Show Theories of Organic evolution जीव-जगत में विकास के कारण ही नई-नई जातियां बनी और यह क्रम आज भी चल रहा है। जैव विकास के सिद्धांत निम्नलिखित हैं- 1. लैमार्क का सिद्धांत 2. डार्विन का सिद्धांत 3. उत्परिवर्तन का सिद्धांत लैमार्क का सिद्धांत-
डार्विन का सिद्धांत-चार्ल्स डार्विन ने जैव विकास हेतु प्राकृतिक वरण का सिद्धांत दिया। डार्विन के सिद्धांत के विभिन्न चरण निम्नानुसार है- सजीवों में सन्तानोत्पादन-
जीवन संघर्ष-
प्राकृतिक वरण-
नई जातियों की उत्पत्ति-
नव डार्विनवाद-
उत्परिवर्तन का सिद्धान्त-
1. जीनों की संख्या में परिवर्तन 2. जीनों की व्यवस्था में परिवर्तन 3. जीनों की संरचना में परिवर्तन उत्परिवर्तन के साधन- मस्टर्ड गैस, नाइट्रस अम्ल, फिनॉल, एक्स किरणें, बीटा किरणें आदि। महत्वपूर्ण तथ्य
डार्विन द्वारा प्रस्तुत प्राकृतिक वरणवाद का सिद्धान्त निम्न में से किन तथ्यों पर आधारित था? अ. अंगों के उपयोग एवं अनुपयोग से परिवर्तन ब. अत्यधिक जनन दर, जीवन-संघर्ष एवं योग्यतम की उत्तरजीविता स. उपार्जित लक्षणों की वंशागति द. उत्परिवर्तन उत्तर— ब उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त दिया था— अ. डी ब्रीज ब. लेमार्क स. रसेल द. डार्विन उत्तर— ब औद्योगिक अतिकृष्णा का उदाहरण निम्न में से किस जन्तु में देखा गया? अ. सिल्क मॉथ ब. मधुमक्खी स. पेपर्ड मॉथ द. ड्रॉसोफिला उत्तर— स सिकल सेल एनिमिया रोग में— अ. लाल रक्त कणिकाएं गोलाकार हो जाती हैं। ब. लाल रक्त कणिकाएं हंसिए के आकार की हो जाती हैं। स. रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती है। द. लाल रक्त कणिकाएं हंसिए की आकार की हो जाती हैं तथा उनकी संख्या में अत्यधिक कमी आती है। उत्तर— द सिकल सेल एनिमिया रोग का फैलाव है— अ. यूरोप महाद्वीप में ब. उत्तरी एवं दक्षिण अमेरिका में स. अफ्रीका में द. सम्पूर्ण संसार में उत्तर— स लेमार्कवाद आधारित है— अ. उत्परिवर्तन ब. उपार्जित लक्षण स. जीवन संघर्ष द. पुनरावर्तन उत्तर— ब डार्विन द्वारा लिखित पुस्तक ' ओरिजिन आॅफ स्पीशीज' कब प्रकाशित हुई थी? अ. 1859 ई. में ब. 1809 ई. में स. 1857 ई. में द. 1869 ई. में उत्तर— अ प्राकृतिक वरण का सिद्धांत प्रस्तुत किया था— अ. लेमार्क ब. डार्विन स. वेलेस द. विजमान उत्तर— ब लेमार्क का जैव विकास का सिद्धांत कहलाता है— अ. प्राकृतिक वरण ब. उपार्जित लक्षणों की वंशागति स. व्यक्ति विकास जाति विकास को दोहराता है। द. कृत्रिम वरण। उत्तर— ब प्राकृतिक चयन का वास्तविक अर्थ है- (पी.एम.टी. 2003) अ. अनुपयुक्त का लोप ब. योग्यता की उत्तरजीविता स. भेदकर प्रजनन द. जीवन संघर्ष उत्तर- ब आधुनिक संश्लेषणात्मक सिद्धान्त के अनुसार जैव विकास निर्भर करता है- अ. उत्परिवर्तन एवं प्राकृतिक चयन पर ब. उत्परिवर्तन, जननिक अलगाव एवं प्राकृतिक चयन पर स. जीन पुर्नमिश्रण एवं प्राकृतिक चयन पर द. उपरोक्त सभी कारकों पर उत्तर- द कुछ जीवाणु स्ट्रेप्टोमाइसिन युक्त माध्यम में पनपने में समर्थ होते हैं, इसका कारण हैं- (सी.