विषयसूची बहीखाता तथा लेखाकर्म के कितने प्रकार होते हैं?पुस्तपालन (बुककीपिंग) तथा लेखाकर्म (एकाउण्टैंसी) में अन्तर
बहीखाता कितने प्रकार के होते हैं?खाते (Accounts) के तीन प्रकार होते हैं।
खाता बही का क्या अर्थ है? इसे सुनेंरोकेंखाता-बही या लेजर (ledger) उस मुख्य बही (पुस्तक) को कहते हैं जिसमें पैसे के लेन-देन का हिसाब रखा जाता है। आजकल यह कम्पयूटर-फाइल के रूप में भी होती है। खाता बही में सभी लेन-देन को खाता के अनुसार लिखा जाता है जिसमें डेबित और क्रेडित के के दो अलग-अलग कॉलम होते हैं। आप बुक कीपिंग या फार्म अकाउंटेंसी से क्या समझते है? इसे सुनेंरोकेंजहाँ एकाउंटिंग की प्रक्रिया उपयोग किसी कंपनी के वित्तीय रिकॉर्ड, वित्तीय आंकड़ों की व्याख्या, वर्गीकरण, रिपोर्टिंग के लिए की जाती है, वहीं बुककीपिंग (bookkeeping) एक सहज उपदे से वित्तीय लेनदेन की हिसाब रखने की प्रक्रिया के और निर्देशित करता है बहीखाता और लेखांकन में क्या अंतर है?इसे सुनेंरोकेंबहीखाता पद्धति को कंपनी के वित्तीय लेनदेन को व्यवस्थित तरीके से रिकॉर्ड करने की एक गतिविधि है। लेखांकन एक विशेष अवधि के लिए एक संगठन के वित्तीय मामलों की एक व्यवस्थित रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग है। बहीखाता पद्धति किसी संगठन की वित्तीय स्थिति को नहीं दर्शाती है। लेखांकन स्पष्ट रूप से इकाई की वित्तीय स्थिति को दर्शाता है। बहीखाता से क्या आशय है?इसे सुनेंरोकेंकार्टर के अनुसार ” बहीखाता उन समस्त व्यापारिक व्यवहारों को जिनमें मुद्रा के मूल्य का हस्तान्तरण होता है ,लेखा पुस्तकों में सही प्रकार से लिखने की कला व विज्ञान है।” श्री डावर के अनुसार ” एक व्यापारी की बही खाते की पुस्तकों में क्रय विक्रय के व्यवहारों को वर्गीकृत रूप में लिखने की कला का नाम बहीखाता है।”15 सित॰ 2020 बहीखाता के जनक कौन हैं? इसे सुनेंरोकेंरोमन साम्राज्य में लेखांकनरेस गेस्टा डिवी अगस्टी (Res Gestae Divi Augusti) (लैटिन में: द डीड्स ऑफ़ द डिवाइन ऑगस्टस”) अर्थात् “दिव्य ऑगस्टस के अलौकिक कर्म” रोमन लोगों के लिए सम्राट ऑगस्टस के प्रबंधन का एक उल्लेखनीय लेखा-जोखा है खाता बही रखने के क्या लाभ हैं? निम्नलिखित बही के लाभ :
एक व्यवसाय का खाता बही क्या है?इसे सुनेंरोकेंखाता बही एक ऐसी लेखा पुस्तक है जिसमें विभिन्न खाते दिए होते हैं, जिन में किसी व्यावसायिक उद्यम के विभिन्न लेन-देनों की खतौनी की जाती है। गया है। यह लेखांकन प्रणाली की संदर्भ पुस्तक है। इसे लेन-देनों के वर्गीकरण एवं संक्षिप्तिकरण के लिए प्रयोग किया जाता है, जिससे वित्तीय विवरण बनाए जा सकते हैं। लेखांकन में क्या लिखा जाता है?