इसे सुनेंरोकेंक्रिया के उस रूपान्तर को कर्तृवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो। सरल शब्दों में, क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो और सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाए हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। रमेश केला खाता है। दिनेश पुस्तक नहीं पढता है। Show
पढ़ना: सबसे छोटा कोशिकांग कौन सा होता है? कर्मवाच्य और भाववाच्य में क्या अंतर है? इसे सुनेंरोकेंकर्मवाच्य : जिस वाक्य में केंद्र बिंदु कर्ता ना होकर कर्म हो उसे कर्मवाच्य कहते हैं। भाववाच्य: जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता ना होकर अकर्मक क्रिया का भाव प्रमुख हो उसे भाववाचय कहते हैं। मोहन से पढ़ा नहीं जाता कौन सा वाक्य है?इसे सुनेंरोकेंवाच्य की परिभाषा – Vachya ki Pribhasha वाच्य क्रिया के उस रूपान्तर को कहते हैं, जिससे कर्ता , कर्म और भाव के अनुसार क्रिया के परिवर्तन ज्ञात होते हैं। रमा पुस्तक पढ़ती है। पुस्तक पढ़ी जाती है। मोहन से पढ़ा नहीं जाता है। मानसी से चित्र नहीं बनाया जाता इस वाक्य में कौन सा वाच्य है?2. कर्मवाच्य-जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है तथा क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है और कर्ता की स्थिति में स्वयं कर्म होता है, वहाँ कर्मवाच्य होता है।…Quick Resources. English GrammarHindi GrammarWatch Youtube VideosNCERT Solutions Appपढ़ना: क्या बाहर विश्लेषण और आंतरिक विश्लेषण का क्या मतलब है? वह लड़ाई में मारा गया कौन सा वाच्य है? इसे सुनेंरोकेंयह वाच्य सकर्मक, अकर्मक दोनों क्रियाओ से बनता है। नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए?इसे सुनेंरोकें(क) माँ से बैठा नहीं जाता। (ख) मुझसे देखा नहीं जाता। (ग) चलो, अब सोया जाए। (घ) माँ से रोया भी नहीं जाता। वाच्य का शाब्दिक अर्थ है :- " बोलने का विषय "| अतः क्रिया के जिस रुप से या पता चले कि क्रिया का मुख्य विषय 'कर्ता' है 'कर्म' है अथवा 'भाव' है उसे वाच्य कहते हैं; उदाहरण :- 'नेताजी' सुंदर लग रहे थे ( इस वाक्य में नेताजी कर्ता को दर्शाते हैं| ) इनमें किसी के अनुसार क्रिया के पुरुष, वचन आदि आए हैं। वाच्य के तीन प्रकार हैं -
क्रिया के उस रूपान्तर को कर्तृवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो। सरल शब्दों में, क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो और सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाए हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। उदाहरणरमेश केला खाता है।दिनेश पुस्तक नहीं पढता है।उक्त वाक्यों में कर्ता प्रधान है तथा उन्हीं के लिए 'खाता है' तथा 'पढ़ता है' क्रियाओं का विधान हुआ है, इसलिए यहाँ कर्तृवाच्य है। कर्तृवाच्य में कर्ता विभक्ति रहित होता ही है और यदि विभक्ति हो तो वहां केवल ' ने ' विभक्ति का ही प्रयोग होता है। जैसे - रमेश ने केला खाया। क्रिया के उस रूपान्तर को कर्मवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो। सरल शब्दों में- क्रिया के जिस रूप में कर्म प्रधान हो, जिसमें केवल सकर्मक क्रिया के वाक्य होते है।