हैप्पी दिवाली क्यों मनाया जाता है? - haippee divaalee kyon manaaya jaata hai?

दिवाली के त्योहार को दीप पर्व अर्थात दीपों का त्योहार कहा जाता है। दिवाली के दीप जले तो समझो बच्चों के दिलों में फूल खिले, फुलझड़ियां छूटी और पटाखे उड़े... क्यों न हो ऐसा? ये सब त्योहार का हिस्सा हैं, आनंद का स्रोत हैं।

दीप पर्व अथवा दिवाली क्यों मनाई जाती है? इसके पीछे अलग-अलग कहानियां हैं, अलग-अलग परंपराएं हैं। कहते हैं कि जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या नगरी लौटे थे, तब उनकी प्रजा ने मकानों की सफाई की और दीप जलाकर उनका स्वागत किया। 

दूसरी कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके प्रजा को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई तो द्वारका की प्रजा ने दीपक जलाकर उनको धन्यवाद दिया। 

एक और परंपरा के अनुसार सतयुग में जब समुद्र मंथन हुआ तो धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी के प्रकट होने पर दीप जलाकर आनंद व्यक्त किया गया। 

जो भी कथा हो, ये बात निश्चित है कि दीपक आनंद प्रकट करने के लिए जलाए जाते हैं... खुशियां बांटने का काम करते हैं।

भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य और ज्ञान का द्योतक माना जाता है, क्योंकि वो स्वयं जलता है, पर दूसरों को प्रकाश देता है। दीपक की इसी विशेषता के कारण धार्मिक पुस्तकों में उसे ब्रह्मा स्वरूप माना जाता है।

ये भी कहा जाता है कि 'दीपदान' से शारीरिक एवं आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच सकता है, वहां दीपक का प्रकाश पहुंच जाता है। दीपक को सूर्य का भाग 'सूर्यांश संभवो दीप:' कहा जाता है।

धार्मिक पुस्तक 'स्कंद पुराण' के अनुसार दीपक का जन्म यज्ञ से हुआ है। यज्ञ देवताओं और मनुष्य के मध्य संवाद साधने का माध्यम है। यज्ञ की अग्नि से जन्मे दीपक पूजा का महत्वपूर्ण भाग है। 

Diwali 2021: जानिए आखिर क्यों मनाई जाती है दीपावली? क्या है इसका कारण | Why Dewali is celebrated in Hindi?

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है. भारत में कई प्रकार के त्योहार के त्यौहार मनाये जाते है. यहाँ सभी धर्मो के त्यौहार बड़े ही धूम धाम से मनाये जाते है. भारत में कई परमपराओं के लोग निवास करते है. पररम्परिक तथा धार्मिक त्योहारों के आलावा यहाँ कई प्रकार के ऐतिहासिक, राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय त्यौहार मनाये जाते है, और इसी कारण वर्ष भर कही न कही, कोई न कोई त्यौहार आते रहते हैं. 


दिवाली भारत के बड़े त्योहारों में से एक है. दिवाली का त्यौहार ना ही भारत में बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. दिवाली को रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता है. दिवाली के दिन ही लक्ष्मी पूजन किया जाता है. दिवाली त्यौहार का कई प्रकार से महत्वपूर्ण है. लोगो को खासकर बच्चो को दिवाली का बेसब्री से इंतज़ार रहता है. इस त्यौहार की तयारी कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है.

 

हम दिवाली को इतने उल्लास और उत्सुकतापूर्वक मनाते है.

लेकिन अभी भी कई लोगो को दिवाली मनाने के पीछे के कारण को नहीं पता. इस लेख में अभी दिवाली और इसके इतिहास के बारे में जानेंगे और देखेंगे की आखिर दिवाली मनाया क्यों जाता है. दिवाली के इतिहास तथा परमपराओं के बारे में भी जानेंगे. 

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Know why Diwali is celebrated in Hindi?


दिवाली ( दीपावली ) की हार्दिक शुभकामनाये | Happy Diwali 

भारत में अनेक त्यौहार मनाये जाते है, जिसमे दिवाली एक महत्वपूर्ण पर्व है. दिवाली भारत के बड़े त्योहारों में से एक है. दिवाली न सिर्फ भारत में अपितु विश्व के दूसरे देशों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. दिवाली को रोशनी का त्यौहार, दीप पर्व अर्थात दीपों का त्योहार, खुशियों का त्यौहार कहा जाता है. दिवाली के दिन ही धन कि देवी माता लक्ष्मी और गौरी पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती हैं. 


दिवाली या दीपावली दोनों एक ही पर्व के दो नाम है. देश के कुछ जगह इसे दिवाली तो कही दीपावली कहा जाता है. दिवाली का त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर का महीना. दिवाली का सबको बेसब्री से इंतजार रहता है, खासकर बच्चो और विद्यार्थीओ को. दिवाली का त्यौहार भारतवर्ष के लगभग सभी धर्मो में मनाया जाता है, खासकर हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों में. दिवाली खुशियों का पर्व है. लोग नए कपडे पहनते है, घर को सजाते है, मिटटी के बने दिया जलाये जाते है, राँबिरंगे लाइट जलाते है, घर में पूजा की जाती है, बच्चे आतिशबाजी करते हैं.  


