मनुष्यता कविता में रंतिदेव और दधीचि के बारे में क्या बताया गया है? - manushyata kavita mein rantidev aur dadheechi ke baare mein kya bataaya gaya hai?

MANUSHYATA मैथिलीशरण गुप्त — मनुष्यता CLASS X HINDI B 5 MARKS QUESTIONS ANSWERS

5 Marks Questions

1.    कविनेदधीचि, कर्णआदि महानव्यक्तियोंकाउदाहरणदेकरमनुष्यताकेलिएक्यासन्देशदियाहै?  

2.    राजारंतिदेवकीदानवीरताके विषयमेंबताइए।

3.    मनुष्यताकविताकाप्रतिपाद्य लिखिए

5 Marks Answers

1.   कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकरमनुष्यताके लिए यह सन्देश दिया है कि परोपकार के लिए अपना सर्वस्व यहाँ तक कि अपने प्राण तक भी न्योछावर तक करने को तैयार रहना चाहिए। यहाँ तक कि परहित के लिए अपने शरीर तक का दान करने को भी तैयार रहना चाहिए। दधीचि ने मानवता की रक्षा के लिए अपनी अस्थि तथा कर्ण ने खाल तक दान कर दी थी। हमारा शरीर तो नश्वर है, उसका मोह रखना व्यर्थ है। परोपकार करना ही सच्ची मनुष्यता है। हमें यही करना चाहिए।

2.   रंतिदेव- रंतिदेव एक दानवीर राजा थे। एक बार उनके राज्य में भीषण अकाल पडा। लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए। रंतिदेव ने राज-कोष और राज्य के अन्न-भण्डार आम जनता के लिए खोल दी। लेकिन अकाल समाप्त  न होने के कारण अन्न-भण्डार समाप्त हो गया । राजा को ४८ दिन तक भूखा रहना पडा। ४८वे दिन उन्हें थोड़ा सा भोजन खाने को मिला। जैसे ही उन्होंने पहला कौर तोड़ा वहाँ एक ब्राह्मण, एक चंडाल, एक कुत्ता और एक प्यासा आ गया। रंतिदेव ने अपना अन्न का थाल, यहाँ तक कि जल-पात्र भी उन्हें दे दिया। कहते हैं कि भगवान उनकी दानवीरता को देख कर प्रसन्न हुए। उनके अन्न-धन के भण्डार फिर से भर गए। 

3.   मैथिलीशरण गुप्त प्रणीत ‘मनुष्यता’ कविता में कवि उसी व्यक्ति को मनुष्य मानता है जो परोपकार हेतु जीवित रहता है। सरस्वती भी उसी उदारमना की कथा बखानती है। लोगों की स्मृति में भी वही व्यक्ति अमर रहता है जो अखंड आत्मभाव से समस्त सृष्टि को देखता है। इसके लिए वह रंतिदेवदधीचिराजा शिवि और वीर कर्ण के उदाहरण देते हुए हमें परोपकार की प्रेरणा देता है और लोगों से स्नेह करने तथा धन व शक्ति के अहंकार में न रहने के लिए कहता है। कवि के अनुसार यदि मनुष्य मनुष्य की उन्नति हेतु प्रयत्न करेगा और एक-दूसरे की सहायता करेगा तो देवता भी उसका साथ देंगे। समस्त मनुष्यों के एक ही पिता परमेश्वर की संतान होने के कारण उनमें बंधुत्व का नाता है। अतः हमें एक-दूसरे की सहायता करते हुए अपने इच्छित मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए। पारस्परिक एकता को बनाए रखकर मार्ग में आने वाली सभी विपत्तियों व विघ्नों को दूर हटा देना चाहिए क्योंकि मनुष्य समर्थ तब ही माना जाता है जब वह केवल अपनी ही उन्नति न करे वरन् समाज की भी उन्नति करे। इसलिए हमें ऐसी मुत्यु प्राप्त करनी चाहिए जो मानवता के हित में कार्य करते हुए आए क्योंकि यदि हमारा जीवन परोपकार के लिए नहीं है तो हमारा जीवन-मरण व्यर्थ है क्योंकि अपनी ही सुविधाओं के लिए जीना तो पशुओं का स्वभाव हैमनुष्य का नहीं। सच्चा मनुष्य तो वही है जो परोपकार के लिए मरता है।


कविता मनुष्यता में महर्षि दधीचि के दान को क्यों महान बताया गया है?

कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए यह संदेश दिया है कि प्रत्येक मनुष्य को परोपकार करते हुए अपना सर्वस्व त्यागने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। इन व्यक्तियों ने दूसरों की भलाई हेतु अपना सर्वस्व दान कर दिया था। दधीचि ने अपनी अस्थियों का तथा कर्ण ने कुंडल और कवच का दान कर दिया था।

मनुष्यता कविता में कवि ने क्या संदेश ददया है अपने शब्दों में लिखखए?

मनुष्यता' कविता द्वारा कवि त्याग,बलिदान, मानवीय एकता, सहानुभूति, सद्भाव, उदारता और करुणा का संदेश देना चाहता है। कवि चाहता है कि समस्त मनुष्य एक-दूसरे के साथ अपनत्व की अनुभूति करें। वह दीन-दुखियों, जरुरतमंदों के लिए सहानुभूति का भाव रखते हुए त्याग करने के लिए सहर्ष तैयार रहे।

कवि ने दधीचि कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है Class 10?

कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर सारी मनुष्यता को त्याग और बलिदान का संदेश दिया है। अपने लिए तो सभी जीते हैं पर जो परोपकार के लिए जीता और मरता है उसका जीवन धन्य हो जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार दधीचि ऋषि ने वृत्रासुर से देवताओं की रक्षा करने के लिए अपनी अस्थियों तक का दान कर दिया

मनुष्यता कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने सबसे बड़ा विवेक किसे कहा है क्यों?

Solution : कवि मैथिलीशरण जी के अनुसार सभी मनुष्यों के प्रति बंधुत्व की भावना रखना ही सबसे बड़ा विवेक है। हम सभी एक ही परमपिता परमेश्वर की संतान हैं, अतः सभी प्राणियों में हमें उसी का अंश देखना चाहिए।