भारत में प्रवास की धाराओं में कौन सी धारा महिला प्रधान है? - bhaarat mein pravaas kee dhaaraon mein kaun see dhaara mahila pradhaan hai?

भारत में प्रवास की धाराओं पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। गलत कथन/कथनों को ज्ञात कीजिए।I. शादी के कारण महिलाएं ज्यादातर दूसरे राज्यों में चली जाती हैंII. महिला ज्यादातर लंबी दूरी के ग्रामीण प्रवास करती हैंIII. भारत में नेपाल से आने वाले प्रवासियों की संख्या सबसे अधिक है

  1. केवल I 
  2. I और III
  3. II और III
  4. केवल III

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Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : II और III

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Electric charges and coulomb's law (Basic)

10 Questions 10 Marks 10 Mins

विकल्प 3, अर्थात् II और III गलत हैं।

  • आंतरिक प्रवासियों के तहत, मुख्यतः महिला प्रवासी होती हैं।
  • इनमें से अधिकांश विवाह से संबंधित प्रवासी होते हैं। इसलिए, I सही है
  • महिलाएँ, दोनों प्रकार के प्रवासन में कम दूरी के ग्रामीण से ग्रामीण प्रवासन में प्रबल हैं। इसलिए, II सही नहीं है
  • जबकि पुरुष आर्थिक कारणों से अंतर्राज्यीय प्रवास की ग्रामीण से शहरी धारा में प्रबल हैं।
  • करीब 88.9 फीसदी पड़ोसी देशों से आते हैं और बांग्लादेश से सबसे ज्यादा प्रवासी भारत में आते हैं और उसके बाद नेपाल और पाकिस्तान है। इसलिए, III सही नहीं है

स्रोत: भारत, लोग और अर्थव्यवस्था, अध्याय 2, पृष्ठ - 17

Last updated on Sep 22, 2022

CDS I 2022 OTA SSB Selection Link Active Now! The OTA SSB Selection Link for SSCW (NT)-31 Course April 2023 is active till 3 pm 24th October 2022 and SSC (NT)-117 Course April 2023 is active till 10 am 25th October 2022.  Earlier, the Union Public Service Commission released the UPSC CDS II Result for the Written Examination. The CDS II 2022 exam was conducted on 4th September 2022. The candidates who are qualified in the written test are eligible to attend the Interview. A total number of 6658 candidates are shortlisted. The Interview Schedule will be released soon. This year a total number of 339 vacancies have been released for the UPSC CDS Recruitment 2022. The application process was conducted between 18th May 2022 and 7th June 2022.

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भूगोल

भारत में प्रवास (Migrant in India)

  • 06 Apr 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारत में प्रवास, शुद्ध-प्रवास दर 

मेन्स के लिये:

भारत में प्रवास का स्थानिक वितरण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में COVID- 19 महामारी के चलते लगाए गए 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा के बाद शहरों से भारी संख्या में प्रस्थान करने वाले उन प्रवासी कामगारों को चर्चा में ला दिया है, जो काम के लिये अपने गृह राज्यों से बाहर रहते हैं।

मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में आंतरिक प्रवासियों की कुल संख्या 45.36 करोड़ है, जो देश की जनसंख्या का लगभग 37% है। 
  • हाल ही में लॉकडाउन के कारण लोगों का व्यापक पलायन (Mass Exodus) देखने को मिला, जिसका प्रमुख कारण अंतर-राज्य प्रवासियों द्वारा बड़े पैमाने पर किया गया आवागमन है।

भारत की जनगणना में प्रवास की गणना दो आधारों पर की जाती है: 

