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हिन्दी भाषा में स्वर और व्यन्जन || स्वर एवं व्यन्जनों के प्रकार, इनकी संख्या एवं इनमें अन्तर
मानव की भाषायी ध्वनियों को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिए जिन चिह्नों (प्रतीकों) का प्रयोग किया जाता है उन ध्वनि चिह्नों को 'वर्ण' कहते हैं। इन वर्णों में स्वर तथा व्यन्जन दोनों शामिल हैं। वास्तव में ध्वनियों को व्यक्त करने वाले ये लिपि चिह्न ही वर्ण है। इस तरह से वर्ण मानव की भाषिक ध्वनियों के लिखित रूप होते हैं। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। मूल रूप में वर्ण वे चिह्न होते हैं, हमारे मुख से निकली हुई ध्वनियों के लिखित रूप हैं। हिन्दी भाषा के लेखन के लिए जो चिह्न (वर्ण) प्रयुक्त होते हैं, उनके समूह को 'वर्णमाला' कहते हैं। यहाँ ध्यान देने की बात है - उच्चारित ध्वनि संकेतों को जब लिपिबद्ध किया जाता है तो वे वर्ण का रूप धारण कर लेते हैं। इन वर्णों के व्यवस्थित क्रमिक रूप को ही वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में कुल कितने वर्ण है। इसके लिए विद्वानों ने इनकी संख्या 48 और 52 बतलाई है। अतः वर्ण संख्या की धारणा हमें भ्रम में डाल देती है। सर्वमान्य मत के अनुसार हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण हैं। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। हिन्दी ध्वनियों का वर्गीकरणहिन्दी ध्वनियों का वर्गीकरण सामान्यतः स्वरस्वर उन उच्चारण वर्णों को कहते हैं, जिनका उच्चारण बिना अवरोध अथवा विघ्न-बाधा के होता है। इनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं ली जाती है। ये सभी स्वतन्त्र होते हैं। तभी कहा गया है - "स्वयं राजन्ते स्वराः" अर्थात् जो अपना शासन स्वयं के होते हैं, स्वरों के उच्चारण में भीतर से आती हुई वायु मुख से निर्बाध रूप से निकलती है। डॉ भोलानाथ तिवारी ने स्वरों के विषय में कहा
है- "स्वर वह घोष ध्वनि है, जिसके उच्चारण में हवा अबाध गति से मुख विवर से निकल जाती है।" हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। स्वरों का वर्गीकरणहस्व स्वर - अ, इ, उ, ऋ व्यन्जनस्वर के अतिरिक्त सभी ध्वनियाँ व्यन्जन हैं। डॉ. कपिलदेव द्विवेदी ने व्यन्जन के विषय में कहा है- "व्यन्जन वह ध्वनि है, जिसके उच्चारण में वायु अबाध गति से बाहर नहीं निकलती है।" डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार - "व्यन्जन वह ध्वनि है, जिसके उच्चारण में हवा अबाध गति से नहीं निकल पाती या तो उसे पूर्ण अवरुद्ध होकर आगे बढ़ना पड़ता है या संकीर्ण मार्ग से घर्षण करते हुए निकलना पड़ता है या मध्य रेखा से हटकर एक या दोनों पार्श्वों से निकलना पड़ता है या किसी भाग को प्रकंपित करते हुए निकलना पड़ता है। इसी प्रकार वायु मार्ग में पूर्ण या अपूर्ण अवरोध उपस्थित होता है।" इस प्रकार हम कह सकते हैं कि व्यन्जन वह संघोष या अघोष ध्वनियाँ हैं, जिसके उच्चारण में श्वास नलिका से आती हुई श्वास को मुख विवर से निकलने में पूर्ण रूप से अपना कुछ मात्रा में अवरोध उपस्थित होता है। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। व्यन्जनों का उच्चारणव्यन्जन स्वर की सहायता से उच्चारित होते हैं, क्योंकि
प्रत्येक व्यन्जन में 'अ' की ध्वनि छिपी रहती है। जैसे- क = क् +अ हिन्दी भाषा के इतिहास से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। व्यन्जनों का वर्गीकरणस्पर्श व्यन्जन ध्वनि एवं वर्णमाला से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी
पढ़िए।। विशेष – 1. संयुक्त व्यन्जनों को जब हम वर्णमाला में सम्मिलित नहीं करते हैं तब
वर्णमाला में 48 वर्ण होते हैं। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। स्वर और व्यन्जन का अन्तरस्वर - व्यन्जन - इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
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स्वर और व्यंजन के कितने भेद होते हैं?इनमें ११ स्वर और ४१ व्यञ्जन होते हैं। लेखन के आधार पर ५६ वर्ण होते हैं इसमें ११ स्वर , ४१ व्यञ्जन तथा ४ संयुक्त व्यञ्जन होते हैं। 1. स्वर क्या होता है :- जिन वर्णों को स्वतन्त्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर कहते हैं।
स्वर के भेद कितने होते हैं?स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण,स्वर कहलाते हैं। हिन्दी भाषा में मूल रूप से ग्यारह स्वर होते हैं। ग्यारह स्वर के वर्ण : अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ आदि। हिन्दी भाषा में ऋ को आधा स्वर(अर्धस्वर) माना जाता है,अतः इसे स्वर में शामिल किया गया है।
व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं class 6?व्यंजन वर्ण के तीन भेद होते हैं। व्यंजन – जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है, वे व्यंजन कहलाते हैं।. स्पर्श व्यंजन – 'स्पर्श' यानी छूना। ... . अंतस्थ व्यंजन – अंत = मध्य या (बीच, स्थ = स्थित) इन व्यंजनों का उच्चारण स्वर तथा व्यंजन के मध्य का-सा होता है।. व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं class 9?जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी दुसरे वर्णों के नहीं हो सकता उन्हें व्यंजन कहते हैं। अर्थात स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते हैं। वैसे तो व्यंजनों की संख्या 33 ही होती है। लेकिन 2 द्विगुण व्यंजन और 4 संयुक्त व्यंजन मिलाने के बाद व्यंजनों की संख्या 39 हो जाती है।
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