इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: चांदनी रात को चांदी की झील जैसा दिखता है दिन में दुनिया सोने की एक झील है सूरज की चमकदार रोशनी रात में चंद्रमा की नरम रोशनी का रास्ता देती है। झीलों और पहाड़ों दूरी में चमक गईं खेतों में एक परियों का देश है। चांदनी रात का मतलब क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंचाँदनी रात की परिभाषा, अर्थ और उदाहरण चाँदनी रात में
नौका-विहार करने का आनन्द ही कुछ और होता है । चाँदनी रात कविता में किसका महत्व बताया गया है? इसे सुनेंरोकेंउत्तर: भावार्थ: गुप्त जी चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। संपूर्ण पृथ्वी तथा आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है। पृथ्वी हरी-हरी घास की नोकों के माध्यम से अपनी खुशी प्रकट कर रही है। इसे सुनेंरोकेंअमावस्या और पूर्णिमा के बीच वाले भाग को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। अमावस्या
के बाद के 15 दिन को हम शुक्ल पक्ष कहते हैं। अमावस्या के अगले ही दिन से चन्द्रमा का आकर बढ़ना शुरू हो जाता है और अंधेरी रात चांद की रोशनी में चमकने लगती है। जल और थल में चांदनी बिछी होने का क्या अर्थ है? इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: भावार्थ — कवि कहता है कि सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणें जल और थल सभी स्थानों पर क्रीड़ा कर रही हैं। पृथ्वी से आकाश तक सभी जगह चंद्रमा की स्वच्छ चाँदनी पैâली हुई है, जिसे देखकर ऐसा मालूम पड़ता है कि धरती और आकाश में कोई धुली हुई सफेद चादर
बिछी हुई हो। धरती क्या प्रगट करती हैं? इसे सुनेंरोकें2) है बिखेर देती वसुंधरा मोती, सबके सोने पर। रवि बटोर लेता है उनको सदा सबेरा होने पर। और विरामदायिनी अपनी संध्या को दे जाता है। चांदी रात की चंचल किरणें क्या कर रही है?इसे सुनेंरोकेंप्रस्तुत पंक्तियों में चंद्रमा की छटा का सुंदर वर्णन किया गया है। चंद्र किरणें धरती पर अपनी अद्भुत छटा बिखेर रही है। धरती से आकाश तक स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है। सारा वातावरण इतना आनंदित हो रखा है और ऐसे वातावरण को धरती भी मानों अपनी प्रसन्नता झूमकर अर्थात् पेड़-पौधों के झूमने से व्यक्त कर रही है। स्वच्छ चाँदनी कहाँ कहाँ फैली हुई है? इसे सुनेंरोकेंकविवर गुप्त जी कहते हैं कि रात के समय पहरा देते समय प्रकृति की इस सुषमा को देखकर लक्ष्मण जी कहते हैं कि पंचवटी में कितनी सुन्दर और निर्मल चाँदनी फैली हुई है। अवनि और अम्बर तल में क्या बिछी हुई है? इसे सुनेंरोकेंस्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में। मानों झीम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥ जाग रहा यह कौन धनुर्धर, जब कि भुवन भर सोता है? भोगी कुसुमायुध योगी-सा, बना दृष्टिगत होता है॥ विषयसूची विषयसूची
इसे सुनेंरोकेंचांदनी रात की बात अलग है। रात को एक अलग से दृश्य देखने को मिलता है जैसे जनत हो। चांदनी खुदरत का एक बहुत प्यारा तोहफा हैं। आसमान में चाँद और तारें चमकते हुए बहुत अद्भुत लगते है | रात को घुमने में और मज़ा आता है। चांदनी रात कब लगती है?