These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 11 History in Hindi Medium. Here we have given NCERT Solutions for Class 11 History Chapter 1 From the Beginning of Time. अभ्यास प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से) [NCERT Textbook Questions Solved] संक्षेप में उत्तर दीजिए – प्र० 1. नीचे दिए गए सकारात्मक प्रतिपुष्टि व्यवस्था (Positive Feedback Mechanism) को दर्शाने वाले उत्तर सकारात्मक प्रतिपुष्टि व्यवस्था – 1. किसी बॉक्स विशेष की ओर इंगित तीर के निशान उन प्रभावों को बताते हैं जिनकी वजह से कोई विशेषता विकसित हुई। उपरोक्त सकारात्मक प्रतिपुष्टि व्यवस्था आरेख में औज़ारों के निर्माण में चार महत्त्वपूर्ण बिन्दु-प्रदर्शित किए गए हैं –
औजार बनाने की कला सीखना मानव की एक महान उपलब्धि थी। इसके साथ-ही-साथ अनेक प्रक्रियाओं को प्रोत्साहन मिला जिससे अनेक लाभ हुए-
मानव द्वारा पत्थर के औजार बनाने व प्रयोग करने के प्राचीनतम साक्ष्य इथियोपिया और केन्या के पुरा-स्थलों से प्राप्त हुए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि पत्थर के औजार सर्वप्रथम आस्ट्रेलोपिथिकस मानव ने बनाए व प्रयोग किए होंगे। संभव है कि स्त्रियाँ अपने और अपने बच्चों के भोजन प्राप्त करने के लिए कुछ खास औजार बनाती और इस्तेमाल करती रही होंगी। प्र० 2. मानव और लंगूर तथा वानरों
जैसे स्तनपायियों के व्यवहार तथा शरीर रचना में कुछ समानताएँ पायी जाती हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि संभवतः मानव का क्रमिक विकास वानरों से हुआ। (क) व्यवहार और (ख) शरीर रचना शीर्षकों के अंतर्गत दो अलग-अलग स्तम्भ बनाइए और उन समानताओं की सूची दीजिए। दोनों के बीच पाए जाने वाले उन अंतरों का भी उल्लेख कीजिए जिन्हें आप महत्त्वपूर्ण समझते हैं? शारीरिक स्तर पर समानताएँ –
व्यावहारिक स्तर पर समानताएँ –
मानव व वानर के मध्य पाए जाने वाले अंतर –
प्र० 3. मानव उद्भव के क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल के पक्ष में दिए गए
तर्कों पर चर्चा कीजिए। क्या आपके विचार से यह मॉडल पुरातात्विक साक्ष्य का युक्तियुक्त स्पष्टीकरण देता है? 1.
क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल- इस मत के अनुसार मनुष्य की उत्पत्ति अलग-अलग स्थानों पर हुई है। विभिन्न प्रदेशों में रहने वाले होमो सेपियंस का आधुनिक मानव के रूप में विकास धीरे-धीरे अलग-अलग रफ्तार से हुआ। परिणामतः आधुनिक मानव दुनिया के भिन्न-भिन्न स्थानों में विभिन्न रूपों में दिखाई दिया।
प्र० 4. इनमें से कौन-सी क्रिया के साक्ष्य व प्रमाण पुरातात्त्विक अभिलेख में सर्वाधिक मिलते हैं-(क) संग्रहण, (ख) औज़ार बनाना, (ग) आग का प्रयोग।
ओल्डुवई से मिले आरम्भिक औजारों में एक औज़ार मँडासा भी है, जिसके शल्कों को निकालकर धारदार बना दिया गया है। यह एक प्रकार का हस्त-कुठार है। इन आरंभिक औजारों के आधार पर मानव प्राकृतिक वैज्ञानिकों ने प्रागैतिहासिक काल को तीन भागों में विभाजित किया है। जो निम्नलिखित हैं
संक्षेप में निबंध लिखिए – प्र० 5. भाषा के प्रयोग से (क) शिकार करने और (ख) आश्रय बनाने के काम में कितनी मदद मिली होगी? इस पर चर्चा कीजिए। इन क्रियाकलापों के लिए विचार-सम्प्रेषण के अन्य किन तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता था?
