विद्युत धारा उत्पन्न करने की विधि क्या है? - vidyut dhaara utpann karane kee vidhi kya hai?

संदर्भ: हाल ही में, रूस और यूरोप को जोड़ने वाली ‘नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइनों’ (Nord Stream pipelines) में चार विभिन्न बिंदुओं पर रिसाव होने की सूचना मिली है।

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‘नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइंस’ के बारे में:

नॉर्ड स्ट्रीम 1 अंतःसागरीय पाइपलाइन:

नॉर्ड स्ट्रीम 1 अंतःसागरीय पाइपलाइन (Nord Stream 1 subsea pipeline) का निर्माण वर्ष 2011 में पूरा हुआ था और यह रूस के लेनिनग्राद में वायबोर्ग (Vyborg) नामक स्थान से शुरू होकर जर्मनी के ग्रिफ़्सवाल्ड (Greifswald) के पास ‘लुबमिन’ (Lubmin) नामक जगह तक जाती है।

  • अधिकाँश पाइपलाइन पर स्वामित्व: इस पाइपलाइन के अधिकांश भाग पर ‘रूस की सरकारी स्वामित्व वाली गैस कंपनी ‘गज़प्रोम’ (Gazprom) का नियंत्रण है।
  • ब्लूमबर्ग के अनुसार- यूरोप में पाइपलाइन से आने वाली 40% गैस युद्ध से पहले रूस से आती थी, जोकि वर्तमान में घटकर अब 9% रह गयी है।

नॉर्ड स्ट्रीम 2:

  • यह 1,200 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन है जो रूस के ‘उस्त-लुगा’ (Ust-Luga) से शुरू होकर ‘बाल्टिक सागर’ के मार्ग से होती हुई जर्मनी के में ग्रिफ़्सवाल्ड तक जाती है।
  • इस पाइपलाइन से प्रति वर्ष 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस भेजी जाएगी।

‘नॉर्ड स्ट्रीम’ कई देशों के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों (EEZs) एवं क्षेत्रीय सागरों से होकर गुजरती है, जिनमें शामिल हैं:

  • रूस
  • फिनलैंड
  • स्वीडन
  • डेनमार्क
  • जर्मनी

क्षेत्रीय सागर:

  • रूस
  • डेनमार्क
  • जर्मनी

‘पाइपलाइंस’ में इस रिसाव (लीक) का क्या असर होगा?

  • रिसाव के बाद, गैस-आपूर्ति फिर से शुरू करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति होने के बावजूद इन पाइपलाइनों से आगामी सर्दियों के महीनों में यूरोप को कोई गैस उपलब्ध कराने की संभावना नहीं है।
  • गैस की कीमतों में वृद्धि: रिसाव (लीक) की रिपोर्ट सामने आने के बाद यूरोपीय गैस की कीमतों में तेजी आई।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: इन रिसावों से ग्रीन हाउस गैसों (मीथेन) के उत्सर्जन से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ेगा।

भारत पर प्रभाव: यह स्थिति भारत के लिए प्राकृतिक गैस की लागत बढ़ा सकती है, जो कि पहले से ही अपने चरम पर है, और भारत में एलपीजी / सीएनजी उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

इंस्टा लिंक्स:

नॉर्डिक राष्ट्र

मेंस लिंक:

‘नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन’ क्या हैं? इनके हालिया रिसाव संकट और इस तरह के रिसाव के पर्यावरणीय प्रभावों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय:  स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ में किसी भाषा को निर्धारित नहीं किया गया है: भारतीय भाषा समिति

संदर्भ: शिक्षा मंत्रालय द्वारा भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार हेतु एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति, ‘भारतीय भाषा समिति’ (Bharatiya Bhasha Samiti) का गठन किया गया है।

समिति का उद्देश्य: इस समिति का उद्देश्य ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ (NEP) 2020 के तहत निर्धारित भारतीय भाषाओं के विकास के लिए एक कार्य योजना तैयार करना है।

भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने हेतु प्रमुख फोकस क्षेत्र:

  • द्विभाषी: शिक्षकों को द्विभाषी होने के लिए तैयार करना।
  • योग्यता: अहर्ता के रूप में भाषाओं को शामिल करना।

भाषा के विकास हेतु आवश्यकताएँ:

