दो पंछी कविता के प्रश्न उत्तर - do panchhee kavita ke prashn uttar

NCERT Solution for Class 8 Hindi Chapter 9 - रवींद्रनाथ ठाकुर [कविता] प्रश्न-अभ्यास

Solution क - 1

कवि करुणामय ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि उसे जीवन की विपदाओं से दूर चाहे ना रखे पर इतनी शक्ति दे कि इन मुश्किलों पर विजय पा सके। दुखों में भी ईश्वर को न भूले, उसका विश्वास अटल रहे। 

Solution क - 2

कवि का कहना है कि हे ईश्वर मैं यह नहीं कहता कि मुझ पर कोई विपदा न आए, मेरे जीवन में कोई दुख न आए बल्कि मैं यह चाहता हूँ कि मैं मुसीबत तथा दुखों से घबराऊँ नहीं, बल्कि आत्म-विश्वास के साथ निर्भीक होकर हर परिस्थितियों का सामना करने का साहस मुझ में आ जाए। 

Solution क - 3

विपरीत परिस्थितियों के समय सहायक के न मिलने पर कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले। 

Solution क - 4

इस पूरी कविता में कवि ने ईश्वर से साहस और आत्मबल माँगा है अंत में कवि अनुनय करता है कि चाहे सब लोग उसे धोखा दे, सब दुख उसे घेर ले पर ईश्वर के प्रति उसकी आस्था कम न हो, उसका विश्वास बना रहे। उसका ईश्वर के प्रति विश्वास कभी न डगमगाए। सुखों के आने पर भी ईश्वर को हर क्षण याद करता रहें। 

Solution क - 5

आत्मत्राण का अर्थ है आत्मा का त्राण अर्थात् आत्मा या मन के भय का निवारण, उससे मुक्ति। त्राण शब्द का प्रयोग इस कविता के संदर्भ में बचाव, आश्रय और भय निवारण के अर्थ में किया जा सकता है। कवि चाहता है कि जीवन में आने वाले दुखों को वह निर्भय होकर सहन करे। दुख न मिले ऐसी प्रार्थना वह नहीं करता बल्कि मिले हुए दुखों को सहने, उसे झेलने की शाक्ति के लिए प्रार्थना करता है। कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले इसलिए यह शीर्षक पूर्णतया सार्थक है। 

Solution क - 6

अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना के अतिरिक्त हम निम्नलिखित प्रयास करते हैं - 

१) कठिन परिश्रम और संघर्ष करते हैं। 

२) सफलता प्राप्त होने तक धैर्य धारण करते हैं। 

Solution क - 7

यह प्रार्थना अन्य प्रार्थना गीतों से भिन्न है क्योंकि अन्य प्रार्थना गीतों में दास्य भाव, आत्म समर्पण, समस्त दुखों को दूर करके सुखशांति की प्रार्थना, कल्याण, मानवता का विकास, ईश्वर सभी कार्य पूरे करें ऐसी प्रार्थनाएँ होती हैं परन्तु इस कविता में कष्टों से छुटकारा नहीं कष्टों को सहने की शक्ति के लिए प्रार्थना की गई है। कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले। यहाँ ईश्वर में आस्था बनी रहे, कर्मशील बने रहने की प्रार्थना की गई है। यह प्रार्थना किसी सांसारिक या भौतिक सुख की कामना के लिए नहीं है। 

Solution ख - 1

इन पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि वह सुख के दिनों में भी परमात्मा को हर पल श्रद्धा भाव से याद रखना चाहता है, वह एक पल भी ईश्वर को भुलाना नहीं चाहता। कवि दुख-सुख दोनों में ही प्रभु को सम भाव से याद करना चाहते हैं। 

Solution ख - 2

कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि जीवन में उसे लाभ मिले या हानि ही उठानी पड़े तब भी वह अपना मनोबल न खोए। हर परिस्थिति का सहर्ष सामना कर सके। 

Solution ख - 3

कवि इस संसार रूपी भवसागर को स्वयं पार करना चाहते हैं। वह यह नहीं चाहता कि ईश्वर उसे इस दुख के भार को कम कर दे या सांत्वना दे। वह अपने जीवन की ज़िम्मेदारियों को कम करने के लिए नहीं कहता बल्कि उससे संघर्ष करने, उसे सहने की शक्ति के लिए प्रार्थना करता है। 

दो पंछी कविता के प्रश्न उत्तर - do panchhee kavita ke prashn uttar

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हम पंछी उन्मुक्त गगन के

प्रश्न / उत्तर

प्रश्न-1  हम पंछी उन्मुक्त गगन के पाठ के रचयिता कौन हैं?

