Winding up of a company (कंपनी का समापन), कंपनी का समापन क्या है?, winding up of company in company law, किसी कंपनी के समापन की कितनी विधियां है?, कंपनी का विघटन क्या है? (What is winding up of a company?), कंपनी के समापन के प्रकार, कंपनी के समापन की विभिन्न विधियां, कंपनी के समापन की विधियों का वर्णन Show
इस पोस्ट के माध्यम से आप कंपनी को कैसे बंद करते हैं? इसके विषय में जानेंगे| इसमें आप एक बात तो निश्चित तौर पर समझ जाएंगे कि कंपनी को बंद करना भी बहुत मुश्किल है| कोई यूं ही कंपनी बंद करके आसानी से नहीं भाग सकता! इसी वजह से लोगों का कंपनी पर विश्वास बढ़ जाता है| Business Lok में आपका स्वागत है! आइए जानते हैं! पूरे प्रोसेस के बारे में!! कंपनी के समापन से आशय ऐसी प्रक्रिया से होता है जिसमें कंपनी का विघटन (dissolution) होता है| यानी Winding up ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंपनी को बंद किया जाता है| इसमें कंपनी की संपत्ति को बेच कर उसका कर्जा चुकाया जाता है| सारा कर्ज चुकाने के बाद भी, यदि पैसा बच जाता है तो, उस पैसे को कंपनी के शेयर होल्डर्स में उनके अंशों के आधार पर बांट दिया जाएगा| यानी कि जिस सदस्य ने कंपनी के शेयर कैपिटल में जितना पैसा लगाया होगा, उस हिसाब से, उसे, उसका हिस्सा वापस मिल जाएगा| लिक्विडेशन या वाइंड अप ऐसी प्रक्रिया है जिसके बाद कंपनी का अंत हो जाता है तथा इसकी संपत्ति इसके करदाताओं तथा शेयरधारकों में बांट दी जाती है| 1- जिस भी प्रशासन द्वारा यह सारी कार्यवाही की जाती है, उसे लिक्विडेटर (परिसमापक) कहा जाता है| लिक्विडेटर की नियुक्ति के बाद, कंपनी का सारा कंट्रोल लिक्विडेटर के हाथों में चला जाता है| इसके बाद में कंपनी की सारी संपत्ति को बेचता है| संपत्ति बेचने से जो धन प्राप्त हुआ है, उससे कर्जदाताओं का कर्जा चुकाया जाता है| इसके बाद, यदि धन बच जाता है तो वह शेयरधारकों में बांट दिया जाता है| कंपनी के समापन की विधियां (Winding up of company)कंपनी अधिनियम 2013 के सेक्शन (270) के अनुसार कंपनी के समापन की दो विधियां होती हैं| 1- Tribunal: न्यायालय द्वारा बंद करना| 2- Voluntary: खुद से बंद करना| 1- Winding Up of a company process by the tribunalकंपनी अधिनियम के (सेक्शन 271) के अनुसार वह कौन सी परिस्थितियां होती हैं? जिसमें ट्रिब्यूनल द्वारा कंपनी समापन की प्रक्रिया को किया जाता है| (i) जब कंपनी अपने कर्ज को चुकाने में असमर्थ हो जाए| (ii) यदि कंपनी एक स्पेशल रेगुलेशन पास कर देती है जिसमें कहा जाता है कि कंपनी ट्रिब्यूनल के द्वारा बंद की जाएगी| (iii)- कंपनी द्वारा किया गया कोई ऐसा काम, जिससे कि भारत की एकता, सुरक्षा तथा अखंडता को नुकसान पहुंचे| (iv) कंपनी के द्वारा भारत के करीबी देशों के साथ मैत्रिक रिश्ते खराब करने पर| (v) यदि कंपनी ने अपने फाइनेंसियल