  • निर्देश या संचार या मनोरंजन या विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए ‘भाषा’ को एक माध्यम के रूप में उपयोग करना।
  • समकालीन साहित्य या सामग्री– जैसे कि वर्तमान गतिविधियों, विचारों या दैनिक रूप वैश्विक जानकारी – का दैनिक रूप से भारतीय भाषाओं में निर्माण करना।
  • नए शब्द निर्माण: भाषा के विकास हेतु नए शब्दों के निर्माण की एक सतत प्रक्रिया आवश्यक होती है।
  • प्रौद्योगिकी: भाषाओं को प्रौद्योगिकी के अनुकूल बनाए जाने की जरूरत है, क्योंकि 2,000 से 3,000 भाषाएं जो प्रिंट प्रौद्योगिकी के अनुकूल नहीं होगी, तो धीरे-धीरे गायब हो सकती हैं।
  • सामग्री: भाषा में शिक्षण और सीखने की सामग्री तैयार किए जाने की आवश्यकता।
  • संरक्षण: कॉर्पोरेट, समाज और सरकारों से ‘भाषा’ को संरक्षण प्राप्त हो सकता है।

भाषा-विकास से रोजगार के अवसरों का सृजन:

  • स्थानीय भाषा में संचार: बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ-साथ कॉरपोरेट्स और सरकारों को अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए स्थानीय भाषाओं में संवाद करने की आवश्यकता है।
  • देश की केवल 10.4% आबादी अंग्रेजी जानती है।
  • दुभाषिए: दुभाषियों की आवश्यकता।
  • अनुवादक: पर्यटन क्षेत्र में अनुवादकों की आवश्यकता होगी।
  • प्रौद्योगिकी उपकरण: जैसे, ऐप्स अब स्थानीय भाषाओं में विकसित किए जा रहे हैं जो रोजगार सृजन के अधिक रास्ते खोलेंगे।

राज्यों की शक्ति: त्रिभाषा सूत्र के तहत निर्देश या संचार हेतु माध्यम के रूप में भाषाओं को चुनने के लिए राज्यों को छूट दी गयी है।

संस्कृत भाषा के लिए विशेष जोर:

  • NEP: ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ (NEP) के माध्यम से संस्कृत भाषा के लिए विशेष जोर दिया गया है।
  • केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय: यह सरल, मानक संस्कृत विकसित करेगा जिसका उपयोग शिक्षा और संचार के माध्यम के रूप में किया जा सकता है।
  • संस्कृत ज्ञान प्रणाली: संस्कृत ग्रंथों में ज्ञान का भंडार है, जिस पर शोध कर प्रकाशित किया जाएगा और सुलभ बनाया जाएगा।

इंस्टा लिंक्स:

‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ 2020

मेंस लिंक:

“राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक नीति 2020, सतत विकास लक्ष्य-4 (2030) के अनुरूप है। इसका उद्देश्य भारत में शिक्षा प्रणाली का पुनर्गठन और पुन: उन्मुखीकरण करना था”। इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (यूपीएससी 2020)

स्रोत: द हिंदू


सामान्य अध्ययन-III


 विषय:  सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

5जी तकनीक का आरंभ

संदर्भ: हाल ही में सरकार द्वारा वाणिज्यिक 5G सेवाओं (commercial 5G Services) शुभारंभ किया गया।

शुभारंभ कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:

5G सेवाओं का शुभारंभ- एक क्रांति: प्रधान मंत्री ने 5G सेवाओं के शुभारंभ को “एक क्रांति” बताते हुए कहा कि एक नया भारत – देश अब केवल प्रौद्योगिकी का उपभोक्ता नहीं है बल्कि इसके विकास में भी योगदानकर्ता है।

  • 2G, 3G और 4G सेवाओं की शुरुआत के समय भारत टेक्नॉलजी के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहा। लेकिन 5जी के साथ भारत ने नया इतिहास रच दिया है, और “5जी के साथ भारत पहली बार टेलीकॉम टेक्नॉलजी में ग्लोबल स्टैंडर्ड तय कर रहा है।”
  • 5G तकनीक निर्बाध कवरेज, उच्च डेटा दर, कम विलंबता और अत्यधिक विश्वसनीय संचार प्रदान करने में मदद करेगी। साथ ही, यह ऊर्जा की खपत में कमी, स्पेक्ट्रम दक्षता और नेटवर्क दक्षता में वृद्धि करेगी।

