Show Learn with Criss Cross Classes यह दीप अकेलाIn this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 3rd Yeh Deep Akela. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 3 यह डीप अकेला के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
सच्चिनान्द हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय” का जीवन परिचय
पाठ का परिचय
यह दीप अकेला स्नेह भरा है गर्ब भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह जन हे-गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गाएगा? पनडुब्बा-ये मोती सच्चे फिर कौन कृती लाएगा?
यह समिधा-ऐसी आग हठीला बिरला सुलगाएगा। यह अट्वितीय-यह मेरा-यह मैं स्वयं विसर्जित- यह दीप, अकेला, स्नेह भरा है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह मधु है-स्वयं काल की मौना का युग-संचय; यह गोरस-जीवन-कामधेनु का अमृत-पूत पय,
यह अंकुर-फोड धरा को रवि को तकता निर्भय, यह प्रकृत, स्वयंभू, ब्रह्म, अयुत: इसको भी शक्ति को दे दो। यह दीप, अकेला, स्नेह भरा है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह वह विश्वास, नहीं जो अपनी लघुता में भी काँपा, वह पीड़ा, जिस की गहराई को स्वयं उसी ने नापा; कुत्सा, अपमान, अवज्ञा के धुँधुआते कडुबे तम में यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त-नेत्र, उल्लंब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापा। जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय, इसको भक्ति को दे दो-
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा है गर्ब भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो। We hope that class 12 Hindi Chapter 3 यह डीप अकेला (Yeh Deep Akela) notes in Hindi helped you. If you have any query about class 12 Hindi Chapter 3 यह डीप अकेला (Yeh Deep Akela) notes in Hindi or about any other notes of class 12 History in Hindi, so you can comment below. We will reach you as soon as possible…
More Important Links
Learn with Criss Cross Classes यह दीप अकेला कविता का मूल भाव क्या है?यह दीप अकेला है परंतु स्नेह से भरा हुआ है। जिसके कारण उसमें गर्व है अर्थात गर्व से भरा हुआ है, और उसका यह गर्व उसकी पूर्णता की अपूर्णता को दर्शाता है। कवि चाहता है कि उसे उसी प्रकार के अन्य दियों की पंक्ति में शामिल कर देना चाहिए तभी उसे सामूहिकता की शक्ति का बोध होगा। उसे अपनी पूर्णता के अधूरेपन का भी ज्ञान होगा।
यह दीप अकेला कविता के द्वारा क्या संदेश दिया गया है?यह प्रकृत, स्वयंभू, ब्रह्म, अयुतः इसको भी शक्ति को दे दो। यह दीप, अकेला, स्नेह भरा है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो। मैंने देखा एक बूँद सहसा उछली सागर के झाग से; रंग गई क्षणभर ढलते सूरज की आग से। मुझ को दीख गया : सूने विराट् के सम्मुख हर आलोक-छुआ अपनापन है उन्मोचन नश्वरता के दाग से !
यह दीप अकेला में दीप किसका प्रतीक है?'दीप' व्यक्ति का प्रतीक है और 'पंक्ति' समाज का प्रतीक है। कविता पर प्रयोगवादी शैली का प्रभाव है इसमें तत्सम शब्दावली का प्रयोग हुआ है। कवि इस कविता में स्वयं को इसी व्यक्तित्व रूप में अर्जित करते हुए, समाज में स्वयं को विसर्जित कर देना चाहता है।
यह दीप अकेला इसे भी पंक्ति को दे दो पंक्ति से क्या तात्पर्य है?इसमें विद्यमान पंक्ति शब्द समाज का प्रतीक स्वरूप है। दीप को पंक्ति में रखने का तात्पर्य समाज के साथ जोड़ना है। इसे ही व्यष्टि का समिष्ट में विलय कहा गया है।
|