Show जिस युग में तुलसीदास जी का जन्म हुआ था उस युग में धर्म, समाज, राजनीति आदि क्षेत्रों में पारस्परिक विभेद और वैमनस्य का बोलबाला था। धर्म के क्षेत्र में एक ओर हिंदू-मुस्लिम तथा दूसरी ओर शैव-शाक्त, वैष्णव मतों में आपसी ईर्ष्या-द्वेष बढ़ता जा रहा था। हिन्दू समाज अवर्ण-सवर्ण के भेदभाव में विभज्य हो रहा था। घोर अशान्ति का वातावरण उत्पन्न हो गया था। ऐसे समय में गोस्वामी तुलसीदास जी ने तत्कालीन परिस्थितियों का गहराई से अध्ययन
करके समाज में व्याप्त वैमनस्य को दूर करने का प्रयत्न किया। उन्होंने इस विषमता को दूर करने के लिए समन्वय की प्रवृत्ति को अपनाया। उन्होंने धार्मिक, सामाजिक, पारिवारिक, राजनैतिक सभी क्षेत्रों में समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया। अपने इसी समन्वयात्मक दृष्टिकोण के कारण तुलसीदास लोकनायक कहलाए। तुलसीदास को लोकनायक क्यों कहा जाता था?तुलसीदास को लोकनायक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इनके काव्य में आपसी समन्वय मिलता है। तुलसीदास के काल समय में समाज के हर क्षेत्र में आपसी द्वेष और वैमनस्य व्याप्त था। अनेक विशेषमतायें थीं। लोग अपने-अपने धर्म और दर्शन के नाम पर लड़ते थे।
तुलसीदास को लोकवादी किसने और क्यों कहा?तुलसी ने अपने समन्वयवादी दृष्टिकोण के कारण लोकनायक हैं। डा० हजारीप्रसाद द्विवेदी ने तो बुद्धदेव के पश्चात् तुलसी को ही लोकनायक घोषित किया है।
लोकनायक कवि कौन कहे जाते हैं?'लोकनायक कवि थे गोस्वामी तुलसीदास' | 'लोकनायक कवि थे गोस्वामी तुलसीदास' - Dainik Bhaskar.
महात्मा बुद्ध के बाद भारत के सबसे बड़े लोकनायक तुलसी थे यह कथन किसका है?महात्मा बुद्ध के बाद भारत के सबसे बड़े लोकनायक तुलसीदास शुमार किए जाते हैं। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार-लोकनायक वही हो सकता है जो समन्वय कर सके। क्योंकि भारतीय जनता में नाना प्रकार की परस्पर विरोधिनी संस्कृतियाँ, साधनाएँ, जातियाँ, आचारनिष्ठा और विचार-पद्धतियाँ प्रचलित हैं।
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