प्रौद्योगिकी गुणक के रूप में 5G: 5G प्रौद्योगिकी की ‘अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी’ से बहुत अधिक क्षमतावान है। वास्तव में यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, रोबोटिक्स, ब्लॉकचैन और मेटावर्स जैसी अन्य तकनीकों की क्षमता को अनलॉक करती है।

अन्य अनुप्रयोग: सरकार ने रेखांकित किया है कि 5जी आपदाओं की तत्काल निगरानी, ​​सटीक कृषि, और खतरनाक औद्योगिक कार्यों जैसे कि गहरी खदानों, अपतटीय गतिविधियों आदि में मनुष्यों की भूमिका को कम करने में मदद करेगी।

राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति 2018: इसमें आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र (5जी सहित) के एकीकरण पर जोर दिया गया है।

फोकस क्षेत्र: डिवाइस की कीमत, डिजिटल कनेक्टिविटी, डेटा की लागत, और ‘डिजिटल फर्स्ट’ का विचार भारत के लिए ध्यान देने के मुख्य क्षेत्र होने चाहिए।

5जी सेवाओं के व्यावहारिक उपयोग का प्रदर्शन:

  • शिक्षा: 5G तकनीक, शिक्षकों को छात्रों के करीब लाकर, उनके बीच की भौतिक दूरी को मिटाकर शिक्षा की सुविधा प्रदान करेगी। उदाहरणार्थ: उत्तर प्रदेश की एक लड़की ‘आभासी वास्तविकता’ और ‘संवर्धित वास्तविकता’ की मदद से सौर मंडल के बारे में जानने के लिए एक जीवंत और तल्लीनता पूर्ण सीखने का अनुभव देखेगी।
  • सुरक्षा: 5G तकनीक द्वारा सुरंग के डिजिटल ट्विन के निर्माण के माध्यम से दिल्ली मेट्रो की एक निर्माणाधीन सुरंग में श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।

5G तकनीक के बारे में:

  • 5G तकनीक, मोबाइल ब्रॉडबैंड की अगली पीढ़ी है। यह तकनीक अंततः 4G LTE कनेक्शन को प्रतिस्थापित करेगी या इसमें महत्वपूर्ण वृद्धि करेगी।

5G तकनीक की विशेषताएं और लाभ:

  1. यह तकनीक, ‘मिलीमीटर वेव स्पेक्ट्रम’ (30-300 गीगाहर्ट्ज़) पर कार्य करती है, जिसके द्वारा काफी बड़ी मात्रा में डेटा को बहुत तेज गति से भेजा जा सकता है।
  2. 5G तकनीक, तीन बैंड्स अर्थात् निम्न, मध्य और उच्च आवृत्ति स्पेक्ट्रम में काम करती है।
  3. मल्टी-जीबीपीएस ट्रान्सफर रेट तथा अत्याधिक कम विलंबता (ultra-low latency), 5G तकनीक, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की ताकत का उपयोग करने वाली एप्लीकेशंस का समर्थन करेगी।
  4. 5G नेटवर्क की बढ़ी हुई क्षमता, लोड स्पाइक्स के प्रभाव को कम कर सकती है, जैसे कि खेल आयोजनों और समाचार कार्यक्रमों के दौरान होती है।

विद्युत धारा उत्पन्न करने की विधि क्या है? - vidyut dhaara utpann karane kee vidhi kya hai?
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5G से होने वाले संभावित स्वास्थ्य जोखिम:

  • आज तक, और बहुत सारे शोध किए जाने के बाद, वायरलेस तकनीकों के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के बारे में पता नहीं लगा है।
  • ‘ऊतक तापन’ (Tissue heating), रेडियोफ्रीक्वेंसी क्षेत्रों और मानव शरीर के बीच अंतःक्रिया का मुख्य तंत्र होता है। वर्तमान प्रौद्योगिकियों से रेडियोफ्रीक्वेंसी स्तर के संपर्क में आने से मानव शरीर के तापमान में नगण्य वृद्धि होती है।
  • जैसे-जैसे रेडियो आवृत्ति बढ़ती है, शरीर के ऊतकों में इसका प्रवेश कम होता जाता है और ऊर्जा का अवशोषण शरीर की सतह (त्वचा और आंख) तक सीमित हो जाता है।
  • यदि, समग्र रेडियोफ्रीक्वेंसी स्तर का संपर्क अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों से नीचे रहता है, तो, सार्वजनिक स्वास्थ्य पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है।

‘अंतर्राष्ट्रीय एक्सपोजर दिशानिर्देश’ क्या हैं?

विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों हेतु एक्सपोजर दिशानिर्देश, दो अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा तैयार किये जाते हैं। वर्तमान में इनके द्वारा सुझाए गए दिशानिर्देशों का कई देश पालन करते हैं:

  1. अंतर्राष्ट्रीय गैर-आयनीकरण विकिरण संरक्षण आयोग (International Commission on Non-Ionizing Radiation Protection)
  2. अंतर्राष्ट्रीय विद्युत चुम्बकीय सुरक्षा समिति के माध्यम से ‘विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स संस्थान’ (Institute of Electrical and Electronics Engineers)

ये दिशानिर्देश, प्रौद्योगिकी-विशिष्ट नहीं होते हैं। इनके द्वारा 300 GHz तक की रेडियोफ्रीक्वेंसी को कवर किया जाता है, जिसमे 5G तकनीक संबंधी आवृत्तियां भी शामिल होती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय प्रयास– अंतर्राष्ट्रीय विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र (EMF) परियोजना:

WHO द्वारा वर्ष 1996 में एक अंतर्राष्ट्रीय विद्युतचुंबकीय क्षेत्र (Electromagnetic Fields- EMF) परियोजना की स्थापना की गई थी। यह परियोजना 0-300 गीगाहर्ट्ज़ आवृत्ति रेंज में बिजली और चुंबकीय क्षेत्रों के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव की जांच करती है और EMF विकिरण संरक्षण पर राष्ट्रीय अधिकारियों को सलाह देती है।

इंस्टालिंक्स:

क्या आप जानते हैं कि ‘ऑर्थोगोनल फ़्रीक्वेंसी-डिवीज़न मल्टीप्लेक्सिंग’ क्या है? (यहां संक्षेप में पढ़ें)

प्रीलिम्स लिंक:

  1. 5G क्या है?
  2. 3G, 4G और 5G के बीच अंतर।
  3. अनुप्रयोग
  4. ‘स्पेक्ट्रम’ क्या होता है?
  5. EMF परियोजना के बारे में।

मेंस लिंक:

5G तकनीक के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स

 


सामान्य अध्ययन-IV


लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से ग्रहण करने योग्य नैतिक मूल्य

संदर्भ: 2 अक्टूबर को भारत के दूसरे प्रधान मंत्री, लाल बहादुर शास्त्री  की जयंती भी मनाई जाती है। लाल बहादुर शास्त्री को एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था।

लाल बहादुर शास्त्री  का नेतृत्व ‘मूल्यों और नैतिकता से परिपूर्ण’ रहा।

शास्त्री जी के जीवन से नैतिक शिक्षा:

  • सामाजिक पूर्वाग्रह और भेदभाव के खिलाफ: शास्त्री जी का जन्म ‘लाल बहादुर श्रीवास्तव’ के रूप में हुआ था – प्रचलित जाति व्यवस्था के खिलाफ होने के कारण, उन्होंने अपना उपनाम छोड़ने का फैसला किया।
  • ‘शास्त्री’ उपनाम का तात्पर्य ‘विद्वान’ या शास्त्रों में निपुण व्यक्ति से है। विपरीत परिस्थितियों में भी शास्त्री जी आगे आए, खुद को जवाबदेह बनाया और सामने से नेतृत्व करने वाले एक सच्चे नेता होने का परिचय दिया।
  • जवाबदेही: उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में ‘रेल मंत्री’ के रूप में कार्य किया और वे इतने कर्तव्यनिष्ठ थे कि उन्होंने 1956 में तमिलनाडु के अरियालुर में एक ट्रेन दुर्घटना के बाद इस्तीफा दे दिया।
  • उनके इस कदम की ‘नेहरू’ सहित सभी लोगों ने सराहना की। शास्त्री जी, ‘जवाहरलाल नेहरू’ को अपना “नायक” (हीरो) मानते थे।
  • नेतृत्व गुण: जब विपक्ष ने सितंबर 1964 में उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया, तो शास्त्री ने अपनी सफलताओं और विफलताओं को खुलकर स्वीकार किया – इस प्रकार इस अविश्वास प्रस्ताव को रचनात्मक आलोचना के रूप में लिया।
  • उपदेश देने से पहले पालन करना: 1965 में, भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध में उलझा हुआ था और देश को भोजन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा था। उसने अपने परिवार को एक दिन का खाना छोड़ने के लिए कहा। यह सुनिश्चित होने के बाद ही कि उनका अपना परिवार जीवित रह सकता है, उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो पर जनता से सप्ताह में कम से कम एक बार भोजन का त्याग करने का आग्रह किया।
  • सार्वजनिक और निजी नैतिक जीवन: शास्त्री जी के पास आधिकारिक उपयोग के लिए ‘शेवरले इम्पाला’ कार थी, जिसे उनके बेटे कभी ड्राइव के लिए इस्तेमाल करते थे। जब शास्त्री को इसके बारे में पता चला, तो उन्होंने अपने ड्राइवर से कार द्वारा चली गयी दूरी की जांच करने को कहा और बाद में सरकारी खाते में पैसे जमा कर दिए।
  • “शीलम परम भूषणम” में विश्वास: अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में, उन्होंने न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए बल्कि राष्ट्र के विकास के लिए भी चरित्र और नैतिक शक्ति पर जोर दिया था।

