औद्योगिक क्रांति का इंग्लैंड पर क्या प्रभाव पड़ा? - audyogik kraanti ka inglaind par kya prabhaav pada?

इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति का लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?1) रेशम, फीता बनाने और बुनाई उद्योग में महिलाएं मुख्य कार्यकर्ता थीं।2) फैक्टरी प्रबंधक बच्चों पर औद्योगिक कार्य के स्वास्थ्य जोखिमों से अच्छी तरह परिचित थे।3) बच्चे प्रायः कपड़ा कारखानों में कार्यरत थे।4) चार्ल्स डिकेंस का उपन्यास 'हार्ड टाइम्स' औद्योगीकरण की भयावहता का एक गंभीर आलोचक था।नीचे दिए गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिए:

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NDA (Held On: 18 Sept 2016) General Ability Test Previous Year paper

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  1. केवल 1 और 3 
  2. 1 और 2
  3. 1, 3 और 4
  4. केवल 3 और 4 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : 1, 3 और 4

Free

Electric charges and coulomb's law (Basic)

10 Questions 10 Marks 10 Mins

सही उत्तर विकल्प 3 है

इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति

  • औद्योगिक क्रांति इंग्लैंड में शुरू हुई और जल्द ही महाद्वीपीय यूरोप और उत्तरी अमेरिका में फैल गई।
  • औद्योगिक क्रांति का स्वाद चखने वाला पहला प्रमुख उद्योग कपड़ा उद्योग था।
  • शिल्प उत्पादन मॉडल से कारखाने-केंद्रित मॉडल में औद्योगीकरण के दौरान काम की प्रकृति बदल गई।
  • वे एक सामान्य उत्पादन प्रक्रिया के भीतर बच्चों और महिलाओं को शामिल करते थे।
  • महिलाओं की मजदूरी पुरुषों को कम करती है, पुरुषों को "घर पर बैठने" के लिए मजबूर करती है और बच्चों की देखभाल करने के लिए कहती हैं जबकि पत्नी लंबे समय तक काम करती है।
  • रेशम, फीता-निर्माण और बुनाई उद्योगों में महिलाएं प्रमुख श्रमिक थीं। अतः कथन 1 सही है।
  • फैक्ट्री प्रबंधकों को बच्चों पर औद्योगिक कार्यों के स्वास्थ्य जोखिमों की अच्छी जानकारी नहीं थी। अतः, कथन 2 गलत है।
  • प्रबंधक ने माता-पिता के साथ अधिक समय तक काम नहीं करने दिया, बच्चों ने 6 वर्ष की उम्र में ही उद्योग में काम करना शुरू कर दिया और प्रबंधक ने बच्चों को पुरुष मजदूरी का 10% भुगतान किया। अतः, कथन 3 सही है।
  • उद्योगों का खतरनाक काम जिसके परिणामस्वरूप विकृत शरीर, खोए हुए अंग, दीर्घकालिक बीमारी थी।
  • 'हार्ड टाइम्स’ उपन्यास चार्ल्स डिकेंस द्वारा लिखा गया था और वे औद्योगिकीकरण की बुराइयों के गंभीर आलोचक थे और उनका उपन्यास औद्योगिक शहरों की कठोर स्थिति पर आधारित है। अतः, कथन 4 सही है।

Last updated on Nov 17, 2022

Union Public Service Commission (UPSC) has released the NDA Result I 2022 (Name Wise List) for the exam that was held on 10th April 2022. 519 candidates have been selected provisionally as per the results. The selection process for the exam includes a Written Exam and SSB Interview. Candidates who get successful selection under UPSC NDA will get a salary range between Rs. 15,600 to Rs. 39,100.

औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण, प्रभाव, परिणाम एवं महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण, भारत और विश्व पर प्रभाव और परिणाम:

औद्योगिक क्रांति किसे कहते है?

ब्रिटेन और बाद में यूरोप में वर्ष 1780 से 1820 के बीच हुए प्रचंड औद्योगिक प्रगति के फलस्वरूप सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक तथा वैचारिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। इसका प्रभाव इंग्लैण्ड तक ही सिमित नहीं रहकर यूरोप के अन्य देशों पर भी पड़ा। इस तरह विश्व में एक नए युग का प्राम्भ हुआ और वर्ष 1882 ई. में अर्नाल्ड टायनबी ने इसे 'औद्योगिक क्रान्ति' की संज्ञा दी। इस युग में जल तथा वाष्प के इंजन की शक्ति से चलित यंत्रों का आविष्कार हुआ जिसके कारण कारखानों की स्थापना होने लगी। कारखानों का निर्माण होने के कारण वस्तु -निर्माण का घरेलू तरीका शिथिल और कमजोर हो गया। इन कारखानों में मजदूरों को मजदूरी पर रखा जाता था।

