गुब्बारे में हवा कैसे भरी जाती है? - gubbaare mein hava kaise bharee jaatee hai?

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गुब्बारों के बारे में जानते हैं आप ये मजेदार बातें

गुब्बारे का अविष्कार साल 1824 में महान वैज्ञानिक प्रोफेसर माइकल फैराडे ने किया था।  ज्यादातर पार्टी में इस्तेमाल होने वाले गुब्बारे रबड़ के पेड़ों से मिलने वाले लेटेक्स से बनते हैं। इनमें...

गुब्बारे में हवा कैसे भरी जाती है? - gubbaare mein hava kaise bharee jaatee hai?

Karunaहिन्दुस्तान फीचर टीम ,नई दिल्ली Fri, 12 Jan 2018 04:38 PM

  • गुब्बारे का अविष्कार साल 1824 में महान वैज्ञानिक प्रोफेसर माइकल फैराडे ने किया था। 
  • ज्यादातर पार्टी में इस्तेमाल होने वाले गुब्बारे रबड़ के पेड़ों से मिलने वाले लेटेक्स से बनते हैं। इनमें सामान्य हवा या हीलियम जैसी कोई गैस भरी जाती है। 
  • लेटेक्स से बने गुब्बारे पूरी तरह से ईको फ्रेंेडली होते हैं। इन्हें बनाने के लिए पेड़ों को काटा नहीं जाता। लेटेक्स को पेड़ के तने से इकट्ठा किया जाता है। इससे पेड़ को कोई नुकसान नहीं होता। रबड़ के पेड़ आम तौर पर वर्षा वनों में उगते हैं। रबड़ का एक पेड़ तकरीबन 40 साल तक लेटेक्स का उत्पादन कर सकता है। 
  • एक बार हवा भरकर फुलाए जाने के बाद गुब्बारे अपना वास्तविक आकार एक हफ्ते तक बनाए रख सकते हैं।
  • गुब्बारा अचानक फटने पर उसकी तेज आवाज से डरने वाले तुम अकेले नहीं हो। इससे ज्यादातर लोग डरते हैं। जैसे ही गुब्बारे में कोई छेद होता है, वैसे ही उसके अंदर भरी हवा 
  • एक झटके के साथ बाहर यानी कम दबाव वाले क्षेत्र की तरफ निकलती है, जिससे यह आवाज आती है।
  • हीलियम से बने गुब्बारे हवा में तैरते हैं, क्योंकि हीलियम हवा से कहीं ज्यादा हल्की होती है। 

गुब्बारे में हवा कैसे भरी जाती है? - gubbaare mein hava kaise bharee jaatee hai?

1. गुब्बारा हवा में कैसे उड़ता है?
गुब्बारे में हीलियम तथा हाइड्रोजन गैस भरी जाती है तो हवा से हल्की होती है। गुब्बारा आयतन घेरता है एवं इसके द्वारा हटाये गये हवा का सार गुब्बारे के वजन से अधिक होता है। अत: गुब्बारा आर्किमिडीज के सिद्धांत के अनुसार हवा में उड़ता रहता है।

2. ठंडे पानी से भरे कांच के गिलास के चारों ओर पानी की बूंदे क्यों एकत्र हो जाती हैं?
वायुमंडल का वाष्प कांच के लिास पर ठंडी होकर छोटी—छोटी बूंदो के रूप से एकत्र हो जाता है। वर्षा के दिनों में वायुमंडल में अधिक नमी होती है अत: बूंदे अधिक मात्रा में गिलास पर एकत्र हो जाती है।

3. गर्मी के दिनों में भैसे पानी में रहना पंसद करती है, क्यों?
भैंसों का रंग काला होता है जो ताप का सुचालक है। यह काला रंग सूर्य की गर्मी को अवशोषित करके भैंसों के शरीर को गर्म कर देता है जिसके कारण से भैंसे बेचैन हो जाती है और अत्यधिक गर्मी से राहत पाने के लिए पानी में चली जाती है।

4. जाड़ों में कपड़े बरसात की अपेक्षा शीघ्र सूख जाते हैं, क्यों?
वर्षा के दिनों में वायु में नमी अधिक मात्रा में विद्यमान रहती है जिसके कारण वाष्पण की दर काफी कम हो जाती है। इसीलिए वर्षा के दिनों मे कपड़ें देर से सुखते है। जाड़े में वायु में आर्द्रता कम होती है वाष्पन की दर अधिक होती है अत: कपड़े जल्दी सूखते हैं।


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हवा से भरा एक फुलाया हुआ गुब्ब...

