखें यह जरूरी बातइस अंगूठी को पहनने से पहले इसका पूजन जरूरी है। इसके लिए यह अंगूठी चांदी में बनवाएं और कछुए की पीठ पर ‘श्रीं’ गुदवाएं। श्रीं इस तरह गुदा हुआ होना चाहिए कि इसकी ईं मात्रा बाहर यानी आपकी अंगुली की तरफ रहनी चाहिए और श्र आपकी तरफ। यह है पहनने की विधिकिसी भी पूर्णिमा के दिन यह अंगूठी घर लाएं और गाय का दूध, दही, गंगाजल, शहद और तुलसी पत्र को मिलाकर पंचामृत बना लें। अब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने गाय के घी का दीया जलाकर ‘ओम भगवते कुर्मायै ह्रीं नमः’ मंत्र का एक माला जप करें। फिर करें लक्ष्मी पूजामाला जप के बाद ‘ ओम श्रीं श्रीं कमले कमलायै प्रसीद प्रसीद श्रीं महालक्ष्मी नमो नमः’ मंत्र का जप करते हुए एक प्लेट में अंगूठी रखकर इस पर पंचामृत डालें या फिर आप चाहें तो केवल ‘श्रीं’ मंत्र का 108 बार (एक माला) जप करते हुए यह कार्य करें। इसके बाद गंगाजल से धोकर यह अंगूठी धारण खरें और अपने ईष्टदेव का ध्यान करें। बाद में ध्यान रखनेवाली बातघर के काम करते हुए, आटा गूंथते हुए या नहाते समय अगर यह अंगूठी उतारनी पड़े तो उतारकर पूजा घर में रखें और स्नान के बाद माता लक्ष्मी के चरणों में छुआकर इस अंगूठी को धारण कर लें। इस राशि के लोग न पहनेंज्योतिष के अनुसार कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के लोगों को कछुए के आकार की अंगूठी नहीं पहननी चाहिए। ऐसा करना इन राशि के लोगों के लिए शुभ फलदायी नहीं होता है। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इन्हें माता लक्ष्मी की श्रीहरि के साथ नियमित पूजा करनी चाहिए। इसकी वजह यह है कि ये तीनों जल तत्व की राशि हैं। इसे धारण करने से इनमें शीत प्रकृति बढ सकती है। स्वस्थ्य और मन पर विपरीत प्रभाव हो सकता है। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें मेष राशि वाले कछुए की अंगूठी पहन सकते हैं क्या?मेष ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मेष राशि के जातकों को भूलकर भी कछुए की अंगूठी नहीं पहननी चाहिए। इसका कारण यह है कि मेष राशि के जातकों का स्वामी मंगल ग्रह होता है। ऐसे में इन राशि के जातकों को कछुए की अंगूठी धारण करने से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
कौन सी राशि को कछुए की अंगूठी नहीं पहननी चाहिए?ज्योतिष के अनुसार कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के लोगों को कछुए के आकार की अंगूठी नहीं पहननी चाहिए। ऐसा करना इन राशि के लोगों के लिए शुभ फलदायी नहीं होता है।
कौन कौन राशि वाले कछुए की अंगूठी पहन सकते हैं?एक वाक्य मे आपके सवाल का जवाब ये है की वृष,मिथुन,कन्या,तुला,मकर और कुम्भ राशि वाले पन्ना पहन सकते हैं। लेकिन इस तरीके से रिंग पहनने का दुष्परिणाम भी भुगतना पद सकता है।
Kachhua रिंग कौन सी उंगली में पहने?कछुआ रिंग पहनने का सही तरीका और दिन
कछुए का मुख बाहर की तरफ होने पर धन के व्यय होने की संभावना होती है. इस अंगूठी को हमेशा सीधे हाथ की बीच वाली उंगली या फिर तर्जनी उंगली में पहनना चाहिए.
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