इसे सुनेंरोकेंकुल मिलाकर कितना खर्च हुआ कितना आमदनी हुआ किन-किन लोगों पर कितना वकाया है तथा लाभ या हानि कितना हुआ, इन समस्त जानकारियों को हासिल करने के लिए व्यवसायी अपने वही में घटित घटनाओं को लिखता रहता है । यही लिखने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । अतः व्यवसाय के वित्तीय लेन-देनों को लिखा जाना ही लेखांकन है । दोहरा लेखा प्रणाली से क्या आशय है? इसे सुनेंरोकेंDouble entry system in hindi :- दोहरा लेखा प्रणाली एक वैज्ञानिक और पूर्ण विधि है , जिसके द्वारा वयवसाय के वित्तीय लेन -देनो के लेखे किये जाते है , यह विधि एक सुनिश्चित और स्पष्ट नियम पर आधारित है इस कारण इस नियम का प्रयोग पुरे विश्व में लगभग सभी देशो में किया जाता है लेखांकन प्रमाप से आप क्या समझते हैं? इसे सुनेंरोकें“लेखांकन प्रमाप वह नीति गति प्रपत्र है जो मान्य लेखांकन निकाय द्वारा निर्गमित किया जाता है जिसमें लेखांकन व्यवहार घटनाओं के विभिन्न पहलू मापन, प्रबन्ध एवं प्रकटीकरण से सम्बन्धित होते हैं।” उपरोक्त परिभाषा से यह स्पष्ट है कि वित्तीय विवरण के प्रारूप के तैयार करने में लेखांकन प्रमाप का विशेष योगदान होता है बहीखाता और लेखांकन के बीच का अंतर बहीखाता का अर्थ एवं परिभाषा बहीखाते को अंग्रेजी में “बुक-कीपिंग” कहते हैं। वाणिज्य विषय-बुक कीपिगं का आशय हिसाब लिखने की कला से लगता जाता है अर्थात् बुक-कीपिंग से आशय हिसाब-किताब की बहियों में व्यापारिक सौदों को लिखने की कला से है। बहीखते को पुस्तपालन भी कहा जाता हैं। व्यवसाय में अनेकों लेन-देन होते है। क्या आप एक व्यवसाय के लेन-देन का अनुमान लगा सकते है ? यह संख्या व्यवसाय के आकार पर निर्भर करती है । एक दिन में यह लेन-देन सैकड़ों एवं हजारों की संख्या में हो सकते हैं। क्या कोर्इ व्यवसायी इन सभी, लेन-देना का विस्तार से विधि पूवर्क लेखाकंन आवश्यक हो जाता है । व्यावसायिक, लने -देना का लेखा पुस्तकों में विधिपूर्वक ‘लेखन पुस्तपालन’कहलाता हैं। पुस्तपालन का सम्बन्ध वित्तीय आँकड़ों के लेखा-जोखा से है। इसकी परिभाषा इस प्रकार से की जा सकती है। व्यावसायिक लेन-देनों का स्थायी रूप से हिसाब रखने की कला कला को पुस्तपालन कहते हैं। लेखांकन क्या है ? बहीखाता के विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि व्यापारिक सौदों को निश्चित पुस्तकों में विधिवत् लिखना ही बहीखाता या पुस्तपालन है, किन्तु केवल व्यवहारों को निश्चित पुस्तकों में लिखने से व्यापार के परिणाम तथा उसकी वित्तीय स्थिति का ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। एक निश्चित अवधि के परिणामों को जानने के लिए विभिन्न लेखों के संग्रहण, विश्लेषण तथा लेखों के सारांश तैयार करने सम्बन्ध् ाी कार्य की आवश्यकता होती हैं। अत: व्यापारिक परिणामों को जानने के लिए लेखों का संग्रहण करने, वर्गीकृत करने तथा सारांश तैयार करने के कार्य को ही, लेखांकन कहा जाता हैं। अमेरिकन इन्स्टीट्यूट ऑफ सर्टिफाइड पब्लिक एकाउण्टेण्ट्स की शब्दावली समिति ने लेखाकंन को परिभाषित किया हैं - “लेखाकंन उन व्यवहारों को और घटनाओं को जो अंशत: वित्तीय प्रकृति की होती हैं, मुद्रा के रूप में अभिप्रायपूर्ण तरीके से लेखा करने, वर्गीकृत करन,े सारांश निकालने तथा उनके परिणामों की व्याख्या करने की कला हैं।”