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मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री (नैतिकता/निबंध)


करुणा – सिविल सेवकों के लिए एक महत्वपूर्ण गुण

संदर्भ: हाल ही में एक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी प्रचलित हुआ था, जिसमे लखनऊ की संभागीय आयुक्त, ‘डॉ रोशन जैकब’ लखनऊ के एक अस्पताल में एक घायल बच्चे और उसकी माँ को सांत्वना एवं आश्वासन देने की कोशिश करते हुए दिख रही थी।

  • डॉक्टर से बात करते समय ‘जैकब’ की आवाज भारी हो रही रही थी और वह अपनी साड़ी के कोने से अपनी नम आंखें पोंछती दिख रही थी।
  • लखीमपुर खीरी में एक निजी बस और मिनी ट्रक की टक्कर में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई थी और 41 लोग घायल हो गए थे, जिनमे यह बच्चा भी शामिल था।

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प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


निवारक हिरासत या नज़रबंदी

संदर्भ: हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने एक फैसला सुनाते हुए कहा है, कि “निवारक निरोध या हिरासत” या “नज़रबंदी” (Preventive Detention) व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर एक गंभीर आक्रमण है, और इसलिए संविधान तथा इस तरह की कार्रवाई की अनुमति देने वाले कानून में जो कुछ भी सुरक्षा प्रदान की गयी है, उसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।

वर्ष 2021 में एक लाख से अधिक लोगों को ‘निवारक हिरासत’ में रखा गया था।

पृष्ठभूमि:

  • अशोक कुमार बनाम दिल्ली प्रशासन, 1982 मामले में उच्चतम न्यायालय का निर्णय: ‘निवारक निरोध’ प्रावधान का उद्देश्य समाज को सुरक्षा प्रदान करना है। इस क़ानून का उद्देश्य किसी व्यक्ति को ‘कुछ’ करने के लिए दंडित करना नहीं है, बल्कि दंड-योग्य कार्य करने से पहले उसे रोकना है।
  • राम मनोहर लोहिया केस में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: केवल सर्वाधिक गंभीर कृत्यों के लिए ही ‘निवारक निरोध’ को उचित ठहराया जा सकता है।

‘निवारक निरोध’ क्या है?

  • निवारक निरोध (Preventive Detention), किसी व्यक्ति को सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा के लिए खतरनाक गतिविधि करने से रोकने की एक मात्र उचित आशंका पर और/या भविष्य के अभियोजन से बचाने के लिए उसे हिरासत में रखना (रोकना) है।
  • निवारक निरोध में, व्यक्ति को बिना किसी मुकदमे के हिरासत में रखा जाता है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 149-153 के साथ-साथ NDPS अधिनियम, और UAPA अधिनियम पुलिस की ‘निवारक कार्रवाइयों’ से संबंधित है।

संबंधित संवैधानिक प्रावधान:

  • अनुच्छेद 22(3) : संविधान के अनुच्छेद 22(3) के तहत राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के कारणों से ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर निवारक निरोध और प्रतिबंध’ की अनुमति दी गयी है। इसमें प्रावधान है कि यदि किसी व्यक्ति को निवारक निरोध के तहत गिरफ्तार किया गया है तो उसे अनुच्छेद 22(1) और 22(2) के तहत प्राप्त ‘गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ संरक्षण’ का अधिकार प्राप्त नहीं होगा।
  • अनुच्छेद 22(4): निवारक निरोध का उपबंध करने वाली कोई विधि किसी व्यक्ति का तीन मास से अधिक अवधि के लिए तब तक निरुद्ध किया जाना प्राधिकृत नहीं करेगी जब तक कि- सलाहकार बोर्ड द्वारा तीन मास की उक्त अवधि की समाप्ति से पहले, उसकी राय में ऐसे निरोध के लिए पर्याप्त कारणों के बारे में प्रतिवेदन नहीं दिया जाए।
  • 1978 का 44वां संशोधन अधिनियम: इसने एक सलाहकार बोर्ड की राय प्राप्त किए बिना नजरबंदी की अवधि को तीन से घटाकर दो महीने कर दिया है। (यह प्रावधान अभी तक लागू नहीं किया गया है)

 

भारत ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ के प्रस्ताव पर मतदान से बाहर

संदर्भ: भारत ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों में रूस द्वारा आयोजित जनमत संग्रह की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में प्रस्तुत एक मसौदा प्रस्ताव पर भाग नहीं लिया।

रूस द्वारा कब्ज़ा किए गए चार क्षेत्र:

  1. डोनेट्स्क (Donetsk)
  2. लुहान्स्क (Luhansk)
  3. ज़ापोरिज्जिया (Zaporizhzhia)
  4. खेरसॉन (Kherson)

प्रमुख बिंदु:

संयुक्त राज्य अमेरिका और अल्बानिया द्वारा प्रायोजित UNSC प्रस्ताव, ‘15 सदस्यीय परिषद’ से पारित होने में विफल रहा। रूस ने इस प्रस्ताव को ब्लॉक करने के लिए वीटो पॉवर का इस्तेमाल किया।

मतदान में भाग नहीं लेने वाले अन्य देश:

  1. चीन
  2. ब्राजील
  3. गैबोन

UNSC प्रस्ताव: ये संयुक्त राष्ट्र के अंगों की राय या इच्छा की औपचारिक अभिव्यक्ति होते हैं।

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स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण, 2022 पुरस्कार

संदर्भ: बड़े राज्यों की श्रेणी के तहत ‘तेलंगाना’ ने ‘स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण’ 2022 (Swachh Survekshan Gramin – SSG, 2022) के तहत पहला पुरस्कार जीता है।

सर्वेक्षण में ‘तेलंगाना’ के बाद हरियाणा और तमिलनाडु का स्थान रहा।

प्रमुख बिंदु:

  • स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-2022 पुरस्कार: यह पुरस्कार प्रमुख मात्रात्मक और गुणात्मक स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) पर प्राप्त प्रदर्शन के आधार पर राज्यों और जिलों को रैंक प्रदान करता है।
  • छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंडमान और निकोबार ने पहला स्थान हासिल किया, उसके बाद दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव और सिक्किम का स्थान रहा।

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स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण- II:

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का दूसरा चरण, इस अभियान पहले चरण के तहत उपलब्धियों की निरंतरता पर और ग्रामीण भारत में ठोस/तरल और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करता है।

  • इसे मिशन मोड में 2020-21 से 2024-25 तक लागू किया जाएगा।
  • फंडिंग पैटर्न: केंद्र और राज्यों के बीच ‘फंड शेयरिंग पैटर्न’ उत्तर-पूर्वी राज्यों और हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए 90:10 होगा; अन्य राज्यों के लिए 60:40; और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
  • कार्यान्वयन: स्वच्छ भारत मिशन (SBM) को क्रमशः शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

संबंधित आर्टिकल:

इंदौर को सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार

  • इंदौर को लगातार छठे वर्ष भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है, और ‘मध्य प्रदेश’ देश का सबसे स्वच्छ राज्य है।
  • स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार, स्वतंत्रता@75 स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के भाग के रूप में राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए गए।
  • तिरुपति को ‘सफाई मित्र सुरक्षा श्रेणी’ में सर्वश्रेष्ठ शहर का पुरस्कार दिया गया।
  • हरिद्वार को सर्वश्रेष्ठ गंगा शहर का पुरस्कार दिया गया।
  • शिवमोग्गा (कर्नाटक) को फास्ट मूवर सिटी अवार्ड दिया गया।

 

