RBSE Solutions for Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह is part of RBSE Solutions for Class 12 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह. Show
Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंहRBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तरRBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. RBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. RBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. RBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह निबंधात्मक प्रश्न प्रश्न 1. अथवा यह आकाश एक विशाल काली सिल है जिसे लाल केसर के जल से धो दिया गया है। या नीले आकाश में उषा की यह लालिमा ऐसी लगती है माने स्लेट पर लाल खड़िया या चाक मल दिया गया हो। अथवा यह नीले जल में झिलमिलाती किसी रमणी का गोरा शरीर है जो लहरों के जल में हिलता दिखाई दे रहा है। लो अब सूर्य का उदय हो रहा है। धीरे-धीरे यह मनमोहक भोर का दृश्य अदृश्य होता जा रहा है। RBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह व्याख्यात्मक प्रश्न प्रश्न 1. RBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरRBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1. भोर के समय का आकाश है – (क) काला 2. कवि ने लाल केसर कहा है – (क) केसर की क्यारी को 3. ‘उषा’ कविता में कवि ने स्लेट कहा है – (क) भोर के आकाश को 4. कवि ने ‘नील जल में ……………गौर झिलमिल देह’ में वर्णन किया है – (क) हिलते हुए सरसों के फूलों का 5. ‘उषा’ कविता की प्रमुख विशेषताएँ हैं – (क) भोर के नभ का वर्णन उत्तर:
RBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. RBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. आकाश काला है और स्लेट भी काली है। आकाश में उषा की लालिमा छाई हुई है और काली स्लेट पर लाल खड़िया या चाक मल दिया गया है। इस प्रकार कवि ने भोर के आकाश के लिए इस नए उपमान की सृष्टि की है। उपमेय और उपमान की समानता से हमें कवि द्वारा देखे गए भोर के दृश्य की प्रत्यक्ष जैसी अनुभूति होती है। प्रश्न 5. प्रश्न 6. (1)राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है) – इस प्रतीक का प्रयोग कवि ने आकाश का रंग बताने के लिए किया है। भोर के समय का बहुत हल्का-सा प्रकाश नीले आकाश से मिलाकर राख जैसे रंग वाला लग रहा है। प्रकाश की मात्रा बहुत कम होने से वह गीली राख जैसा प्रतीत हो रहा है। (2) लाल केसर से धुली काली सिल – इस प्रतीक का प्रयोग गहरे नीले आकाश में उषा की लालिमा के दृश्य का बोध कराने के लिए किया गया है। आकाश काली सिल है और लाल केसर से धुला होना, उषा की लाली के लिए प्रयुक्त हुआ है। प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. RBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह निबन्धात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. इसी प्रकार कविता की पंक्तियों के आकार में बहुत असमानता भी नई कविता की एक विशेषता रही है। कविता की एक पंक्ति में तो केवल एक ही ‘और………….’ शब्द है। प्रश्न 3. (2) सूर्यास्त – बड़ी लाल गेंद प्रश्न 4. शमशेर बहादुर सिंह कवि परिचय कवि शमशेर सिंह का जन्म सन् 1911 ई. में देहरादून में हुआ था। आठ वर्ष की आयु में उनकी माँ का देहावसान हो गया। 18 वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ। उनकी पत्नी भी छ: वर्षों के बाद क्षयरोग से पीड़ित होकर चल बसी। इन पीड़ादायक अनुभवों और अभावों से गुजरने पर भी उनका आत्मविश्वास नहीं डगमगाया। इन संकटों ने उनकी कविता को और भी हृदयस्पर्शी बनाया। रचनाएँ-शमशेर सिंह की प्रमुख रचनाएँ हैं-‘कुछ कविताएँ’, कुछ और कविताएँ, चुका भी नहीं हूँ मैं’, ‘इतने पास अपने’, ‘बात बोलेगी’, तथा ‘काल तुझसे है होड़ मेरी’। शमशेर बहादुर सिंह पाठ परिचय प्रस्तुत कविता ‘उषा’ में कवि ने प्रातः कालीन उषा की लालिमा और सूर्योदय के दृश्य के चार बिम्ब-शब्द-चित्र प्रस्तुत किए हैं। नीले आकाश में भोर के शंख जैसे शुभ्र उजाले को, राख से लीपा गया चौका बताया है। उषा की लालिमा से युक्त गहरे नीले या काले आकाश को लाल