भारत के जल संसाधन यहाँ कि अर्थव्यवस्था के लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत की काफ़ी जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और भारतीय कृषि काफ़ी हद तक वर्षाजल पर निर्भर है। सिंचित क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा नलकूपों द्वारा है और भारत विश्व का सबसे बड़ा भू जल उपयोगकर्ता भी है। भारत में वर्षा कि मात्रा बहुत है किन्तु यह वर्षा साल के बारहों महीनों में बराबर न होकर एक ऋतु विशेष में होती है जिससे वर्षा का काफ़ी जल बिना किसी उपयोग के बह जाता है।[कृपया उद्धरण जोड़ें] Show
जल प्रदूषण और जल गुणवत्ता के मुद्दे भी महत्वपूर्ण हैं। कालीनगर, वर्दवान, पश्चिम बंगाल में बाढ़ का एक दृश्य जल संसाधन उपलब्धता[संपादित करें]भारत में जल संसाधन की उपलब्धता क्षेत्रीय स्तर पर जीवन-शैली और संस्कृति के साथ जुड़ी हुई है।[कृपया उद्धरण जोड़ें] साथ ही इसके वितरण में पर्याप्त असमानता भी मौजूद है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में ७१% जल संसाधन की मात्रा देश के ३६% क्षेत्रफल में सिमटी है और बाकी ६४% क्षेत्रफल के पास देश के २९% जल संसाधन ही उपलब्ध हैं।[1] हालाँकि कुल संख्याओं को देखने पर देश में पानी की माँग अभी पूर्ती से कम दिखाई पड़ती है। २००८ में किये गये एक अध्ययन के मुताबिक देश में कुल जल उपलब्धता ६५४ बिलियन क्यूबिक मीटर थी और तत्कालीन कुल माँग ६३४ बिलियन क्यूबिक मीटर।[2](सरकारी आँकड़े जल की उपलब्धता को ११२३ बिलियन क्यूबिक मीटर दर्शाते है लेकिन यह ओवर एस्टिमेटेड है)। साथ ही कई अध्ययनों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि निकट भविष्य में माँग और पूर्ति के बीच अंतर चिंताजनक रूप ले सकता है[3] क्षेत्रीय आधार पर वितरण को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो समस्या और बढ़ेगी। वर्षा जल[संपादित करें]भारत में वर्षा-जल की उपलब्धता काफ़ी है और यह यहाँ के सामान्य जीवन का अंग भी है। भारत में औसत दीर्घकालिक वर्षा ११६० मिलीमीटर है जो इस आकार के किसी देश में नहीं पायी जाती। साथ ही भारतीय कृषि का एक बड़ा हिस्सा सीधे वर्षा पर निर्भर है जो करीब ८.६ करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल पर है और यह भी विश्व में सबसे अधिक है।[4] चूँकि भारत में वर्षा साल के बारहों महीने नहीं होती बल्कि एक स्पष्ट वर्षा ऋतु में होती है, अलग-अलग ऋतुओं में जल की उपलब्धता अलग लग होती है। यही कारण है कि वार्षिक वर्षा के आधार पर वर्षा बहुल इलाकों में भी अल्पकालिक जल संकट देखने को मिलता है। इसके साथ ही अल्पकालिक जल संकट क्षेत्रीय विविधता के मामले में देखा जाय तो हम यह भी पाते हैं कि चेरापूंजी जैसे सर्वाधिक वर्षा वाले स्थान के आसपास भी चूँकि मिट्टी बहुत देर तक जल धारण नहीं करती और वर्षा एक विशिष्ट ऋतु में होती है, अल्पकालिक जल संकट खड़ा हो जाता है।[5] अतः सामान्यतया जिस पूर्वोत्तर भारत को जलाधिक्य के क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा था उसे भी सही अरथों में ऐसा नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह जलाधिक्य भी रितुकालिक होता है। सतही जल[संपादित करें]नदी जल[संपादित करें]भारत में १२ नदियों को प्रमुख नदियाँ वर्गीकृत किया गया है जिनका कुल जल-ग्रहण क्षेत्र २५२.