स्टेटमेंट या एनुअल रिटर्न लगातार 5 सालों तक जमा ना किए हो| (vi) यदि ट्रिब्यूनल को लगता है कि कंपनी को बंद कर दिया जाए| यह ट्रिब्यूनल को किसी भी कारण से लग सकता है| (vii) कंपनी द्वारा किसी धोखाधड़ी में लिप्त पाए जाने पर, किसी अवैध गतिविधि में लिप्त पाए जाने पर, कंपनी के मैनेजमेंट या अन्य व्यक्ति जो कंपनी से जुड़ा है, उसके दोषी या धोखाधड़ी में शामिल होने पर, अन्य किसी भी प्रकार के बुरे आचरण में लिप्त होने पर, कंपनी को बंद किया जा सकता है| ट्रिब्यूनल के पास कंपनी बंद करने की याचिका कौन दायर करेगा?1- कंपनी ने स्वयं करेगी| 2- कंपनी के कर्जदाताओं द्वारा| 3- शेयरधारकों द्वारा| 4- केंद्र या राज्य सरकार द्वारा| 5- रजिस्ट्रार के द्वारा| 6- कोई भी ऐसा व्यक्ति जो केंद्र सरकार के द्वारा यह कार्य करने के लिए नियुक्त हो| ट्रिब्यूनल द्वारा इन सारे व्यक्तियों की याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद| वह इस याचिका को रद्द भी कर सकता है| यदि ट्रिब्यूनल को यह याचिका सही लगती है तो वह कंपनी बंद करने के लिए एक लिक्विडेटर (परिसमापक) को नियुक्त कर देगा| जब तक फाइनल आदेश नहीं आ जाता तब तक ट्रिब्यूनल के द्वारा एक अंतरिम आदेश पारित किया जाएगा| Consequences of Winding Orderकंपनी अधिनियम 2013 के (सेक्शन 278) ट्रिब्यूनल धारा कंपनी बंद करने के परिणाम को बताता है| इस सेक्शन के अनुसार, कंपनी को बंद करने का आदेश सभी लेनदारों और कंपनी के सभी योगदानकर्ताओं के पक्ष में काम करेगा जैसे कि: मानो, इसे लेनदारों और योगदानकर्ताओं की संयुक्त याचिका के रूप में ही बनाया गया हो| कंपनी परिसमापक और उनकी नियुक्तियांइस अधिनियम के द्वारा लिक्विडेटर को नियुक्त किया जाता है| यह केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासनिक अधिकारी होता है| इसके भत्ते एवं वेतन केंद्र सरकार द्वारा दिए जाते हैं| (सेक्शन 275) कंपनी लिक्विडेटर के नियुक्ति के विषय में बताता है: 1- कंपनी को बंद करने के उद्देश्य से, ट्रिब्यूनल जब कंपनी को बंद करने का आदेश पारित कर देती है, तब एक लिक्विडेटर या एक पैनल नियुक्त किया जाता है| 2- Bankruptcy code 2016 के अनुसार: Insolvency professionals registered कोई CA, CS, CMA को प्रोविजनल लिक्विडेटर नियुक्त किया जाएगा| 3- फाइनल लिक्विडेटर से पहले ट्रिब्यूनल द्वारा इस प्रोविजनल लिक्विडेटर की कुछ शक्तियों को अगला आर्डर आने तक बाधित किया जा सकता है| 4- इस प्रोविजनल लिक्विडेटर के मेहनताने को इसकी शैक्षणिक योग्यता या फिर इसको कितना काम दिया गया है? इसके आधार पर आकलन किया जाएगा| 5- यदि केंद्र सरकार को लिक्विडेटर के आचरण में कोई कमी लगती है, या फिर उसे यह लिक्विडेटर धोखेबाज लगता है तो वह उसको हटा भी सकती है, परंतु इसके लिए उसे एक उचित कारण देना पड़ेगा| 6- सभी प्रोविजनल लिक्विडेटर या कंपनी लिक्विडेटर की