युवा 2.0- युवा लेखकों को परामर्श देने वाली प्रधानमंत्री की योजना

संदर्भ: शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग ने “युवा 2.0- युवा लेखकों को परामर्श देने वाली प्रधानमंत्री की योजना” (YUVA 2.0 – Prime Minister’s Scheme for Mentoring Young Authors) की शुरुआत की है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस योजना का उद्देश्य देश में पढ़ने, लिखने एवं पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर भारत एवं भारतीय लेखन को प्रस्तुत करने के उद्देश्य से युवा एवं नवोदित लेखकों (30 वर्ष से कम आयु) को प्रशिक्षित करना है।
  • युवा 2.0 (युवा, उभरते और बहुमुखी प्रतिभा वाले लेखक), India@75 परियोजना (आजादी का अमृत महोत्सव) का एक हिस्सा है।
  • यह योजना, ‘लोकतंत्र (संस्थाएं, घटनाएं, लोग, संवैधानिक मूल्य – अतीत, वर्तमान, भविष्य)’ विषय पर लेखकों की युवा पीढ़ी के दृष्टिकोण को एक अभिनव और रचनात्मक तरीके से सामने लाती है।

महत्व:

  • यह योजना लेखकों की एक ऐसी धारा विकसित करने में मदद करेगी जो भारतीय विरासत, संस्कृति और ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विषयों पर लिख सकें।
  • युवा रचनात्मक लेखकों की एक नई पीढ़ी को मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से, उच्चतम स्तर पर पहल करने की तत्काल जरूरत है और इस संदर्भ में, युवा 2.0 रचनात्मक दुनिया के भविष्य के नेताओं का आधार तैयार करने की दिशा में एक लंबा सफर तय करेगा।

कार्यान्वयन: कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में शिक्षा मंत्रालय के तहत नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत इस योजना के चरणबद्ध कार्यान्वयन को मेंटरशिप के सुपरिभाषित चरणों के तहत सुनिश्चित करेगा।

स्टॉकहोम कन्वेंशन

संदर्भ: हाल ही में, ‘दीर्घस्थायी कार्बनिक प्रदूषकों’ (Persistent Organic Pollutants – POPs) पर समीक्षा समिति की 18वीं बैठक संपन्न हुई।

प्रमुख बिंदु:

  • इस सम्मलेन में ‘स्टॉकहोम कन्वेंशन’ (Stockholm Convention) के अनुलग्नक ए (Annex A) के तहत ‘डेक्लोरेन प्लस’ (फ्लेम रिटार्डेंट) और UV-328 (स्टेबलाइजर) को सूचीबद्ध किया गया।
  • सदस्यों द्वारा ‘क्लोरपाइरीफोस’ (Chlorpyrifos) कीटनाशक के प्रतिकूल प्रभाव होने की संभावना पर सहमति नहीं होने के बाद, इससे संबंधित जोखिम प्रोफाइल के मसौदे पर समिति ने अपना विचार स्थगित कर दिया।

‘दीर्घस्‍थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम कन्वेंशन’ के बारे में:

‘स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम कन्वेंशन’ (Stockholm Convention on POPs), मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को POPs से बचाने के लिये एक वैश्विक संधि है।

  • इस अभिसमय पर वर्ष 2001 में हस्ताक्षर किए गए थे तथा यह न्यूनतम 50 हस्ताक्षरकर्ता राष्ट्रों द्वारा अनुसमर्थन के नब्बे दिन बाद मई 2004 से प्रभावी हुआ था।
  • इसका लक्ष्य, स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों (पीओपी) के उत्पादन और उपयोग को खत्म करना या प्रतिबंधित करना है।
  • इसके अनुसमर्थन के मद्देनजर, भारत ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत “पीओपी नियमों का विनियमन” (2018) अधिसूचित किया।

‘स्थायी कार्बनिक प्रदूषक’ (POPs) क्या हैं?

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा ‘दीर्घस्थायी कार्बनिक प्रदूषकों’ (POPs) को “पर्यावरण में दीर्घकाल तक मौजूद रहने वाले, खाद्य श्रंखला के माध्यम से जैव-संचित होने वाले, तथा मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पैदा करने का जोखिम पैदा करने वाले रासायनिक पदार्थों” के रूप में परिभाषित किया गया है।

अन्य समान संधियाँ:

  1. खतरनाक अपशिष्टों के सीमापारीय संचरण और उनके निपटान पर बेसल कन्वेंशन (1989)
  2. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कुछ खतरनाक रसायनों और कीटनाशकों के लिए पूर्व सूचित सहमति प्रक्रिया पर रॉटरडैम कन्वेंशन (1998)

 

विद्युत धारा उत्पन्न करने की विधि क्या है? - vidyut dhaara utpann karane kee vidhi kya hai?
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पराली जलाना

संदर्भ: सरकार की समीक्षा के आंकड़ों के अनुसार- वर्ष 2022-23 में ‘पराली’ में 1 मिलियन टन से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है और 6 मिलियन टन से अधिक ‘पराली’ को जलाया जा सकता है।

‘पराली दहन’ या ‘पराली जलाना (stubble Burning) क्या है?