उसे कर्मवाच्य कहते हैं। उदाहरणकवियों द्वारा कविताएँ लिखी गई।पतंग उड रही है।गाडी चल रही हैउक्त वाक्यों में कर्म प्रधान हैं तथा उन्हीं के लिए 'लिखी गई', 'दी गई' तथा 'पढ़ी गई' क्रियाओं का विधान हुआ है, अतः यहाँ कर्मवाच्य है। यहाँ क्रियाएँ कर्ता के अनुसार रूपान्तररित न होकर कर्म के अनुसार परिवर्तित हुई हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अँगरेजी की तरह हिन्दी में कर्ता के रहते हुए कर्मवाच्य का प्रयोग नहीं होता; जैसे- 'मैं दूध पीता हूँ' के स्थान पर 'मुझसे दूध पीया जाता है' लिखना गलत होगा। हाँ, निषेध के अर्थ में यह लिखा जा सकता है- मुझसे पत्र लिखा नहीं जाता; उससे पढ़ा नहीं जाता। कर्म वाच्य की पहचान- कर्म वाच्य वाले वाक्यों में "के द्वारा/द्वारा/सर्वनाम शब्द में 'से'जुड़ा हुआ हो और इनके बाद कर्म आता हो तो उसे कर्म वाच्य का वाक्य कहते हैं| क्रिया के उस रूपान्तर को भाववाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध हो। दूसरे शब्दों में- क्रिया के जिस रूप में न तो कर्ता की प्रधानता हो न कर्म की, बल्कि क्रिया का भाव ही प्रधान हो, वहाँ भाववाच्य होता है। उदाहरणमोहन से टहला भी नहीं जाता।मुझसे उठा नहीं जाता।मुझसे सोया नही जाता।उक्त वाक्यों में कर्ता या कर्म प्रधान न होकर भाव मुख्य हैं, अतः इनकी क्रियाएँ भाववाच्य का उदाहरण हैं। टिप्पणी- यहाँ यह स्पष्ट है कि कर्तृवाच्य में क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती है, किन्तु कर्मवाच्य में केवल सकर्मक और भाववाच्य में अकर्मक होती हैं। आज के आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के अंतर्गत वाच्य का अर्थ (Vachya Ka Arth) ,वाच्य के भेद (Vachya Ke Bhed) विस्तार से पढेंगे । वाच्य – Vachya in HindiTable of Contents
वाच्य का अर्थ – वाक्य में कथन की प्रधानता अब बात करें कि वाक्य में कर्ता ,कर्म या भाव किसकी प्रधानता है ,वाक्य में इसका पता चलता है ,इसे वाच्य (Vachya) कहते है वाच्य से यह पता चलता है कि वाक्य में कर्ता , कर्म और भाव में से किसकी प्रधानता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष – कर्ता , कर्म या भाव में से किसके अनुसार है। वाच्य की परिभाषा – Vachya ki Pribhashaवाच्य क्रिया के उस रूपान्तर को कहते हैं, जिससे कर्ता , कर्म और भाव के अनुसार क्रिया के परिवर्तन ज्ञात होते हैं। यथा –
ऊपर के वाक्यों में उनकी क्रियाएँ क्रमशः कर्ता , कर्म और भाव के अनुसार हैं। पहले वाक्य में रमा कर्ता है और उसके अनुसार क्रिया हैं – पढ़ती है। दूसरे वाक्य में कर्म पुस्तक के अनुसार क्रिया है -पढ़ी जाती है। अन्तिम वाक्य में पढ़ा नहीं जाता है से न पढ़ने का भाव स्पष्ट है। अतः यहाँ क्रिया भाव के अनुसार है। वाच्य के भेद – Vachya ke kitne bhed hote hainवाच्य के तीन भेद होते हैं-
ऊपर के तीनों वाक्यों से वाच्य के ये तीनों भेद स्पष्ट है। कर्तृवाच्य – Krit Vachyaजिस वाक्य में क्रिया कर्ता के अनुसार हो, उसे ’कर्तृवाच्य’ कहते हैं। यथा –
