देवास में कितने के नोट छपते हैं? - devaas mein kitane ke not chhapate hain?

Publish Date: | Mon, 25 Apr 2022 08:15 PM (IST)

देवास (नईदुनिया प्रतिनिधि)। बैंक नोट प्रेस (बीएनपी) देवास में एक लाइन हाईस्पीड मशीन इंस्टाल होने से 200 और 500 रुपये के नोटों की छपाई में गति आ गई है। कोरोनाकाल में कारखाना बंद होने और कर्मचारियों की अनुपस्थिति के बाद भी बीएनपी ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में चार हजार मिलियन (एक मिलियन ----10 लाख रुपये) नोट छापकर टारगेट पूरा कर लिया। एक अप्रैल से 2022-23 का नया वित्तीय वर्ष प्रारंभ हो गया है। अब तक लगभग 150 मिलियन रुपये का उत्पादन हो चुका है। वर्ष 1998 के बाद दूसरी बार मशीनों को बदला गया है। इसके पहले 2011 में नई मशीन लगाई गई थी।

यह है एक लाइन मशीन की विशेषता

जानकारों के अनुसार चार सेक्शन में मशीनें होती हैं, लेकिन वे आपस में लिंक होती हैं, इसलिए उसे एक लाइन मशीन कहते हैं। कागज चार सेक्सन में जाकर पूरा नोट बनता है। इसमें सबसे पहले आफसेट मशीन में नोट की डिजाइन प्रिंट होती है, दूसरे सेक्शन में उत्कीर्ण मुद्रण मशीन से उभरी हुई प्रिंटिंग जिसमें अक्षर, महात्मा गांधी प्रिंट होते हैं, तीसरे सेक्शन में नंबरिंग मशीन पर सीरीज से नंबर डलता है और चौथे सेक्शन में कटिंग मशीन से नोट की कटिंग होकर पैकिंग होती है।

200 और 500 के नोटों की हो रही छपाई

एक लाइन आधुनिक मशीन के लगने से नोटों की क्वालिटी और उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है। सूत्रों की मानें तो आठ नवंबर 2016 को जब देश में नोटबंदी हुई थी, उसके बाद से ही देवास बीएनपी में 200 और 500 के नोटों की छपाई की जा रही है। फिलहाल इन्हीं नोटों की डिमांड अधिक है।

ये भी जानें

वर्ष 1924 में देश की पहली बैंक नोट प्रेस महाराष्ट्र के नासिक में स्थापित हुई थी, जबकि देवास की बैंक नोट प्रेस 1974 में स्थापित हुई। यहां एक साल में 265 करोड़ से अधिक नोट छपते हैं। पहले 20, 50, 100 और 500 के नोट छपते थे। अब डिमांड के अनुसार 200-500 के छपते हैं।

Posted By: Hemant Kumar Upadhyay

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नई दिल्ली.  नासिक में छापखाना कामगार परिसंघ ने स्याही खत्म होने के कारण नोटों की छपाई बंद होने का दावा किया है। परिसंघ अध्यक्ष जगदीश गोडसे का कहना है कि नोटों की छपाई में आयातित स्याही का इस्तेमाल होता है। भारत में नोट छपाई में इस्तेमाल होने वाली 50 फीसदी स्याही आयातित होती है। अगले तीन से पांच साल के बाद ही नोट छपाई की स्याही के उत्पादन में भारत के आत्मनिर्भर होने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार ने भारत में स्याही आयात करने वाली कंपनियों को भारत में अपनी यूनिट लगाने के लिए कहा है। इस संबंध में सहमति भी बन गई है।

देश में चार जगहों पर छपते हैं नोट, पिछले वित्त वर्ष 926.5 करोड़ पीसेज नोटों की आपूर्ति की गई थी
भारत में चार जगहों पर नासिक, देवास, मैसूर व सालबोनी (प. बंगाल) में नोट छपाई का काम किया जाता है। देवास की बैंक नोट प्रेस और नासिक की करेंसी नोट प्रेस वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाली सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के नेतृत्व में काम करते हैं। वहीं मैसूर और सलबोनी के प्रेस भारतीय रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड के अधीन काम करते हैं। नासिक और देवास से वित्त वर्ष 2016-17 में 926.5 करोड़ पीसेज नोट की आपूर्ति आरबीआई को की गई।