  • जन्म का स्थान:
    • यदि जन्म का स्थान, गणना स्थान से भिन्न है; इसे जीवनपयर्तं प्रवासी के रूप में जाना जाता है। 
  • निवास का स्थान:
    • यदि निवास का पिछला स्थान गणना के स्थान से भिन्न है; इसे निवास के पिछले स्थान से प्रवासी के रूप में जाना जाता है। 
  • प्रवास की धाराएँ: 
    • इसे आंतरिक प्रवास (देश के भीतर) तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रवास (देश के बाहर) में वर्गीकृत किया जाता है। 
    • आंतरिक प्रवास के अंतर्गत चार धाराओं की पहचान की गई है:
      1. ग्रामीण से ग्रामीण 
      2. ग्रामीण से नगरीय 
      3. नगरीय से नगरीय  
      4. नगरीय से ग्रामीण 

प्रवास तथा व्यवसाय:

  • देश में अंतर-राज्य प्रवास के आधिकारिक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन विकासशील समाजों का अध्ययन केंद्र (Centre for the Study of Developing Societies- CSDS) द्वारा वर्ष 2011 की जनगणना, NSSO सर्वेक्षण तथा आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर वर्ष 2020 के लिये प्रवास के अनुमानित आँकड़े जारी किये हैं। CSDS के अनुसार, देश में अंतर-राज्य प्रवासीयों की संख्या लगभग 65 मिलियन हैं, जिनमें से लगभग 33% श्रमिक वर्ग है। 
  • अनुमानों के अनुसार, इन प्रवासी श्रमिकों में से 30% अल्पकालिक श्रमिक (Casual Workers) हैं तथा अन्य 30 प्रतिशत अनौपचारिक क्षेत्र में कार्य करने वाले नियमित कार्मिक हैं।
  • इसके अलावा स्ट्रीट वेंडर्स को इन आँकड़ों में शामिल कर लिया जाए तो 12-18 मिलियन लोग ऐसे हैं जो अपने मूल स्थान से अन्य राज्यों में रह रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार भारत के बड़े नगरों की लगभग 29% आबादी दैनिक मज़दूरी करने वाले लोगों की है तथा ये लोग पुन: अपने गृह- राज्यों में वापस जाना चाहते हैं।

प्रवास का स्थानिक वितरण:

  • कुल प्रवासियों में उत्तर प्रदेश और बिहार में अंतर-राज्य प्रवासियों का प्रतिशत क्रमश: 25% तथा 14% है। इसके बाद राजस्थान (6%) तथा मध्य प्रदेश (5%) का स्थान है। 

प्रवासी श्रमिकों की आय:

  • CSDS द्वारा किये सर्वेक्षण के अनुसार, इन प्रवासी श्रमिकों की आय निम्नलिखित प्रकार से पाई गई:

मासिक घरेलू आय (रुपए में)

श्रमिकों का प्रतिशत 

2,000 से कम 

22%

2,000-5,000 

32%

5,000-10,000 

25%

10,000 और 20,000

13%

20,000 से अधिक 

8%

प्रवास एवं नगर: 

  • लॉकडाउन के बाद सर्वाधिक अंतर-राज्यीय प्रवास संकट दिल्ली, मुंबई, सूरत जैसे शहरों में देखा गया। दिल्ली में प्रवासन दर 43% है, जिनमें से 88% अंतर-राज्यीय तथा 63% ग्रामीण-नगरीय प्रवासी हैं। मुंबई में प्रवासन की दर 55% है, जिसमें से 46% अंतर-राज्यीय तथा 52% ग्रामीण-नगरीय प्रवासी हैं। सूरत में प्रवासन दर 65% है, जिनमें से 50% अंतर-राज्यीय तथा 76% ग्रामीण-नगरीय प्रवासी हैं।
  • वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, ज़िले-से-ज़िले प्रवास में प्रवासियों का सबसे अधिक अप्रवास गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश), गुरुग्राम जैसे नगरीय-जिलों में हैं। 
  • किसी ज़िले से उत्प्रवास (बाहर प्रवास करने वाले कामगारों) को देखा जाए तो इसमें मुज़फ़्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर जैसे ज़िले सर्वोच्च स्थान पर हैं।