दिवाली कब मनाई जाती है? | When is Diwali celebrated in Hindi?

पुराणों के अनुसार जब प्रभु श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण संग चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपने घर अयोध्या लौटे थे, तब उनके आने के खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. तब से ही दिवाली त्यौहार मानाने की परंपरा चली आ रही है. जब भगवन अयोध्या आये थे, वह दिन कार्तिक माह की अमावस्या का दिन था. अतः हर वर्ष दिवाली का त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर के महीने में. 


दिवाली क्यों मनाया जाता है? |Why is Diwali celebrated in Hindi?

दिवाली क्यों मनाई जाती है, इसका सिर्फ 1 कारण नहीं है बल्कि अनेक कारण है. दिवाली मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं व मान्यताएं हैं. इसी तरह दिवाली मनाने के तरीकों में भी विभिन्नता पाई जाती हैं. आइये जानते है दिवाली मनाने के पीछे की दिलचस्प गाथाओ को...


भगवान श्रीराम के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में...

हम सभी इस बात से परिचित है की जब भगवान श्रीराम लंकेश्वर रावण को हराकर और चौदह वर्ष का वनवास पूरा कर माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे. उनके आने के ख़ुशी में अयोध्या वाशियों ने पूरे अयोध्या को रोशनी से सजा कर उनका स्वागत किया और यहां से ही भारतवर्ष में दिवाली के त्योहार का परमपरा शुरू हुआ.


माता लक्ष्मी का जन्मदिन...

पुराणों के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था, और उनका विवाह भी भगवान विष्णु से इसी दिन हुआ था. माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है. इसीलिए दिवाली के दिन ही माता लक्ष्मी का जन्मदिन मनाया जाता है, और घर में दीप जलाने के साथ-साथ हम माता लक्ष्मी जी की पूजा भी करते है.


भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को रिहा कराया था...

भगवान विष्णु का पांचवां अवतार वामन अवतार है. भगवान विष्णु के वामन अवतार ने कार्तिक अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी को राजा बाली के गिरफ्त से बचाया था. इसलिए भी इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.


भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध...

प्राचीन काल में नरकासुर नामक राक्षस प्रागज्योतिषपुर ( दक्षिण नेपाल का एक प्रान्त है ) का राजा था. जब राक्षसराज नरकासुर ने तीनों लोकों पर आक्रमण कर वहां रहने वाले देवी-देवताओं पर अत्याचार कर रहा था, तब श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. उसका वध करके श्री कृष्ण ने 16,000 महिलाओं को उसके कैद से आजाद किया था. नरकासूर राक्षस का वध दिवाली के एक दिन पूर्व किया था. इस जीत की खुशी को 2 दिन तक मनाया गया था, जिसमें दीपावली का दिन मुख्य है.


पांडव वापसी...

हिंदू धर्म के महाकाव्य महाभारत के अनुसार कार्तिक अमावस्या के ही दिन पांडव के 12 वर्ष के वनवास का समापन हुआ था. इनका बाराह साल का वनवास पूरा होने तथा उनके आने की खुशी में नगरवासियों ने उनका स्वागत जलाकर किया था.


राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक...

बहु पराक्रमी राजा विक्रमादित्य का राजतिलक कार्तिक अमावस्या के दिन ही हुआ था. राजा विक्रमादित्य एक आदर्श राजा थे, और उन्हें उनके उदारता, साहस तथा वीरता के लिए जाना जाता है. 


जैन धर्म में विशेष दिन...

दिवाली के दिन ही जैन धर्म के संस्थापक महावीर तीर्थंकर ने निर्वाण प्राप्त किया था. एक तपस्वी बनने के लिए उन्होंने अपने शाही जिंदगी और परिवार का त्याग किया था. व्रत और तप को अपनाकर उन्होंने निर्वाण को प्राप्त किया था. माना जाता है कि 43 की उम्र में उन्हें ज्ञान की प्राप्ती हो गई थी, और फिर जैन धर्म को विस्तार दिया था.


सिख धर्म में विशेष दिन...

दिवाली के दिन ही 1577 में पंजाब के अमृतसर जिले में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था. दिवाली के दिन ही 1619 में सिखों के छठवें गुरु हरगोविंद को मुगल शासक जहांगीर ने 52 राजाओं के साथ ग्वालियर किले से आजाद किया था. 

दीपावली मनाने के पीछे की कहानी क्या है?

राम जी की 14 साल वनवास के बाद वापसी रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी. भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई गई थी. हर नगर हर गांव में दीपक जलाए गए थे.

हैप्पी दिवाली क्यों मनाई जाती है?

राम भक्तों के अनुसार दीपावली वाले दिन अयोध्या के राजा राम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। उनके लौटने कि खुशी में आज भी लोग यह पर्व मनाते है। कृष्ण भक्तिधारा के लोगों का मत है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था।

दीपावली का रहस्य क्या है?

राक्षसों का वध करने के बाद भी जब महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तब भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए। भगवान शिव के शरीर स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया। इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई जबकि इसी रात इनके रौद्ररूप काली की पूजा का विधान भी कुछ राज्यों में है।

दीपावली मनाने से क्या होता है?

इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपने घर अयोध्या लौटे थे। इतने सालों बाद घर लौटने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दीपों के त्योहार दीपावली मनाया जाने लगा।