वसंत भाग 3 कक्षा 8 पाठ 1- Hindi Vasant Class 8 Chapter 1 Solutionsध्वनि- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ (Suryakant Tripathi Nirala Ki Kavita Dhwani)सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जीवन परिचय- Suryakant Tripathi Nirala Ka Jeevan Parichay : सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जीवन काल सन 1899-1961 तक रहा। उनकी रचनओं में क्रांति, विद्रोह और प्रेम की उपस्थिति देखने को मिलती है। उनका जन्म कवियों की जन्मभूमि यानि बंगाल में हुआ। अनामिका, परिमल, गीतिका आदि उनकी प्रसिद्ध कविताएं हैं। निराला जी ने स्वामी परमहंस एवं विवेकानंद जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा ली और स्वंत्रता-संघर्ष में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। Show ध्वनि कविता- Dhwani Kavita:अभी न होगा मेरा अंत हरे-हरे ये पात, पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं। द्वार दिखा दूंगा फिर उनको सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता ध्वनि का सार- Suryakant Tripathi Nirala Ki Kavita Dhwani Kavita Ka Saransh: ध्वनि कविता में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी ने प्रकृति का बहुत ही सुंदर और अद्भुत वर्णन किया है। इस कविता में उन्होंने प्रकृति की मदद से मानव के मन की भावनाओं को दर्शाया है। ध्वनि कविता में कवि निराला जी कह रहे हैं कि अभी तो उनके वसंत रूपी यौवन की शुरुआत ही हुई है, अभी उनका अंत नहीं होने वाला। प्रकृति के बारे में बताते हुए कवि कहते हैं कि हर तरफ हरियाली छायी है और पौधों पर खिली कलियां अभी तक सोई हुई हैं। कलियों के इशारे से यहां वो दुखी और परेशान लोगों की बात कर रहे हैं। आगे ध्वनि कविता में कवि निराला जी कहते हैं कि वो सूरज को आसमान में ले आएंगे और इन सोई कलियों को जगाएंगे। अर्थात वो निराश और परेशान लोगों के ज़िंदगी को खुशियों और सुखों से भर देना चाहते हैं। इसके लिए वो अपनी खुशी और सुखों का दान करने हेतु भी तैयार हैं। कवि चाहते हैं कि दुनिया का हर इंसान सुखी रहे। इसीलिए ध्वनि कविता में वे कहते हैं कि जब तक वो हर इंसान का दुख और पीड़ा दूर नहीं कर देंगे, तब तक उनका अंत नहीं होगा। Hindi Vasant Class 8 Solutions All
Chapters Suryakant Tripathi Nirala Poem Dhwani Summary- ध्वनि कविता का भावार्थअभी न होगा मेरा अंत हरे-हरे ये पात, इन पंक्तियों में कवि ने हारे हुए और निराश लोगों को सोई हुई कलियाँ कहा है। जिस प्रकार सूरज के आ जाने से सभी पेड़-पौधों और कलियों में जान आ जाती है, ठीक उसी प्रकार निराला जी अपने प्रेरणा रूपी सूर्य से निराश लोगों के मन में उत्साह और उल्लास भरना चाहते हैं। इस तरह ध्वनि कविता में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी जी जीवन से हार मान चुके लोगों को नया जीवन देना चाहते हैं। पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा
खींच लूँगा मैं। द्वार दिखा दूंगा फिर उनको कवि का मानना है कि अगर युवा पीढ़ी परिश्रम करेगी, तो उसे मनचाहा लक्ष्य मिलेगा और इस आनंद का कभी अंत नहीं होगा। इस प्रकार, कवि कहते हैं कि जब तक वो थके-हारे लोगों और युवा पीढ़ी को सही राह नहीं दिखा देंगे, तब तक उनका अंत होना असंभव है। NCERT Solutions for Class 8 Hndi Chapter 1Class 8 Hndi Chapter 1- ध्वनि कविता के प्रश्न-उत्तरप्र॰1 कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा? प्र॰2 फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है? प्र॰3 कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है? Tags:
द्वार दिखा दूंगा से कवि का क्या आशय है?द्वार दिखा दूँगा फिर उनको हैं मेरे वे जहाँ अनंत' इस पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है? Solution : इस पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि वह प्रकृति के जीवंत रूप को अपने जीवन के समान यशस्वी और कीर्तिमय बनाकर उस अदृश्य परमात्मा से मिलाना चाहता है।
अभी न होगा मेरा अंत पंक्ति में कवि क्या कहना चाहता है?कवि मानते हैं कि उनका अंत अभी नहीं होगा, क्योंकि वह आशावादी है जैसा कि हमने जाना और इस गुण की वजह से वह यह मानते हैं की अभी उनका अंत नहीं होगा जब तक वे अपने उद्देश्य की पूर्ती नहीं कर लेते। क्योंकि अभी कवि के जीवन में अमृत रूपी वन में वसंत रूपी यौवन आया है।
ध्वनि कविता में अभी किसका अंत नहीं होगा?कविता का नाम-'ध्वनि'। 'अभी न होगा मेरा अंत' कवि ने ऐसा क्यों कहा? Answer: 'अभी न होगा मेरा अंत' कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि वे बताना चाहते हैं कि अभी अंत नहीं होने वाला है। अभी अभी तो वसंत का आगमन हुआ है जिससे उसका जीवन खुशियों से भर गया है।
अभी न होगा मेरा अंत पंक्ति में कवि का कौन सा भाव व्यक्त हुआ है?ध्वनि कविता में कवि के 'अभी न होगा मेरा अंत' कहने का क्या भाव उ - 'अभी न होगा मेरा अंत' पंक्ति के माध्यम से कवि ने जीवन के प्रति अपना आशावाद प्रकट किया है | वसंत के आगमन पर निराशा का अंत हो जाता है तथा चतुर्दिक विकास तथा नवनिर्माण दिखाई देता प्र - 7.
|