महात्मा गांधी की तस्वीर के लिए इंटैगलियो इंक

नोट छापने की स्याही का आयात मुख्य रूप से स्विटजरलैंड से किया जाता है। इंटैगलियो, फ्लूरोसेंस और ऑप्टिकल वेरिएबल इंक का इस्तेमाल। आयात होने वाली स्याही के कंपोजिशन में हर बार बदलाव करवाया जाता है ताकि कोई और देश नकल नहीं कर सके।
इंटैगलियो इंक: इसका इस्तेमाल नोट पर दिखने वाली महात्मा गांधी की तस्वीर छापने में किया जाता है। 
फ्लूरोसेंस इंक : नोट के नंबर पैनल की छपाई के लिए इस इंक का उपयोग किया जाता है। 
ऑप्टिकल वेरिएबल इंक : नोट की नकल न हो पाए इसलिए इस इंक का इस्तेमाल होता है। 

आयातित के मुकाबले घरेलू स्याही 4-5 गुना सस्ती
2015 के अप्रैल माह में आरबीआई के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोट छपाई में 100 फीसदी घरेलू पेपर और स्याही के इस्तेमाल की बात कही थी। हालांकि, उसके बाद से नोट छापने वाली स्याही के घरेलू उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। घरेलू स्याही की कीमत आयातित स्याही की कीमत के मुकाबले 4-5 गुना कम होती है।

चीन-पाकिस्तान से कमर्शियल संबंध रखने वाली कंपनी से सप्लाई नहीं 

महाराष्ट्र में स्याही बनाने की यूनिट लग सकती है और इस काम में तीन से पांच साल लग सकते हैं। इसके बाद ही स्याही का आयात बंद हो पाएगा। चीन और पाकिस्तान से कमर्शियल संबंध रखने वाली कंपनी से स्याही और सिक्योरिटी थ्रेड का आयात नहीं किया जाता है। कंपनी को यह भी घोषित करना पड़ता है कि उनके किसी कर्मचारी ने पाकिस्तान या चीन में काम नहीं किया है। 

देवास में बनती है घरेलू स्याही, दाम का खुलासा नहीं

सुरक्षा कारणों से आयातित स्याही की विस्तृत जानकारी शेयर नहीं की जाती है। घरेलू स्याही का उत्पादन देवास में किया जाता है। 


वित्त वर्ष 2016-17 में 825 टन घरेलू स्याही का उत्पादन
उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 में 825 टन स्याही का उत्पादन किया गया, लेकिन स्याही की कीमतों का खुलासा करने से इनकार कर दिया गया।

देवास में कितने कितने के नोट छपते हैं?

वर्ष 1924 में देश की पहली बैंक नोट प्रेस महाराष्ट्र के नासिक में स्थापित हुई थी, जबकि देवास की बैंक नोट प्रेस 1974 में स्थापित हुई। यहां एक साल में 265 करोड़ से अधिक नोट छपते हैं। पहले 20, 50, 100 और 500 के नोट छपते थे। अब डिमांड के अनुसार 200-500 के छपते हैं

1 साल में कितना रुपया छपता है?

आरबीआई के मुताबिक, हर साल करीब साढ़े 4 हजार करोड़ रुपये नोटों की छपाई में ही खर्च हो जाता है.

भारत में नोट छापने की कितनी मशीन है?

देश में चार प्रिंटिंग प्रेस हैं- नासिक, देवास, मैसूर और सालबोनी में नोटों की छपाई का काम होता है.

नोट छापने का कारखाना कहाँ है?

भारत में चार जगहों पर नासिक, देवास, मैसूर व सालबोनी (प. बंगाल) में नोट छपाई का काम किया जाता है। देवास की बैंक नोट प्रेस और नासिक की करेंसी नोट प्रेस वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाली सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के नेतृत्व में काम करते हैं।