शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस तो दिखाई क्यों दे रहे हैं? - shaal ke vrksh bhayabheet hokar dharatee mein dhans to dikhaee kyon de rahe hain?

कवि के अनुसार वर्षा इतनी तेज और मूसलाधार थी कि ऐसा लगता था मानो आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। चारों तरफ धुआँ-सा उठता प्रतीत होता है। ऐसा लगता है मानो तालाब में आग लग गई हो। चारों ओर कोहरा छा जाता है, पर्वत, झरने आदि सब अदृश्य हो जाते हैं। वर्षा के ऐसे भयंकर रूप को देखकर ही शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में फँसे हुए प्रतीत होते हैं।

Solution : शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में इसलिए धंस गए, क्योंकि जो धुआँ बादलों के रूप में उठ रहा था उससे उन्हें तालाब जलता हुआ नज़र आ रहा था और ऐसा लग रहा है जैसे आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। वे जलने से बचने के लिए धरती में धंस गए थे।

पर्वत प्रदेश में पावस

सुमित्रानंदन पंत

NCERT अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1: पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: पावस यानि सर्दी का मौसम है जिसमे प्रकृति का रूप हर पल बदलता रहता है। कभी धूप खिल जाती है तो कभी काले घने बादल सूरज को ढ़ँक लेते हैं।

प्रश्न 2: ‘मेखलाकार’ शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?

उत्तर: मेखला एक आभूषण है जिसे कमर में पहना जाता है। यह ऊपर नीचे उठती हुई तरंगों जैसी रेखा बनाती है। पर्वत श्रृंखला भी ऐसी ही दिखाई देती है। इसलिए कवि ने ‘मेखलाकार’ शब्द का प्रयोग किया है।


Chapter List

  • कबीर
  • मीरा
  • बिहारी
  • मनुष्यता
  • पर्वत प्रदेश में प्रवास
  • मधुर मधुर मेरे दीपक
  • तोप
  • कर चले हम फिदा
  • आत्मत्राण
  • बड़े भाई साहब
  • डायरी का एक पन्ना
  • तताँरा वामीरो कथा
  • गिरगिट
  • दूसरे के दुख से दुखी
  • पतझर में टूटी पत्तियाँ
  • कारतूस

प्रश्न 3: ‘सहस्र दृग-सुमन’ से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?

उत्तर: पहाड़ पर उग आए पेड़ों पर असंख्य रंग बिरंगे फूल दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है कि पहाड़ की असंख्य आँखें हैं। इसलिए कवि ने यहाँ पर इस पद का प्रयोग किया है।

प्रश्न 4: कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?

उत्तर: तालाब या किसी भी अन्य जलराशि में आस पास की चीजों का प्रतिबिंब दिखाई देता है। इसलिए कवि ने तालाब की तुलना किसी विशाल दर्पण से की है।

प्रश्न 5: पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे हैं और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं?

उत्तर: पर्वत के हृदय से पेड़ उठकर खड़े हुए हैं और शांत आकाश को अपलक और अचल होकर किसी गहरी चिंता में मग्न होकर बड़ी महात्वाकांक्षा से देख रहे हैं। ये हमें ऊँचा, और ऊँचा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं।


प्रश्न 6: शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?

उत्तर: घने कोहरे में शाल के वृक्ष दिखाई देना बंद हो गए हैं। ऐसा लगता है कि वे उस घने कोहरे से डरकर धरती में समा गए हैं।

प्रश्न 7: झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है?

उत्तर: झरने पहाड़ के गौरव का गान कर रहे हैं। कवि ने झरनों की तुलना झरते हुए मोतियों से की है। फिर कवि ने झरनों की बेकाबू गति की तुलना किसी ऐसे व्यक्ति से की है जो नशे के प्रभाव में लड़खड़ाकर चल रहा हो।


निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:

प्रश्न 1: है टूट पड़ा भू पर अंबर।

उत्तर: जब तेज बारिश होती है तो लगता है कि धरती पर आसमान ही टूटकर गिरने लगा हो।

प्रश्न 2: यों जलद-यान में विचर-विचर
था इंद्र खेलता इंद्रजाल।

उत्तर: इन पंक्तियों में कवि ने तेज बारिश का चित्रण किया है। बादलों की तुलना उसने किसी विमान से की है। ऐसा लगता है कि उन विमानों में बैठकर इंद्र भगवान कोई जादू कर रहे हों।

प्रश्न 3: गिरिवर के उर से उठ उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।

उत्तर: पहाड़ के ऊपर और आस पास पेड़ भी होते हैं जो उस दृष्टिपटल की सुंदरता को बढ़ाते हैं। पर्वत के हृदय से पेड़ उठकर खड़े हुए हैं और शांत आकाश को अपलक और अचल होकर किसी गहरी चिंता में मग्न होकर बड़ी महात्वाकांक्षा से देख रहे हैं। ये हमें ऊँचा, और ऊँचा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं।


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शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस तो दिखाई क्यों दे रहे हैं? - shaal ke vrksh bhayabheet hokar dharatee mein dhans to dikhaee kyon de rahe hain?

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1 शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?

Solution : शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में इसलिए धंस गए, क्योंकि जो धुआँ बादलों के रूप में उठ रहा था उससे उन्हें तालाब जलता हुआ नज़र आ रहा था और ऐसा लग रहा है जैसे आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। वे जलने से बचने के लिए धरती में धंस गए थे।

शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्या धँस गए पर्वत प्रदेश में पावस कविता के आधार पर लिखिए?

शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धंस गए? कवि के अनुसार वर्षा इतनी तेज और मूसलाधार थी कि ऐसा लगता था मानो आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। चारों तरफ धुआँ-सा उठता प्रतीत होता है। ऐसा लगता है मानो तालाब में आग लग गई हो।

भय के कारण कौन धरती में फंसे हुए प्रतीत होते हैं?

वर्षा के ऐसे भयंकर रूप को देखकर प्रतीत होता था कि शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए हो।