हवा से भरा एक फुलाया हुआ गुब्बारा धीरे-धीरे नीचे जाता है (धीरे-धीरे छोटा होता जाता है) भले ही गुब्बारे के मुहाने पर गाँठ एयरटाइट हो। और एक हफ्ते के बाद सभी हवा के गुब्बारे से बच गए हैं। बताएं कि गुब्बारे से वायु के कण कैसे निकले।

लिखित उत्तर

Answer : The fast moving molecules of air trapped in the inflated balloon exert continuous pressure on the skin, stretched rubber sheet of balloon and keep on diffusing out gradually through it.

Answer

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हेलो फ्रेंड्स हमारा क्वेश्चन है हवा भरा बलून गुब्बारे के मुंह से हवा जैसे ही बाहर निकलती है वह हवा में क्यों चलने लगता है हमें यह बताना है ओके और आपने जो है यह चीजें जो है जरूर आप जरूर की होगी जब हम क्या करते हैं अगर हमारे पास कोई गुब्बारा है ओके अगर हम इस तरीके से बैलून को जो हमारे गुब्बारे को जो है इस तरीके से अगर हमारा फुला हुआ है और यहां पर हम क्या करते हैं तो उसका फेस होता है ओके तो क्या होता है हमारे यहां पर जो है गुब्बारा क्या होता है यहां पर हमारे को 12:00 इस तरीके से ओपन होता है ओके तो जब हमारे गुब्बारा यहां पर जो है इस तरीके से ओपन होता है तुम इसको क्या कहते हैं पकड़ कर रखते हैं तुम्हारी इसमें हवा भरी होती है और हमारे गुब्बारा जो है संतुलित अवस्था में होता है लेकिन जैसे हम यहां पर इसके मुंह को ओपन कर देते तो यहां से मेरे इस गुब्बारे के अंदर जितनी हवा होती हमारी जो है इस मुझ से बाहर आने लगती है उनके यहां से मरीज हो इस तरीके से जो है बाहर आने लगती है ओके हमारी जो जो भी हमारे होती हमारी जो इस तरीके से जुड़े सारी की सारी हवाएं हमारी जो गुब्बारे के अंदर से जो है

बाहर आने लगती है ओके जब यहां पर हमारी हवाई बाहर आने लगी तो हमारा क्या होता है कि हवा हमारी जो है यहां पर एक व्यक्ति जो इस तरीके से जो कि किसी ने किसी जो है वैसे चलने लगते हैं ओके तो पहले तो क्या था यह हमारा जो है हमारी यह पूरा निकाय पहले क्या था प्रारंभ में हमारा जवाब पूरा निकाल प्रारंभ में हमारा क्या था प्रारंभ में हमारा पूरा निकाय जो है क्या था यह विराम अवस्था में था ओके अगर हमारा प्रारंभ में पूरा निकाल क्या था हमारा विराम अवस्था में था तो इस कंडीशन हमारा जो समय हो जाएगा प्रारंभ में हमारा जो समय हो जाएगा यह क्या हो जाएगा हमारा यह भी जीरो जाएगा क्योंकि हमें पता है कि हमारे समय का फॉर्मूला हो तब भी इक्वल टू द्रव्यमान और वे के गुणनफल के बराबर होता है अगर हमारी यह पूरा निकाल गुब्बारा अगर हमारा जो पहले विराम अवस्था में था तो उस कंडीशन विच के पास कोई वेट नहीं था अगर कोई वेट नहीं था तो हमारा समय क्या होगा प्रारंभ में जीरो होगा अब इसके बाद क्या किया जा रहा है यहां पर अगर हम अवश्य करें यहां पर हमारा कोई बाहरी बल भी काम नहीं कर रहा है ओके अगर आपको यह लगे कि यहां पर हमारे गुरुत्वाकर्षण बल तो नीचे की तरफ काम का