स्मिथ एवं एशबर्न के अनुसार - “लेखांकन मुख्यतया वित्तीय प्रकृति के व्यापारिक व्यवहारों और घटनाओं का अभिलेखन तथा वर्गीकरण करने का विज्ञान हैं और इन व्यवहारों और घटनाओं का अभिप्रायपूर्ण वित्तीय प्रकृति का सारांश निकालने, विश्लेषण करने तथा परिणामों को उन व्यक्तियों को जिन्हें निश्चित करना है या निर्णय लेना है, सम्प्रेषित करने की कला हैं।”सरल शब्दों में - “लेखाकंन से तात्पर्य व्यापारिक व्यवहारों को वैज्ञानिक रीति से पुस्तकों में लिखने तथा किये गये लेखों को वर्गीकृत कर सारांश तैयार करने व परिणामों की व्याख्या करने की कला से हैं।”लेखाकंन का कार्य आर्थिक इकाइयों के सम्बन्ध में मात्रात्मक सूचना प्रदान करना है जो मूल रूप से वित्तीय प्रकृि त की होती है जो आथिर्क निणर्य लेने में उपयोगी होती है लेखांकन किसी संगठन की आर्थिक घटनाओं के सम्बन्ध में आवश्यक सूचना को पहचानने, मापने, लेखा-जोखा करने एवं सम्पे्रषित करने की एक ऐसी प्रक्रिया हैं जो इस सूचना के उपयोगकर्ताओं को प्रेशित की जाती है । लेखांकन की प्रकृति को समझने के लिए लेखांकन की परिभाषा में दिए प्रासंगिक पहलुओं को समझना आवश्यक है :- * आर्थिक घटनाएँ आर्थिक घटना से तात्पर्य किसी व्यावसायिक संगठन में होने वाले लेन-देनों से है जिनका मुद्रा में मापन किया जा सके। उदाहरणार्थ मशीन का क्रय, स्थापना एवं निर्माण के लिए उसे तैयार करना एक आर्थिक घटना है जिसमें कर्इ वित्तीय लेन-देन समाहित हैं जैसे कि (क) मशीन का क्रय, (ख) मशीन का परिवहन व्यय, (ग) मशीन के स्थापना स्थल को तैयार करना, (घ) उसकी स्थापना पर किया गया व्यय। * पहचान करना, मापन, लेखा-जोखा एवं सम्प्रेषण - पहचान करने का अर्थ यह निर्धारित करना है कि किन लेन-देनों का अभिलेखन किया जाय अर्थात् उन घटनाओं की पहचान करना जिनका अभिलेखन किया जाना हैं। केवल
वित्तीय घटनाओं का ही अभिलेखन किया जाता है। उदाहरण के लिए माल के नकद अथवा उधार क्रय का अभिलेखन किया जाएगा। गैर-वित्तीय प्रकृति के लेन-देन, जैसे कि प्रबन्धकीय नीतियों में परिवर्तन का लेखा पुस्तकों में नहीं लिखा जाता । मापन का अर्थ है मौद्रिक इकार्इ के द्वारा व्यावसायिक लेन-देनों का वित्तीय परिमापन। यदि किसी घटना का मौद्रिक रूप में परिमापन संभव नही है तो इसका वित्तीय लेखों में लेखांकन नहीं किया जाएगा इसलिए प्रबंध निर्देशक की नियुक्ति, महत्वपूर्ण अनुबंध एवं कर्मचारियों की बदली जैसी आवश्यक सूचनाओं का
