स्वागत है कविता में कवि भारतीयों को कौन से देश में बुला रहा है ?

उत्तर लिखिए :

‘स्वागत है’ काव्य मेंदी गई सलाह। ____________

मॉरिशस की पावन धरती पर सभी देशवासियों का स्वागत करते हुए कवि कहता है कि हे मेरे हृदय के टुकड़ो, उस पुरानी कथा को भूल जाओ। भूल जाओ कि किस प्रकार आप लोगों को अपने परिजनों से अलग कर दिया गया। इस प्रकार अपनी मातृभूमि से अलग होना ही आपकी किस्मत में था। अब उस पर रोने से कोई लाभ नहीं है। जहाजों द्वारा आप सबको यहाँ लाए जाने की घटना को सोचकर दुखी होने पर भी अब उसे अनहुआ नहीं किया जा सकता। आज युगों के बाद हम सब मिल रहे हैं। देखो, आज सब कैसे साथ-साथ हैं। ऐसा लगता है मानो इस धरती पर एक लघु भारत बन गया हो। और उस अपने छोटे-से भारत के प्रांगण में आज युगों के बाद हम एक ही माता के बालक मिल रहे हों। मॉरिशस तो अब हमारे मायके के समान है। वहीं हमें हमारे परिवार के लोग मिलेंगे। अब हमारे बीच देश-विदेश का भेद नहीं रहेगा। हम सभी एक ही समाज के सदस्य हैं। इस धरती पर जब हम लाए गए, तो यह जंगलों और पत्थरों से भरी थी। हमारे बंधुओं ने अपने अथक प्रयासों से इन पत्थरों में प्राण डाले। उन्होंने पसीने के रूप में अपना लहू बहाया। तब यह भूमि मॉरिशस का सुंदर रूप ले पाई। हे मेरे बंधुओ, इस भूमि पर तुम सभी की स्मृति गहराई तक अंकित है। हमारे पूर्वजों ने इस सुंदर देश का निर्माण किया है। तुम भी आओ और इस भूमि को स्वर्ग में परिवर्तित कर दो।

स्वागत है कविता में कवि भारतीयों को कौन से देश में बुला रहा है *?

प्रस्तुत कविता में कवि प्रवासी भारतीयों को अपनी विगत दुखद स्मृतियाँ भुलाकर मॉरिशस आने के लिए प्रेरित कर रहा है। अब माॅरिशस की भूमि नैहर के समान है, जहाँ परिजनों से मिलाप होगा। लघु भारत के आँगन में कवि सभी का स्वागत कर रहा है।

स्वागत है !' कविता में कवि प्रवासी भारतीयों को कौन से देश में आने के लिए आमंत्रित कर रहा है?

प्रस्तुत कविता में कवि दानीश्वर जी भारतीयों को अपनी विगत दुखद स्मृति में भुलाकर मॉरिशस आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अब मॉरिशस माँ के घर के समान है, जहाँ अपने प्रियजनों से उनका मिलन होगा। मॉरिशस अब एक लघु भारत के समान हैकवि इस भारत में सभी का स्वागत कर रहा है

कवि शाम दानिश्वर मजदूरों का स्वागत कौन से देश में करते हैं?

मॉरिशस की पावन धरती पर सभी देशवासियों का स्वागत करते हुए कवि कहता है कि हे मेरे हृदय के टुकड़ो, उस पुरानी कथा को भूल जाओ। भूल जाओ कि किस प्रकार आप लोगों को अपने परिजनों से अलग कर दिया गया। इस प्रकार अपनी मातृभूमि से अलग होना ही आपकी किस्मत में था।

स्वागत है कविता के कवि निम्नलिखित में से कौन है?

शाम दानीश्वर जी मॉरिशस में बसे हिंदी कवि हैं। स्वागत है कविता में कहीं पर भयानक रस “कहीं पुन: दोहरा न दे इतिहास हमारा, इस-उस धरती पर बिखर न जाएँ” तो कहीं पर वीर रस – 'तो स्वर्ग इसे तुम बना जाओ, स्वागतस्वागतस्वागत है! ' की निष्पत्ति हुई है।