नियुक्ति होती है तो उसे, नियुक्ति की तारीख से 7 दिन के अंदर एक डिक्लेरेशन देना होता है| इसके अंदर उसे यह खुलासा करना पड़ेगा कि “ट्रिब्यूनल के साथ, हितों के टकराव का, स्वतंत्रता की कमी, इसमें उसका कोई छुपा हुआ उद्देश्य नहीं है|” कंपनी परिसमापक रिपोर्टसेक्शन 281 के अनुसार, Submission of report by company liquidator ट्रिब्यूनल द्वारा लिक्विडेटर को नियुक्त करने की तारीख से 60 दिनों के अंदर एक रिपोर्ट जमा करनी होती है| इस रिपोर्ट के अंदर उसे निम्न विषय बताने पड़ते हैं| 1- कंपनी के पास क्या-क्या संपत्ति है?, संपत्ति की प्रकृति कैसी है?, जमीन कहां पर है?, कैसी लोकेशन पर है?, मार्केट वैल्यू क्या होगी?, कंपनी के पास कितनी नकदी है?, नेगोशिएबल सिक्योरिटी क्या-क्या है? इत्यादि 2- शेयर कैपिटल कितना है? 3- पहले से चल रही तथा तुरंत देने देने वाली देनदारियों की कंपनियों के नाम, उनके पते, करदाताओं के व्यवसाय, सिक्योर्ड तथा अनसिक्योर्ड देनदारियों की लिस्ट, कंपनी के सिक्योरिटी की डिटेल, कंपनी के सिक्योरिटी की वर्तमान समय की वैल्यू इत्यादि 4- गारंटी, यदि कोई हो तो| 5- हिस्सेदारों की सूची तथा उनकी देनदारी| शेयरधारकों की यदि कोई देनदारी बची है तो, उसकी डिटेल 6-Trademark की डिटेल, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी, यदि कोई कंपनी द्वारा खरीदी गई है तो| 7- Holding कंपनी तथा Subsidiary कंपनी की डीटेल 8- कंपनी के विरुद्ध दायर कानूनी मामलों की लिस्ट| 9- और भी जरूरतमंद चीजें, जिनकी लिक्विडेशन में जरूरत हो| 10- कंपनी के बनाने के समय यदि कोई फ्रॉड हुआ हो या कंपनी में किसी डायरेक्टर की भर्ती या अन्य पदों की भर्ती में कोई धोखाधड़ी की गई हो तो उसकी रिपोर्ट| 11- कंपनी अभी कितनी चल सकती है, ऐसे क्या काम किए जाएं जिससे कंपनी की संपत्ति को ज्यादा मुनाफे पर बेच सकें, इसके बारे में ट्रिब्यूनल को बताना है| Custody of company’s Property1- ट्रिब्यूनल के अंतरिम आदेश के पारित होने के साथ ही, उसके द्वारा नियुक्त लिक्विडेटर (कंपनी बंद करने वाला) के कब्जे में कंपनी की सारी संपत्ति आ जाएगी| वह सभी जरूरी कदम उठाएगा जिससे कि उस समय के बाद कंपनी के किसी भी सदस्य का उस संपत्ति में हस्तक्षेप खत्म हो जाए| इसके साथ ही वह बची हुई संपत्ति को बचाने के सारे जरूरी कदम उठाएगा| 2- आदेश पारित होने की तिथि के तुरंत बाद ही सारी संपत्ति को लिक्विडेटर की निगरानी में माना जाएगा| 3- कंपनी से जुड़े कोई भी जरूरी दस्तावेज, किसी के भी पास हों, चाहे वह बैंक, कर्ज दाता, एजेंट, अधिकारी, कर्मचारी इत्यादि में से कोई भी हो| इस प्रक्रिया के बाद तक ट्रिब्यूनल के पास कंपनी की सारी संपत्ति की होल्डिंग आ चुकी है तथा किसको कितना देना है? तथा किस से कितना लेना है? इस बात की भी सारी डिटेल आ चुकी है| कंपनी विघटन (Company Dissolution)कंपनी की कॉरपोरेट