कारखानों की स्थापना और मजदूरों की बहुलता के कारण नए नए नगर बसने लगे। गाँव और शहरों से लोग पैसे कमाने के लिए शहरों के कारखानों में मजदूरी करने आने लगे। अधिक संख्या में कारखाने और मजदूरों की अधिक संख्यां के कारण खपत योग्य वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा। अधिकाधिक वस्तुओं के उत्पादन के कारण उत्पादित वस्तुओं को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाने के लिए यातायात के नए और तेज गति वाले साधनों का विकास हुआ। इस औद्योगिक क्रान्ति का प्रभाव व्यापक था और सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक सभी क्षेत्रों में औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप दूरगामी परिवर्तन हुए। 19वी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में फैल गयी।

औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण:

  • कृषि क्रांति
  • जनसंख्या विस्फोट
  • व्यापार प्रतिबंधों की समाप्ति
  • उपनिवेशों का कच्चा माल तथा बाजार
  • पूंजी तथा नयी प्रौद्योगिकी
  • पुनर्जागरण काल और प्रबोधन
  • राष्ट्रवाद
  • कारखाना प्रणाली

औद्योगिक क्रांति के दौरान हुए प्रमुख आविष्कार एवं महत्‍वपूर्ण तथ्‍य:-

  • औद्योगिक क्रांति की शुरुआत इंग्‍लैंड में हुई।
  • इंग्‍लैंड में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत सूती कपड़ा उद्योग से हुआ।
  • मैनचेस्‍टर से वर्सले तक ब्रिंटले नामक इंजीनियर ने (1761 ई. में) नहर बनाई।
  • रेल के जरिए खानों से बंदरगाहों तक कोयला ले जाने के लिए भाप इंजन का इस्‍तेमाल जार्ज स्‍टीफेंसन ने किया।
  • औद्योगिक क्रांति की दौर में इंग्‍लैंड का प्रतिद्वंदी जर्मनी था।
  • लौह अयस्क से इस्पात बनाने की प्रक्रिया का दूसरा चरण इस्पात निर्माण है, इस्पात निर्माण का उदय का औद्योगिक क्रांति के दौरान हुआ है।
  • विद्युत आवेशों के मौजूदगी और बहाव से जुड़े भौतिक परिघटनाओं के समुच्चय को विद्युत कहा जाता है। विद्युत निर्माण का उदय का भी औद्योगिक क्रांति के दौरान हुआ है। विद्युत से अनेक जानी-मानी घटनाएं जुड़ी है जैसे कि तडित, स्थैतिक विद्युत, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण, तथा विद्युत धारा।
  • तेज चलने वाले शटर का आविष्‍कार जॉन (1733 ई. में) किया।
  • स्पिनिंग म्‍यूल का आविष्‍कार क्राम्‍पटन (1776 ई.) ने किया।
  • घोड़ा द्वारा चलाए जाने वाला करघा का आविष्‍कार कार्ट राइट ने किया।
  • सेफ्टी लैंप का आविष्‍कार हम्‍फ्री डेवी ने (1815 ई.) में किया।

औद्योगिक क्रांति के प्रभाव: औद्योगिक क्रांति का मानव समाज पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। मानव समाज के इतिहास में दो प्रसिद्ध क्रांतियां हुई जिन्होंने मानव इतिहास को सर्वाधिक प्रभावित किया। एक क्रांति उस समय हुई जब उत्तर पाषाण युग में मानव ने शिकार छोड़कर पशुपालन एवं कृषि का पेशा अपनाया तो दूसरी क्रांति वह है जब आधुनिक युग में कृषि छोड़कर व्यवसाय को प्रधानता दी गई। इस औद्योगिक क्रांति से उत्पादन पद्धति गहरे रूप से प्रभावित हुई।

श्रम के क्षेत्र में मानव का स्थान मशीन ने ले लिया। उत्पादन में मात्रात्मक व गुणात्मक परिवर्तन आया। धन सम्पदा में भारी वृद्धि हुई। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी बढ़ा। औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का विस्तार भी औद्योगिक क्रांति का परिणाम था एवं नए वर्गों का उदय हुआ।

आर्थिक परिणाम:

  • उत्पादन में असाधारण वृद्धि: कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन शीघ्र एवं अधिक कुशलता से भारी मात्रा में होने लगा। इन औद्योगिक उत्पादों को आंतरिक और विदेशी बाजारों में पहुंचाने के लिए व्यापारिक गतिविधियां तेज हुई जिससे औद्योगिक देश धनी बनने लगे। इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था उद्योग प्रधान हो गई। वहां औद्योगिक पूंजीवाद का जन्म हुआ। औद्योगिक एवं व्यापारिक निगमों का विस्तार हुआ। इन निमगों ने अपना विस्तार करने के लिए अपनी पूंजी की प्रतिभूतियां (Securities) बेचना आरंभ किया। इस तरह उत्पादन की असाधारण वृद्धि ने एक नई आर्थिक पद्धति को जन्म दिया।
  • शहरीकरण: बदलते आर्थिक परिदृश्य के कारण गांवों के कुटीर उद्योगों का पतन हुआ। फलतः रोजगार का तलाश में लोग शहरों की ओर भागने लगे क्योंकि अब बड़े-बड़े उद्योग जहां स्थापित हुए थे, वहीं रोजगार की संभावनाएं थी। स्वाभाविक तौर पर शहरीकरण की प्रक्रिया तीव्र हो गई। नए शहर अधिकतर उन औद्योगिक केन्द्रों के आप-पास विकसित हुए जो लोहे कोयले और पानी की व्यापक उपलब्धता वाले स्थानों के निकट थे। नगरों का उदय व्यापारिक केन्द्र के रूप में, उत्पादन केन्द्र, बंदरगाह नगरों के रूप में हुआ। शहरीकरण की प्रक्रिया केवल इंग्लैंड तक सीमित नहीं रही बल्कि फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रिया, इटली आदि में भी विस्तारित हुई। इस तरह शहर अर्थव्यवस्था के आधार बनने लगे।
  • आर्थिक असंतुलन: औद्योगिक क्रांति से आर्थिक असंतुलन राष्ट्रीय समस्या के रूप में सामने आया। विकसित और पिछड़े देशों के मध्य आर्थिक असमानता की खाई गहरी होती चली गई। औद्योगीकृत राष्ट्र अविकसित राष्ट्रों का खुलकर शोषण करने लगे। आर्थिक साम्राज्यवाद का युग आरंभ हुआ। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर औपनिवेशिक साम्राज्यवादी व्यवस्था मजबूत हुई। औद्योगिक क्रांति के बाद राष्ट्रों की आपसी निर्भरता बहुत अधिक बढ़ गई जिससे एक देश में घटने वाली घटना दूसरे देश को सीधे प्रभावित करने लगी। फलतः अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक तेजी एवं मंदी का युग आरंभ हुआ।
  • बैकिंग एवं मुद्रा प्रणाली का विकास: औद्योगिक क्रांति ने संपूर्ण आर्थिक परिदृश्य को बदल दिया। उद्योग एवं व्यापार में बैंक एवं मुद्रा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई। बैंकों के माध्यम से लेन-देन सुगम हुआ, चेक और ड्राफ्ट का प्रयोग बढ़ गया। मुद्रा के क्षेत्र में भी विकास हुआ। धातु के स्थान पर कागजी मुद्रा का प्रचलन हुआ।
  • कुटीर उद्योगों का विनाश: औद्योगिक क्रांति का नकारात्मक परिणाम था कुटीर उद्योगों का विनाश। किन्तु यहाँ समझने की बात यह है कि यह नकरात्मक परिणाम औद्योगिक देशों पर नहीं बल्कि औपनिवेशिक देशों पर पड़ा। दरअसल औद्योगिक देशों में कुटरी उद्योगों के विनाश से बेरोजगार हुए लोगों को नवीन उद्योगों के रूप में एक विकल्प प्राप्त हो गया। जबकि उपनिवेशों में इस वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाई। भारत के संदर्भ में इसे समझा जा सकता है।
  • मुक्त व्यापार: औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप संरक्षणवाद के स्थान पर मुक्त व्यापार की नीति अपनाई गई। 1813 के चार्टर ऐक्ट के तहत इंग्लैंड ने EIC के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त कर मुक्त व्यापार की नीति को बढ़ावा दिया।

सामाजिक परिणाम:

