Show व्यक्तिगत स्वास्थ्य से क्या तात्पर्य है? स्वस्थ्य जीवन के हेतु मानव को किन नियमों का पालन करना चाहिए।व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एंव नियम- शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को व्यक्तिगत स्वास्थ्य कहते हैं। यदि व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा हो तो व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा और परिणामस्वरूप घर में सुख, शान्ति तथा समृद्धि बनी रहेगी। स्वास्थ्य का अर्थ मात्र रोग मुक्त होना ही नहीं बल्कि कार्यक्षमता व क्रियाशीलता का भी बना रहना है अतः व्यक्तिगत स्वास्थ्य को सदैव अच्छा बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए। व्यक्तिगत स्वास्थ्य का सीधा सम्बन्ध व्यक्तिगत स्वच्छता से होता है। वह स्वच्छता जो हमारे शरीर की देख भाल से सम्बन्ध रखती है व्यक्तिगत स्वच्छता ‘कहलाती है। व्यक्तिगत स्वच्छता के सिद्धान्तों तथा नियमों की प्रत्येक व्यक्ति को पूर्ण ज्ञान होना चाहिए जिससे वह इनका पालन करते हुए पूर्ण स्वच्छ रह सके और अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सके। व्यक्तिगत स्वास्थ्य के नियमअच्छा स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य के कुछ नियम इस प्रकार हैं- 1. आदत- स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति में अच्छी आदतों का विकास होना चाहिए। देर से सोकर उठना, प्राकृतिक नियमों का पालन न करना, अभोज्य भोजन का प्रयोग करना, नशावृत्ति, रात्रि में देर से सोना और सुबह देर से उठना आदि बुरी आदतें हैं। यदि इन आदतों को नहीं छोड़ा जाये तो व्यक्ति का स्वास्थ्य चौपट हो सकता है। आदतों का जीवन में विशेष महत्त्व है। आदतें एक दिन में नहीं बन जातीं, आदतों का विकास तो बाल्यावस्था से जाता है। अतः माताओं को चाहिए कि प्रारम्भ से बच्चों में अच्छी आदतों का विकास करें जैसे शुरू प्रातः सूर्योदय से पहले उठना, शौच व दाँत साफ करने के पश्चात् ही कुछ आहार ग्रहण करना चाहिए, समय से स्नान करना, स्वच्छ वस्त्र पहनना, दूसरे का तौलिया, कंघा व कपड़ों का उपयोग न करना आदि। 2. स्वच्छता- स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता का होना भी आवश्यक है। शारीरिक स्वच्छता होने से हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है। शारीरिक रूप से स्वच्छ होने के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति स्वच्छता के नियमों के विषय में पूर्ण ज्ञान रखता हो। स्वच्छ रहने के लिए स्वच्छ वातावरण बनाया जाये, शुद्ध भोजन किया जाये तथा शुद्ध व ताजी हवा का सेवन किया जाये। इस प्रकार का वातावरण बनाने पर व्यक्ति रोग मुक्त रह सकेगा। 3. पौष्टिक भोजन – स्वस्थ रहने के लिए शुद्ध तथा पौष्टिक भोजन बहुत आवश्यक होता* है। पौष्टिक भोजन का अभिप्राय है व्यक्ति की आवश्यकतानुसार पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, विटामिन व खनिज लवण युक्त भोजन हो। भोजन शुद्ध होना चाहिए। भोजन को स्वच्छता से बनाया जाना चाहिए। भोजन करने का समय निर्धारित होना चाहिए तथा अधिक तला व गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। इन सब बातें का ध्यान रखने से व्यक्ति – पूर्णतया स्वस्थ रहेगा। 4. मानसिक शान्ति- शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति के मस्तिष्क में शान्ति रहनी आवश्यक है। अतः घर का वातावरण कलहयुक्त नहीं बनाना चाहिए तथा किसी भी समस्या का हल आपस में विचार-विमर्श तथा विचारों का आदान-प्रदान करके किया जाना चाहिए। Important Links
Disclaimer Disclaimer: Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: You may also likeAbout the authorव्यक्तिगत स्वास्थ्य आप क्या समझते हैं?व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एंव नियम- शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को व्यक्तिगत स्वास्थ्य कहते हैं। यदि व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा हो तो व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा और परिणामस्वरूप घर में सुख, शान्ति तथा समृद्धि बनी रहेगी।
व्यक्तिगत स्वच्छता से आप क्या समझते हैं व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्व की व्याख्या करें?व्यक्तिगत स्वच्छता सामान्य शब्दों में, व्यक्तिगत स्वच्छता का अर्थ है शरीर को साफ-सुथरा रखना। तथा स्वच्छ कपड़े पहनना, बाल बनाना, नियमित रूप से बाल कटवाना, दाढ़ी बनवाना, दांतों की सफाई, और नाखून काटना ।
शारीरिक स्वच्छता से आप क्या समझते हैं?त्वचा से गन्दगी हट जाने से बीमारियों की आशंका नहीं रहती है। स्नान करते समय शरीर को साबुन आदि से साफ करना अच्छा रहता है। शरीर को रगड़ना भी आवश्यक है ताकि इसकी मालिश हो सके। इससे शरीर में रक्त का संचार सुचारु बना रहता है।
व्यक्तिगत स्वच्छता के तीन काम कौन से हैं?व्यक्तिगत स्वच्छता. स्वास्थ्य. सिर की सफाई. आँख, कान और नाक की सफाई. मुँह की सफाई. त्वचा की देखभाल. हाथ धोना. शौच के बाद सफाई. जननांगों की सफाई. |