प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ Show
प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ Downloadहिमालय से निकलने वाली नदियों तथा प्रायद्वीपीय भारत के नदियों में अन्तर :- (1) प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ बहुत प्राचीन हैं, जबकि हिमालय की नदियाँ नवीन हैं | हिमालय की नदियाँ अपनी युवावस्था में है, अर्थात् ये नदियाँ अभी भी अपनी घाटी को गहरा कर रही हैं, जबकि प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ अपनी प्रौढावस्था में हैं | इसका तात्पर्य यह है कि प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ अपनी घाटी को गहरा करने का काम लगभग समाप्त कर चुकी हैं और आधार तल को प्राप्त कर चुकी हैं | किसी भी नदी का आधार तल समुद्र तल होता है | (2) हिमालय से निकलने वाली नदियाँ उत्तर भारत के मैदान में पहुँचकर विसर्पण करती हुई चलती हैं और कभी-कभी ये नदियाँ विसर्पण करते हुए अपना रास्ता बदल देती हैं | उदाहरण के लिए-कोसी नदी | जबकि प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ कठोर पठारीय संरचना द्वारा नियंत्रित होने के कारण विसर्पण नहीं कर पाती हैं | प्रायद्वीपीय भारत की नदियों का मार्ग लगभग निश्चित होता है, अर्थात् उद्गम से लेकर मुहाने तक अपनी घाटी पर ही प्रवाहित होती हैं | प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ अपने उद्गम से लेकर मुहाने तक कठोर चट्टानों पर प्रवाहित होती हैं | (3) हिमालयी नदियाँ अधिक लम्बी हैं क्योंकि हिमालयी नदियों का उद्गम मुहाने से अधिक दूर है, जबकि अधिकतर प्रायद्वीपीय भारत के पठार की नदियाँ छोटी हैं क्योंकि उनका उद्गम मुहाने से ज्यादा दूर नहीं है | हिमालय से निकलने वाली भारत की सबसे लम्बी नदी गंगा नदीकी लम्बाई 2525 किमी० है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत से निकलने वाली दक्षिण भारत की सबसे लम्बी नदी गोदावरी नदी है, जिसकी लम्बाई 1465 किमी०है | (4) हिमालय से निकलने वाली नदियाँवर्षावाहिनीहैं, अर्थात् हिमालयी नदियों में वर्षभर जल प्रवाहित होता रहता है, क्योंकि हिमालयीनदियों के जल के दो स्रोत हैं- (a) ग्लेशियर हिमालय की अधिकाँश चोटियाँ6000 मीटर से भी ऊँची हैं, जबकि वायुमंडल में हिमरेखा की ऊँचाई लगभग 4400 मीटर होती है | हिमालय की जो चोटी हिमरेखा के ऊपर होती है वो वर्षभर बर्फ से आच्छादित रहती है | वास्तव में हिमालय में पाये जाने वाले ग्लेशियर का जल ही हिमालय की नदियों का मुख्य स्रोत है | जबकि प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ वर्षा वाहिनी न होकर मौसमी हैं, अर्थात् वर्ष के कुछ महीने ही जल की मात्रा बनी रहती है,अन्य महीनों में या तो जल कम हो जाता है या सूख जाता है | प्रायद्वीपीय नदियों को केवल वर्षा के जल पर ही निर्भर रहना पड़ता है | हिमरेखा की औसत ऊँचाई 4400 मीटर है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत के पठार की औसत ऊँचाई 800 मीटर ही है | इसका तात्पर्य यह है कि प्रायद्वीपीय भारत के पठार पर ग्लेशियर नहीं मिलते हैं | Note – नदियों की तीन अवस्थाएँ होती हैं – प्रायद्वीपीय भारत या दक्षिण भारत की नदियों को दो भागों में बाँट सकते हैं – (a) अरब
सागर में जल गिराने वाली नदियाँ बंगाल की खाड़ी में जल गिराने वाली नदियाँ :-बंगाल की खाड़ी में जल गिराने वाली या पूर्वी तट पर प्रवाहित होने वाली दक्षिण भारत की नदियों का उत्तर से दक्षिण की ओर क्रम इस प्रकार है –दामोदर, स्वर्णरेखा, वैतरणी, ब्राह्मणी, महानदी, गोदावरी, कृष्णा, पेन्नार, कावेरी, वैगाईऔर ताम्रपर्णी| (1) दामोदर नदी
(2) स्वर्णरेखा नदी
(3) वैतरणी नदी
(4) ब्राह्मणी नदी
(5) महानदी
(6) गोदावरी नदी
(7) कृष्णा नदी
(8) पेन्नार नदी
(9) कावेरी नदी
(10) वैगाई नदी
(11) ताम्रपर्णी नदी
भारत की कौन सी प्रायद्वीपीय नदी पश्चिम में बहती है और मुहाना बनाती है?प्रायद्वीपीय नदियों की अपवाह द्रोणियाँ आकार में अपेक्षाकृत छोटी हैं। नर्मदा का उद्गम मध्य प्रदेश में अमरकंटक पहाड़ी के निकट है। यह पश्चिम की ओर एक भ्रंश घाटी में बहती है। समुद्र तक पहुँचने के क्रम में यह नदी बहुत से दर्शनीय स्थलों का निर्माण करती है।
प्रायद्वीपीय भारत में पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों की निम्नलिखित में से कौन सी जोड़ी हैं?की दूरी तय करते हुए यह नदी खंभात की खाड़ी होते हुए अरब सागर में प्रवेश करती है। पश्चिम भारत में बहने वाली अन्य नदियाँ - नर्मदा, ताप्ती, माही और लूनी हैं।
पश्चिम की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी कौन सी है?Solution : भारतीय प्रायद्वीप की सबसे बड़ी नदी . गोदावरी. है। इसकी लंबाई 1465 किमी.
पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां प्रायद्वीपीय पठार की पूर्व की ओर बहने वाली नदियों से किस प्रकार भिन्न हैं भेद के कोई तीन बिंदु दीजिएपूर्व की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। पश्चिम की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं। पूर्व की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय नदियाँ पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों की तुलना में लंबी हैं । पश्चिम की ओर बहने वाली दो प्रमुख प्रायद्वीपीय नदियाँ नर्मदा और तापी हैं।
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