बी.एस.ई. 2002) (अ) प्राकृतिक चयन (ब) प्रेरित उत्परिवर्तन (स) जननात्मक पृथक्करण (द) आनुवंशिक विचलन उत्तर- अ कार्बनिक विकास हेतु डार्विन और वैलेस ने निम्न में से कौनसा क्रम प्रतिपादित किया था- (सी.बी.एस.ई. 2003) अ. अति उत्पादन समष्टि के आकार में स्थिरता, विभिन्नताएँ, प्राकृतिक वरण ब. विभिन्नताएं, प्राकृतिक वरण, अति उत्पादन, समष्टि के आकार में स्थिरता स. अति उत्पादन, विभिन्नताएँ, समष्टि के आकार में स्थिरता, प्राकृतिक वरण द. विभिन्नताएं, समष्टि के आकार में स्थिरता, अति उत्पादन, प्राकृतिक वरण उत्तर- द डार्विन ने प्रकृतिवरणवाद सिद्धान्त में कार्बनिक विकास के संदर्भ में निम्न में से किसकी भूमिका पर विश्वास नहीं किया था- (सी.बी.एस.ई. 2003) अ. जीवन संघर्ष ब. विच्छिन्न विभिन्नताएँ स. परजीवी एवं परभक्षी को प्राकृतिक शत्रु के रूप में द. योग्यतम की उत्तरजीविता उत्तर- स पौधों में विविधिकरण हुआ- (सी.बी.एस.ई. 2004) अ. लम्बे समय तक जैव विकासीय परिवर्तनों के कारण ब. आकस्मिक उत्परिवर्तन के कारण स. पृथ्वी पर अचानक द. बीज प्रकीर्णन के द्वारा उत्तर- अ निम्न में से कौन-सी घटना जैव-विकास में डार्विन के सिद्धान्त का समर्थन करती है- अ. ट्रान्सजेनिक जन्तुओं का विकास ब. क्लोनिंग द्वारा डॉली नामक भेड़ का उत्पादन स. पीड़कनाशी प्रतिरोधक कीटों की प्रचुरता द. स्टेम कोशिकाओं से अंग प्रत्यर्पण हेतु अंगों का विकास उत्तर- स जैव विकास की परिकल्पना का सार क्या है?दूसरे शब्दों में, वंशागत लक्षण की पीढ़ियों में आवृत्ति में परिवर्तन आए। क्योंकि जीन ही लक्षणों का नियंत्रण करते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि किसी समष्टि में कुछ जीन की आवृत्ति पीढ़ियों में बदल जाती है। यह जैव विकास की परिकल्पना का सार है ।
जैव विकास के नियम क्या है?डार्विनवाद- यह जैव विकास का सर्वाधिक प्रसिद्ध सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक जीव को अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए अन्य जीवो से संपूर्ण जीवन संघर्ष करना पड़ता है। एक ही जाति के दो जीव भी आपस में समान नहीं होते बल्कि उनमे भी कुछ विभिन्नताएं होती है जो की उनके वंशानुक्रम की वजह से होती है।
जैव विकास क्या है ?`?जैव विकास का शाब्दिक अर्थ होता है छिपी हुई वस्तु के बारे में समय समय पर हुए परिवर्तन को जानना । जीव विज्ञान(बायोलॉजी) की वह शाखा जिसमें जीव जंतुओं की उत्पति। उनकी पीढ़ियों में हूए कर्मिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है जैव विकास कहलाता है। जैव विकास एक धीमी गति से होने वाला क्रमिक परिवर्तन है ।
जय विकास के जनक कौन है?Solution : चार्ल्स डार्विन ने जैव विकास का सिद्धान्त प्रतिपादित किया ।
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