अमर उजाला 'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- घोर, जिसका अर्थ है- भयंकर, विकराल, सघन, दुर्गम, कठिन, बहुत अधिक। प्रस्तुत है नागार्जुन की कविता- सिंदूर तिलकित भाल... सिंदूर तिलकित भाल कविता में कवि को अपने गांव का क्या याद आता है?सिंदुर तिलकित भाल नागार्जुन की सबसे प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कविताओं में एक है. कवि अपने घर-परिवार से दूर पड़ा हुआ अपनी पत्नी का तिलकित भाल याद करता है. और उसी के साथ साथ जुड़ी हुई अपने गाँव की प्रकृति और वहाँ का समूचा जनजीवन उसकी आँखों के आगे तैरने लगता है. फिर इन सबके बीच उसे पत्नी का सिंदुर तिलकित भाल याद आता है.
सिंदूर तिलकित भाल कविता के रचनाकार कौन हैं?सिंधुर तिल्कित भाल कविता सुविख्यात प्रगतिशील कवि एवं कथाकार नागार्जुन द्वारा रचित है। जन-मन के सजग और सतर्क रचनाकार कवि नागार्जुन अपनी कविता में यथार्थ को खुलकर चित्रित करते है।
प्रेत का बयान कविता का प्रतिपाद्य क्या है?इस कविता में स्वाधीन भारत की व्यवस्था पर व्यंग्य किया गया है। फैण्टेसी के उपयोग द्वारा यहाँ भारत के सामाजिक, आर्थिक यथार्थ पर प्रहार किया गया है। एक मास्टर के प्रेत के बयान से स्पष्ट किया गया है कि अन्नाभाव ने उस दौर के राष्ट्र-निर्माता कहे जानेवाले शिक्षक की जान ले ली।
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