उच्चरित भाषा यानी बोली जाने वाली भाषा की उत्पत्ति कब हुई? यह निष्कर्ष देना भी कठिन कार्य है। विद्वानों की ऐसी विचारधारा है कि होमो हैबिलिस के मस्तिष्क में कुछ विशेषताएँ थीं जिनके कारण वह बोलने में समर्थ हुआ होगा। इस प्रकार संभवतः भाषा का विकास 20 लाख वर्ष पूर्व हुआ। स्वर-तंत्र के विकास (लगभग 200,000 वर्ष पूर्व) और मस्तिष्क में हुए परिवर्तन से भाषा के विकसित होने में मदद मिली। भाषा और कला का सम्बन्ध घनिष्ठ है। भाषा के साथ-साथ कला लगभग 40,000-35,000 वर्ष पूर्व विकसित हुई। कला व भाषा दोनों ही सम्प्रेषण अर्थात् विचाराभिव्यक्ति के सशक्त माध्यम हैं। फ्रांस में स्थित लैसकॉक्स (Lascaux) और शोवे (Chauvet) की गुफाओं में व उत्तरी स्पेन में स्थित आल्टामीरा की गुफा में जानवरों की सैकड़ों चित्रकारियाँ पाई गई हैं, जोकि 30,000 से 12,000 वर्ष पूर्व चित्रित की गई थीं। इनमें गौरों (जंगली बैल), घोघों, पहाड़ी साकिन (बकरों), हिरनों, मैमथों, गैंडों, शेरों, भालुओं, चीतों, लकड़बग्घों व उल्लुओं के चित्र प्रमुख हैं। प्रारम्भिक मानव के जीवन में शिकार का ज्यादा महत्त्व था। इसी कारण जानवरों की चित्रकारियाँ धार्मिक क्रियाओं, रस्मों और जादू-टोनों से जुड़ी होती थीं। ऐसी भी प्रतीत होता है कि चित्रकारी ऐसी रस्मों को अदा करने के लिए की जाती थी जिससे कि शिकार करने में सफलता प्राप्त हो। विद्वानों की यह भी मान्यता है कि ये गुफाएँ ही प्रारम्भिक मानव की आपस में मिलने की जगहें थीं जहाँ पर छोटे-छोटे समूह एक-दूसरे से मिलते थे या एकत्रित होकर सामूहिक क्रियाकलाप करते थे। ऐसा भी जान पड़ता है। कि इन गुफाओं में ये समूह मिलकर शिकार की योजना बनाते रहे हों व शिकार की तकनीक पर चर्चा करते रहे हों, और ये चित्रकारियाँ आगामी पीढ़ियों को इन तकनीकों से ज्ञान प्राप्त करने के लिए बनाई गई हों। अतः कहा जा सकता है कि चित्रकारी विचार-सम्प्रेषण का एक सशक्त माध्यम के रूप में प्रयोग हुआ है। प्रारम्भिक समाज के बारे में जो विवरण दिया जाता है वह अधिकतर पुरातात्विक साक्ष्यों पर आधारित है। शिकार करने वाले वे खाद्य सामग्री तलाशने एवं बटोरने वाले समाज आज भी विश्व के अनेक भागों में मौजूद हैं। उन समाजों में हादज़ा समूह प्रमुख है। कृषि के प्रारम्भ के साथ-साथ मानव ने अपनी झोंपड़ियों को खेतों के पास बनाना शुरू कर दिया। आरम्भ में मनुष्य लकड़ी व पत्तियों आदि की मदद से झोंपड़ी बनाता था, किन्तु बाद में वह कच्ची व पक्की ईंटों का भी प्रयोग घर बनाने में करने लगा था। प्राचीन झोंपड़ियों के अवशेष स्विट्जरलैंड (Switzerland) की एक झील में 1854 में मौजूद पाए गए। स्थायी निवास स्थान बनाना मानव की महान उपलब्धि थी और यह सब भाषा के विकास के बिना असंभव था किन्तु भाषा ने इन सब क्रियाओं को संभव बना दिया। प्रारंभ में मानव निस्संदेह बहुत कम ध्वनियों का प्रयोग करता होगा, लेकिन ये ध्वनियाँ ही आगे चलकर भाषा के रूप में विकसित हो गई होंगी। अत: भाषा का विकास आधुनिक मानव के विकास का दिलचस्प पहलू है। प्र० 6. अध्याय के अंत में दिए गए कालानुक्रम में से किन्हीं दो घटनाओं को चुनिए और यह बताइए कि इसका क्या महत्त्व है?