८ मिलियन हेक्टेयर है जिसमें गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना सबसे बृहद है। { |- |सिन्धु |७३.३ |गंगा |५२५ } हालाँकि इन नदियों में भी जल की मात्रा वर्ष भर समान नहीं रहती। भारत में नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना भी बनी जा रही है जिसमें से कुछ के तो प्रोपोज़ल भी बन चुके हैं। अन्य सतही जल[संपादित करें]अन्य सतही जल में झीलें, ताल, पोखरे और तालाब आते हैं। भू-जल[संपादित करें]भारत विश्व का सबसे बड़ा भूगर्भिक जल का उपभोग करने वाला देश है। विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक भारत करीब २३० घन किलोमीटर भू-जल का दोहन प्रतिवर्ष करता है।[6] सिंचाई का लगभग ६०% और घरेलू उपयोग का लगभग ८०% जल भू जल ही होता है।उत्तर प्रदेश जैसे कृषि प्रमुख और विशाल राज्य में सिंचाई का ७१.८ % नलकूपों द्वारा होता है (इसमें कुओं द्वारा निकला जाने वाला जल नहीं शामिल है)। केन्द्रीय भू जल बोर्ड के वर्ष २००४ के अनुमानों के मुताबिक भारत में पुनर्भरणीय भू जल की मात्रा ४३३ बिलियन क्यूबिक मीटर थी जिसमें ३६९.६ बी.सी.एम. सिंचाई के लिये उपलब्ध था। जल संकट[संपादित करें]पूरे भारत के आंकड़े देखने पर हमें जल संकट अभी भविष्य की चीज़ नज़र आता है लेकिन स्थितियाँ ऐसी नहीं है। क्षेत्रीय रूप से भारत के कई इलाके पानी की कमी से जूझ रहे हैं। बड़े शहरों में तो यह समस्या आम बात हो चुकी है। जल प्रदूषण[संपादित करें]पानी कि उपलब्धता से आशय केवल पानी कि मात्रा से लिया जाता है जबकी इसमें पानी की गुणवत्ता का भी समावेश किया जाना चाहिये। आज के समय में भारत की ज्यादातर नदियाँ प्रदूषण का शिकार हैं और भू जल भी प्रदूषित हो रहा है। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
जल संसाधन कितने हैं?देश में एक वर्ष में वर्षण से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन कि-मी- है। धरातलीय जल और पुन: पूर्तियोग भौम जल से 1,869 घन कि-मी- जल उपलब्ध है। इसमें से केवल 60 प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1,122 घन कि-मी- है।
भारत में जल संसाधन का कितना प्रतिशत है?भारत का जल संसाधन भंडार विश्व का लगभग 4% है। भारत में एक साल में वर्षा से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4 हजार घन किमी है। धरातलीय जल और पुनःपूर्तियोग भूमि जल से 1869 घन किलोमीटर जल उपलब्ध है, इसमें से केवल 60% जल ही उपयोगी है।
भारत के जल संसाधन कौन कौन से हैं?भारत का वार्षिक जल बजट. प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त कुल जल – 4000 अरब घन मीटर. वाष्पन से लुप्त होने वाला जल – 700 अरब घन मीटर. जमीन द्वारा सोखा जाने वाला जल – 700 अरब घन मीटर. बहकर समुद्र में चला जाने वाला जल – 1500 अरब घन मीटर. बचा जल – 1120 अरब घन मीटर. भूजल भरपाई – 450 अरब घन मीटर. भूजल का उपयोग – 370 अरब घन मीटर. जल संसाधन को कितने भागों में बांटा गया है?इसके तहत विभाग को मुख्यत: तीन हिस्सों में बांटा गया है। इसमें मुख्यालय खंड के अलावा बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण खंड और सिंचाई सृजन खंड होंगे।
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