एंटिटी समाप्त हो चुकी है| कंपनी का आर ओ सी के रजिस्टर में से नाम कट चुका है| इस बात की जानकारी ROC द्वारा समाचार पत्र इत्यादि के माध्यम से सार्वजनिक की जाती है| 1- जब कंपनी की सारी प्रक्रिया बंद हो चुकी है तब कंपनी के लिक्विडेटर की तरफ से ट्रिब्यूनल में एक आवेदन लिया जाता है| 2- ट्रिब्यूनल के संतुष्ट होने पर वह कंपनी को विघटन (Dissolution) करने का आदेश पारित करेगा| इस आदेश की तारीख के बाद से कंपनी को विघटित माना जाएगा| 3- कंपनी का लिक्विडेटर, 30 दिनों के भीतर, ट्रिब्यूनल के द्वारा इस पारित आदेश को, रजिस्ट्रार के पास जमा कराना पड़ेगा| जिससे कि वह अपने रिकॉर्ड में इसे मेंटेन कर सके| 4- यदि कंपनी लिक्विडेटर, इस आदेश की कॉपी को, 30 दिनों के भीतर, रजिस्ट्रार के पास जमा कराने में चूक जाता है तो कंपनी लिक्विडेटर को दंड के रूप में जुर्माना देना पड़ेगा| प्रतिदिन उस पर ₹5000 का जुर्माना लगेगा| जब तक वह यह रिपोर्ट जमा नहीं कराता, तब तक| यह जुर्माना ₹5000 है (पोस्ट लिखने की तारीख तक) 2- किसी कंपनी का स्वैच्छिक समापन (Voluntary Winding Up of a company)अब तक तो आपने जाना की ट्रिब्यूनल के द्वारा कंपनी कैसे बंद की जाती है? अब समझते हैं! कि यदि शेयरधारकों को लगता है कि कंपनी बंद कर देनी चाहिए, तो इसको वह किस प्रकार कर सकते हैं? शेयर धारक एक रेजोल्यूशन पास करके कंपनी को बंद कर सकते हैं| कंपनी के दिवालिया होते के साथ ही वह इस काम को कर सकते हैं, जिससे कि कंपनी की देनदारी बढ़ती ना चली जाए| यदि कंपनी को किसी खास लक्ष्य के लिए खोला गया था और वह लक्ष्य पूरा हो गया है, तब भी इसे बंद किया जा सकता है| कंपनी बंद करने की परिस्थितियां कंपनी को बनाने का लक्ष्य पूरा हो चुका है| इस बात की जानकारी कंपनी के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में दी गई थी| अब! कंपनी की जनरल मीटिंग में एक रेसोल्यूशन पास करके कंपनी को बंद किया जा सकता है| यदि कंपनी के डाक्यूमेंट्स में इस बात का जिक्र नहीं है तो सर्वसम्मति द्वारा, एक स्पेशल रेजोल्यूशन पास करके इसे बंद किया जा सकता है| दिवाला की घोषणा (Declaration of Insolvency) एक दिवालिया कंपनी के परिसमापन में भी वही (जो कंपनी को बंद करने में होते हैं) नियम लागू होंगे और उनका पालन किया जाएगा 1- कर्ज दाताओं की सूची 2- वार्षिक कमाई तथा भविष्य की परियोजना का विश्लेषण किया जाएगा| कंपनी की संपत्ति का मूल्यांकन किया जाएगा| 3- सिक्योर्ड तथा अनसिक्योर्ड करदाताओं की सूचना इकट्ठा की जाएगी| 4- कंपनी अपने बकाया रकम की सदस्यों से मांग करेगी| कंपनी के स्वैच्छिक समापन की प्रक्रिया(i) कंपनी द्वारा एक बोर्ड मीटिंग की जाएगी| इस बोर्ड मीटिंग में कम से कम 2 डायरेक्टर अवश्य ही होने चाहिए| इस बोर्ड मीटिंग में यह डिक्लेरेशन किया जाएगा कि कंपनी के पास अब कोई कर्ज नहीं है या कंपनी अपनी सारी