तीज क्यों मनाया जाता है - teej kyon manaaya jaata hai

सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कज्जली तीज या हरियाली तीज मनाई जाती है। इस साल हरियाली तीज 13 और 14 अगस्त

को मनाई
जा रही है। लेकिन तीज क्यों मनाई जाती है? प्रस्तुत है संक्षिप्त जानकारी ....

- इसे सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने किया था जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए।


- कुंवारी लड़कियां भी मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा करती हैं।

- हरियाली तीज के दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया।

- पार्वती के कहने पर शिव जी ने आशीर्वाद दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।

हरियाली तीज पूजा विधि

निर्जला व्रत और भगवान शिव और माता पार्वती जी की विधि पूर्वक पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रत के साथ-साथ शाम को व्रत की कथा सुनी जाती है। माता पार्वती जी का व्रत पूजन करने से धन, विवाह संतानादि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है।

सावन मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, वही हरियाली तीज कहा जाता है। देश के बड़े भाग में यही पूजन आषाढ़ तृतीया को मनाया जाता है उसे हरितालिका तीज कहते हैं। दोनों में पूजन एक जैसा होता है अत: कथा भी एक जैसी है।

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। परन्तु ज्यादातर लोग इसे हरियाली तीज के नाम से जानते हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है।

इस दिन स्त्रियां माता पार्वती जी और भगवान शिव जी की पूजा करती हैं।

निर्जला व्रत रखती हैं।

इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन व्रत बताया जाता है।

इस दिन महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन-जल के दिन व्यतीत करती हैं तथा दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती हैं।

विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।

इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है।

हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा होती है।

पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन व लोक नृत्य किए जाते है।

इस दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने का भी रिवाज है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। इस त्योहार में स्त्रियां हरी लहरिया न हो तो लाल, गुलाबी चुनरी में भी सजती हैं, गीत गाती हैं, मेंहदी लगाती हैं,श्रृंगार करती हैं, नाचती हैं। हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है।

साल 2018 में हरियाली तीज अलग-अलग मतानुसार 13 और 14 अगस्त को मनाई जाएगी। लेकिन अधिकांश लोग इसे 14 को ही मनाएंगे।

तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हरियाली तीज के ही दिन माता पार्वती ने कठोर तप किया था और इसी से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. यही कारण है कि इस दिन व्रत रखने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. इस दिन को सुहागिन स्त्रियों के लिए विशेष माना जाता है.

हरियाली तीज का मतलब क्या होता है?

माता पार्वती जी का व्रत पूजन करने से धन, विवाह संतानादि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है। सावन मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, वही हरियाली तीज कहा जाता है। देश के बड़े भाग में यही पूजन आषाढ़ तृतीया को मनाया जाता है उसे हरितालिका तीज कहते हैं।

सावन में तीज क्यों मनाई जाती है?

हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. माना जाता है कि ​हरियाली तीज के दिन ही माता पार्वती का कठोर तप सफल हुआ था. इस दिन शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए थे और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. इसलिए ये दिन माता पार्वती को अत्यंत प्रिय है.

हरियाली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

क्यों मनाते हैं हरियाली तीज मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत की शुरुआत हुई। इस दिन जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं, उनका सुहाग लंबे समय तक बना रहता है।