  • जनसंख्या में वृद्धि: औद्योगिक क्रांति ने जनसंख्या वृद्धि को संभव बनाया। वस्तुतः कृषि क्षेत्र में तकनीकी प्रयोग ने खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाकर भोजन आवश्यकता की पूर्ति की। दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न उत्पादन बढ़कार भोजन आवश्यकता की पूर्ति की। दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न की पूर्ति करना संभव हुआ। बेहतर पोषण एवं विकसित स्वास्थ्य एवं औषधि विज्ञान के कारण नवजात शिशु एवं जीवन की औसत आयु में वृद्धि हुई। फलतः मृत्यु दर में कमी आई।
  • नए सामाजिक वर्गों का उदय: औद्योकिग क्रांति ने मुख्य रूप से तीन नए वर्गों का जन्म दिया। प्रथम पूंजीवादी वर्ग, जिसमें व्यापारी और पूंजीपति सम्मिलित थे। द्वितीय मध्यम वर्ग, कारखानों के निरीक्षक, दलाल, ठेकेदार, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि शामिल थे। तीसरा श्रमिक वर्ग जो अपने श्रम और कौशल से उत्पादन करते थे।
  • मानवीय संबंधों में गिरावट: परम्परागत, भावानात्मक मानवीय संबंधों का स्थान आर्थिक संबंधों ने ले लिया। जिन श्रमिकों के बल पर उद्योगपति समृद्ध हो रहे थे उनसे मालिन न तो परिचित था और न ही परिचित होना चाहता था। उद्योगों में प्रयुक्त होने वाली मशीन और तकनीकी ने मानव को भी मशीन का एक हिस्सा बना दिया।
  • नैतिक मूल्यों में गिरावट: नए औद्योगिक समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आई। भौतिक प्रगति से शराब और जुए का प्रचार बढ़ा। अधिक समय तक काम करने के बाद थकावट मिटाने के लिए श्रमिकों में नशे का चलन बढ़ा। इतना ही नहीं औद्योगिक केन्द्रों पर वेश्यावृति फैलने लगी। उपभोक्तावादी प्रवृत्ति बढ़ने से भ्रष्टाचार एवं अपराधों को बढ़ावा मिला।
  • शहरी जीवन में गिरावट: शहरों में जनसंख्या के अत्यधिक वृद्धि के कारण निचले तबके को आवास, भोजन, पेयजल आदि का अभाव भुगतान पड़ता था। अत्यधिक जनसंख्या के कारण औद्योगिक केन्द्रों के आस-पास कच्ची बस्तियों का विस्तार होने लगा जहां गंदगी रहती थी।
  • सांस्कृतिक परिवर्तन: औद्योगिक क्रांति से पुराने रहन-सहन के तरीकों, वेश-भूषा, रीति-रिवाज, कला-साहित्य, मनोरंजन के साधनों में परिवर्तन हुआ। परम्परागत शिक्षा पद्धति के स्थान पर रोजगारपरक तकनीकी एवं प्रबन्धकीय शिक्षा का विकास हुआ।
  • बाल-श्रम: औद्योगिक क्रांति ने बाल-श्रम को बढ़ावा दिया और बच्चों से उनका “बचपन” छीन लिया। इस समस्या से आज सारा विश्व जूझ रहा है।
  • महिला आंदोलनों का जन्म: औद्योगिक क्रांति ने कामगारों की आवश्यकता को जन्म दिया जो केवल पुरूषों से पूरा नहीं हो पा रहा था। अतः स्त्री की भागीदारी कामगार वर्ग में हुई। अब स्त्रियों की ओर से भी अधिकारों की मांगे उठने लगी, उनमें चेतना जागृत हुई।

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औद्योगिक क्रांति का इंग्लैंड पर क्या प्रभाव पड़ा विवेचना कीजिए?

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इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव?

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औद्योगिक क्रांति के सर्वप्रथम इंग्लैंड में शुरू होने के क्या कारण थे?

अनुकूल जलवायु, कोयला तथा लोहे की उपलब्धता तथा आंतरिक भागो तक पहुंच हेतु नदियों की उपलब्धता आदि कुछ ऐसे कारण थे जिन्होंने इंग्लॅण्ड में औद्योगिक क्रांति को जनम दिया। इंग्लैंड में 18 वीं शताब्दी के पश्चात् लोहे तथा कोयला के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई जिसने औद्योगिक क्रांति की शुरुआत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

औद्योगिक क्रांति के क्या प्रभाव पड़े?

आर्थिक प्रभाव उत्पादन में वृद्धि से निर्यात में वृद्धि। स्वतंत्र कारीगर कारखानों से प्रतिस्पर्द्धा नहीं कर सके, फलत: कुटीर उद्योग समाप्त हो गए। बड़े-बड़े कृषि फार्मों की स्थापना के कारण छोटे किसानों को रोज़गार की तलाश में गाँवों से शहरों की ओर जाना पड़ा। औद्योगिक केंद्रों के आस-पास नवीन नगरों का विकास हुआ।