आगरा का ताजमहल और दिल्ली में हुमायूं का मकबरा देखना अब और भी आसान होगा। आने वाली एक मई से इन दोनों एतिहासिक इमारतों के लिए ऑनलाइन टिकट खरीदे जा सकेंगे। ई-टिकट आईआरसीटीसी की वेबसाइट www.asi.irctc.co.in पर बुक करने के साथ इन ऐतिहासिक स्थलों पर मौजूद काउंटर से टिकट खरीदे जा सकते हैं। Show आईआरसीटीसी अभी तक प्रयोग के तहत पिछले साल 25 दिसंबर से ताज के पूर्वी गेट के लिए ई-टिकट दे रहा था। अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने यह व्यवस्था ताज के सभी द्वारों और हुमायूं का मकबरा के लिए लागू करने का फैसला किया है। सांस्कृतिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आने वाले समय में एएसआई द्वारा संचालित उन सभी ऐतिहासिक स्थलों पर यह व्यवस्था लागू की जाएगी, जहां प्रवेश के लिए टिकट लगता है। ताजमहल का अक्श और उसी रूहानी प्रेम ने हुमायूं के मकबरे को जन्म दिया। शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में ताजमहल बनाया तो हुमायूं की याद में उनकी बेगम ने ही अपने शौहर के लिए हुमायूं का मकबरा बना दिया। ताजमहल जिस चारबाग शैली में बना है उसी शैली की पहली इमारत हुमायूं का मकबरा है। और शायद इसी की खूबसूरती से मुग्ध होकर शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण करवाया। इसकी खूबसूरती के बारे में इसी से समझा जा सकता है कि जब भारत में ओबामा पहली बार आए तो उन्होंने ताजमहल देखने की बजाए हुमायूं का मकबरा देखना ज्यादा मुनासिब समझा। इसका निर्माण हुमायूं की मौत के 9 साल बाद 1565 में हुआ था। उनकी विधवा बेगम हमीदा बानो ने इसे बनवाया। इसके निर्माण में 9 साल लंबा वक्त लगा। लाल बलुआ पत्थर पर संगमरमर की कारीगरी यहां बहुत खूबसूरत लगती है। इसके निर्माण पर उस समय डेढ़ लाख रुपए लगे थे। यूनेस्को ने 1993 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया था। अफगानिस्तान के शिल्पकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाशुद्दीन और उनके पिता मिराक घियाशुद्दीन ने इस इमारत को बिल्कुल अलग रूप देने दिया, जिसकी खूब सराहना हुई। आज से 500 साल पहले दिल्ली के इस इलाके से यमुना गुजरती थी और पास में ही सूफी संत हजरत निजामुद्दीन रहते थे, जिन्हें दिल्ली के शासक बहुत सम्मान देते थे। इस कारण इस मकबरे का निर्माण यहां किया गया था। चारबाग शैली के इस मकबरे के चारों ओर बेहद खूबसूरत उद्यानों का निर्माण किया गया था। इसके बाद तो इस शैली व ऐसे उद्यानों का अनेक इमारतों में इस्तेमाल किया गया, पर ताजमहल के निर्माण के बाद यह शैली काफी लोकप्रिय हुई। लगभग 30 एकड़ क्षेत्र में फैले इस परिसर में और भी स्मारक हैं, लेकिन मुख्य स्मारक हुमायूं का है। हुमायूं का मकबरा तक जाने के लिए सबसे आसान है मेट्रो से जाना। इसके लिए तुम्हें जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम मेट्रो स्टेशन पर उतरना होगा। यह पर्यटकों के लिए हर रोज खुलता है। 10 रुपये का टिकट लेकर यहां सुबह 6 से शाम 6 बजे तक जाया जा सकता है। आप यहां कैमरा लेकर भी जा सकते हैं। फोटो खींचने का कोई चार्ज नहीं देना होगा लेकिन अगर वीडियो कैमरा ले जाएंगे 25 रुपए देने होंगे। इस यात्रा वृतांत को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें !
इस ट्रस्ट ने स्मारक के इर्द-गिर्द फैले 30 एकड़ बगीचे का पुनरुद्वार किया, इस परिसर में हुए संरक्षण कार्यों में इमारत परिसर के अन्दर 3 किलोमीटर जल मार्गों की मरम्मत के अलावा 3-4 किलोमीटर के रास्ते के किनारों को पुन: स्थापित किया गया ! इमारत के ऊपर और इसके आस-पास से 3000 ट्रक अतिरिक्त मिटटी को निकलवाने के अलावा 4 किलोमीटर लाल पत्थर पर हस्त छैनी से कारीगरी की करवाई गई ! परिसर की सजावट के लिए मुगलों की पसंद के 2500 नए
पौधे लगवाने के साथ ही 25000 वर्ग मीटर पैदल मार्ग की मरम्मत की गई ! बारिश के पानी को एकत्र करने की प्रणाली के साथ मकबरे परिसर में मौजूद छोटी संरचनाओं को संरक्षित किया गया ! परिसर में स्थित ऐतिहासिक कुओं की खोज हुई और उनके अन्दर जमा मलवे को भी निकाला गया ! चलिए आगे बढ़ते है, बाहरी प्रवेश द्वार से अन्दर जाने पर एक मार्ग सीधा भीतरी प्रवेश द्वार की तरफ जाता है इस मार्ग के शुरुआत में ही दाईं ओर इसा खां का मकबरा स्थित है, थोडा और आगे बढ़ने पर दाईं तरफ ही खंडहर में तब्दील हो चुकी एक अन्य इमारत है
!
मार्ग के दोनों तरफ मकबरे से सम्बंधित ज़रूरी जानकारी जगह-2 पत्थरों पर अंकित है, हरियाली के लिए खूब सारे पेड़-पौधे भी लगाए गए है ! अब तक मैं टहलता हुआ मुख्य प्रवेश द्वार के सामने पहुँच चुका हूँ, मेरे प्रवेश टिकट को यहाँ खड़ा एक अधिकारी अपने मोबाइल से स्कैन करने के बाद फाड़कर मुझे लौटा देता है ! इस द्वार से अन्दर जाते ही एक बरामदे में मकबरे के संरक्षण कार्य से सम्बंधित जानकारी दीवारों पर होर्डिंग्स लगाकर दी गई है ! यहीं एक
कक्ष में इसा खां के मकबरे की खुदाई के दौरान प्राप्त हुए अवशेष भी प्रदर्शनी के लिए रखे गए है ! हुमायूँ की बहन गुलबदन बेगम ने “हुमायूँ नामा” में बादशाह की तारीफ में काफी कुछ लिखा है, जिसके कुछ अंश यहाँ एक होर्डिंग पर लिखे हुए थे ! हालांकि, मुझे ये बात काफी अटपटी सी लगी, कोई मुस्लिम शासक विनम्र हो, मुझे मुमकिन नहीं लगता ! वैसे भी किसी परिवार के लोग अपने परिवार के सदस्य (खासकर मुखिया) के लिए क्या ही बुरा लिखेंगे ? यहीं एक कक्ष में इस मकबरे
का माडल शीशे के एक बक्से में रखा हुआ था, जो देखने में बहुत शानदार लग रहा था !
इस परिसर में कई मुग़ल शासकों की कब्रें है, कुल मिलाकर 100 से भी ज्यादा कब्रें इस परिसर में है, लेकिन चारबाग गार्डन और नाई का मकबरा यहाँ की प्रमुख इमारतों में शुमार किया जाता है ! आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि चारबाग गार्डन पारसी शैली में बना एक बगीचा है जो पूरे दक्षिण एशिया में अद्भुत है ! जबकि "नाई का मकबरा" चारदीवारी के अन्दर नाई का गुम्बद नाम का एक मकबरा
है जो एक शाही नाई की कब्र है ! हालांकि, इस पर किसी का नाम नहीं लिखा होने के कारण ये बता पाना थोडा मुश्किल है कि ये किसकी कब्र है ! इस मकबरे परिसर में अन्य इमारतों में बू-हलीमा की कब्र और बगीचा, इसा खां की कब्र और मस्जिद, शाहजहाँ के बड़े बेटे सिकोह की कब्र, हमीदा बानो की कब्र, नीला गुम्बद, और कुछ अन्य इमारतें शामिल है ! इस मकबरे को बनाने में अधिकतर लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल में हुआ है और ये मकबरा मुग़ल काल के बेजोड़ नमूने का उदहारण है ! 1562 और 1572 के दौरान बना ये मकबरा दिल्ली के प्रमुख दर्शनीय
स्थलों में से एक है, हुमायूँ का मकबरा एक चबूतरे पर बना है जिसकी ऊँचाई 50 मीटर है !
फिल्मकारों के लिए ये एक पसंदीदा जगह है इसलिए यहाँ कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हुई है ! कुछ कुछ देर मकबरे परिसर में घूमने के बाद मैंने वापसी की राह पकड़ी, वापिस आते हुए मैंने कुछ समय इसा खान के मकबरे के पास भी बिताया ! यहाँ भी मरम्मत कार्य चल रहा था, मकबरे परिसर के टूटे हुए भाग को नया रूप दिया जा रहा था ! चलिए, इस लेख में फिल्हाल इतना ही, जल्द ही आपको किसी अन्य स्थान की सैर कराऊंगा !
हुमायूँ का मकबरा टिकट प्राइस?हुमायूँ के मकबरे के लिए टिकट की कीमत - Humayun's Tomb Ticket Price in Hindi : भारतीय यात्रियों के लिए हुमायूँ के मकबरे के लिए प्रवेश टिकट 35 रूपये है।
हुमायूं का मकबरा मेट्रो स्टेशन?मथुरा रोड और लोधी रोड की क्रासिंग के समीप स्थित, बागीचे के बीच बना यह शानदार मकबरा भारत में मुग़ल वास्तुकला का पहला महत्वपूर्ण उदाहरण है। इसका निर्माण हुमायूं की मृत्यु के बाद 1565 ई. में उसकी ज्येष्ठ विधवा बेगा बेगम ने करवाया था।
हुमायूं का मकबरा के बारे में?इस मक़बरे में वही चारबाग शैली है, जिसने भविष्य में ताजमहल को जन्म दिया। यह मकबरा हुमायूँ की विधवा बेगम हमीदा बानो बेगम के आदेशानुसार १५६२ में बना था। इस भवन के वास्तुकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाथुद्दीन एवं उसके पिता मिराक घुइयाथुद्दीन थे जिन्हें अफगानिस्तान के हेरात शहर से विशेष रूप से बुलवाया गया था।
हुमायूं के मकबरे पर 10 लाइनें?हमीदा बानो बेगम के आदेश पर निर्मित, हुमायूँ के मकबरे की वास्तुकला ताजमहल जैसी ही है। लेकिन आम धारणा के अलावा, हुमायूं का मकबरा हुमायूं द्वारा नहीं बनाया गया था, बल्कि उनकी पत्नी हमीदा बानो बेगम ने अपने पति के प्रति प्यार के संकेत के रूप में बनवाया था।
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