‘पराली दहन’, धान और गेहूं जैसे अनाजों की कटाई के बाद बची हुई पुआल की पराली में जानबूझकर आग लगाने की प्रकिया होती है।

  • किसानों द्वारा नवंबर में गेहूं की बुवाई के लिए खेत तैयार करने के दौरान ‘पराली दहन’ या पराली जलाना, एक आम बात है, क्योंकि धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच बहुत कम समय बचता है।

पराली जलाने के कारण:

  • यंत्रीकृत कटाई: भारत की हरित पट्टी में इस्तेमाल होने वाले ‘कम्बाइन हार्वेस्टर’ खेत में पराली छोड़ देते हैं।
  • खरीफ फसल की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच कम समय होने के कारण किसान अक्सर पराली को जला देते हैं।

पराली जलाने से उत्पन्न समस्या :

  • पराली जलाने से हानिकारक गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के साथ-साथ पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन होता है।
  • वायु गुणवत्ता पर इसके प्रभावों के अलावा, पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता (इसके पोषक तत्वों के विनाश के माध्यम से), आर्थिक विकास और जलवायु पर भी प्रभाव पड़ता है।
  • दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में इसका प्रमुख योगदान है।

उपचारात्मक उपाय:

  • दिल्ली से सटे राज्यों द्वारा पराली जलाने के प्रबंधन पर कार्य योजना के कार्यान्वयन हेतु ‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ (CAQM) का गठन।
  • दिल्ली सरकार की ’15 सूत्री शीतकालीन कार्य योजना’।
  • खिएतों में जैव अपघटक, फसल अवशेष प्रबंधन।
  • पराली को खेत से बाहर ले जाना: बायोमास पावर प्रोजेक्ट्स, थर्मल पावर प्लांट्स में को-फायरिंग, 2जी एथेनॉल प्लांट्स के लिए फीडस्टॉक, कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट में फीड स्टॉक, औद्योगिक बॉयलरों में ईंधन, डब्ल्यूटीई प्लांट, पैकेजिंग सामग्री आदि में पराली का उपयोग।
  • पराली/फसल अपशिष्टों को जलाने के निषेध की प्रभावी निगरानी/प्रवर्तन।

विद्युत धारा उत्पन्न करने की विधि क्या है? - vidyut dhaara utpann karane kee vidhi kya hai?
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तेजी से पिघल रही आर्कटिक हिम से समुद्र को अम्लीयता में वृद्धि

संदर्भ: शोधकर्ताओं की एक टीम ने आर्कटिक महासागर के पश्चिमी क्षेत्र के बदलते रसायनिक गुणधर्मों का पता लगाया है।

विद्युत धारा कैसे उत्पन्न होता है?

विद्युत धारा (Electric current) विद्युत धारा एक प्रकार से विद्युत आवेशों का प्रवाह है। ठोस चालकों में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के कारण तथा तरलों में आयनों के साथ इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के कारण विद्युत धारा बनती है। विद्युत् धारा की दिशा धन आवेश की गति की दिशा की ओर मानी जाती है।

विद्युत धारा उत्पन्न करने के लिए प्रयुक्त साधन कौन सा है?

विद्युत धारा उत्पन्न करने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण को जनरेटर कहा जाता है। विद्युत धारा का पता लगाने और संकेत करने के लिए गैल्वेनोमीटर का उपयोग किया जाता है। परिपथ में धारा मापने के लिए एमीटर का उपयोग किया जाता है। एक विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करती है.

विद्युत धारा का मात्रक क्या है?

मात्रात्मक रूप से, आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। इसका SI मात्रक एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे।

विद्युत धारा कितने प्रकार के होते हैं?

विद्युत् धारा के दो प्रकार होते हैं। पहला ए सी (प्रत्यावर्ती धारा) दूसरा डी सी (दिष्ट धारा)।