यहां पर गुब्बारा पृथ्वी के ऊपर है तो एक्चुअली क्या है कि गुब्बारे का वेट हमारे जो इतना कम होता है हमारे गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव इस पर नहीं पड़ता है हमारा कोई भी बाहरी बल से काम नहीं कर रहा है और जब हमारे जो जब भी किसी वस्तु कोई बाहरी बल नहीं काम करता है तो वहां से हम वहां पर हम कौन सा सिद्धांत लगा सकते हैं वहां पर हम जो संवेग संरक्षण का सिद्धांत लगा सकते हैं अगर हमारा कोई भी बाहरी बल नहीं काम कर रहा तो उस कंडीशन हमारा हमेशा जो इस समय क्या रहती है समय हमेशा हमारी जो है संरक्षित होती है समय हमेशा क्या होता है मदद सम्यक संरक्षित रहती है जब हमारे जो है बाहरी बल्कि आओ बारी में लगा जीरो हमारा समय क्या होता हमेशा सुरक्षित रहता है अगर हमारा प्रारंभ में जो है जी को 12 विराम अवस्था में था प्रारंभ में अगर कोई समय नहीं था तो जब यहां यहां पर हवा निकल रही उस कंडीशन में भी हमारा जीवन समय क्या होना चाहिए पूरे निकाय का जीरो होना चाहिए लेकिन यहां पर जो हमारी हवाई हैं यहां पर जो हमारी हवाई इस तरीके से जा रही थी वैसे इनके पास कुछ ना कुछ समय आ गया अब यहां पर जो है अंतिम समय को जीरो करने के लिए क्योंकि प्रारंभिक समय हो गया संवेग संरक्षण के सिद्धांत से हमारा अंतिम समय

जीरो होना चाहिए अब अंतिम समय को जीरो करने के लिए गुब्बारा हमारा क्या करती है गुब्बारा हमारी यहां पर पीछे की डायरेक्शन में चलना स्टार्ट करती है करती है जिस दिशा में हमारी हवा निकल रही हो तो उसके जस्ट विपरीत दिशा में हमारा जो है उतने ही हमारे जो है इसके जस्ट विपरीत दिशा में और इतने ही वैसे हमारे क्या होता है कि हमारी जो है वह भी चलने लगता है जिससे कि हमारे क्या हो गए हो जाए समय को जो हमारे जीरो कर पाए क्योंकि हमारे समित अभिजीत होगा अगर हमारी हवा का धर्म नाथ जो निकल रही हमारा जो है एमबी माल ले ओके जो कि हमारे सामने की दिशा में जा रही है अब तक हमारे जो अगर हमारा जो गुब्बारा क्या होगा विपरीत दिशा में अगर जाएगा एमटीएस भी तभी हमारा क्या हो पाएगा यहां पर संवेग हमारा जीरो हो पाएगा तभी संवेग जीरो होना पॉसिबल है यही रीजन है कि हमारा जवस संवेग संरक्षण सिद्धांत हमारा जो सेल ना हो हमारा संवेग संरक्षण सिद्धांत खेलना हो इसलिए क्या होता है हमारा जो है अगर हवा आगे जा रहे हमारे गुब्बारे क्या होता है पीछे जाओ पीछे की तरफ हमारा जो गति करने लगता है जिससे हमारे जो पूरे निकाय का इस हमारे जो पूरे निकाय का कुल समय 11:00

अंतिम समय हमारे जी रो रहे थे यही रीजन होते हमारे गुब्बारा पीछे की तरफ जो है आने लगता है इतिहास हमारा क्वेश्चन कंप्लीट हो जाता है ओके थैंक यू

गुब्बारे में हवा कैसे भरते हैं?

बलून को नैक या गर्दन जैसे शेप को अपनी इंडेक्स फिंगर और अंगूठे के बीच में दबाएँ: ऐसा करने से हवा भरते समय आपका बलून उसकी पोजीशन में रहेगा। बलून के सिरों को, उसकी ओपनिंग या खुले हुए भाग से तकरीबन 1 इंच से भी कम या 1 cm नीचे पकड़ें।

गुब्बारे में कौन सी गैस भरी जाती है?

ललित मिंज का कहना है कि उड़ने वाले गुब्बारों में हीलियम व हाइड्रोजन गैस का प्रयोग होता है।

हवा में उड़ने वाले गुब्बारे को क्या कहते हैं?

हॉपर गुब्बारा (hopper balloon) (या केवल हॉपर) गर्म हवा से उड़ने वाला एक छोटा, एक व्यक्ति की क्षमता वाला गुब्बारा होता है।

हवा भरने पर गुब्बारा क्यों फूल जाता है?

गुब्बारे में ज्यादा हवा भरने से वह फूट क्यों जाता है? बैलून में हवा भरने पर इस हवा के दाब से बैलून फूल जाता है। अधिक हवा भरने पर भीतर हवा का दाब अधिक हो जाता है, जिससे वह और फैलना चाहता है। जब बैलून का रबड़ इस फैलाव को नियंत्रित नहीं कर पाता है तब वह फूट जाता है।