उत्तर-  हम पंछी उन्मुक्त गगन के पाठ के रचयिता शिवमंगल सिंह 'सुमन' हैं।

प्रश्न-2   पंछी अपना मधुर गीत कब नहीं गए पाएँगें?

उत्तर-  पंछी अपना मधुर गीत पिंजरे में बंद होकरनहीं गए पाएँगें।

प्रश्न-3पंछी कहाँ का जल पीना पसंद करते हैं?

उत्तर -  पंछी नदी और झरनों का बहता जल पीना पसंद करते हैं।

प्रश्न-4   पंछियों के लिए पिंजरे में रखे मैदा से बेहतर क्या है?

उत्तर -  पंछियों के लिए पिंजरे में रखे मैदा से बेहतर नीम का फल है।

प्रश्न-5   पंछियों के अरमान क्या थे?

उत्तर -  पंछियों के आकाश की सीमा तक उड़ने के अरमान थे।

प्रश्न-6   पंछी कैसा जीवन चाहते हैं?

उत्तर -  पंछी एक स्वतंत्र जीवन चाहते हैं।

प्रश्न-7   पंछी क्या खाते पीते हैं?

उत्तर -  पंछी बहता हुआ जल पीते हैं और पेड़ पे लगे हुए फल खाते हैं।


प्रश्न-8   पिंजरे में पंख फ़ैलाने पर पंछियों की क्या दशा होगी?

उत्तर -  पिंजरे में पंख फ़ैलाने पर पंछियों के पंख पिंजरे के सलाखों से टकराकर टूट जायेंगें।

प्रश्न-9   पिंजरे में पंछी क्या-क्या नहीं कर सकते?

उत्तर -  पिंजरे में पंछी पंख नहीं फैला सकते, ऊँची उड़ान नहीं भर सकते, बहता जल नहीं पी सकते और पेड़ों पर लगे हुए फल नहीं खा सकते।

प्रश्न-10   कविता में पंछी क्या याचना कर रहें हैं?

उत्तर -  कविता में पंछी याचना कर रहे हैं कि चाहे उनके घोंसलें तोड़ दें या चाहे उनके टहनी के आश्रय छिन्न भिन्न कर दें पर जब उन्हें पंख दिए हैं तो उनके उड़ान में विघ्न न डालें।

प्रश्न-11   इस कविता के माध्यम से पंछी क्या संदेश देना चाहते हैं?

उत्तर -  इस कविता के माध्यम से पंछी यह संदेश  देना चाहते हैं कि स्वंतत्रता सब को प्रिय होती है और स्वंतत्र रह कर ही हम अपने सभी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं।

प्रश्न-12   हर तरह की सुख सुवधाएं पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते?

उत्तर -  हर तरह की सुख सुवधाएं पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद इसलिए नहीं रहना चाहते क्योंकि उन्हें स्वतंत्रता पसंद हैं, वह बंधन में नहीं रहना चाहते। वह खुल कर आकाश में उड़ना चाहते हैं।

प्रश्न-13   पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन - कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते थे?

उत्तर -  पपक्षी उन्मुक्त रहकर बहता हुआ शीतल जल पीना, कड़वे निबौरी के फल खाना, पेड़ की सबसे ऊंची टहनी पर झुलना, खुले आसमान में उड़ना तथा क्षितिज के अंत तक उड़ने की इच्छाएँ पूरी करना चाहते थे ।

प्रश्न-14   भावस्पष्टकीजिए -

"यातोक्षितिजमिलनबनजाता / यातनतीसाँसो कीडोरी।"

उत्तर -  इन पंक्ति में पंछी क्षितिज की सीमा तक उड़ जाने की या अपने प्राण त्याग देने की इच्छा रखते हैं।