लेखा-जोखा पुस्तकों में नहीं किया जाएगा। * सूचना के इच्छुक उपयोगकर्ता: कर्इ उपयोगकर्ताओं को महत्वपूर्ण निणर्य लेने के लिए वित्तीय सूचनाओं की अवश्यकता होती है। यह उपयोगकतार्, निवेशकर्ता, लने दार, श्रमसघं आदि हो सकते है। लेखांकन का विकास भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार चित्रगुप्त र्इश्वर की अदालत में लेखा-जोखा रखने का दायित्व निभाता है। इटली के लूकासपेसिओली की पुस्तक अरिथमैटिका ज्योमेट्रिका प्रोपोरशन प्रोपोरशनलिटि पर (रिब्यू ऑफ अरिथमैटिका एण्ड ज्योमैट्रिक प्रोपोरशन) को द्विअंकन पुस्तपालन पर पहली प्रामाणिक पुस्तक माना गया है। अपनी इस पुस्तक में उसने आज के लेखांकन के सर्वप्रचलित शब्द नाम तथा जमा का उपयोग किया। उसने विवरण पत्र, रोजनामचा, खाता बही एवं लेखांकन प्रक्रिया पर भी विस्तार से चर्चा की है। उसने यह भी कहा कि सभी प्रविष्टियॉं दो बार की जानी चाहिये अर्थात् यदि आप एक लेनदार बनाते हैं तो आपको एक देनदार बनाना होगा। लेखांकन की विशेषताएॅं लेखांकन विज्ञान तथा कला दोनों है। लेखांकन में केवल वित्तीय व्यवहारों को ही शामिल किया जाना है। लेखांकन के अनुसार पुस्तकों में व्यवहारों का लेखा नियमित रूप से किया जाता है। लेखांकन के अन्तर्गत निश्चित बहियों का उपयोग किया जाना है। इसमें एक निश्चित प्रणाली के अधार पर लेखे किये जाने है। लेखांकन की शाखाएँ शताब्दियों से व्यवसाय की बदलती आवश्यकताओं के कारण लेखांकन की जो विशिष्ट शाखाएँ विकसित हुर्इ वो इस प्रकार है :- आप वित्तीय लेखांकन के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेगे ।संबंधित समस्त सूचनाएँ आँकड़ों के रूप में लेखांकन द्वारा उपलब्ध करायी जाती है । लेखांकन के सामान्य उद्देश्य व्यापार से सम्बन्धित अन्य सूचनाओं को उपलब्ध कराना ही लेखांकन के सामान्य उद्देश्य हैं । लेखांकन के कार्य लेखांकन का कार्य आर्थिक इकाइयों की सूचना उपलब्ध करना है जो मूलत: वित्तीय प्रकृति की होती हैं तथा जिसे आर्थिक निर्णय लेने में उपयोगी माना जाता हैं । लेखांकन की सीमाएँ लेखांकन सूचनाओं को मुद्रा में व्यक्त किया जा सकता हैं: गैर मौद्रिक घटनाओं अथवा लेन-देनों को पूरी तरह से छोड़ दिया जाता हैं । स्थायी परिसम्पतियों का अभिलेखन मूल लागत पर किया जा सकता हैं : भवन, मशीन आदि परिसम्पत्तियों पर वास्तविक व्यय तथा उस पर आनुसंगिक व्यय का अभिलेखन किया जाता है। अत: मूल्य वृद्धि के लिए कोर्इ पा्रवधान नहीं होता। परिणामस्वरूप स्थिति विवरण व्यवसाय की सही स्थिति को नहीं बताता। लेखांकन सूचना कभी-कभी अनुमुमानों पर आधारित होती है : अनुमान कभी-कभी गलत भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए अवक्षरण निर्धारण के लिए सम्पत्ति के वास्तविक जीवन का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। लेखांकन सूचना को केवल लाभ के आधार पर प्रबन्धन निष्पादन को एकमात्र परीक्षण के रूप में प्रयुक्त नहीं की जा सकती : एक वर्ष के लाभ को कुछ व्यय जैसे कि विज्ञापन, अनुसंधान , विकास अवक्षयण आदि व्ययों को दिखाकर सरलता से हेर-फेर किया जा सकता है अर्थात् दिखाने की संभावना होती हैं। लेखांकन सूचनाएं निष्पक्ष नहीं होती :लेखाकार आय का निर्धारण व्यय पर आगम के आधिक्य के रूप में करते हैं । लेकिन वह व्यवसाय के लाभ को ज्ञात करने के लिए आगम आय एवं व्यय की चुनी हुर्इ मदों को ध्यान में रखते है । वह इसमें सामाजिक लागत जैसे कि जल, ध्वनि एवं वायु प्रदूषण को सम्माहित नही करते । वह स्टाक अथवा अवक्षयण के मूल्याँकन की विभिन्न पद्धतियों को अपनाते है । बहीखाता बनाम लेखांकन बहीखाता और लेखांकन कंपनी के खातों से संबंधित दो अलग-अलग विभाग हैं। बहीखाता प्रारंभिक चरण है, जिसमें हम आय और व्यय का रिकॉर्ड रखते हैं, जबकि लेखा विभाग एकाउंटेंट में कंपनी की वित्तीय गतिविधि का विश्लेषण करते हैं और रिपोर्ट तैयार करते हैं दोनों एक व्यवसाय की उचित प्रबंधन और वित्तीय सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। बहीखाता करना साधारण शब्दों में, किसी कंपनी या व्यक्ति के वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड करना, बहीखाता पद्धति, जैसे बिक्री, खरीद, राजस्व और व्यय परंपरागत रूप से, इसे किताबों में रखे जाने के बाद से बुककीपिंग के रूप में कहा जाता है; अब इस उद्देश्य के लिए विशिष्ट सॉफ्टवेयर हैं, लेकिन पुराना नाम अब भी प्रयोग में है। आम तौर पर, बुककीपर नियुक्त किए जाते हैं ताकि रिकॉर्ड को सटीक और सटीक तरीके से रखा जा सके। यह गतिविधि किसी कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह अपनी कंपनी की वित्तीय स्थिति के बारे में प्रबंधन को सूचित करती है। व्यवसाय की प्रकृति के अनुसार, आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली किताबें हैं, दिन-किताब, खाता-खपत, कैशबुक और बिजनेस चेकबुक, कई अन्य का भी उपयोग किया जाता है एक मुनीम एक विशेष वित्तीय गतिविधि में अपनी संबंधित पुस्तक में प्रवेश करती है और खातेदार के रूप में भी पोस्ट करती है। सिंगल एंट्री और डबल एंट्री दो प्रकार के बहीखाता पद्धतियां हैं जैसा कि नाम से पता चलता है, एकल प्रविष्टि में लेनदेन या तो एक ही खाते के डेबिट में या क्रेडिट कॉलम में दर्ज किया जाता है, लेकिन डबल एंट्री के मामले में, प्रत्येक लेनदेन की दो प्रविष्टियां लेज़र को दी जाती हैं, डेबिट कॉलम में एक और क्रेडिट शीर्षक के तहत अन्य । लेखांकन लेखांकन कंपनी की वित्तीय गतिविधि का संगठित रिकॉर्डिंग, रिपोर्टिंग और विश्लेषण से संबंधित है संपत्ति और देनदारियों के बारे में बयान भी करना लेखांकन के क्षेत्राधिकार में आते हैं। लेखाकार मासिक वित्तीय विवरण और वार्षिक कर रिटर्न बनाने के लिए भी ज़िम्मेदार होते हैं लेखांकन विभाग कंपनी के बजट तैयार करने और ऋण प्रस्तावों की योजना भी तैयार करते हैं। इसके अलावा, वे कंपनी के उत्पादों या सेवाओं की लागत का विश्लेषण करते हैं। अब एक दिन, लेखांकन को व्यवसाय की भाषा कहा जाता है, क्योंकि यह कई लोगों को आवश्यक जानकारी प्रदान करता है, उदाहरण के लिए, प्रबंधन अकाउंटिंग एक शाखा है, जो कंपनी के मैनेजर्स को सूचित करते हैं। वित्तीय लेखा कंपनी के वित्तीय गतिविधियों के बारे में बाहरी, जैसे बैंक, विक्रेता और हितधारकों को सूचित करती है। बाहरी और अंदरूनी सूत्रों के लिए जानकारी की प्रकृति अलग है, इसलिए बड़ी कंपनियों को इन दोनों शाखाओं की जरूरत है अंतर और समानताएं दोनों वित्त विभाग के अलग-अलग खंड हैं, बहीखाता पद्धति में कंपनी की वित्तीय गतिविधि का व्यवस्थित रिकॉर्ड रखना शामिल है, जहां लेखांकन अगले खंड है, जो विभिन्न रिपोर्टों और प्रस्तावों को तैयार करने के लिए इन रिकॉर्ड का विश्लेषण करता है प्रक्रिया में बहीखाता, जो प्रबंधन को कंपनी की रोज़गार की वित्तीय गतिविधियों का प्रबंधन करने में मदद करता है, जबकि लेखांकन इन वित्तीय कार्यों को उचित बनाता है और उनके कारणों को ढूंढता है। बड़ी कंपनियों में, व्यापार विभाग की वित्तीय गतिविधि का विश्लेषण करने के लिए लेखा विभाग भी बहुत बड़ा है, दूसरी तरफ, एक व्यक्ति आमतौर पर बहीखाता रहता है या अधिकतर दो लोगों में इस गतिविधि में शामिल हैं, यहां तक कि बड़ी कंपनियों में भी। निष्कर्ष किसी भी व्यवसाय के सफलतापूर्वक चलने के लिए बहीखाता-लेखन और लेखा आवश्यक है। बहीखाता करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वित्तीय रिकॉर्ड रखने का प्राथमिक चरण है और लेखाकरण बहीखाता पद्धति के ईंट के आधार पर विश्लेषण का निर्माण होता है। संपादन व संकलन बहीखाता पद्धति से आप क्या समझते हैं इसके मुख्य उद्देश्यों पर चर्चा करें?इसका उद्देश्य व्यावसायिक सूचना के प्रयोग करने वाले विभिन्न उपयोगकर्त्ताओं जैसे- स्वामी, प्रबन्धकों, कर्मचारियों, निवेशकर्त्ताओं, देनदारों, माल व सेवाओं के पूर्तिकारों, कर अधिकारियों आदि को महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करना है।
बही खाता का मुख्य उद्देश्य क्या है?बहीखाता का उद्देश्य: बुक-कीपिंग का मुख्य उद्देश्य सभी वित्तीय लेनदेन का एक व्यवस्थित, व्यवस्थित, तार्किक तरीके से पूर्ण और सटीक रिकॉर्ड रखना है। यह सुनिश्चित करता है कि इन लेनदेन का वित्तीय प्रभाव खातों की पुस्तकों में परिलक्षित होता है।
लेखांकन में बहीखाता पद्धति का मुख्य उद्देश्य क्या है?बहीखाता पद्धति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वित्तीय लेनदेन सही, कालानुक्रमिक, अद्यतित और पूर्ण हो; Records बनाए रखने का मुख्य उद्देश्य आय और व्यय के बारे में कंपनी की सटीक स्थिति को चित्रित करना है।
लेखांकन से आप क्या समझते हैं इसके उद्देश्य तथा महत्व का वर्णन कीजिए?लेखांकन एक संगठन की विभिन्न प्रकार की सूचनाओं को एकत्रित करके उन्हें व्यवसाय में रुचि रखने वाले विभिन्न पक्षों को संप्रेषित करता है । लेखांकन सूचनाओं का संबंध भूतकाल के लेन-देनों से होता है तथा यह परिमाणात्मक एवं वित्तीय होती है। यह गुणात्मक एवं गैर-वित्तीय सूचना प्रदान नहीं करती ।
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