शुद्ध-प्रवास दर

(Net Migration Rate- NMR):

  • NMR, किसी क्षेत्र में आने वाले तथा उस स्थान को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर जाकर रहने वाले लोगों की संख्या के बीच अंतर होता है। यदि किसी क्षेत्र से बाहर प्रवास करने वालों की संख्या, आने वाले प्रवासियों से अधिक हो तो उसे धनात्मक शुद्ध प्रवासन दर कहते हैं। 
  • बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे अपेक्षाकृत कम विकसित राज्यों में शुद्ध-प्रवास (Net Out Migration) उच्च है। दिल्ली में सर्वाधिक प्रवासी आते हैं। जबकि उत्तर- प्रदेश तथा बिहार राज्यों से बाहर प्रवसन करने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है। 
  • आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि महाराष्ट्र, गोवा तथा तमिलनाडु का प्रमुख शुद्ध प्रवासन प्राप्तकर्ता जबकि झारखंड और मध्य प्रदेश का शुद्ध प्रवासन दाता राज्य है।

प्रवास तथा लैंगिकता में संबंध:

  • महिला प्रवासी श्रमिकों की सबसे अधिक हिस्सेदारी निर्माण क्षेत्र में है (शहरी क्षेत्रों में 67%, ग्रामीण क्षेत्रों में 73%), जबकि सबसे अधिक पुरुष प्रवासी श्रमिक भागीदारी सार्वजनिक सेवाओं (परिवहन, डाक, सार्वजनिक प्रशासन सेवाएँ ) तथा आधुनिक सेवाओं (वित्तीय मध्यस्थता, अचल संपत्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य) में है।

भारत में प्रवास की धाराओं में कौन सी धारा महिला प्रधान है? - bhaarat mein pravaas kee dhaaraon mein kaun see dhaara mahila pradhaan hai?

निष्कर्ष:

  • प्रवासी आबादी अपने गाँव-आधारित जातीय संबंधों को न तो पूरी तरह से बरकरार रखती है और न ही पूरी तरह से त्याग देती है, इस कारण वे आजीविका के स्रोत से सैकड़ों किलोमीटर दूर लौटना चाहते हैं। अत: सरकार को ऐसे श्रमिकों की आर्थिक तथा आवागमन दोनों तरह से सहायता करनी चाहिये। 

स्रोत: द हिंदू

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भारत में प्रवास की धाराओं में कौन सी धारा महिला प्रधान है? - bhaarat mein pravaas kee dhaaraon mein kaun see dhaara mahila pradhaan hai?

भारत में प्रवास की धारा में कौन सी धारा महिला प्रधान है?

इसी प्रकार, भारत से भी बहुत बड़ी संख्या में लोग बेहतर अवसरों की तलाश में विभिन्न स्थानों विशेष रूप से मध्य पूर्व 2022-23 Page 2 और पश्चिमी यूरोप के देशों अमेरिका, आस्ट्रेलिया और पूर्वी प्रवास और दक्षिण-पूर्वी एशिया में प्रवास करते रहे ।

भारत में प्रवास की धाराओं में से कौन सी धारा पुरुष प्रधान है?

(iii) भारत में प्रवास को ग्रामीण से नगरीय एक धारा पुरुष प्रधान है। सही उत्तर है।

भारत में प्रवास की निम्नलिखित धाराओं में से कौन सी?

भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के दो स्तर हैं- (i) उत्प्रवास-भारत से बाह्य देशों की ओर प्रवास, (ii) आप्रवास-बाह्य देशों से भारत की ओर प्रवास

प्रवास की धाराएं क्या है?

विशेष रूप से उत्तरी अमेरिका तथा अन्य विकसित देशों में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों से निरंतर उठने वाली 'दोहरी नागरिकता' की मांग के प्रत्युत्तर में तथा प्रवासी भारतीयों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं की पूर्ति करने की सरकार की गहन प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, अगस्त, 2005 में नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन ...