अपने मन की पीड़ा को क्यों छुपा कर रखनी चाहिए? - apane man kee peeda ko kyon chhupa kar rakhanee chaahie?

Bihar Board Class 6 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 1 Chapter 12 रहीम के दोहे Text Book Questions and Answers and Summary.

Bihar Board Class 6 Hindi रहीम के दोहे Text Book Questions and Answers

प्रश्न-अभ्यास

पाठ से –

प्रश्न 1.
अपने मन की पीड़ा मन में ही क्यों छिपाकर रखनी चाहिए?
उत्तर:
किसी के सामने अपने पीड़ा को प्रकट करने से केवल उपहास ही सुनना पड़ता है। कोई हमारी पीड़ा को बाँट नहीं सकता है इसलिए अपने मन की पीड़ा को मन में ही छिपाकर रखना चाहिए।

प्रश्न 2.
प्रेम को धागे के समान क्यों कहाँ गया ?
उत्तर:
जब धागा टूट जाता है तो जुड़ता नहीं है। अगर जुड़ता है तो गाँठ पड़ जाती है उसी प्रकार प्रेम यदि टूट जाता है तो उसे जोड़ा नहीं जा सकता। यदि जोड़ने का प्रयास भी किया जाय तो उसमें गाँठ पड़ ही जाती है। इसलिए प्रेम को धागे के समान कहा गया है।

अपने मन की पीड़ा को क्यों छुपा कर रखनी चाहिए? - apane man kee peeda ko kyon chhupa kar rakhanee chaahie?

प्रश्न 3.
किसी से कुछ माँगने के कर्म को कैसा बताया गया है और क्यों?
उत्तर:
किसी से कुछ माँगने के कर्म को मृत्यु के समान बताया गया है क्योंकि यदि किसी से कुछ माँगते हैं यदि वह नहीं देता है तो हमारा काम बिगड़ जाता है अर्थात् अपने काम को हम नहीं कर सकते। जैसे-मरा व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है।

प्रश्न 4.
सज्जनों की संपत्ति किस कार्य के लिए होती है ?
उत्तर:
सज्जनों की संपत्ति परोपकार के लिए होती है। जैसे पेड़ परोपकार के लिए फलता है तथा नदियाँ परोपकार के लिए बहती है।

प्रश्न 5.
रहीम की कुछ सुक्तियाँ नीचे दी गई हैं । पाठ के आधार पर उन उदाहरणों को लिखिए जो उन सुक्तियों के प्रणाम-स्वरूप दिए गए

(क) अच्छे लोगों पर बुरे लोगों की संगति का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
उत्तर:
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चंदन विष व्याप्त नहि, लपटे रहत भुजंग ।।

(ख) भले लोग (सज्जन लोग) परोपकार के कार्य पर खर्च करते
उत्तर:
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहिं न पानि ।
कही रहीम पर काज हित, संपत्ति सँचहिं सुजान ।।

(ग) हमें बड़े-छोटे सभी का सम्मान करना चाहिए।
उत्तर:
रहीम देखि बड़ेन को, लघु न दीजै डारि। जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तरवारि ।।

(घ) दूसरों का भला करने वालों का अपने आप भला हो जाता है ?
उत्तर:
यो रहीम सुख होत हैं, उपकारी के संग ।
बाँटनवारे को लगे, ज्यों मेंहदी का रंग ।।

(ङ) हमें किसी कार्य के लिए अत्यधिक व्याकुल नहीं होना चाहिए।
उत्तर:
कारज धीरे होत है, काहे होत अधीर ।
समय पाइ तरुवर फले, केतक सींचो नीर ।।

अपने मन की पीड़ा को क्यों छुपा कर रखनी चाहिए? - apane man kee peeda ko kyon chhupa kar rakhanee chaahie?

पाठ से आगे –

प्रश्न 1.
ऐसे कोई दो अवसरों की चर्चा कीजिए जब आप दूसरों के लिए काम कर रहे थे और आपको उसका लाभ मिला है।
उत्तर:
प्रथम अवसर-मैं अपने घर पर कुछ साथियों को बुलाकर कुछ प्रश्न पूछते थे जो याद हो । ऐसा करने से हमारे छात्र-मित्र तो समझते थे कि मैं केवल दूसरों की तैयारी को परखने में समय बीताता हूँ लेकिन जितने प्रश्न मैं पूछता और वे उत्तर देते सब मुझे समझ में आ जाता था और मैं परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

दूसरा अवसर-मुझे सुधुवा जानकर हमारे वर्ग के छात्र अपनी कॉपियाँ हमारे घर पहुँचा देते थे और मैं भी उनकी कॉपियाँ में अलिखित प्रश्न के उत्तर लिखा करते थे। प्रारम्भ में मेरी लिखावट अच्छी नहीं थी। परन्तु अब लिखावट बहुत सुन्दर हो गयी है। क्योंकि मैंने दूसरों के लिए बहुत लिखा ।

प्रश्न 2.
परोपकार से आप क्या समझते हैं ? ऐसे कार्यों की सूची बनाइए जिन्हें आप परोपकार का कार्य समझते हैं।
उत्तर:
परोपकार का अर्थ दूसरों के हित के लिए काम करना । कुछ परोपकार कार्यों की सूची निम्न प्रकार हैं –

  1. कुआँ खोदवाना या नलकूप लगवाना ।
  2. तालाब का निर्माण करना ।
  3. पेड़ लगाना।
  4. तलाब या नदी की सफाई करना ।
  5. स्कूल खुलवाना।

अपने मन की पीड़ा को क्यों छुपा कर रखनी चाहिए? - apane man kee peeda ko kyon chhupa kar rakhanee chaahie?

व्याकरण

प्रश्न 1.
समान अर्थ वाले शब्दों को मिलाइए –

अपने मन की पीड़ा को क्यों छुपा कर रखनी चाहिए? - apane man kee peeda ko kyon chhupa kar rakhanee chaahie?

अपने मन की पीड़ा को क्यों छुपा कर रखनी चाहिए? - apane man kee peeda ko kyon chhupa kar rakhanee chaahie?

उत्तर:
अपने मन की पीड़ा को क्यों छुपा कर रखनी चाहिए? - apane man kee peeda ko kyon chhupa kar rakhanee chaahie?

कुछ करने को –

प्रश्न 1.
दस परोपकारी व्यक्ति की सूची बनाइए । उनके सामने उनके – द्वारा किये गये परोपकार के कार्यों को भी लिखिए –
उत्तर:

अपने मन की पीड़ा को क्यों छुपा कर रखनी चाहिए? - apane man kee peeda ko kyon chhupa kar rakhanee chaahie?

अपने मन की पीड़ा को क्यों छुपा कर रखनी चाहिए? - apane man kee peeda ko kyon chhupa kar rakhanee chaahie?

रहीम के दोहे Summary in Hindi

अर्थ-लेखन

1. जो रहीम उत्तम-प्रकृति …………….. लपटे रहत भुजंग।

अर्थ – रहीम कवी के अनुसार जो व्यक्ति उत्तम स्वभाव का है उसको खराब व्यक्ति की संगति से कुछ भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। जैसे – चंदन के पेड़ में साँप लिपटा रहता है लेकिन चन्दन पर उस साँप के विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

2. रहीम निज-मन की …………….. बाँटि न.लैहे कोय॥

अर्थ – रहीम कवि कहते हैं कि अपने मन के दख को मन में समेटे रहो क्योंकि अन्य लोग तुम्हारे दुख को सुनकर केवल तुम्हारा उपहास ही करेंगे। कोई भी तुम्हारे दुख को बाँट नहीं सकता है।

3. रहीमन धागा प्रेम …………….. गाँठ परि जाय॥

अर्थ – रहीम कवि का कहना है कि प्रेम रूपी धागा को आसानी से तोड़ने की कोशिश मत करो। क्योंकि प्रेम टूट जाने पर नहीं जुड़ता यदि जुड़ता भी तो उसमें गाँठ पर जाता है। जैसे टुटे धागा को जोड़ने पर गाँठ पड़ जाता है।

4. तरुवर फल नहिं ………………. सँचहिं सुजान।

अर्थ – वृक्ष अपना फल नहीं खाता, सरोवर अपना पानी नहीं पीता है. उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति अपन धन संचय परोपकार के लिए करते हैं।

5. रहीम देखि बड़ेन ………………. कहा करै तरवारि ॥

अर्थ – रहीम कवि कहते हैं बड़े व्यक्ति या महान कार्य को पाकर छोटे को मत त्याग कीजिए । क्योंकि जहाँ सुई काम आने वाला है वहाँ तलवार कुछ नहीं कर सकती है।

अपने मन की पीड़ा को क्यों छुपा कर रखनी चाहिए? - apane man kee peeda ko kyon chhupa kar rakhanee chaahie?

6. रहीमन वे नर मर ………………. मुख निकसत नाहिं।

अर्थ – रहीम कवि कहते हैं वह व्यक्ति मरा होता है जो किसी से कुछ माँगता है लेकिन उससे भी पहले वह मर जाता है जिसके मुख से याचक के लिए नहीं निकलता है।

7. यो रहीम सुख ………………. मेंहदी का रंग।

अर्थ – उपकारी व्यक्ति की संगति भी लाभकारी होती है क्योंकि जो मेंहदी बाँटता है या दूसरे के हाथ में मेंहदी लगाता है उसका भी हाथ मेंहदी के रंग में रंग जाता है। अर्थात् परोपकार करने वाले का स्वयं उपकृत हो जाता है।

8. कारज धीरे ………………. केतक सींचो नीर ॥

अर्थ – मनुष्य को अपने कर्म के प्रति अधौर नहीं होना चाहिए अर्थात धैर्य नहीं खोना चाहिए क्योंकि सब काम समय पर ही होता है। जैसे-पेड़ समय .. पर ही फलता है चाहे हम उसको कितना ही क्यों न सींचें।

अपने मन की पीड़ा को क्यों छिपाकर रखनी चाहिए?

इसमें अविश्वास और संदेह की दरार पड़ जाती है, गाँठ पड़ जाती है और अतंर आ जाता है। (ख) कवि अपने मन की व्यथा छिपाकर रखने को कहता है क्योंकि इसके कहने या प्रकट करने का कोई लाभ नहीं है। इसे सुनकर वे प्रसन्न होते हैं पर बाँटने कोई नहीं आता। लोग दूसरे के दुख में मज़ा लेते हैं।

किसी से कुछ मांगने के कर्म को कैसे बताया गया है और क्यों?

कर्म बड़ा या भाग्य.
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