ऊपर के इन दो वाक्यों की क्रियाएँ लिखता और पढ़ती कर्ता राम और सीता के अनुसार है। अतः ये वाक्य कर्तृवाच्य में है। कर्मवाच्य – Karm Vachyaवाक्य में कर्म की प्रधानता होती है। जिस वाक्य में क्रिया कर्म के अनुसार हो, उसे ’कर्मवाच्य’ कहते हैं। यथा –
ऊपर के दोनों वाक्यों में पत्र और पुस्तक कर्म है और इनके अनुसार क्रियाएँ हैं – लिखा जाता और पढ़ी जाती। अतः ये वाक्य कर्मवाच्य के उदाहरण हैं। नोट : ज्यादातर सकर्मक क्रिया के उदाहरण कर्म वाच्य में आते है भाववाच्य – Bhav Vachyaजिस वाक्य में क्रिया कर्ता और कर्म को छोङकर भाव के अनुसार हो, उसे ’भाववाच्य’ कहते हैं। उदाहरण –
ऊपर के वाक्यों में बैठा नहीं जाता, खाया नहीं जाता से एक भाव स्पष्ट होता है। इन सब वाक्यों में न कर्ता की प्रधानता है, न कर्म की। इनमें निहित सभी क्रियाएँ भाव के अनुसार हैं। अतः भाव के अनुसार क्रिया होने से ये सभी भाववाच्य के उदाहरण हैं। टिप्पणी: कर्तृवाच्य में सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाएँ होती है। कर्मवाच्य में क्रिया केवल सकर्मक होती हैं। क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष कर्म के अनुसार होता है। कर्मवाच्य का प्रयोग विधान और निषेध दोनों स्थितियों में होता है। भाववाच्य में क्रियाएँ प्रायः अकर्मक होती हैं। इसकी क्रिया सदा एकवचन, अन्य पुरुष और पुल्लिंग में होती है। इसमें असमर्थता और निषेध होने से वाक्य प्रायः नकारात्मक होते हैं। नोट : क्रिया सदा एकवचन में होगी। कर्मवाच्य के प्रयोगअंग्रेजी व्याकरण में कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य में बदलने की प्रक्रिया होती है। परन्तु, हिन्दी में ऐसा नहीं होता। हिन्दी में कुछ सामान्यतः कर्तृ रूप में ही चलते हैं और कुछ कर्म रूप में ही। हिन्दी में ’राम श्याम द्वारा पीटा गया’ जैसा वाक्य नहीं चलता। हिन्दी की प्रकृति के अनुसार सही वाक्य ’श्याम ने राम को पीटा’ होगा। यथा – (1) जब कर्ता अज्ञात हो अथवा ज्ञात कर्ता का उल्लेख करने की आवश्यकता न हो –
(2) कानूनी तथा सरकारी व्यवहार में अधिकतर व्यक्त करने के लिए –
(3) कर्ता पर जोर देने के लिए –
(4) अशक्यता के प्रसंग में –
(5) अपना प्रभाव व्यक्त करने के लिए –
(6) सम्भावना व्यक्त करने के लिए –
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उसे पढ़ा नहीं जाता में कौन सा वाच्य है?'यहाँ पढ़ा नहीं जाता' वाक्य में कौन-सा वाच्य प्रयुक्त हुआ है? 'कर्मवाच्य' : वाच्य का वह रूप जिसमें लिंग एवं वचन कर्ता के ना अनुसार ना होकर कर्म के अनुसार हो उन्हें 'कर्मवाच्य' कहते हैं।
मुझ से चला नहीं जाता कौन सा वाच्य है?"अब मुझसे चला नहीं जाता" यह वाक्य 'भाववाच्य' का उदाहरण है।
मुझसे खाया नहीं जाता कौन सा वाच्य है?मुझसे उठा नहीं जाता। मुझसे सोया नही जाता। उक्त वाक्यों में कर्ता या कर्म प्रधान न होकर भाव मुख्य हैं, अतः इनकी क्रियाएँ भाववाच्य का उदाहरण हैं। टिप्पणी- यहाँ यह स्पष्ट है कि कर्तृवाच्य में क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती है, किन्तु कर्मवाच्य में केवल सकर्मक और भाववाच्य में अकर्मक होती हैं।
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