संपत्तियों का इस्तेमाल करके यह कर्ज चुका सकती है| (ii) कंपनी के वाइंडिंग अप की स्थिति में: इस बोर्ड मीटिंग में या तो ऑर्डिनरी रेसोलुशन पास किया जाएगा या स्पेशल रेजोल्यूशन (¾) पास किया जाएगा| (iii) इसके बाद कर्ज दाताओं की एक मीटिंग होगी| यदि करदाताओं द्वारा बहुमत के साथ यह निर्णय लिया जाता है कि कंपनी को बंद करना ही फायदेमंद है तो, कंपनी को बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी| (iv) कंपनी को बंद करने के निर्णय का रेजोल्यूशन पास होने के बाद, 10 दिन के अंदर रजिस्ट्रार को इसकी सूचना देनी है, जिससे कि लिक्विडेटर को नियुक्त किया जा सके| (v) इस रेजोल्यूशन के पास होने के 14 दिन के अंदर इसे सरकारी माध्यमों, न्यूज़पेपर इत्यादि के माध्यम से सार्वजनिक किया जाएगा| (vi) जनरल मीटिंग के 30 दिन के भीतर, इस ऑर्डिनरी या स्पेशल रेजोल्यूशन को जनरल मीटिंग में जमा कर दिया जाएगा| (vii) कंपनी के सभी कामकाज को बंद कर दिया जाएगा, लिक्विडेटर अकाउंट तैयार किया जाएगा तथा इसका निरीक्षण किया जाएगा| (viii) कंपनी की एक जनरल मीटिंग की घोषणा की जाएगी| (ix) इस जनरल मीटिंग में स्पेशल रिजर्वेशन पास करके कंपनी के बही खातों तथा जरूरी डाक्यूमेंट्स इत्यादि को विघटित या बंद कर दिया जाएगा| (x) इस जनरल मीटिंग के 15 दिनों के भीतर इस ऑर्डर की कॉपी को ट्रिब्यूनल के पास आवेदन के लिए भेज दिया जाएगा| (xi) ट्रिब्यूनल द्वारा निरीक्षण किया जाएगा कि कंपनी द्वारा सभी जरूरी उपकरणों को पूरा किया गया है, तथा किसी प्रकार की कोई धोखाधड़ी नहीं की गई है| इस एप्लीकेशन को प्राप्त होने के 60 दिन के भीतर ट्रिब्यूनल द्वारा कंपनी को बंद (Dissolve) करने का आदेश पारित कर दिया जाएगा| (xii) इसके बाद जिस लिक्विडेटर को नियुक्त किया गया है, वह इस आदेश की कॉपी रजिस्ट्रार के पास जमा करेगा| (xiii) ट्रिब्यूनल के द्वारा पारित इस आदेश की कॉपी को रजिस्ट्रार, सरकारी माध्यमों से सर्व सूचित कर देगा| जैसे कि: समाचार पत्र इत्यादि में छपवा कर| इसके साथ ही रजिस्ट्रार अपनी रिकॉर्ड में से कंपनी का नाम हटा देगा| परिसमापकों की नियुक्ति (Appointment of liquidators)जब किसी कंपनी द्वारा स्वयं के विघटन की घोषणा की जाती है तो कंपनी द्वारा स्वयं ही लिक्विडेटर की नियुक्त की जाती है| कंपनी द्वारा नियुक्त किया गया लिक्विडेटर कंपनी की वर्तमान स्थिति के बारे में बहुत अच्छी तरह जानता है| वह कंपनी की सभी पर भविष्य की परियोजनाओं का आसानी से निरीक्षण कर सकता है| उसे कंपनी के सभी करदाताओं तथा शेयर होल्डर, डिबेंचर होल्डर इत्यादि की सूचना मुहैया करनी होती है| कंपनी परिसमापक की शक्तियां और कर्तव्य (Powers & duties of company liquidator)1- कंपनी के द्वारा नियुक्त लिक्विडेटर को, कंपनी द्वारा पूरे करने वाले, जरूरी विषयों को पूरा करने की छूट होती है| 2- सभी कार्यों को पूरा करने