होमो हैबिलिस के जीवाश्म इथियोपिया में ओमो (Omo) और तंजानिया में ओल्डुवई गोर्ज (Olduvai Gorge) से प्राप्त हुए हैं। होमो एरेक्टस के जीवाश्म अफ्रीका के कूबीफ़ोरा (Koobi Fora) तथा पश्चिमी तुक़न (West Turkan) तथा केन्या (Kenya) और जावा के मोड जोकर्ता (Mod Jokerto) तथा संगीरन (Sangiran) में पाए गए थे। होमो सेपियंस जोकि आधुनिक मानव कहलाता है, चिन्तनशील या प्राज्ञ प्राणी है। होमो सेपियंस 1.9 लाख वर्ष से 1.6 लाख वर्ष पूर्व के हैं। कालानुक्रम-दो में से दो घटनाओं का विवरण निम्नलिखित है 1. दफ़नाने की प्रथा का प्रथम साक्ष्य – दफ़नाने की प्रथा का प्रथम साक्ष्य हमें 3,00,000 वर्ष पूर्व प्राप्त होता है। कुछ रीतियों से यह पता चलता है कि निअंडरथलैंसिस मानव शव
को दफ़नाते थे। इससे यह प्रतीत होता है कि वे किसी धर्म में विश्वास रखते थे। निअंडरथलैंसिस काल के कब्रिस्तान के स्थल पर की गई खोजों से ऐसा भी ज्ञात होता है कि वे मृतक शरीर को रंगों से सजाते थे। वे शायद धार्मिक कारणों या सुन्दरता के लिए ऐसा करते थे। वे प्रथम मनुष्य थे जो मृत्यु के पश्चात् जीवन के संबंध में सोचते थे।
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ऑस्ट्रेलोपीथिकस शब्द का अर्थ क्या है?ऑस्ट्रेलोपिथेकस, प्रारंभिक मानव के पूर्वजों की एक प्रमुख प्रजाति है जो 1.5 से 4 मिलियन साल पहले मौजूद थी। यह ऐसा समय था जब हमारे पूर्वजों ने दो पैरों पर चलना सीख लिया था, परंतु अभी भी उनका चेहरा कुछ-कुछ बंदरों से मिलता था और उनका जबड़ा भी अपेक्षाकृत काफी बड़ा और मज़बूत था।
ऑस्ट्रेलोपीथिकस प्रजाति की क्या विशेषता है?आस्ट्रेलोपिथेसिन के पास वानरों के समान मजबूत और लंबी भुजाएँ थीं , जो इंगित करता है कि उन्होंने पेड़ों पर चढ़ने या शाखाओं के बीच चढ़ने के साथ निचले अंगों पर अपने आंदोलन को जोड़ा। वे 1.20 और 1.40 मीटर के बीच छोटे और पतले थे ।
ऑस्ट्रेलोपीथिकस की खोज कब की गई थी?आस्ट्रेलोपिथिकस, ओल्डुवर् गोर्ज की खोज 17 जुलाई, 1959 ) हुई।
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