इसे सुनेंरोकेंअमावस्या और पूर्णिमा के बीच वाले भाग को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। अमावस्या के बाद के 15 दिन को हम शुक्ल पक्ष कहते हैं। अमावस्या के अगले ही दिन से चन्द्रमा का आकर बढ़ना शुरू हो जाता है और अंधेरी रात चांद की रोशनी में चमकने लगती है। चाँदनी रात कविता कौन सी रात पर आधारित कविता है? इसे सुनेंरोकेंप्रासंगिक कथाओं को इसमें स्थान नहीं मिलता। प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता ‘चाँदनी रात’ पंचवटी खंडकाव्य से ली गई है। कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने इस कविता में प्रकृति की छटा का सुंदर रूप बड़े ही माधुर्य के साथ अभिव्यंजित किया है तथा चाँदनी रात का मनोहारी वर्णन सुंदर शब्दों में चित्रित किया है। चांदनी रात क्या होती है? इसे सुनेंरोकेंचांदनी रात में वातावरण पूर्णतय: शान्त होता है अगर हम शहर की नीरसता से थोड़ा दूर देहात की ओर चले जायें तो प्रदूषण रहित स्वच्छ शीतल वातावरण का सानिध्य प्राप्त होता है । चांद की किरणें प्रकृति के हर रूप का चुम्बन करती हुई प्रतीत होती हैं । मन ठगा सा रह जाता है । आंखे बंद कर चांदनी आत्मा में उतर जाती है । चांदनी रात के बाद क्या आती है Class 10?इसे सुनेंरोकेंचाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों से देखा है? कवि ने चाँदनी रात की सुंदरता को स्फटिक की शिलाओं से बने सुधा मंदिर में प्रकट किया है, जो दही के समुंदर में उत्पन्न तरंगों के रूप में दिखाई देती है। वह दूध की झाग के समान सर्वत्र फैलकर अपनी सुंदरता को व्यक्त करती है। सारा आकाश उसकी आभा से जगमगाता है। चाँदनी रात की विशेषताएँ क्या है?इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: चांदनी रात को चांदी की झील जैसा दिखता है दिन में दुनिया सोने की एक झील है सूरज की चमकदार रोशनी रात में चंद्रमा की नरम रोशनी का रास्ता देती है। झीलों और पहाड़ों दूरी में चमक गईं खेतों में एक परियों का देश है। चाँदनी रात कविता में सौरमंडल के कौन से प्रसिद्ध ग्रह का वर्णन किया है *? इसे सुनेंरोकेंकोई भी दिशा ऐसी नहीं है, जिस ओर १ कहते हैं कि यह कामदेव-सा भोगी (गृहस्थ) कोई संन्यासी जैसा आनंद का माहौल न हो। अर्थात सर्वत्र आनंद ही ३ बना हुआ-सा दिखाई देता है। आनंद है। | पद्यांश में आया सौर-मंडल का प्रसिद्ध ग्रह- पदयांश क्र. चाँदनी को देखकर कवि को किसकी याद आती है और क्यों? Primary Sidebar
मुख्य गायक के बुझते स्वर को कौन उठाता है?इसे सुनेंरोकेंसदा मुख्य गायक के कष्टों का निवारक रहा है। संगतकार उसके पीछे लगातार गाता रहता है और उसके बुझते स्वर को सँभाले रहता है। जल और थल में चांदनी बिछी होने का क्या अर्थ है?इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: भावार्थ — कवि कहता है कि सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणें जल और थल सभी स्थानों पर क्रीड़ा कर रही हैं। पृथ्वी से आकाश तक सभी जगह चंद्रमा की स्वच्छ चाँदनी पैâली हुई है, जिसे देखकर ऐसा मालूम पड़ता है कि धरती और आकाश में कोई धुली हुई सफेद चादर बिछी हुई हो। स्वच्छ चाँदनी कहाँ कहाँ फैली हुई है? इसे सुनेंरोकेंकविवर गुप्त जी कहते हैं कि रात के समय पहरा देते समय प्रकृति की इस सुषमा को देखकर लक्ष्मण जी कहते हैं कि पंचवटी में कितनी सुन्दर और निर्मल चाँदनी फैली हुई है। चाँदनी रात की विशेषताएँ क्या है *? चांदनी रात का मतलब क्या होता है?इसे सुनेंरोकेंचाँदनी रात की परिभाषा, अर्थ और उदाहरण चाँदनी रात में नौका-विहार करने का आनन्द ही कुछ और होता है । चाँदनी रात कविता कौन सी रात पर आधारित कविता है *?चाँदनी रात इस कविता में झोंपड़ी इस अर्थ में आया हुआ शब्द कौनसा है? इसे सुनेंरोकें(ii) झोंपड़ी-पर्ण कुटीर। चाँदनी रात कविता में किसका महत्व बताया गया है? इसे सुनेंरोकेंउत्तर: भावार्थ: गुप्त जी चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। संपूर्ण पृथ्वी तथा आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है। पृथ्वी हरी-हरी घास की नोकों के माध्यम से अपनी खुशी प्रकट कर रही है। |