के लिए और सभी दस्तावेजों, विलेख, रसीदों और अन्य दस्तावेजों को निष्पादित (Executed) करने की शक्ति होती है| 3- यह कंपनी की चल तथा अचल संपत्ति को बेच सकता है| 4- यह पूरी कंपनी को चालू स्थिति में बेच सकता है| 5- यह कंपनी के सभी प्रकार के कर्जदाताओं को भुगतान के लिए आमंत्रित कर सकता है| 6- यह कंपनी के वार्षिक स्टेटमेंट तथा वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच कर सकता है| 7- चेक, प्रॉमिससरी नोट, बिल ऑफ एक्सचेंज तथा इस प्रकार के सभी प्रकार के नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट को लिक्विडेटर द्वारा साइन करने की इजाजत है| कंपनी बंद करने का उदाहरणयह अखबार की खबरों पर आधारित है| इसे मैं अखबार में छपी खबर के अनुसार ही लिख रहा हूं| रिजर्व बैंक ने शुरू की रिलायंस कैपिटल पर दिवाला प्रक्रिया साथ ही यह भी अवश्य देखें: DIN नंबर क्या होता है? CIN नंबर क्या होता है? Mutual funds की सारी जानकारी ई बिजनेस की सीमाएं तथा नुकसान क्या हैं? आपने क्या सीखाइस पोस्ट के माध्यम से आपने कंपनी को बंद करने का पूरा प्रोसीजर (winding up of a company) , Meaning of winding Up of a company, Winding Up of a company process by tribunal के बारे में सीखा| बिजनेस लोकमें आने के लिए धन्यवाद| फर्म के समापन की कितनी विधियां है?(i) किसी साझेदार का पागल या अस्वस्थ मस्तिष्क हो जाना। (ii) स्थायी रूप से अयोग्य हो जाने के कारण किसी साझेदार द्वारा अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं कर पाना। (iii) किसी साझेदार को ऐसे दुराचरण का दोष हो जाने पर जिससे व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो। (iv) किसी साझेदार द्वारा साझेदारी ठहराव भंग करने पर।
एक फर्म के विघटन के कितने तरीके हैं?एक फर्म को अनिवार्य रूप से भंग कर दिया जाता है:
(i) एक को छोड़कर सभी भागीदारों या सभी भागीदारों के दिवालिया होने के रूप में। (ii) किसी भी घटना के होने से जो कि फर्म के व्यवसाय के लिए गैरकानूनी हो जाती है या साझेदारों के लिए इसे साझेदारी में ले जाने के लिए।
फर्म के समापन पर कौन सा खाता तैयार किया जाता है?पुर्नमूल्यांकन खाता बनाया जाता हैं फर्म के समापन पर खोला जाता हैं वसूली खाता कम्पनी के प्रबन्ध में भाग नहीं ले सकता हैं । ऋण पत्र धारी सम्पत्ति एवं दायित्वों के मूल्य में परिवर्तन होने पर ।
फर्म के आकस्मिक समापन से क्या आशय है?(1) एक फर्म द्वारा किए गए किसी भी व्यवसाय या पेशे बंद कर दिया गया है या एक फर्म, भंग कर रहा है, जहां 60 [आकलन] ऐसी कोई समाप्ति या विघटन लिया था के रूप में यदि अधिकारी फर्म की कुल आय का आकलन करेगा जगह , और इस अधिनियम के किसी प्रावधान के तहत एक दंड या किसी भी अन्य राशि प्रभार्य की लेवी से संबंधित प्रावधानों सहित इस ...
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