गालियों की संख्या एक कैसे रह सकती है? - gaaliyon kee sankhya ek kaise rah sakatee hai?


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गालियों की संख्या एक कैसे रह सकती है? - gaaliyon kee sankhya ek kaise rah sakatee hai?

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कबीर की साखियाँ

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गाली की संख्या एक कैसे रह सकती...

गाली की संख्या एक कैसे रह सकती है?

(00 : 00)

लिखित उत्तर

Solution : जब कोई व्यक्ति हमें गाली निकाले और हम उसका उत्तर मौन रह कर दें, इस स्थिति में गाली की संख्या एक की एक ही रह सकती है।

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निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।
कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक।। 

गाली की संख्या एक कैसे रह सकती है?

  • जब गाली सुनने वाला मुस्कुराता रहे।
  • जब गाली सुनने वाला कोई उत्तर न दे अर्थात् पलट कर गाली न दे।
  • जब गाली सुनने वाला बुरा न माने।
  • जब गाली सुनने वाला बुरा न माने।


B.

जब गाली सुनने वाला कोई उत्तर न दे अर्थात् पलट कर गाली न दे।

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तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’-उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।


‘तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’ इस उदाहरण से कबीर कहना चाहते हैं कि महत्त्व सदा मुख्य वस्तु का होता है जैसे हम तलवार लेना चाहें तो उसकी धार देखकर उसका मोल भाव करेंगे उसका म्यान कितना भी सुंदर क्यों न हो उसकी ओर हम ध्यान नहीं देते। ठीक वैस ही जैसे साधु-संतों के ज्ञान की महत्ता होती है उनकी जाति से किसी को कोई सरोकार नहीं होता।

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मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?


जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय। 
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।।

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कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।


कबीर के दोहे में घास का विशेष अर्थ है क्योंकि इसमें उन्होंने पैरों के नीचे रौंदी जाने वाली घास के बारे में कहा है कि हमें कभी उसे निर्बल या कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसका छोटा-सा तिनका भी यदि आँख में पड जाए तो कष्टकर होता है। इस घास का वास्तविक संदेश यह है कि हमें समाज में रहने वाले छोटे से छोटे व्यक्ति काे भी कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यदि वह शक्ति प्राप्त कर ले तो हमें गहरा आघात पहुंचा सकता है।

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पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिर, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?


‘मनुवाँ तो दहूँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं’ इस पंक्ति के माध्यम से कबीर ने कहना चाहा है कि हमारा मन भक्ति के समय यदि दसों दिशाओं की ओर घूमता रहता हैं, ईश्वर के स्मरण मैं एकाग्रचित्त नहीं होता तो ऐसी भक्ति व्यर्थ है।

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“ या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन दोनों पक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या ‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?


“या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ शब्द का प्रयोग घमंड अर्थात् अंहकार के लिए प्रयुक्त हुआ है।
पहली पंक्ति में कबीर का कहना है कि मनुष्य को अपने स्वभाव से अहंकार को त्याग देना चाहिए ताकि सभी उस पर कृपाभाव रखें।
दूसरी पंक्ति में कबीर का कहना है कि अपने मन के अहंकार को त्याग कर हम ऐसी मीठी वाणी बोलनी चाहिए कि सभी हमारी ओर आकर्षित हो जाएं।

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एक गाली कब अनेक गालियों में बदल जाती है?

Solution : जब कोई व्यक्ति किसी को एक गाली निकालता है, तब दूसरा उसके जवाब में पलट कर गाली देने लगता है तो इस प्रकार एक गाली अनेक में बदल जाती है।

गालियों की संख्या एक कैसे रह जाती है किसी उदाहरण के माध्यम से समझाइए?

Solution : जब कोई व्यक्ति हमें गाली निकाले और हम उसका उत्तर मौन रह कर दें, इस स्थिति में गाली की संख्या एक की एक ही रह सकती है।

यदि कोई हमें गाली दे तो हमें क्या करना चाहिए class 8?

कबीर की साखियाँ क्या हमें पलटकर किसी को गाली देनी चाहिए? यदि नहीं तो क्यों? हमें पलटकर किसी को भी गाली नहीं देनी चाहिए क्याेंकि यदि हम गाली का उत्तर गाली में देते हैं तो गाँलिया एक से अनेक हो जाएँगी अर्थात् अधिक अपशब्द बोले जाएँगे और यदि मौन रहकर जवाब देगें तो गालियों की संख्या बढ़ेगी नहीं।

गालियों की संख्या कैसे कटेगी?

गाली की संख्या एक कैसे रह सकती है?.
जब गाली सुनने वाला मुस्कुराता रहे।.
जब गाली सुनने वाला कोई उत्तर न दे अर्थात् पलट कर गाली न दे।.
जब गाली सुनने वाला बुरा न माने।.
जब गाली सुनने वाला बुरा न माने।.