केसर से सिल का धुला हुआ रूप बताया है। अगला बिम्ब स्लेट पर लाल चाक मल दी गई है और चौथे अंतिम बिम्ब में नीले जल में किसी गोरे शरीर की झिलमिल को हिलता दिखाया है। सूर्योदय होते ही यह भोर का जादू भरा दृश्य अदृश्य हो जाता है। काव्यांशों की सप्रसंगै व्याख्याएँ (1) प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे कठिन शब्दार्थ- भोर = प्रात:काल। चौका = रसोईघर अथवा उसका फर्श । लीपा हुआ = राख के घोल से पोता गया। संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि शमशेर बहादुर सिंह की कविता ‘उषा’ से उद्धृत है। कवि ने इसमें भोर के समय का एक अनूठा शब्द-चित्र अंकित किया है। व्याख्या-कवि कहता है कि प्रात: का आकाश एक गहरे नीले रंग जैसा था। भोर होने पर वह प्रकाश के मेल से राख जैसे रंग का हो गया। अब वह राख से लिपे फर्श वाले, किसी रसोईघर के समान लग रहा है। अभी-अभी लिपे जाने के कारण वह गीला है। विशेष- (2) बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से कठिन शब्दार्थ-सिल = मसाले, चटनी आदि पीसने के लिए प्रयुक्त होने वाला पत्थर का टुकड़ा। केसर = कश्मीर में पैदा होने वाला लाल-पीले रंग का एक पुष्प। स्लेट = हेलके काले पत्थर की चौकोर पतली प्लेट, जिस पर चाक या खड़िया से लिखा जाता है। खड़िया = सफेद रंग की मिट्टी का टुकड़ा जिससे बोर्ड या स्लेट पर लिखी जाता है। चाक = खड़िया, खड़िया से बनाई गई लिखने की बत्ती। संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि शमशेर बहादुर सिंह की कविता ‘उषा’ से लिया गया है। कवि अनूठे उपमानों से प्रात:काल के आकाश के शब्द-चित्र प्रस्तुत कर रहा है। व्याख्या-कवि कहता है गहरे नीले या काले आकाश में उषाकालीन लालिमा ऐसी लग रही है मानो कोई बहुत काली सिल लाल केसर मिले पानी से धो दी गई हो अथवा किसी ने लाल रंग की खड़िया या चाक को स्लेट पर मल दिया हो। विशेष- (3) नील जल में या किसी की कठिन शब्दार्थ-नील = नीला। गौर = गोरी झिलमिल = रह-रहकर चमकती। देह = शरीर। जाँद = मोहक दृश्य। सूर्योदय = पूर्व दिशा में सूर्य का निकलना। संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि शमशेर सिंह की कविता ‘उषा’ से लिया गया है। इस अंश में कवि सूर्य के निकलने से पहले नीले पूर्वी आकाश में छा रहे सुनहले प्रकाश के दृश्य का वर्णन कर रहा है। व्याख्या-कवि कह रहा है कि सूर्योदय से पूर्व के आकाश के दृश्य को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे नीले जल में किसी (सुंदरी) का गोरा और झिलमिलाता शरीर हिल रहा हो। विशेष- We hope the RBSE Solutions for Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi सृजन Chapter 6 शमशेर बहादुर सिंह, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. उषा का जादू टूटने का कारण क्या है?सूर्योदय होने पर उषा का जादू टूट जाता है क्योंकि सूर्य की किरणों के प्रभाव से आसमान में छायी लालिमा समाप्त हो जाती है।
सूर्य उदय से उषा का कौन सा जादू टूट रहा है?निरम्र नीला आकाश, काली सिर पर पुते केसर-से रंग, स्लेट पर लाल खड़िया चाक, नीले जल में नहाती किसी गोरी नायिका की झिलमिलाती देह आदि दृश्य उषा के जादू के समान प्रतीत होते हैं। सूर्योदय के होते ही ये सभी दृश्य समाप्त हो जाता है। इसी को उषा का जादू टूटना कहा गया है।
सूर्योदय से पहले किसका जादू होता है?सूर्योदय से पूर्व उषा का दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है। नीले आकाश में फैलती प्रात:कालीन सफेद किरणें जादू के समान प्रतीत होती हैं। उषा काल में आकाश का सौंदर्य क्षण- क्षण परिवर्तित होता है। उस समय प्रकृति के कार्य-व्यापार ही 'उषा का जादू' है।
उषा कविता में शंख से लीपा हुआ क्या बताया गया है?'उषा' कविता में प्रात:कालीन आकाश की पवित्रता के लिए कवि ने उसे 'राख से लीपा हुआ चौका' कहा है। जिस प्रकार चौके को राख से लीपकर पवित्र किया जाता है, उसी प्रकार प्रात:कालीन उषा भी पवित्र है। आकाश की निर्मलता के लिए कवि ने 'काली सिल जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो' का प्रयोग किया है।
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